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किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के बारे में जानिए
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना पर मास्टर परिपत्र
1. परिचय
बैंकों द्वारा किसानों को उनकी धारिताओं के आधार पर किसान क्रेडिट कार्ड जारी करते समय एकसमान पद्धति अपनाए जाने के लिए 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना शुरू की गई थी ताकि किसान बीज, उर्वरक, कीटनाशक दवाइयां, आदि जैसी कृषि निविष्टियों की तत्‍काल खरीद और अपनी उत्‍पादन संबंधी आवश्‍यकताओं हेतु नकदी आहरित के लिए उसका उपयोग कर सके। बाद में वर्ष 2004 में किसानों की निवेश ऋण आवश्‍यकता अर्थात संबद्ध और कृषीतर गतिविधियों के लिए यह योजना लागू की गई थी। तदनंतर वर्ष 2012 में श्री टी.एम.भसिन, अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, इंडियन बैंक की अध्‍यक्षता में गठित कार्यदल द्वारा इस योजना के सरलीकरण एवं इलेक्‍ट्रानिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने में सुविधा होने की दृष्टि से योजना की पुन: समीक्षा की गई। योजना में किसान क्रेडिट कार्ड योजना को परिचालन में लाने के संबंध में बैंकों के लिए व्यापक दिशानिर्देश दिए गए हैं। योजना को कार्यान्वित करने वाले बैंकों को विशिष्ट संस्था/ स्थानगत आवश्यकताओं के अनुरूप उसे अपनाने का विवेकाधिकार होगा।
2. योजना की प्रयोज्यता
आगामी पैरा में विस्तार से वर्णित किसान क्रेडिट कार्ड योजना को वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लघु वित्त बैंकों और सहकारी समितियों द्वारा कार्यान्वित किया जाना है।
3. उद्देश्य / प्रयोजन
किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली से एकल खिड़की के तहत किसानों को लचीली और सरलीकृत क्रियाविधि सहित नीचे उल्लिखित उनकी खेती और अन्य जरूरतों के लिए पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करना है :
  1. फसलों की खेती के लिए अल्पावधि ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना
  2. फसलोत्तर खर्च
  3. कृषि उपज विपणन ऋण
  4. किसान की घरेलू खपत आवश्यकताएं
  5. फार्म आस्तियों और कृषि से संबद्ध गतिविधियों के रखरखाव के लिए कार्यशील पूंजी
  6. कृषि और संबद्ध गतिविधियों के निवेश क्रेडिट की आवश्यकता
टिप्पणी : उपर्युक्त क से ङ तक के घटकों का जोड़ अल्पावधि क्रेडिट सीमा का भाग होगा और च के तहत घटकों का जोड़ दीर्घकालीन क्रेडिट सीमा का भाग होगा।
4. पात्रता
i. किसान – अलग-अलग / संयुक्त उधारकर्ता जो स्वामित्व वाले किसान हैं
ii. काश्तकार किसान, मौखिक पट्टेदार और बंटाईदार
iii. स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) या काश्तकार किसान, बंटाईदार आदि सहित किसानों का संयुक्त देयता समूह (जेएलजी)
5. क्रेडिट सीमा / ऋण राशि का निर्धारण
