Results for "RBI MPC"
RBI MPC Meeting: RBI ने रेपो रेट को 6.5 % पर जस का तस रखा

  


देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC)  की प्रमुख दरों पर बैठक आज खत्म हो गई। यबह बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई थी। बैठक में ब्याज दर को जस का तस रखा गया। इसे पहले अगस्त, जून और अप्रैल में हुई बैठक में भी प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। जानकार भी मान रहे थे कि इस बार भी प्रमुख दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है।  

>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)
नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.75% - 10.10%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%

बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%

सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
4-6 अक्तूबर 2023

वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (6 अक्तूबर 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाए।

स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. वैश्विक संवृद्धि की गति कम हो रही है। मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से काफी ऊपर बनी हुई है। लंबी अवधि के लिए ऊंची दरों से संबंधित चिंताएं, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता ला रही हैं। सॉवरेन बॉण्ड का प्रतिफल सख्त हो गया है, अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि हुई है, और इक्विटी बाजारों में करेक्शन हुआ है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं (ईएमई) मुद्रा मूल्यह्रास और अस्थिर पूंजी प्रवाह का सामना कर रही हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) 7.8 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की, जो निजी खपत और निवेश मांग पर आधारित है।

4. सितंबर के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वर्षा में सुधार हुआ और दीर्घकालिक औसत से 6 प्रतिशत कम रही। ख़रीफ़ फ़सलों की बुवाई का क्षेत्र एक वर्ष पहले की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक था। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 5.7 प्रतिशत बढ़ा; अगस्त में मूल उद्योगों का उत्पादन 12.1 प्रतिशत बढ़ा। क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) और सेवा क्षेत्र के अन्य उच्च आवृत्ति संकेतकों ने अगस्त-सितंबर में बेहतर विस्तार प्रदर्शित किया।

5. मांग के मोर्चे पर, शहरी खपत में उछाल है, जबकि ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के पूंजीगत व्यय से निवेश गतिविधि को लाभ हो रहा है। इस्पात की खपत, सीमेंट उत्पादन के साथ-साथ आयात और पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में मजबूत वृद्धि देखी जा रही है। वस्तु निर्यात और तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात, अगस्त में संकुचन में रहे, हालांकि गिरावट की गति कम हो गई। अगस्त में सेवा निर्यात में सुधार हुआ।

6. अगस्त में कुछ हद तक कम होकर 6.8 प्रतिशत होने से पहले, सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण जुलाई में सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति 2.6 प्रतिशत अंक बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई। अगस्त में ईंधन मुद्रास्फीति बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई। जुलाई-अगस्त 2023 के दौरान मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) नरम होकर 4.9 प्रतिशत हो गई।

7. 22 सितंबर 2023 तक, मुद्रा आपूर्ति (एम3) में 10.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई और बैंक ऋण में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 29 सितंबर 2023 तक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 586.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।

संभावना

8. सब्जियों की कीमतों में बदलाव और एलपीजी की कीमतों में हालिया कमी के कारण निकट अवधि में मुद्रास्फीति के परिदृश्य में सुधार होने की उम्मीद है। भावी प्रक्षेपवक्र, दालों के अंतर्गत कम बुआई क्षेत्र, जलाशय के स्तर में गिरावट, अल नीनो की स्थिति और अस्थिर वैश्विक ऊर्जा और खाद्य कीमत जैसे कई कारकों पर निर्भर करेगी। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों के अनुसार, विनिर्माण कंपनियों को पिछली तिमाही की तुलना में तीसरी तिमाही में उच्च इनपुट लागत दबाव लेकिन बिक्री कीमतों में मामूली कम वृद्धि की उम्मीद है। सेवाएँ और बुनियादी ढाँचा कंपनियों को इनपुट लागत और बिक्री कीमतों की संवृद्धि में नरमी आने की उम्मीद है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत अनुमानित है, जिसका दूसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत होने का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 1)।

9. सेवाओं में निरंतर उछाल, ग्रामीण मांग में पुनरुत्थान, उपभोक्ता और कारोबार आशावाद, पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और बैंकों तथा कॉरपोरेट्स के बेहतर तुलन-पत्र से घरेलू मांग की स्थिति को लाभ होने की उम्मीद है। भू-राजनीतिक तनाव, अस्थिर वित्तीय बाजार और ऊर्जा की कीमतें तथा जलवायु आघात जैसे वैश्विक कारकों से संबंधित प्रतिकूल परिस्थितियां संवृद्धि की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 6.5 प्रतिशत होना अनुमानित है, जिसका दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहना अनुमानित है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 6.6 प्रतिशत रहना अनुमानित है (चार्ट 2)।

