सोने का गहना खरा सोने (Pure Gold)का नहीं होता है, जानिये क्यों
सोने के जेवर के लिए हॉलमार्क शीघ्र ही अनिवार्य करने पर हो रहा विचार: पासवान
सरकार देश में बेचे जा रहे स्वर्ण आभूषणों के लिए शीघ्र ही हॉलमार्क अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी।
पासवान ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा विश्व मानक दिवस के उपलक्ष्य में मनाये जा रहे ‘वैश्विक मानक एवं चतुर्थ औद्योगिक क्रांति’ समारोह में कहा, ‘‘बीआईएस ने तीन श्रेणियों 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट के लिए हॉलमार्क के मानक तय किये हैं। हम इसे शीघ्र ही अनिवार्य करने वाले हैं।’’
अभी हॉलमार्क स्वैच्छिक है। यह सोने की शुद्धता का मानक है। इसका प्रशासनिक प्राधिकरण बीआईएस के पास है जो उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत आता है।
पासवान ने उपभोक्ताओं के हित में मानक अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। हालांकि उन्होंने इसके क्रियान्वयन की तिथि के बारे में जानकारी नहीं दी।
मंत्री ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति स्मार्ट प्रौद्योगिकियों की होगी और बीआईएस के समक्ष यह चुनौती है कि वह मानक तय करने का काम तेज करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश इस क्षेत्र में पीछे नहीं छूटेगा।
पासवान ने इस मौके पर बीआईएस की नयी वेबसाइट की शुरुआत की और स्मार्ट विनिर्माण के बारे में मानक पूर्व रिपोर्ट जारी की।
उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री सी.आर.चौधरी ने भी इस बात पर जोर दिया कि समय की जरूरत कृत्रिम बुद्धिमता जैसी नयी स्मार्ट प्रौद्योगिकियों के लिये मानक तय करने पर चर्चा करना है।
बीआईएस की महानिदेशक सुरीना राजन ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति में इस्तेमाल होने वाली स्मार्ट प्रौद्योगिकियों के मानकीकरण के अध्ययन के लिए समितियां पहले ही गठित की जा चुकी हैं। इस क्रांति में मशीन भी मानवों की तरह कार्य कर रहे होंगे।
(सौ-पीटीआई भाषा)
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सोने का गहना...कैश में अब इतने रु. से अधिक का मत लेना...वरना पड़ेगा रोना, क्योंकि...
कैश में अगर सोना खरीदने जा रहे हैं तो आपके लिए एक बुरी खबर है। सरकार कैश लेन-देन को हतोत्साहित करने और सोने की जमाखोरी पर नकेल कसने के लिए एक अप्रैल 2017 से नए नियम लागू कर रही है। जी हां...एक अप्रैल से कैश में दो लाख रुपये से अधिक के गहने खरीदने पर कुल रकम का 1 प्रतिशत टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह- tax collected at source) देना होगा। अभी तक इसकी सीमा 5 लाख रुपये थी। यानी कैश में गहने खरीदने पर अब आपको ज्यादा कीमत देनी होगी।
वित्त विधेयक 2017 पारित होने के बाद गहने भी सामान्य वस्तुओं की श्रेणी में आ जाएंगे जिन पर दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत टीसीएस देना होता है।
वित्त विधेयक, 2017 कहता है, ‘‘मौजूदा प्रावधान गहनों की पांच लाख रुपये से अधिक की कैश बिक्री पर एक प्रतिशत स्रोत पर कर काटने का है। कैश लेन-देन पर अंकुश के मद्देनजर इसे समाप्त करने का प्रस्ताव है।’’ वित्त विधेयक 2017 में प्रस्तावित संशोधन के बाद कैश में पांच लाख रुपये से ज्यादा के गहनों की खरीद टीसीएस के दायरे से बाहर हो जाएगी और इसे अब ‘अन्य वस्तुओं’ के रूप में वगीकृत किया जाएगा और दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस काटा जाएगा.
सोनाऔर ज्वैलरी पर टीसीएस का नियम 1 जुलाई 2012 से लागू है। बुलियन के रूप में सोना (बिस्किट, बार) खरीदने पर दो लाख रुपए से ज्यादा कैश पर 1% टीसीएस लगता है। ज्वैलरी के लिए यह सीमा 5 लाख रुपए है। 2016-17 के बजट में वस्तुओं और सेवाओं की दो लाख रु. से ज्यादा की कैश खरीद पर 1% लगा दिया गया था। इसमें ज्वैलरी को भी शामिल किया गया था। लेकिन ज्वैलर्स की करीब डेढ़ महीने की हड़ताल के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया और ज्वैलरी पर 5 लाख की सीमा बरकरार रही।
बता दें कि बजट में 3 लाख रुपए से अधिक कैश लेनदेन पर भी रोक लगाने का प्रावधान है। नियम तोड़ने पर कैश लेने वाले को पूरी रकम पर 100% जुर्माना लगेगा। यानी जितना कैश लिया, उतना ही जुर्माना देना पड़ेगा।
>जानिए इस नए नियम से आप पर कितना असर होगा?
मान लिया आपने एक बार में कैश में 3 लाख रु. के गहने खरीदना है, तो अब तक आपको इसके लिए तीन लाख रुपए ही चुकाने होते हैं लेकिन एक अप्रैल के बाद जब नया नियम लागू होगा, तो आपको देना है ( 3 लाख+3 लाख का 1%) यानी ( 3 लाख+3,000) मतलब, तीन हजार रुपए ज्यादा। जबकि पहले 5 लाख रुपए तक गहने कैश में बिना कोई टीसीएस दिए खरीद सकते थे।
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