किसान क्रेडिट कार्ड के तहत क्रेडिट सीमा निम्नानुसार निर्धारित की जाए :
5.1. सीमांत किसानों के अलावा अन्य सभी किसान1
5.1.1. प्रथम वर्ष के लिए आंकी जाने वाली अल्पावधि सीमा (वर्ष में एक ही फ़सल उगाने के लिए) :
फसल के लिए वित्त का मान (जिला स्तरीय तकनीकी समिति द्वारा यथा निर्णीत) x खेती का सीमा क्षेत्र + फसलोत्तर/ घरेलू/ खपत आवश्कताओं की सीमा का 10 % + फार्म आस्तियों की मरम्मत और रखरखाव के खर्च की सीमा का 20 % + फसल बीमा और/ या पीएआईएस सहित दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा तथा आस्ति बीमा।
5.1.2. दूसरे और बाद के वर्ष के लिए सीमा
फसल उगाने के उद्देश्य के लिए पहले साल के लिए उपर्युक्त प्रकार से आंकी गयी सीमा + लागत वृद्धि / बाद के प्रत्येक वर्ष (दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें वर्ष) के लिए के वित्त की मात्रा में वृद्धि और किसान क्रेडिट कार्ड की अवधि अर्थात पांच साल के लिए अनुमानित मीयादी ऋण घटक की सीमा का 10% (उदाहरण I)।
5.1.3. वर्ष में एक से अधिक फसल पैदा करने के लिए
पहले वर्ष के लिए प्रस्तावित फसल पैटर्न के अनुसार उगाई गई फसल के आधार पर सीमा उपर्युक्त प्रकार से निर्धारित की जानी है तथा इसमें अतिरिक्त रूप से लागत वृद्धि/ बाद के प्रत्येक वर्ष (दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें वर्ष) के लिए के वित्त की मात्रा में वृद्धि की सीमा के 10% को जोड़ना है। यह मान लिया गया है कि किसान बाद के चार साल के लिए भी यही फसल पैटर्न अपनाएंगे। यदि बाद के वर्ष में किसान द्वारा अपनाया गया फसल पैटर्न बदल दिया जाता है तो सीमा का पुन: निर्धारण किया जाए (उदाहरण I)।
5.1.4. निवेश के लिए मीयादी ऋण
भूमि विकास, लघु सिंचाई, कृषि उपकरण की खरीद और संबद्ध कृषि गतिविधियों हेतु निवेश के लिए मीयादी ऋण होता है। बैंक कृषि और संबद्ध गतिविधियों, आदि, के लिए मीयादी और कार्यशील पूंजी सीमा हेतु ऋण की मात्रा का निर्धारण किसान द्वारा अधिग्रहीत किए जाने के लिए प्रस्तावित आस्ति/ आस्तियों की यूनिट लागत, पहले से ही खेत पर की जा रही संबद्ध गतिविधियों, किसान पर मौजूदा ऋण दायित्वों सहित पड़ने वाले कुल ऋण भार की तुलना में चुकौती क्षमता के संबंध में बैंक के निर्णय के आधार पर कर सकते हैं।
दीर्घकालिक ऋण सीमा पांच वर्ष की अवधि के दौरान प्रस्तावित निवेश (निवेशों) और किसान की चुकौती क्षमता के संबंध में बैंक की धारणा पर आधारित होनी चाहिए।
5.1.5. अधिकतम अनुमत सीमा
पांचवें वर्ष के लिए आंकी गई अल्पावधि ऋण सीमा में अनुमानित दीर्घावधिक ऋण आवश्यकता जोड़ने पर अधिकतम अनुमत सीमा (एमपीएल) प्राप्त होगी और इसे किसान क्रेडिट कार्ड सीमा जैसे माना जाएगा।
5.1.6. उप-सीमाओं का निर्धारण