Chart 1 and Chart 2

10. एमपीसी ने पाया कि अभूतपूर्व खाद्य मूल्य आघात, मुद्रास्फीति के उभरते प्रक्षेपवक्र पर प्रभाव डाल रहे हैं और इस तरह के अतिव्यापी (ओवरलैपिंग) आघातों की बार-बार होने वाली घटनाएं सामान्यीकरण और दृढ़ता प्रदान कर सकती हैं। तदनुसार, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता के मौजूदा माहौल को देखते हुए, एमपीसी ने अतिरिक्त सावधानी (हाई अलर्ट) बरतने का संकल्प लिया है। जबकि सब्जियों की कीमतों में और बदलाव हो सकता है और मूल मुद्रास्फीति कम हो रही है, एमपीसी ने इस बात पर ध्यान दिया कि हेडलाइन मुद्रास्फीति सहन-सीमा बैंड से ऊपर चल रही है और लक्ष्य के साथ इसका संरेखण बाधित हो रहा है। अतः, मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बने रहने की आवश्यकता है। घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी चल रही है और त्योहारी खपत की मांग, निवेश के इरादों में तेजी तथा उपभोक्ता एवं कारोबारी संभावना में सुधार से इसे बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। चूंकि 250 आधार अंकों की संचयी नीति रेपो दर में बढ़ोतरी अभी भी अर्थव्यवस्था के माध्यम से अपना काम कर रही है, एमपीसी ने इस बैठक में नीति रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया है, लेकिन यदि परस्थिति के लिए आवश्यक हो तो उचित और सामयिक नीतिगत कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। एमपीसी मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप करने और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को नियंत्रित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

11. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया।

12. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से पर आपत्ति जताई।

13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 20 अक्तूबर 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।

14. एमपीसी की अगली बैठक 6-8 दिसंबर 2023 के दौरान निर्धारित है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023
RBI MPC Meeting: EMI घटेगी या बढ़ेगी? RBI आज करेगा घोषणा

 


देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज प्रमुख दरों पर बैठक के नतीजे की घोषणा करेगा। आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) की प्रमुख दरों पर बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई और आज खत्म होगी। जून और अप्रैल में हुई बैठक में प्रमुख दरों को जस का तस रखा गया था। जानकारों के मुताबिक, इस बार भी प्रमुख दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है।  
>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)
नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.75% - 10.10%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%

बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%

सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%


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Rajanish Kant
RBI MPC Meeting: EMI घटेगा या बढ़ेगी? आज से शुरू हो रहा है मंथन, 6 अक्टूबर को होगी घोषणा

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) की प्रमुख दरों पर फैसला लेने के लिए आज से बैठक शुरू हो गई है। 6 अक्टूबर को प्रमुख दरों पर महत्वपूर्ण ऐलान किया जाएगा। जून और अप्रैल में हुई बैठक में प्रमुख दरों को जस का तस रखा गया था। जानकारों के मुताबिक, इस बार भी प्रमुख दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। 

>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.75% - 10.10%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%

बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%

सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%


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Rajanish Kant बुधवार, 4 अक्तूबर 2023
समान मासिक किस्त (ईएमआई) आधारित अस्थिर ब्याज वाले ऋणों की ब्याज दर पुनर्निर्धारण में अधिक पारदर्शिता-RBI

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन दिनों की मौद्रिक पॉलिसी बैठक में ईएमआई की ब्याज दर पुनर्निर्माण में अधिक पारदर्शिता लाने की घोषणा की है। बैठक में क्या क्या प्रस्ताव किया गया है, आप विस्तार से पढ़ सकते हैं- 


विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाजारों; (ii) विनियमन और पर्यवेक्षण; (iii) भुगतान प्रणालियों; और (iv) फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है।

