#Contra Funds के बारे में जानें
म्युचुअल फंड्स स्कीम कई तरह की होती हैं उनमें से ही एक है Contra Funds। आइये जानते हैं कि आखिर Contra Funds होते क्या हैं। 

1) Contra Funds इक्विटी म्युुचुअल फंड्स के तहते आते हैं। इस फंड्स पर नजरिया मार्केट के बारे में प्रचलित नजरिया के बिल्कुल उलट (Contrarian) होता है। जैसे अगर मार्केट के बारे में तेजी का नजरिया है तो Contra Funds पर मंदी का नजरिया रहता है। 

2) Contra Funds के तहत  कमजोर प्रदर्शन करने वाले वैसे स्टॉक्स और सेक्टर्स में पैसा लगाया जाता है जो लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दे सकें। 

3)Contra Funds के पोर्टफोलियो में डिफेंसिव स्टॉक (Pharma, Telecom, Utilities, Consumer Staples) और मार्केट में तेजी के दौरान खराब प्रदर्शन करने वाले स्टॉक्स शामिल किए जाते हैं। 

4) सेबी के नए कैटेगराइजेशन के तहत म्युचुअल फंड्स कंपनियां या तो Contra Funds की पेशकश कर सकती हैं या फिर Value Funds की, दोनों एक साथ पेशकश नहीं कर सकती हैं। 

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(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'


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Rajanish Kant सोमवार, 22 अप्रैल 2019
आज #Lux Indus., #AU स्मॉल बैंक, #Mahindra लाइफस्पेस के नतीजों पर नजर
आज Lux Indus., AU स्मॉल बैंक, Mahindra लाइफस्पेस, तेजस नेटवर्क्स समेत इन कंपनियों के वित्तीय नतीजे पर नजर रहेगी। कंपनियां इन दिनों जनवरी-मार्च तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा कर रही हैं।  
Security CodeSecurity NameResult Date
511756ABIRAFN22 Apr 2019
590122ASHIKACR22 Apr 2019
540611AUBANK22 Apr 2019
509567GOACARBON22 Apr 2019
516078JUMBO22 Apr 2019
539542LUXIND22 Apr 2019
532313MAHLIFE22 Apr 2019
538646QGO22 Apr 2019
531869SACHEMT22 Apr 2019
506642SADHNANIQ22 Apr 2019
532323SHIVACEM22 Apr 2019
500407SWARAJENG22 Apr 2019
531432SYTIXSE22 Apr 2019
540595TEJASNET22 Apr 2019
532893VTMLTD22 Apr 2019

Source: bseindia.com
कंपनियों के नतीजे को सिर्फ आंकड़ा ना समझें निवेशक-भाग-1
शेयर बाजार के निवेशकों के लिए कंपनियों के नतीजे के मायने -भाग-2

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भारत को अगले पांच वर्ष में अपनी सुधार प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिएः अरविंद पनगढ़िया

प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने जोर देकर कहा है कि भारत में सुधार की प्रक्रिया आने वाले पांच वर्ष में निश्चित रूप से पूरी हो जानी चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि भारत को श्रम आधारित क्षेत्र की वृद्धि पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि बड़ी संख्या में लोगों की अच्छी नौकरियां मिल सके। 


उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के बारे में भी 'गंभीरता से सोचने' की वकालत की है।



जनवरी, 2015 से अगस्त, 2017 तक नीति आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर रह चुके पनगढ़िया ने भारत में हो रहे आम चुनावों के बाद सरकार के लिए आवश्यक प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर यह बात कही। 



कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय आर्थिक नीतियों से जुड़े एक केंद्र के निदेशक पनगढ़िया ने कहा, 'मेरा निजी विचार है कि भारत को आगामी पांच वर्ष में अपनी सुधार प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए।' 



पनगढ़िया ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत को वस्त्र, जूता-चप्पल, फर्नीचर, रसोई से जुड़े सामान एवं ऐसे अन्य क्षेत्रों की प्रगति पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जिसमें श्रम की आवश्यकता अधिक होती है। 



उन्होंने कहा, 'हमें इन क्षेत्रों में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कंपनियों की जरूरत है जो उस निर्यात बाजार पर दबदबा कायम कर सकें, जिससे चीन अधिक मेहनताने के कारण बाहर निकल रहा है...' 