i. अल्पावधि ऋण और मीयादी ऋण अलग ब्याज दरों द्वारा शासित होते हैं। इसके अलावा,  3 लाख तक के अल्पावधि फसल ऋण को वर्तमान में भारत सरकार2 की ब्याज सबवेंशन योजना/ तत्काल चुकौती प्रोत्साहन योजना के तहत शामिल किया जाता है। साथ ही, अल्पावधि और मीयादी ऋण के लिए चुकौती कार्यक्रम और मानदंड अलग-अलग हैं। इस कारण, परिचालन और लेखांकन सुविधा की दृष्टि से, कार्ड की सीमा का अल्पकालिक नकदी ऋण सीमा सह बचत खाता और मीयादी ऋण के लिए अलग उप सीमाओं में विभाजित किया जाता है।
ii. आहरण सीमा अल्पावधि नकद ऋण के लिए फसल पैटर्न के आधार पर निश्चित की जानी चाहिए। फसल उत्पादन, कृषि आस्तियों की मरम्मत और रखरखाव तथा खपत के लिए किसान की सुविधा के अनुसार राशि (राशियों) आहरित करने की अनुमति दी जा सकती है। पांच साल की सीमा तय करते समय जिला स्तरीय तकनीकी समिति द्वारा किसी भी वर्ष के लिए वित्त की मात्रा के संशोधन 10% नोशनल वृद्धि से अधिक होता है तो किसान के साथ परामर्श करते हुए संशोधित आहरण सीमा निर्धारित की जा सकती है। यदि ऐसे संशोधनों में कार्ड की सीमा को ही बढ़ाना जरूरी हो जाए (चौथे या पांचवें वर्ष) तो ऐसा किया जाए और किसान को इसकी सूचना दी जाए।
iii. मीयादी ऋणों के लिए, निवेश के स्वरूप के आधार पर किस्त आहरित करने की अनुमति दी जाए एवं प्रस्तावित निवेश के आर्थिक लाइफ के अनुसार चुकौती कार्यक्रम तैयार किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी समय कुल देयता संबंधित वर्ष की आहरण सीमा के भीतर रहती है।
iv. जहाँ कहीं भी इस प्रकार आंकी गई कार्ड सीमा/ देयता के लिए अतिरिक्त जमानत की व्यवस्था जरूरी हो वहां बैंक अपनी नीति के अनुसार उपयुक्त संपार्श्विक जमानत ले सकते हैं।
5.2. सीमांत किसानों के लिए
धारित जोत तथा फसलोत्तर गोदाम भंडारण सहित उगाई गई फसलों से संबंधित क्रेडिट की जरूरतों और अन्य फार्म खर्चों, खपत आवश्यकता, आदि, सहित भूमि के मूल्य से संबद्ध किए बिना शाखा प्रबंधक के मूल्यांकन के अनुसार कृषि उपकरण (उपकरणों) की खरीद, मिनी डेयरी/ पिछवाड़े (बैकयार्ड) पोल्ट्री स्थापित करने जैसे छोटे मीयादी ऋण निवेश (निवेशों) के आधार पर  10,000 से  50,000 तक की एक लचीली सीमा (फ्लेक्सी केसीसी के रूप में) प्रदान की जाए। इस आधार पर पांच वर्ष की अवधि के लिए संयुक्त केसीसी सीमा निर्धारित की जाए।
जहाँ कहीं फसल पैटर्न और/ या वित्त की मात्रा में परिवर्तन के कारण उच्चतर सीमा आवश्यक हो, वहां पैरा 4.1 में उल्लिखित अनुमान के अनुसार सीमा आंकी जा सकती है (उदाहरण II)।
6. वितरण
6.1. किसान क्रेडिट कार्ड सीमा का अल्पावधि घटक परिक्रामी नकद ऋण सुविधा के स्वरूप का है। कितनी बार डेबिट और क्रेडिट हो इस पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। वर्तमान सीज़न/ वर्ष के लिए आहरण सीमा में से निम्न वितरण (सुपुर्दगी) माध्यमों में से किसी का उपयोग कर आहरण करने अनुमति दी जा सकती है।
  1. शाखा के माध्यम से परिचालन
  2. चेक सुविधा का उपयोग कर परिचालन
  3. एटीएम/ डेबिट कार्ड के माध्यम से आहरण