I. वित्तीय बाज़ार

1. वित्तीय बेंचमार्क प्रशासकों के लिए विनियामकीय ढांचे की समीक्षा

जून 2019 में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित वित्तीय बाज़ारों में बेंचमार्क प्रशासकों द्वारा 'महत्वपूर्ण बेंचमार्क' के प्रशासन पर एक विनियामक ढांचा जारी किया था, यथा यूएसडी/आईएनआर संदर्भ दर, ओवरनाइट माइबोर, और फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफ़बीआईएल) द्वारा प्रशासित सरकारी प्रतिभूतियों का मूल्यांकन। उस समय से घरेलू वित्तीय बाज़ारों में हुए विकास और वैश्विक सर्वोत्तम प्रणालियों को ध्यान में रखते हुए, वित्तीय बेंचमार्क के विनियमों की समीक्षा की गई है और विदेशी मुद्रा, ब्याज दरें, मुद्रा बाज़ार और सरकारी प्रतिभूतियाँ यथा जमा प्रमाणपत्र (सीडी) दरों पर बेंचमार्क, रेपो दरें, और एफएक्स ऑप्शंस अस्थिरता मैट्रिक्स के साथ-साथ सरकारी प्रतिभूतियों पर अन्य बेंचमार्क से संबंधित सभी बेंचमार्क के प्रशासन को शामिल करने वाला एक व्यापक, जोखिम-आधारित ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया गया है। संशोधित निदेश जो अलग से जारी किए जा रहे हैं, उनमें बेंचमार्क प्रशासकों के लिए विनियामक निर्देशों की परिकल्पना की गई है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ सुशासन और निरीक्षण व्यवस्था, हितों का टकराव, नियंत्रण और पारदर्शिता शामिल है। ये निदेश बेंचमार्क की सटीकता और सत्यनिष्ठा के बारे में अधिक आश्वासन प्रदान करेंगे।

II. विनियमन और पर्यवेक्षण

2. अवसंरचना उधार निधि- एनबीएफसी (आईडीएफ-एनबीएफसी) के लिए विनियामकीय ढांचे की समीक्षा

अवसंरचना उधार निधि को 2011 में एनबीएफसी की एक अलग श्रेणी के रूप में बनाया गया था। आईडीएफ को अवसंरचना क्षेत्र के वित्तपोषण में एक बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम बनाने और एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियों पर लागू विनियमों के सामंजस्य के विनियामक उद्देश्य की ओर बढ़ने के लिए, भारत सरकार के परामर्श से आईडीएफ के लिए मौजूदा विनियामक ढांचे की समीक्षा की गई है। संशोधित ढांचे में: (i) आईडीएफ के लिए प्रायोजक की आवश्यकता को वापस लेने; (ii) आईडीएफ को प्रत्यक्ष ऋणदाताओं के रूप में टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की अनुमति देने; (iii) ईसीबी तक पहुंच; और (iv) पीपीपी परियोजनाओं के लिए त्रिपक्षीय करार को वैकल्पिक बनाने की परिकल्पना की गई है। विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

3. उधार देने में जिम्मेदार आचरण: समान मासिक किस्त (ईएमआई) आधारित अस्थिर ब्याज वाले ऋणों की ब्याज दर पुनर्निर्धारण में अधिक पारदर्शिता

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई पर्यवेक्षी समीक्षा और जनता के सदस्यों के फीडबैक और संदर्भों से उधारकर्ताओं को उचित सहमति और संचार के बिना उधारदाताओं द्वारा अस्थिर ब्याज वाले ऋणों की अवधि को अनुचित रूप से बढ़ाने के कई उदाहरण सामने आए हैं। इस मुद्दे को हल करने के लिए, उधारकर्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए सभी आरई द्वारा लागू किए जाने वाले एक उचित आचरण ढांचे को स्थापित करने का प्रस्ताव है। इस ढांचे में ऋणदाताओं द्वारा अवधि और/या ईएमआई के पुनर्निर्धारण के लिए उधारकर्ताओं के साथ स्पष्ट रूप से संवाद करने, नियत दर वाले ऋणों पर स्विच करने या ऋणों को पहले बंद करने का विकल्प प्रदान करने, इन विकल्पों के प्रयोग से संबंधित विभिन्न शुल्कों का पारदर्शी खुलासा करने और उधारकर्ताओं को महत्वपूर्ण जानकारी देने हेतु पर्याप्त संचार की परिकल्पना की गई है। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

4. पर्यवेक्षी डेटा प्रस्तुत करने के लिए निर्देशों का समेकन और सामंजस्य

भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर अपनी पर्यवेक्षित संस्थाओं (एसई) अर्थात एससीबी, एनबीएफसी, यूसीबी, एआईएफआई आदि को पर्यवेक्षी विवरणियां प्रस्तुत करने के लिए कई दिशानिर्देश और निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुपालन में प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों, विवरणियां प्रस्तुत करने के तरीकों और विवरणियां प्रस्तुत करने की समय-सीमा में बदलाव के कारण एसई को कतिपय मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

