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भू सम्पदा अधिनियम (RERA)लागू, घर खरीदने जा रहे हैं तो जरूर जानिए इसके बारे में
भू सम्पदा अधिनियम लागू; सरकार के अनुसार एक नए युग की शुरुआत।

नियामक प्राधिकरणों द्वारा वर्तमान में जारी और नई परियोजनाएं जुलाई के अंत तक पंजीकृत की जाएंगी।

सरकार द्वारा आदर्श विनियम जारी।

9 वर्ष के अंतराल के बाद भू सम्पदा क्षेत्र का नियमन एक वास्तविकता बना।
नौ वर्ष से लम्बित भू सम्पदा क्षेत्र का नियमन आज यानी एक मई 2017 से भू सम्पदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 प्रभावी होने के साथ ही एक वास्तविकता बन गया है। इसके अंतर्गत देशभर में 76,000 से अधिकरीयल एस्टेट कम्पनियों को अपनी परियोजनाएं पंजीकृत करानी होंगी।

अधिनियम की सभी 92 धाराएं आज से लागू हो गईं हैं। बिल्डरों को भी जारी परियोजनाएं और नई परियोजनाएं 3 महीने के भीतर, यानी आगामी जुलाई माह के अंत तक नियामक प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत करानी होंगी, जिनके लिए अभी तक कम्प्लीशन सर्टिफिकेट यानी निर्माण कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया गया है। इससे मकान खरीदने वालों को अपने अधिकार हासिल करने और पंजीकरण के बाद अपनी शिकायतों कानिवारण करवाने में मदद मिलेगी।

आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू ने इस अवसर पर अपने ट्वीट में कहा “भू सम्पदा अधिनियम 9 वर्ष के इंतजार के बाद लागू होने जा रहा है, जिससे भवन खरीदार सम्राट बन सकेगा और इससे एक नए युग की शुरुआत होगी। इससे क्रेताओं का बाजार में विश्वास बढ़ने से बिल्डरों को भी लाभ पहुंचेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत दिलचस्पी के कारण यह अधिनियम एक वास्तविकता बन पाया है। इस अधिनियम की बदौलत रीयल्टी क्षेत्र में वांछित जवाबदेही, पारदर्शिता और सक्षमता आएगी। अधिनियम में क्रेताओं और विक्रेताओं दोनों के अधिकार और दायित्व परिभाषित किए गए हैं। सरकार ने इस कानून को अमली जामा पहनाने के प्रयास किए, जिनकी बदौलत यह अंततः लागू हो पाया।”

अधिनियम के प्रभावी होने से पहले आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने मॉडल भू सम्पदा विनियम तैयार किए और उन्हें प्रचारित किया ताकि राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में नियामक प्राधिकरण उन्हें अपना सकें। इनविनियमों के अंतर्गत भवन निर्माताओं को अपनी अनुमोदित योजनाएं और नक्शे कम से कम तीन फुट  X दो फुट के कागज पर सभी विपणन कार्यालयों में उपलब्ध कराने होंगे।
 परियोजनाओं के पंजीकरण के अलावा अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में निम्नांकित शामिल हैः-

  1. भवन निर्माताओं को नई परियोजनाओं के मामले में खरीदारों से प्राप्त निधि का 70% हिस्सा और पहले से जारी परियोजनाओं के मामले में खर्च न की गई राशि का 70% पृथक बैंक खाते में जमा कराना होगा;
  2. न्यूनतम 500 वर्ग मीटर आकार के प्लाट अथवा 8 अपार्टमेंट्स तक के निर्माण कार्यों को नियामक प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत कराया जाएगा।
  3. विलम्ब के मामले में भवन निर्माता और क्रेता दोनों को भारतीय स्टेट बैंक की मार्जिनल उधारी दर + 2 प्रतिशत दंड ब्याज का भुगतान करना होगा।
  4. भवन निर्माता को ढांचागत खराबी के लिए 5 वर्ष की गारंटी देनी होगी और
  5. अपील न्यायाधिकरणों और नियामक प्राधिकरणों के आदेशों का उल्लंघन करने की स्थिति में भवन निर्माताओं को 3 वर्ष और एजेंटों तथा क्रेताओं को एक वर्ष तक कारावास की सजा होगी।
 यह विधेयक सबसे पहले 2013 में राज्य सभा में पेश किया गया था। उसके बाद से आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने कई दौर के विचार विमर्श के दौरान भू सम्पदा विधेयक में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए और इसेपारित होने से पहले अत्यंत कारगर बनाया गया।
At the time of passing of the Bill in Rajya Sabha in March last year, there were 76,044 companies were operating in the real estate sector including 17,431 in Delhi, 17,010 in West Bengal, 11,160 in Maharashtra, 7,136 in Uttar Pradesh, 3,054 in Rajasthan, 3,004 in Tamil Nadu, 2,261 in Karnataka, 2,211 in Telangana, 2,121 in Haryana, 1,956 in Madhya Pradesh, 1,270 in Kerala, 1,202 in Punjab and I,006 in Odisha. 

As per industry information, between 2011 and 2015, real estate projects in the range of 2,349 to 4,488 projects were launched every year amounting to a total of 17,526 projects with a total investment of Rs.13.70 lakh cr in 27 cities including 15 State capitals. About ten lakh buyers invest every year with the dream of owning a house. 

Chronology of events leading to regulation of real estate sector including both residential and commercial segments from May 1, 2017: 

1.May,2008: Ministry of HUPA first prepared a Concept Paper on regulation of real estate sector and a model law for legislation by States/UTs; 

2. Conference of Ministers of Housing in 2011 suggested a central law for regulation of real estate sector; 

3.July, 2011: Ministry of Law & Justice too suggested central legislation for regulation; 

4. June,2013: Union Cabinet approved Real Estate Bill, 2013 

5. August, 2013: Real Estate Bill was introduced in Rajya Sabha and was referred to Standing Committee; 

6. February, 2014: Report of Standing Committee was laid on the Tables of both Houses of Parliament; 

7. February, 2014: Attorney General upheld validity of central law for regulation of the sector 

8. April,2015: Union Cabinet approved official amendments based on recommendations of Standing Committee; 

9. May, 2015: Matter referred to the Select Committee of Rajya Sabha 

10. July, 2015: Report of Select Committee tabled in Rajya Sabha 

11. December, 2015: Real Estate Bill, 2015 incorporating several modifications based on Select 

Committee report and stakeholder consultations was approved by the Union Cabinet; 

12. March 10, 2016: The Real Estate (Regulation & Development) Bill, 2016 passed by Rajya Sabha; 

13. March 15, 2016: Lok Sabha passed the Bill as passed by Rajya Sabha; 

14. March 25, 2016: President gives assent to the Bill; 

15. April 26, 2016: 59 Sections of the Act were notified making them effective from May 1, 2016 enabling preparation of Real Estate Rules, setting up of Regulatory Authorities and other infrastructure; 

16. April 19, 2017: Remaining 32 Sections of the Act notified making them effective from May 1st this year requiring registration of projects within three months from 1 st May 2017. 

17. May 1, 2017: New era begins for development of real estate sector in an atmosphere of investor confidence. 
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Rajanish Kant सोमवार, 1 मई 2017