  4. व्यवसाय प्रतिनिधि और बैंकिंग आउटलेट/ अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट के माध्यम से परिचालन3
  5. विशेष रूप से टाई अप अग्रिम के लिए चीनी मिलों/ ठेकेदारी खेती कंपनियों, आदि में उपलब्ध पीओएस के माध्यम से परिचालन
  6. इनपुट डीलरों के साथ उपलब्ध पीओएस के माध्यम से परिचालन
  7. कृषि इनपुट डीलरों और मंडी में मोबाइल आधारित अंतरण लेनदेन
टिप्पणी : (v), (vi) और (vii) को यथा शीघ्र लागू करना ताकि बैंक और किसान दोनों के लिए लेनदेन की लागत कम की जा सके।
6.2 निवेश प्रयोजनों के लिए दीर्घावधि ऋण निर्धारित किस्त के अनुसार आहरित किया जा सकता हैं।
7. इलेक्‍ट्रानिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना
सभी नये केसीसी, अनुबंध के भाग II में यथा निर्धारित रूप में स्‍मार्ट कार्ड कम डेबिट कार्ड के रूप में जारी किए जाने चाहिए। साथ ही वर्तमान केसीसी के नवीकरण के समय किसानों को स्‍मार्ट कार्ड कम डेबिट कार्ड जारी किए जाने चाहिए।
अल्‍पावधि ऋण सीमा और मीयादी ऋण सीमा ये समग्र केसीसी सीमा के दो अलग-अलग घटक हैं और उनके लिए ब्‍याज दरें और चुकौती अवधियां अलग-अलग होती हैं। जब तक उप सीमाओं में लेनदेन का अलग-अलग हिसाब करने के लिए उपयुक्‍त सॉफ्टवेयर के साथ संयुक्‍त कार्ड जारी नहीं किया जाता तब तक सभी नये/ नवीकृत कार्ड के लिए दो अलग-अलग इलेक्‍ट्रानिक कार्ड जारी किए जाने चाहिए।
8. वैधता/ नवीकरण
  1. बैंक केसीसी की वैधता अवधि और उसकी आवधिक समीक्षा निर्धारित कर सकते हैं।
  2. समीक्षा के परिणामस्‍वरूप उधारकर्ता के फसल क्षेत्र/ पैटर्न और कार्यनिष्‍पादन में होने वाली वृद्धि के आधार पर सुविधा आगे जारी रखी जाएगी, सीमा में बढ़ोतरी की जाएगी या सीमा रद्द की जाएगी/ सुविधा वापस ले ली जाएगी।
  3. प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होने के कारण किसान को जब बैंक द्वारा पुनर्भुगतान की अवधि में विस्‍तार और/ या पुनर्निर्धारण किया जाता है तो परिचालनों की स्थिति संतोषजनक या अन्‍यथा के रूप में आंकी जाने की अवधि विस्‍तारित राशि की सीमा के साथ-साथ बढ़ जाएगी। जब प्रस्‍तावित विस्‍तार एक फसल मौसम से अधिक हो तब जिन कुल डेबिट पर एक्‍स्‍टेंशन दिया गया है उन्‍हें किश्‍तों
9. ब्‍याज दर (आरओआई)
ब्‍याज की दर वह होगी जो अग्रिमों पर ब्‍याज दर पर बैंकिंग विनियमन विभाग के मास्‍टर निदेश में निर्धारित की गई है।
10. चुकौती अवधि
10.1 जिस फसल के लिए ऋण दिया गया है उसके संबंध में अनुमानित फसल और विपणन अवधि के अनुसार बैंकों द्वारा चुकौती अवधि निर्धारित की जा सकती है।
10.2 मीयादी ऋण घटक, निवेश ऋण के लिए सामान्‍य रूप से प्रचलित दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य/ निवेश के प्रकार के आधार पर 5 साल की अवधि के भीतर देय होगा।
10.3 वित्‍तपोषक बैंक अपने विवेक पर निवेश के प्रकार के आधार पर मीयादी ऋण के लिए लंबी चुकौती अवधि प्रदान कर सकते हैं।
11. मार्जिन