लागू पर्यवेक्षी विवरणियों को प्रस्तुत करने संबंधी निर्देशों को समेकित और सुसंगत बनाने, अधिक स्पष्टता प्रदान करने और अनुपालन बोझ को कम करने के लिए, आंकड़े प्रस्तुत करने संबंधी सभी मौजूदा निर्देशों को एक ही मास्टर निदेश में समेकित करने का प्रस्ताव है जो सभी एसई के लिए संदर्भ का एक एकल बिंदु होगा।

III. भुगतान प्रणालियां

5. यूपीआई में संवादात्मक भुगतान

यूपीआई ने अपने उपयोग में आसानी, सुरक्षा और संरक्षा तथा वास्तविक समय सुविधा के साथ, भारत में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को बदल दिया है। समय के साथ कई नई सुविधाओं के जुड़ने से यूपीआई को अर्थव्यवस्था की विविध भुगतान आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिली है। जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था में एकीकृत हो रहा है, संवादात्मक निर्देशों की यूपीआई प्रणाली के उपयोग में आसानी और इसके परिणामस्वरूप पहुंच को बढ़ाने में काफी संभावनाएं हैं। अतः, यूपीआई पर एक नवोन्मेषी भुगतान मोड अर्थात "संवादात्मक भुगतान" शुरू करने का प्रस्ताव है, जो उपयोगकर्ताओं को एआई-संचालित प्रणाली के साथ संवाद के माध्यम से सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में लेनदेन शुरू करने और पूरा करने में सक्षम करेगा। यह चैनल स्मार्टफोन और फीचर फोन-आधारित यूपीआई चैनल दोनों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे देश में डिजिटल पहुंच को बढ़ाने में मदद मिलेगी। शुरुआत में यह सुविधा हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध होगी और बाद में इसे और अधिक भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। एनपीसीआई को शीघ्र ही निर्देश जारी किए जाएंगे।

6. यूपीआई में ऑफलाइन भुगतान

यूपीआई पर छोटे मूल्य के लेनदेन की गति बढ़ाने के लिए, बैंकों के लिए प्रसंस्करण संसाधनों को अनुकूलित करने के लिए सितंबर 2022 में "यूपीआई-लाइट" नामक एक ऑन-डिवाइस वॉलेट की शुरुआत की गई थी, जिससे लेनदेन विफलताओं को कम किया जा सके। उत्पाद को लोकप्रियता मिली है और वर्तमान में प्रति माह दस मिलियन से अधिक लेनदेन का प्रसंस्करण कर रहा है। यूपीआई-लाइट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) तकनीक का उपयोग करके ऑफ़लाइन लेनदेन की सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव है। यह सुविधा न केवल उन स्थितियों में खुदरा डिजिटल भुगतान को सक्षम करेगी जहां इंटरनेट/ दूरसंचार कनेक्टिविटी कमजोर है या उपलब्ध नहीं है, बल्कि यह न्यूनतम लेनदेन विफलता के साथ गति भी सुनिश्चित करेगी। एनपीसीआई को शीघ्र ही निर्देश जारी किए जाएंगे।

7. छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान के लिए लेनदेन सीमा बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) और यूपीआई लाइट सहित ऑफ़लाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान के लिए प्रति लेनदेन 200 की सीमा और प्रति भुगतान लिखत 2000 की समग्र सीमा निर्धारित की गई है। छोटे मूल्य के लेनदेन के लिए द्वि-कारक प्रमाणीकरण की आवश्यकता को हटाकर, ये चैनल रोजमर्रा के छोटे मूल्य के भुगतान, पारगमन भुगतान आदि के लिए भुगतान के तेज़, विश्वसनीय और संपर्क रहित तरीके को सक्षम करते हैं। तब से, इन सीमाओं को बढ़ाने की मांग की जा रही है। भुगतान के इस तरीके को व्यापक रूप से अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने और अधिक उपयोग के मामलों को इस मोड में लाने के लिए, अब प्रति लेनदेन सीमा को बढ़ाकर 500 करने का प्रस्ताव है। तथापि, द्वि-कारक प्रमाणीकरण में छूट से जुड़े जोखिमों को रोकने के लिए समग्र सीमा 2000 पर बरकरार रखी गई है। इस संबंध में शीघ्र ही निर्देश जारी किये जायेंगे।

