Results for "आर्थिक सर्वेक्षण 2017"
आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 संसद में पेश; जानिए खास बातें...नोटबंदी के बारे में क्या कहा गया है
वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2016-17 प्रस्‍तुत की 

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक विकास अब सामान्‍य हो जाएगा क्‍योंकि नए नोट आवश्‍यक मात्रा में चलन में वापस आ गए हैं और विमुद्रीकरण पर आगे की कार्रवाई की जा चुकी है 

चालू वित्‍त वर्ष में सीपीआई आधारित कोर मुद्रास्‍फीति दर स्थिर बनी रही और 5 प्रतिशत के औसत के करीब रही

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि रुपए का प्रदर्शन अधिकांश अन्‍य उभरती बाजार अर्थव्‍यवस्‍थाओं की तुलना में अच्‍छा रहा 2016-17 के लिए 13.01.2017 तक रबी फसलों के तहत कुल क्षेत्र 616.2 लाख हेक्‍टेयर रहा जो कि पिछले वर्ष के इस सप्‍ताह की तुलना में 5.9 प्रतिशत अधिक है 

2016-17 के लिए 13.01.2017 तक चना दाल के तहत कुल क्षेत्र पिछले वर्ष के इस सप्‍ताह की तुलना में 10.6 प्रतिशत अधिक रहा 

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने अपेक्षाकृत निम्‍न मुद्रास्‍फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्‍यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे के साथ एक सूक्ष्‍म-आर्थिक वातावरण बनाए रखा है। केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में प्रस्‍तुत आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद यह मजबूती बनी रही है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि :

केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2016-17 के लिए स्थिर बाजार मूल्‍यों पर जीडीपी की विकास दर 7.1 प्रतिशत है, जो कि 2015-16 के दौरान 7.6 प्रतिशत थी। यह अनुमान मुख्‍य रूप से चालू वित्‍त वर्ष के पहले सात-आठ महीनों की सूचना पर आधारित है। सरकार का अंतिम उपभोग व्‍यय चालू वर्ष में जीडीपी विकास का बड़ा वाहक रहा है।

जीडीपी अनुपात (वर्तमान मूल्‍यों पर) में स्‍थायी निवेश (सकल स्‍थायी पूंजी निर्माण) 2016-17 में 26.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि 2015-16 में 29.3 प्रतिशत था। 2017-18 के लिए अनुमान है कि आर्थिक विकास अब सामान्‍य हो जाएगा क्‍योंकि नए नोट आवश्‍यक मात्रा में चलन में वापस आ गए हैं और विमुद्रीकरण पर आगे की कार्रवाई की गई है। शेष के बारे में संभावना है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था 2017-18 में 6 ¾ प्रतिशत से 7 ½  प्रतिशत तक वापस आ जाएगी।

>वित्‍तीय:
अप्रैल-नवम्‍बर 2016 के दौरान अप्रत्‍यक्ष करों में 26.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
अप्रैल-नवम्‍बर 2016 के दौरान राजस्‍व व्‍यय में मजबूत वृद्धि को मुख्‍य रूप से सातवें वेतन आयोग के कार्यान्‍वयन तथा पूंजी परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अनुदानों में 39.5 प्रतिशत वृद्धि के कारण बढ़ावा मिला।

>मूल्‍य:

उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्‍फीति लगातार तीसरे वित्‍त वर्ष के दौरान नियंत्रण में बनी रही। औसत सीपीआई मुद्रास्‍फीति दर 2014-15 के 5.9 प्रतिशत से घटकर 2015-16 के दौरान 4.9 प्रतिशत पर आ गई तथा अप्रैल-दिसम्‍बर 2015 के दौरान 4.8 प्रतिशत पर बनी रही।

थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्‍फीति दर 2014-15 के 2.0 प्रतिशत से गिरकर 2015-16 में (-) 2.5 प्रतिशत पर आ गई और अप्रैल-दिसम्‍बर 2016 के दौरान इसका औसत 2.9 प्रतिशत रहा।