बैंकों द्वारा निर्णीत किया जाना है।
12. जमानत
12.1 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार जमानत लागू होगी।
12.2 जमानत आवश्‍यकता निम्‍नानुसार हो सकती है :
  1. फसल दृष्टिबंधक रखना : बैंकों को  1.00 लाख तक की केसीसी सीमा के लिए मार्जिन/ जमानत आवश्‍यकताओं को छोड़ देना है।
  2. वसूली के लिए टाईअप के साथ : बैंक फसलों के दृष्टिबंधक पर संपार्श्विक जमानत का आग्रह किए बिना  3.00 लाख की कार्ड सीमा तक ऋण मंजूर करने पर विचार कर सकते हैं।
  3. संपार्श्विक जमानत : गैर टाईअप अग्रिमों के मामले में  1.00 लाख से अधिक और टाईअप अग्रिमों के मामले में  3.00 लाख से अधिक की ऋण सीमा के लिए बैंक के विवेक पर संपार्श्विक जमानत प्राप्‍त का जा सकती है।
  4. जिन राज्‍यों में बैंकों को भूमि रिकार्डों पर ऑन लाइन प्रभार निर्माण करने की सुविधा प्राप्‍त है वहां इसे सुनिश्चित किया जाए।
13. अन्‍य विशेषताएं
निम्‍नलिखित के संबंध में एकरूपता अपनाई जाए :
13.1 शीघ्र चुकौती4 के लिए लागू ब्‍याज सबवेंशन/ प्रोत्‍साहन - भारत सरकार और/ या राज्‍य सरकारों द्वारा सूचित किए गए अनुसार। बैंकर इस सुविधा के बार में पर्याप्त प्रचार करेंगे ताकि किसानों को इस योजना का अधिकतम लाभ हो सके।
13.2 अधिदेशात्मक फसल बीमा के अलावा किसान क्रेडिट कार्ड धारक को किसी भी प्रकार का आस्ति बीमा, दुर्घटना बीमा (पीएआईएस सहित), स्‍वास्‍थ्‍य बीमा (जिनमें उत्‍पाद उपलब्‍ध है) का लाभ लेने का विकल्‍प होना चाहिए और उसके किसान क्रेडिट कार्ड खाते के माध्‍यम से प्रीमियम का भुगतान किया जाना चाहिए। किसान/ बैंकों को योजना की शर्तों के अनुसार प्रीमियम वहन करना होगा। हिताधिकारी किसान को उपलब्ध बीमा कवर के बारे में बताया जाना चाहिए और आवेदन पत्र के स्‍तर पर ही उनकी सहमति (फसल बीमा को छोड़कर, अधिदेशात्मक होने के कारण) प्राप्‍त की जानी है।
13.3 पहली बार केसीसी ऋण प्राप्‍त करने के समय एकबारगी प्रलेखीकरण5 हो और उसके बाद दूसरे वर्ष से किसान द्वारा (उगाए जाने वाली/ प्रस्‍तावित फसलों के बारे में) सरल घोषणा।
14. एनपीए के रूप में खाते का वर्गीकरण
14.1 केसीसी योजना के अंतर्गत दिए गए ऋण के लिए आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण6 पर मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंड लागू होंगे।
14.2 कृषि अग्रिमों के लिए यथा लागू ब्‍याज एकसमान रूप से लगाया जाना चाहिए।
15. प्रसंस्‍करण शुल्‍क, निरीक्षण प्रभार और अन्य प्रभार बैंकों द्वारा निर्णीत किए जा सकते हैं।
16. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के संशोधित दिशानिर्देशों को कार्यान्वित करते समय लागू अन्‍य शर्तें
