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आरबीआई ने रेपो रेट को 6% और रिवर्स रेपो रेट को 5.75% पर स्थिर रखा, ग्रोथ के बारे में क्या कहा आरबीआई ने
रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) ने रेपो रेट को 6% और रिवर्स रेपो रेट को 5.75% पर स्थिर रखा है। दो दिनों 4,5 अप्रैल की बैठक के बाद कमिटी ने इसका फैसला लिया। ज्यादातर जानकार प्रमुख दरों को स्थिर रखा जाने की संभावना जता रहे थे।
पहला द्विमासिक (4,5 अप्रैल) मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2018-19 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प भारतीय रिज़र्व बैंक

इससे पहले कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों का रखा था।
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों रखा
((RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की 2018-19 में प्रमुख दरों पर बैठक की तारीखें
मौजूदा प्रमुख दरें:
मौजूदा प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  : 6.00%
-रिवर्स रेपो रेट                          : 5.75%
-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF) : 6.25%
-बैंक रेट                             : 6.25%
-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%
-एसएलआर                         :   19.5%
-बेस रेट                              :   8.95 - 9.45%
-MCLR (Overnight) : 7.80% -7.95%
-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%
-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 6.75% 
((फाइनेंस का फंडा: भाग-21, RBI की क्या भूमिका है 
(मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में जानें  
(मौद्रिक पॉलिसी क्या है

-आरबीआई के अनुमान:
-2018-19 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर 5.1-5.6 प्रतिशत जबकि दूसरी छमाही में 4.5-4.6 प्रतिशत रहेगी
-फरवरी-मार्च में खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी की वजह से पहली छमाही में महंगाई कम रहने का अनुमान
-मॉनसून के सामान्य रहने, सरकार द्वारा आपूर्ति व्यवस्था का दुरुस्त रखने से महंगाई में कमी की उम्मीद है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव रहने, भारतीय मांग में बढ़ोतरी और केंद्रीय कर्मचारियों के एचआरए में बढ़ोतरी से महंगाई पर दबाव बढ़ेगा
-2018-19 में निवेश की गतिविधियों में सुधार, कैपिटल गुड्स के उत्पादन में बढ़ोतरी, वैश्विक बाजारों में रिकवरी जैसे कारणों से घरेलू ग्रोथ ती रफ्तार बढ़ेगी। 2017-18 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत, 2018-19 की पहली छमाही में विकास दर 7.3-7.4 प्रतिशत जबकि दूसरी छमाही में विकास दर 7.3-7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान
-
आरबीआई ने इस बैठक में मध्यम अवधि में खुदरा महंगाई दर यानी सीपीआई 2 प्रतिशत की घट-बढ़त के साथ  4 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है जबकि इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 4.4 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो कि जनवरी के मुकाबले कम हुई है। इस  साल जनवरी में खुदरा महंगाई दर 5.07 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल फरवरी में 3.65 प्रतिशत थी।


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Rajanish Kant गुरुवार, 5 अप्रैल 2018
आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) की बैठक आज से, ब्याज दर स्थिर रखे जाने की संभावना

रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) की प्रमुख दरों पर आज से बैठक शुरू हो रही है। कमिटी प्रमुख दरों पर क्या फैसला लेती है, इसकी जानकारी कल दी जाएगी। ज्यादातर जानकारों का मानना है कि बैठक में प्रमुख दरों को स्थिर रखा जाएगा। यह कमिटी की मौद्रिक नीति पर वित्त वर्ष 2018-19 की पहली बैठक होगी।
इससे पहले कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों का रखा था।
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों रखा
((RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की 2018-19 में प्रमुख दरों पर बैठक की तारीखें
मौजूदा प्रमुख दरें:
मौजूदा प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  : 6.00%
-रिवर्स रेपो रेट                          : 5.75%
-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF) : 6.25%
-बैंक रेट                             : 6.25%
-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%
-एसएलआर                         :   19.5%
-बेस रेट                              :   8.95 - 9.45%
-MCLR (Overnight) : 7.80% -7.95%
-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%
-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 6.75% 
UBS सिक्योरिटीज का मानना है  कि फरवरी की खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को देखते हुए अगले महीने की बैठक में प्रमुख दरों को स्थिर रखे जाने की संभावना है, लेकिन तीन कारकों-अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर प्रमुख दरों में आधे परसेंट तक की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 4.4 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि जनवरी के मुकाबले कम हुई है। इस  साल जनवरी में खुदरा महंगाई दर 5.07 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल फरवरी में 3.65 प्रतिशत थी।  इसको देखते हुए इंडस्ट्री को उम्मीद है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती की जा सकती है। उधर,  UBS सिक्योरिटीज का मानना है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती शायद ही हो, क्योंकि महंगाई बढ़ने का जोखिम कम नहीं हुआ है और आने वाले समय में महंगाई बढ़ सकती है। 
सिक्योरिटीज फर्म के मुताबिक,  वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान खुदरा महंगाई दर औसतन 4.47 प्रतिशत रह सकती है जो कि वित्त वर्ष 2017-18 की पूर्वअनुमानित दर 3.6 प्रतिशत से ज्यादा है। फर्म का मानना है कि रिजर्व बैंक 2018-19 में ब्याज दर स्थिर रख सकता है। हालांकि, फर्म ने कुछ कारकों का जिक्र किया है, जिनकी वजह से महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है और ऐसे में मैक्रो इकोनॉमी को स्थिर रखने के लिए रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान प्रमुख दरों में आधे प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है। 

UBS सिक्योरिटीज के मुताबिक, अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर महंगाई और बढ़ सकती है। 

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Rajanish Kant बुधवार, 4 अप्रैल 2018
अगली RBI पॉलिसी बैठक में ब्याज स्थिर रहेगा , लेकिन अगले 12 महीने के दौरान 0.50% तक बढ़ सकता है, अगर..:UBS सिक्यो.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) ने अपनी 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों का रखा था। RBI MPC की प्रमुख दरों पर अगली बैठक 4,5 अप्रैल को है।
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों रखा
UBS सिक्योरिटीज का मानना है  कि फरवरी की खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को देखते हुए अगले महीने की बैठक में प्रमुख दरों को स्थिर रखे जाने की संभावना है, लेकिन तीन कारकों-अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर प्रमुख दरों में आधे परसेंट तक की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 4.4 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि जनवरी के मुकाबले कम हुई है। इस  साल जनवरी में खुदरा महंगाई दर 5.07 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल फरवरी में 3.65 प्रतिशत थी।  इसको देखते हुए इंडस्ट्री को उम्मीद है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती की जा सकती है। उधर,  UBS सिक्योरिटीज का मानना है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती शायद ही हो, क्योंकि महंगाई बढ़ने का जोखिम कम नहीं हुआ है और आने वाले समय में महंगाई बढ़ सकती है। 
सिक्योरिटीज फर्म के मुताबिक,  वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान खुदरा महंगाई दर औसतन 4.47 प्रतिशत रह सकती है जो कि वित्त वर्ष 2017-18 की पूर्वअनुमानित दर 3.6 प्रतिशत से ज्यादा है। फर्म का मानना है कि रिजर्व बैंक 2018-19 में ब्याज दर स्थिर रख सकता है। हालांकि, फर्म ने कुछ कारकों का जिक्र किया है, जिनकी वजह से महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है और ऐसे में मैक्रो इकोनॉमी को स्थिर रखने के लिए रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान प्रमुख दरों में आधे प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है। 

UBS सिक्योरिटीज के मुताबिक, अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर महंगाई और बढ़ सकती है। 

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
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Plz Follow Me on: 
((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant गुरुवार, 15 मार्च 2018