मुद्रास्‍फीति दर में खाद्य वस्‍तुओं के संकीर्ण समूह से अकसर बढ़ावा मिलता है और इनमें दालों की खाद्य मुद्रास्‍फीति में बड़ी भूमिका रही है। सीपीआई आधारित मुद्रास्‍फीति दर चालू वित्‍त वर्ष के दौरान स्थिर बनी रही है और इसका औसत लगभग 5 प्रतिशत रहा है।

>व्‍यापार:

नकारात्‍मक निर्यात वृद्धि का रुझान 2016-17 (अप्रैल-दिसम्‍बर) के दौरान कुछ हद तक परिवर्तित हुआ और निर्यात 0.7 प्रतिशत बढ़कर 198.8 बिलियन तक पहुंच गया।

2016-17 की पहली छमाही के दौरान चालू खाता घाटा 2015-16 की पहली छमाही के 1.5 प्रतिशत से घटकर जीडीपी के 0.3 प्रतिशत पर आ गई।

>विदेशी ऋण:

सितम्‍बर 2016 के आखिर में भारत का विदेशी कर्ज 484.3 अरब डॉलर था जो कि मार्च 2016 के आखिर के स्‍तर की तुलना में 0.8 अरब डॉलर कम रहा।

>कृषि:

कृषि क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्‍मीद है, जो कि 2015-16 के दौरान 1.2 प्रतिशत थी।  2016-17 के लिए 13.01.2017 तक रबी फसलों के तहत कुल क्षेत्र 616.2 लाख हेक्‍टेयर रहा जो कि पिछले वर्ष के इस सप्‍ताह की तुलना में 5.9 प्रतिशत अधिक है

2016-17 के लिए 13.01.2017 तक चना दाल के तहत कुल क्षेत्र पिछले वर्ष के इस सप्‍ताह की तुलना में 10.6 प्रतिशत अधिक रहा

>उद्योग:
औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के 2016-17 के दौरान 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि 2015-16 के दौरान 7.4 प्रतिशत थी।


>सेवा क्षेत्र:
सेवा क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्‍मीद है।
(Source: pib.nic.in)

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Rajanish Kant मंगलवार, 31 जनवरी 2017
नोटबंदी से 2017-18 में GDP वृद्धि दर 6.75-7.5% रहेगी: आर्थिक सर्वेक्षण 2017
-विमुद्रीकरण के बाद वर्ष 2017-18 में जीडीपी वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान 

-अचल संपत्ति की कीमतों में गिरावट के परिणामस्‍वरूप मध्‍यम वर्ग को किफायती मकान मिलेंगे 

-पुनर्मुद्रीकरण से अप्रैल 2017 तक नकदी की किल्‍लत समाप्‍त हो जाएगी 

 सरकार का कहना है कि विमुद्रीकरण से जीडीपी वृद्धि दर पर पड़ रहा प्रतिकूल असर अस्‍थायी ही रहेगा। केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण 2017 में कहा गया है कि मार्च 2017 के आखिर तक नकदी की आपूर्ति के सामान्‍य स्‍तर पर पहुंच जाने की संभावना है, जिसके बाद अर्थव्‍यवस्‍था में फिर से सामान्‍य स्थिति बहाल हो जाएगी। अत: वर्ष 2017-18 में जीडीपी वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है।

आर्थिक सर्वेक्षण में इस ओर ध्‍यान दिलाया गया है कि विमुद्रीकरण के अल्‍पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रतिकूल असर और लाभ दोनों ही होंगे, जिसका ब्‍यौरा संलग्‍न तालिका में दिया गया है। विमुद्रीकरण से पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों में नकद राशि की आपूर्ति में कमी और इसके फलस्‍वरूप जीडीपी वृद्धि में अस्‍थायी कमी शामिल है, जबकि इसके फायदों में डिजिटलीकरण में वृद्धि, अपेक्षाकृत ज्‍यादा कर अनुपालन  और अचल संपत्ति की कीमतों में कमी शामिल हैं, जिससे आगे चलकर कर राजस्‍व के संग्रह और जीडीपी दर दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है।