16.1 यदि किसान अपने कृषि उपज की गोदाम रसीद की जमानत पर ऋण के लिए आवेदन करता है तो बैंक इस तरह के अनुरोध पर स्‍थापित क्रियाविधि और दिशानिर्देशों के अनुसार विचार करेंगे। तथापि, जब इस तरह के ऋण मंजूर किए जाते हैं तब इन्‍हें फसल ऋण खाते, यदि कोई हो, के साथ संबद्ध किया जाना चाहिए और यदि किसान चाहे तो, खाते में बकाया फसल ऋण का निपटान गिरवी ऋण के संवितरण करने के स्‍तर पर किया जा सकता है।
16.2 भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) केसीसी कार्ड डिजाइन करेगा जिसे सभी बैंकों द्वारा अपनी ब्रांडिंग के साथ अपनाया जाना है।

वितरण (सुपुदर्गी) चैनल - तकनीकी विशेषताएं
1. कार्ड जारी करना
योजना के तहत लाभार्थियों को एक स्मार्ट कार्ड/ डेबिट कार्ड (एटीएम/ हाथ में धारित स्वाइप मशीनों में प्रयोग करने के लिए संगत और किसानों की पहचान, आस्तियों, जोत भूमि और क्रेडिट पर प्रोफाइल, आदि संबंधी पर्याप्‍त जानकारी संग्रहीत करने के लिए सक्षम बायोमीट्रिक स्मार्ट कार्ड) जारी किया जाएगा। सभी किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को किसी एक या निम्न प्रकार के कार्डों में से एक कार्ड या मिले-जुले कार्ड प्रदान किए जाए।
2. कार्ड के प्रकार
सभी बैंकों के एटीएम और माइक्रो एटीएम में उपयोग की सुविधा प्रदान करने के लिए एक आईएसओ आईआईएन (अंतरराष्‍ट्रीय मानक संगठन इंटरनेशनल पहचान संख्या) के साथ पिन (व्‍यक्तिगत पहचान संख्या) युक्त चुंबकीय पट्टीवाला कार्ड
ऐसे मामले में जहाँ बैंक यूआईडीएआई (आधार प्रमाणीकरण) के केंद्रीकृत बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण बुनियादी ढांचे का उपयोग करना चाहते है, चुंबकीय पटृी और यूआईडीएआई के बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ आईएसओ आईआईएन पिन युक्त डेबिट कार्ड दिए जा सकते हैं।
चुंबकीय पटृी और केवल बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ डेबिट कार्ड भी प्रदान किए जा सकते है जो बैंक के ग्राहक आधार पर निर्भर होगा। यूआईडीएआई का व्‍यापक प्रचलन हो जाने तक, यदि बैंक अंतर-परिचालन सुविधा के बिना उनके मौजूदा केंद्रीकृत बॉयोमेट्रिक बुनियादी सुविधा का उपयोग करना चाहते हो तो बैंक ऐसा कर सकते हैं।
बैंक चुंबकीय पटृी और आईएसओ आईआईएन के साथ पिन युक्त ईएमवी (यूरोपे, मास्टरकार्ड और वीसा, एकीकृत सर्किट कार्ड की अंतर-परिचालन सुविधा के लिए एक वैश्चिक मानक) और रुपे, सुनम्य कंम्प्लाएंट चिप कार्ड जारी करने का विकल्प चुन सकते हैं।
साथ ही, बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण और स्‍मार्ट कार्ड के लिए आईडीआरबीटी और आईबीए द्वारा निर्धारित सामान्य खुले मानकों का पालन किया जा सकता हैं। इससे उन्हें इनपुट डीलरों के साथ असीमित रूप से लेनदेन करने की सक्षमता मिलेगी तथा मंडियों, खरीद केंद्रों, आदि में अपने उत्पादन को बेचने पर अपने खातों में बिक्री से आय प्राप्‍त कराना संभव हो जाएगा।
3. वितरण चैनल
प्रारंभ में निम्‍नलिखित वितरण चैनल शुरु किए जाएंगे ताकि किसान अपने किसान क्रेडिट कार्ड के प्रयोग से किसान क्रेडिट कार्ड खाते से अपने लेनदेन प्रभावी ढंग से कर सकें।