अर्थशास्त्री ने बल देकर कहा कि यह ऐसा समय है जब 'हमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।' 


(साभार: पीटीआई भाषा)
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वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय लोक उपक्रमों को अपनी संपत्ति की सूची तैयार करने को कहा

वित्त मंत्रालय ने केन्द्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) से ऐसी सम्पत्तियों की सूची जल्द से जल्द तैयार करने को कहा है जिन्हें बेचा जा सकता है। साथ ही उन्हें इसके लिए संभावित निवेशकों तथा बोलीदाताओं से बात शुरू करने को भी कहा गया है। इसका मकसद लोक उपक्रमों की गैर-प्रमुख आस्तियों का शीघ्रता से बाजार में चढ़ाना है।

एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे सीपीएसई के पास विशेष उद्देशीय कोष (एसपीवी) के लिए गैर-प्रमुख आस्तियों को सुपुर्द कर देने अथवा गैर-प्रमुख आस्तियों की बिक्री से प्राप्त होने वाले लाभ को एक एस्क्रो खाते में स्थानांतरित करने का विकल्प होगा।

फरवरी में मंत्रिमंडल के एक फैसले के बाद निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने इस हफ्ते की शुरुआत में सीपीएसई की गैर-मुख्य आस्तियों के मौद्रीकरण और शत्रु संपत्तियों के मौद्रीकरण के लिए दिशा-निर्देश दिए थे।

दिशानिर्देशों के अनुसार, वित्तमंत्री की अगुवाई वाले मंत्रियों की समिति द्वारा शिनाख्त की गई गैर-मुख्य आस्तियों का मौद्रीकरण करने के लिए 12 महीनों का समय होगा जिसमें विफल रहने वित्त मंत्रालय सीपीएसई को बजटीय आवंटन रोक सकता है।

सीपीएसई की गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की बिक्री के माध्यम से प्राप्त राशि विनिवेश आय का हिस्सा बनेगी।

सरकार ने पहले से ही रणनीतिक बिक्री के लिए लगभग 35- सीपीएसई की पहचान की है। इनमें एयर इंडिया, पवन हंस, बीईएमएल, स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप कंप्रेशर्स, और प्रमुख इस्पात कंपनी- ‘सेल’ की भद्रावती, सलेम और दुर्गापुर इकाइयां शामिल हैं।

जिन अन्य सीपीएसई के एकमुश्त बिक्री के लिए मंजूरी दी गई है, उसमें हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, एचएलएल लाइफ केयर, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्रिज एंड रूफ इंडिया, एनएमडीसी का नागरनार इस्पात संयंत्र और सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और आईटीडीसी की इकाइयां शामिल हैं।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) को बिक्री के समय बेहतर प्राप्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सभी परिसंपत्तियों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया से गुजर रहे एयर इंडिया के मामले में सरकार ने पहले से ही एक विशेष उद्देशीय कोष (एसपीवी) - एयर इंडिया एस्सेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) बनाया है। सरकार ने एयर इंडिया के कुल 55,000 करोड़ रुपये कुल रिण में से 29,000 करोड़ रुपये के कर्ज को एआईएएचएल को अंतरित कर दिया है।

इसके अलावा, चार सहायक कंपनियों- एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज (एआईएटीएसएल), एयरलाइन अलाइड सर्विसेज (एएएसएल), एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (एआईईएसएल) और होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एचसीआई) की बिक्री से प्राप्त आय को भी एआईएएचएल को हस्तांतरित किया जायेगा। इसके अलावा, गैर-कोर परिसंपत्तियां - पेंटिंग और कलाकृतियों के साथ ही साथ राष्ट्रीय विमानन कंपनी की अन्य गैर-परिचालन वाली संपत्तियों को भी एसपीवी को हस्तांतरित कर दिया जायेगा।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सीपीएसई विनिवेश के जरिये 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले वित्त वर्ष में 85,000 करोड़ रुपये था।


(साभार: पीटीआई भाषा)
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