IV. फिनटेक

8. घर्षण रहित ऋण के लिए सार्वजनिक तकनीकी मंच

डिजिटलीकरण में तेजी से प्रगति के साथ, भारत ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की अवधारणा को अपनाया है जो फिनटेक कंपनियों और स्टार्ट-अप को भुगतान, ऋण और अन्य वित्तीय गतिविधियों हेतु नवोन्मेषी समाधान बनाने और प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। डिजिटल ऋण वितरण के लिए, साख मूल्यांकन हेतु आवश्यक डेटा केंद्र और राज्य सरकारों, खाता एग्रीगेटरों, बैंकों, साख सूचना कंपनियों, डिजिटल पहचान प्राधिकरणों आदि जैसी विभिन्न संस्थाओं के पास उपलब्ध है। तथापि, ये अलग-अलग प्रणालियों में हैं, जिससे समय पर और घर्षण रहित नियम-आधारित ऋण वितरण में बाधा उत्पन्न होती है।

इस स्थिति से निपटने के लिए, सितंबर 2022 में 1.60 लाख से कम के किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋणों के डिजिटलीकरण के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की गई थी। प्रायोगिक परियोजना में कागज रहित और परेशानी मुक्त तरीके से ऋण देने की प्रक्रिया के एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण का परीक्षण किया गया। केसीसी प्रायोगिक परियोजना वर्तमान में मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, यूपी, महाराष्ट्र के चुनिंदा जिलों में चल रही है और प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक हैं। प्रायोगिक परियोजना बिना किसी कागजी कार्रवाई के सहायता प्राप्त या स्व-सेवा मोड में घर-घर ऋण वितरण को भी सक्षम बनाता है। गुजरात में अमूल के साथ दूध बेचने के आंकड़ों के आधार पर डेयरी ऋण के लिए एक समान प्रायोगिक परियोजना चलाई जा रही है।

उपरोक्त प्रायोगिकों से मिली सीख के आधार पर और सभी प्रकार के डिजिटल ऋणों के दायरे का विस्तार करते हुए, रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) द्वारा एक डिजिटल पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म विकसित किया जा रहा है। यह प्लेटफ़ॉर्म ऋणदाताओं को आवश्यक डिजिटल जानकारी के निर्बाध प्रवाह की सुविधा प्रदान करके घर्षण रहित ऋण वितरण में सक्षम बनाएगा। एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म में एक ओपन आर्किटेक्चर, ओपन एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) और मानक होंगे, जिससे वित्तीय क्षेत्र के सभी सहभागी 'प्लग एंड प्ले' मॉडल में निर्बाध रूप से जुड़ सकते हैं।

इस प्लेटफ़ॉर्म को सूचना प्रदाताओं तक पहुंच और उपयोग के मामलों दोनों के संदर्भ में एक सुविचारित रूप में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरू करने का प्रस्ताव है। यह लागत में कमी, त्वरित संवितरण और मापनीयता के मामले में ऋण देने की प्रक्रिया में दक्षता लाएगा।

 




(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant गुरुवार, 10 अगस्त 2023
Home Loan सस्ता होगा या महंगा, RBI आज करेगा घोषणा II RBI MPC Meeting II


देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज घटाता है, बढ़ाता है या फिर जस का तस रखता है, इसकी घोषणा आज करेगा। इस बारे में रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC)  की 8 अगस्त से चल रही बैठक आज खत्म होने वाली है। ज्यादातर जानकार मान रहे हैं कि RBI MPC ब्याज दर को जस का तस रखेगी। हालांकि, ब्याज दर की घोषणा करते समय हाल के दिनों में बेकाबू होती महंगाई दर पर भी नजर रखी जाएगी। 

RBI ने महंगाई दर को 2-6 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि जून में खुदरा महंगाई दर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

फरवरी 2022 से मई 2023 तक रेपो रेट में 250 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा चुकी है। हालांकि, पिछली दो बैठक से रेपो रेट को जस का तस रखा जा रहा है। 

 > RBI की मौजूदा दर : (Source: www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%
सीआरआर : 4.50%
एसएलआर : 18.00%

अगर महंगाई दर को देखते हुए उस पर काबू करने के लिए रेपो रेट में फिर से बढ़ोतरी होती है, तो बैंक लोन महंगे कर सकते हैं, लेकिन रेट को जस का तस रखने की स्थिति में कर्जदारों को कुछ हद तक कर्ज का बोझ बढ़ने की आशंका से राहत मिल सकती है। 


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