1. एटीएम/ माइक्रो एटीएम के माध्यम से आहरण
2. बीसी के माध्यम से स्मार्ट कार्ड के उपयोग द्वारा आहरण
3. इनपुट डीलरों के माध्यम से पीओएस मशीन
4. आईएमपीएस क्षमताओं/ आईवीआर के साथ मोबाइल बैंकिंग
5. आधार सक्षमीकृत कार्ड
4. मोबाइल बैंकिंग/ अन्य चैनल
अंतर बैंक मोबाइल भुगतान सेवा (एनपीसीआई का आईएमपीएस) सक्षमता के साथ–साथ केसीसी कार्ड/ खाता के लिए भी मोबाइल बैंकिंग कार्यसुविधा (फंक्शनेलिटी) उपलब्ध करवाई जाए ताकि बैंक के बीच निधि अंतरण के लिए तथा कृषि–निवेश वस्तुओं की खरीदारी के लिए एक अतिरिक्त सक्षमता के रूप में वणिक भुगतान लेनदेन भी कर पाने के लिए ग्राहक इस अंतर-परिचालनीय आईएमपीएस का प्रयोग कर सके।
यह मोबाइल बैंकिंग, व्‍यापक और सुरिक्षत स्वीकार्यता के लिए आदर्शत: अरचित पूरक डाटा (यूएसएसडी) प्लैटफार्म पर होना चाहिए। तथापि, बैंक अन्य पूणर्तः एनक्रिप्‍टेड माध्यमों (एप्लीकेशन आधारित या एसएमएस आधारित) में भी इसे प्रदान कर सकते हैं ताकि लेनदेन सीमाओं पर हाल की रियायतों का उपयोग हो सके। बैंक लेनेदेनों की सीमाओं संबंधी रिज़र्व बैंक के विनियमों की शर्त पर अन-एनक्रिप्‍टेड मोबाइल बैंकिंग सुविधा भी प्रदान सकते हैं।
यह आवश्यक है कि एसएमएस आधारित आसान सोल्यूशन का प्रयोग करने हेतु एमपीआईएन के माध्यम से प्रमाणीकरण के साथ केसीसी में लेनदेन करने के लिए मोबाइल आधारित लेनदेन प्लैटफार्म हो। सुनिश्चित पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए ऐसे सोल्यूशन स्थानीय भाषा में आईवीआर पर एनेबल्ड होने चाहिए। सभी बैंक द्वारा जागरूकता लाते हुए तथा ग्राहको को यथोचित रूप से शिक्षत करते हुए ऐसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
बैंकों के पास उपलब्ध मौजूदा मूलभूत सुविधा के साथ सभी केसीसी धारकों को निम्‍नलिखित कार्ड में से किसी एक या मिले-जुले रूप में कार्ड उपलब्ध कराए जाने चाहिए :
  • किसानों को सभी बैंकों के एटीएम/ माइक्रो एटीएम के माध्यम से सीमा के संचालन की सक्षमता देने वाले डेबिट कार्ड (पिन युक्त चुंबकीय पट्टी वाले कार्ड)
  • चुंबकीय पट्टी और बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण युक्त डेबिट कार्ड
  • व्यवसाय प्रतिनिधियों, इनपुट डीलरों, व्‍यापारियों और मंडियों द्वारा धारित पीओएस मशीनों के माध्यम से लेनदेन हेतु स्मार्ट कार्ड
  • चुंबक पट्टी तथा आईएसओ आईआईएन पिन युक्त ईएमवी कम्प्लाइंट चिप कार्ड
इसके अतिरक्त कॉल सेन्टर/ इंटर एक्टिव वॉइस रेसपांस (आईवीआर) वाले बैंक आईवीआर के माध्यम से मोबाइल पिन (एमपीआईएन) के सत्यापन के लिए बैंक से कॉल-बैक सुविधा के साथ एसएमएस आधारित मोबाइल बैंकिंग उपलब्ध करवा सकते हैं जिससे कार्ड धारकों को सुरक्षित एसएमएस आधारित मोबाइल बैंकिंग सुविधा उपलब्ध हो।
(Source: rbi.org.in)

Rajanish Kant गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017