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आप अमीर बनेंगे या अमीर के कर्मचारी, ये आपका एजुकेशन बताता है-रॉबर्ट टी कियोसाकी
पढ़ाई-लिखाई का महत्व तो हम सभी जानते हैं। खूब मेहनत से पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करना और जमकर पैसे कमाना हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है आपका एजुकेशन स्टाइल पहले ही बता देता है कि आप अमीर बनने जा रहे हैं या फिर अमीर के कर्मचारी। दुनिया के जाने-माने पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और बेस्ट  सेलर किताब 'रिच डैड पुअर डैड' के लेखक रॉबर्ट टी कियोसाकी ने अपनी किताब '21 वीं सदी का व्यवसाय'के 'अध्याय संपत्ति#1: असली दुनिया की व्यवसायिंक शिक्षा' में इसका राज बताया है। उन्होंने लिखा है-

मुझे उस शिक्षा में सबसे ज्यादा विश्वास है जो आपको वह सब सचमुच सिखाये, जिसकी जरूरत आपको अपने जीवन में सफल होने के लिए है। 
तीन प्रकार की शिक्षा: यदि आप वित्तीय दृष्टि से सफल होना चाहते हैं, तो आपको तीन प्रकार की शिक्षा की जरूरत होगी-स्कूली, पेशेवर (Professional) और वित्तीय (Financial)। 
स्कूली शिक्षा आपको पढ़ना-लिखना और हिसाब  किताब करना सिखाती है। यह एक महत्वपूर्ण शिक्षा है, खास तौर पर आज के संसार में। व्यवस्थित रूप से मैं स्कूली शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया। जैसा मैं पहले ही बता चुका हूं ज्यादातर कक्षाओं में मुझे सी ग्रेड ही मिला था, सिर्फ इसलिए,क्योंकि मुझे जो पढ़ाया जा रहा था, उसमें मुझे ज्यादा रुचि नहीं थी। 
पेशेवर शिक्षा आपको पैसे के लिए काम करना सिखाती है। दूसरे शब्दों में यह आपको ई (Employee) और एस (Self-Employed) क्वाड्रैंट्स के जीवन के लिए तैयार करती है। स्कूल के मेरे स्मार्ट सहपाठी आगे चलकर डॉक्टर, वकील और अकाउंटैंट बने। बाकी ने किसी न किसी हुन्नर का प्रशिक्षण लिया, जहां उन्हें मेडिकल असिस्टेंट, प्लंबर, भवन निर्माता, इलेक्ट्रिशियन और ऑटोमोबाइल मैकेनिक बनना सिखाया गया। 
मैं यहां भी उत्कृष्ट नहीं था। शिक्षा में मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, इसलिए मुझे डॉक्टर, वकील या अकाउंटेंट बनने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया गया। इसके बजाय मैं एक समुद्री जहाज का ऑफिसर बन गया और इसके बाद एक हेलिकॉप्टर पायलट, जो वियतनाम में मैरीन कॉर्प्स के लिए उड़ान भरने लगा। 23वर्ष की उम्र तक मैं दो पेशों में काम कर चुका था, एक तो समुद्री जहाज के अफसर के रूप में और दूसरा पायलट के रूप में, लेकिन मैं दरअसल उनमें से किसी का भी इस्तेमाल पैसे बनाने के लिए नहीं किया। 
वित्तीय शिक्षा (Financial Education) वह होती है, जिसमें आप यह सीखते हैं कि पैसे के लिए खुद काम करने के बजाय पैसे से अपने लिए काम कैसे करवाया जाए। आपको लगता होगा कि आपको बिजनेस स्कूल में बिजनेस शिक्षा मिलती है। लेकिन, ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता है। बिजनेस स्कूल आम तौर पर सबसे चतुर विद्यार्थियों का दाखिला लेते हैं और उन्हें अमीरों के बिजनेस एक्जीक्यूटिव्ज बनने का प्रशिक्षण देते हैं। दूसरे शब्दों में, वे अपने विद्यार्थियों को ई ( Employee) क्वाड्रैंट की ऊपरी श्रेणी के जीवन के लिए प्रशिक्षित करते हैं-लेकिन इसके बावजूद क्वाड्रैंट ई अब भी रहता है। 
वियतनाम से लौटने के बाद मैंने एमबीए करने के लिए बिजनेस स्कूल में दाखिला लेने के बारे में सोचा, लेकिन मेरे अमीर डैडी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा," यदि तुम किसी पारंपरिक स्कूल से एमबीए करते हो, तो समझ लो कि तुम अमीरों के कर्मचारी बनने का प्रशिक्षण ले रहे हो। अगर तुम खुद के बल पर अमीर बनना चाहते हो, तो तुम्हें ज्यादा स्कूली शिक्षा की जरूरत नहीं है, तुम्हें तो असली दुनिया की वित्तीय शिक्षा की जरूरत है।" 
महत्वपूर्ण योग्यताएं:
उद्यमी बनना और बी ( Business) क्वाड्रैंट का व्यवसाय बनाना आसान नहीं होता है। वास्तव में मुझे यकीन है  कि बी ( Business) क्वाड्रैंट का व्यवसाय बनाना किसी भी व्यक्ति की सबसे मुश्किल चुनौतियों में से एक है। इतने सारे लोग ई (Employee) और एस (Self-Employed) क्वाड्रैंट्स  में इसी वजह से रहते हैं क्योंकि इनमें बी ( Business) क्वाड्रैंट से कम चुनौती होती है। यदि यह इतना आसान होता, तो हर व्यक्ति यही काम कर रहा होता। 
अगर आप व्यवसाय में सफल होना चाहते हैं, तो आपको कुछ ऐसी तकनीकी योग्यताएं सीखने की जरूरत है, जो आपने शायद स्कूल में नहीं सीखी। 
मिसाल के तौर पर,  व्यवस्थित होने और अपना खुद की एजेंडा तय करने की योग्यता। यह जितना  दिखता है, उससे कहीं ज्यादा बड़ा काम है। जो लोग नेटवर्क मार्केटिंग के दायरे में दाखिल होते हैं, कई बार तो उन्हें एक प्रकार का सांस्कृतिक सदमा पहुंचता है, क्योंकि इससे पहले तो कोई दूसरा व्यक्ति उन्हें हर बार बताता था कि क्या करना है। हो सकता है कि आप ई (Employee) क्वाड्रैंट्स में बहुत कड़ी मेहनत करें, लेकिन इसके बावजूद आपको लक्ष्य तय करने, कार्ययोजना बनाने, अपना एजेंडा तय करने, अपने समय का प्रबंधन करने और उत्पादक कार्यों की एक स्पष्ट शृंखला के क्रियान्वयन का जरा भी अनुभव ना हो। 
निराशाजनक बात ये है कि बहुत से लोगों में ये बुनियादी योग्यताएं नहीं होती है। यह निराशाजनक है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं। देखिये, ई (Employee) क्वाड्रैंट्स में आपको दरअसल इन योग्यताओं की जरूरत ही नहीं होती है। लेकिन आप बी ( Business) क्वाड्रैंट में कदम रख रहे हैं, तो ये योग्यताएं वैकल्पिक नहीं हैं। वे तो उन योग्यताओं जितनी ही महत्वपूर्ण है, जैसा यह जानना कि चेकबुक को बैलेंस कैसे किया जाए, वित्तीय योजना कैसे लिखी जाए और सालाना रिपोर्ट कैसे पढ़ी जाए।  

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Rajanish Kant गुरुवार, 14 सितंबर 2017
बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में महंगाई विलेन बने, तो क्या करें
म्युचुअल फंड में पैसे लगाएं, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के तनाव से बचें   


हर महीने खुदरा और थोक महंगाई दर के आंकड़े जारी होते हैं लेकिन उसमें में ना तो पढ़ाई-लिखाई और ना ही शादी-विवाह की महंगाई दर शामिल रहती है। अगर पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की महंगाई दर की बात करें तो जानकारों के मुताबिक, ये आमतौर पर हर महीने  जारी होने वाली खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के मुकाबले 2-4% अधिक रहती है। जाहिर है, ऐसे में हर मां-बाप को अपने बच्चों के बेहतर कैरियर के लिए रोजमर्रा की चीजों के मुकाबले अधिक से अधिक पैसों की जरूरत पड़ेगी। हर मां-बाप का ख्वाब होता है कि उसके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी ना रहे। साथ ही वो ये भी चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। ऐसे में महंगाई अगर विलेन बन जाए, तो क्या करना चाहिए। 

ऐसा माना जाता है कि भारत में शिक्षा की महंगाई दर सालाना 8-10% की दर से बढ़ रही है, जबकि शादी-विवाह की महंगाई दर सालाना 10-12% की दर से। 

महंगाई की मार से तो कोई बच नहीं सकता है, लेकिन अपनी बचत का सही जगह निवेश करके उसके असर को जरूर कम कर सकता है। इसके लिए ऐसे निवेश साधन में पैसे लगाने होंगे जो रियल रिटर्न (% रिटर्न-% खुदरा महंगाई दर) देने में महंगाई दर को मात दे। जानकारों की मानें तो लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश इसके लिए बेहतर और फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है। खासकर, जब आप कोई अच्छा सिस्टैमिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) चुनते हैं। 

>बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह के खर्चों से निपटने के लिए क्या तैयारी करें 
-सबसे पहले ऑनलाइन कंपाउड इंटरेस्ट कैलकुलेटर से अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की संभावित लागत का पता लगायें। आप पता कर सकते हैं कि कितने साल के बाद, पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की अनुमानित महंगाई दर के हिसाब से आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ सकती है। इससे आपको उस समय की लागत का एक अनुमान मिल जाएगा। इसको आधार बनाकर आप हर महीने एसआईपी में थोड़ी-थोड़ी रकम डाल सकते हैं। इससे आप पर एक ही बार में जो बोझ आने की आशंका रहेगी, वो नहीं रहेगी। कहने का मतलब है कि आपके खर्च का बोझ कई महीनों में बंट जाएगा। तो, आपके लिए पैसे जुटाना आसान हो जाएगा। 

-किसी अच्छे फंड हाउस की  पिछले कुछ सालों से बेहतर प्रदर्शन करने वाली दो इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम चुनें 

-अपने परिवार के सदस्यों से पूछकर अनुमान लगाएं कि आपका बच्चा कितने साल बाद उच्चतर शिक्षा के योग्य हो पाएगा और कितने साल बाद उसकी शादी होगी

-आपने जो भी स्कीम चुना है, उससे संबंधित आवेदन फॉर्म ठीक से भर कर फंड हाउस में जमा कर दीजिए

-इसके बाद ECS Mandatory फॉर्म भी भर दीजिए, ताकि हर महीने की खास तारीख (जो आपको उपलब्ध कराना है) को आपने जो फंड स्कीम चुनें हैं, उसका ऑटोमैटिक ऑनलाइन भुगतान आपके बैंक  अकाउंट से हो जाए।    

-आपने जो फंड चुना है, उससे संबंधित एसआईपी Mandatory फॉर्म भी भरें। आपको बता दें कि फंड में एकमुश्त रकम जमा करने की भी सुविधा होती है। इसलिए आपको बताना होता है कि आप एसआईपी करना चाहते हैं या फिर एक बार में एकमुश्त रकम का निवेश करना चाहते हैं।

-ध्यान रहे अपने इस  निवेश को किसी भी हालत में मत निकालें। आप जिस वित्तीय लक्ष्य को पूरे करने के लिए निवेश कर रहे हैं, उसी काम के लिए पैसे निकालें। 

-आप अपने इस निवेश की लगातर समीक्षा कीजिए। इस दौरान देखिए कि आपका निवेश सही ट्रैक पर तो है। अगर कुछ पैसे कम पड़ने की आशंका दिख रही है तो आप एसआईपी अमाउंट बढ़ा सकते हैं। 

-हां, सबसे जरूरी बात, आप इस काम के लिए अपने फाइनेंशियल एडवाइजर या प्लानर की मदद लेना ना भूलें। 
-किसी चाइल्ड प्लान के नाम से मिल रहे प्रोडक्ट को लेकर भ्रम में ना रहे हैं। आप हमेशा अपने वित्तीय लक्ष्य को
ध्यान में रखकर ही प्लान बनाएं और पैसे लगाएं। अगर कोई चाइल्ड प्लान आपके फाइनेंशियल प्लान में हर तरह से फिट बैठ रहा हो, तभी उसमें निवेश के बारे में विचार कीजिए।  कई बार प्रोडक्ट बेचने के लिए और ग्राहक को भ्रम में डालने के लिए नामकरण चाइल्ड प्लान के नाम से करते हैं।   

डिस्क्लेमर: Mutual Fund Investments are subject to market risks, read all scheme related documents carefully.

> म्युचुअल फंड से जुड़ी और जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं............
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-3: म्युचुअल फंड में निवेश के फायदे
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड के जरिए फाइनेंशियल प्लानिंग पूरी करें
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-1
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-2
(म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
(एफएमपी (फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स) क्या है
((म्युचुअल फंड कंपनियों की सूची
((टीचर हैं तो क्या हुआ, फाइनेंशियल प्लानिंग करना तो, बनता है बॉस
((डॉक्टर कैसे ठीक रखें फाइनेंशियल सेहत 
((शादी की खुशी में फाइनेंशियल प्लानिंग करना कहीं भूल तो नहीं गए
((म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
((चाइल्ड के लिए अभी से करें प्लान, तभी बनी रहेगी उसकी मुस्कान
((बच्चों से है प्यार, तो उनके लिए रखें फाइनेंशियल प्लान तैयार
(('Money मित्र' बनकर दें बच्चों को लाड़-प्यार  

('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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Rajanish Kant सोमवार, 28 नवंबर 2016