 विमुद्रीकरण से होने वाले फायदों के संदर्भ में शुरुआती साक्ष्‍य से यह पता चला है कि विमुद्रीकरण के बाद डिजिटलीकरण ने तेज रफ्तार पकड़ी है। जहां तक विमुद्रीकरण से पड़ने वाले प्रतिकूल असर का सवाल है, इस वजह से चलन में आई नकदी में तेज‍ गिरावट देखने को मिली, हालांकि यह आमतौर पर लगाए गए अनुमान से बेहद कम रही। नवम्‍बर महीने में यह कमी 62 प्रतिशत रही, जबकि दिसंबर में सुधरकर 35 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई। 8 नवम्‍बर के बाद के हफ्तों में लेन-देन के लिए ज्‍यादा मूल्‍य वाले पुराने नोटों का उपयोग जारी रहने से ही यह स्थिति देखने को मिली। इसके अलावा, पुनर्मुद्रीकरण से यह सुनिश्चित होगा कि नकदी की किल्‍लत अप्रैल 2017 तक समाप्‍त हो जाएगी। इस बीच, नकदी के संकट का काफी प्रतिकूल असर जीडीपी पर पड़ेगा, जिसके चलते 7 प्रतिशत की आधार रेखा के मुकाबले वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 0.25 प्रतिशत से लेकर 0.5 प्रतिशत तक घट जाएगी। दर्ज की गई जीडीपी अनौपचारिक क्षेत्र पर असर को रेखांकित करेगी, क्‍योंकि, उदाहरण के लिए, अनौपचारिक विनिर्माण द्वारा औपचारिक क्षेत्र के संकेतकों का उपयोग किये जाने का अनुमान है (औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक)। ये विरोधाभासी असर वर्ष के आखिर तक काफी कम हो जाएंगे, क्‍योंकि चलन में आने वाले नोटों की संख्‍या एक बार फिर अनुमानित मांग के अनुरूप हो जाएगी, जिससे विकास की रफ्तार भी वित्‍त वर्ष 2017-18 तक एक खास रुख को दर्शाने लगेगी।

 आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि आठ प्रमुख शहरों में अचल संपत्ति की पहले से घट रही भारांक औसत कीमत 8 नवम्‍बर, 2016 को विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद और ज्‍यादा घट गई। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि अचल संपत्ति की कीमतों में समतुल्‍य कमी अपेक्षित है, क्‍योंकि इससे मध्‍यम वर्ग के लिए किफायती मकानों का मार्ग प्रशस्‍त होगा और देश भर में कामगारों की आवाजाही बढ़ेगी, जो फिलहाल बेहद ज्‍यादा एवं गैर किफायती किरायों के कारण प्रभावित हो रही है। आर्थिक सर्वेक्षण में अधिकतम दीर्घकालिक फायदे और 
न्‍यूनतम अल्‍पकालिक प्रतिकूल असर को सुनिश्चित करने के लिए अनेक उपाय सुझाए गए हैं। इनमें से एक सुझाव यह है कि पुनर्मुद्रीकरण में तेजी लाई जाए और विशेष रूप से नकदी निकासी सीमा को जल्‍द खत्‍म करने के साथ-साथ नकदी को जमा राशि में मुक्‍त रूप से तब्‍दील करना भी सुनिश्चित किया जाए। इससे आर्थिक विकास में आई सुस्‍ती के साथ-साथ नकदी जमा करने की प्रवृत्ति भी कम होगी।  एक अन्‍य सुझाव यह है कि डिजिटलीकरण को यह सुनिश्चित करते हुए निरंतर बढ़ावा दिया जाए कि यह बदलाव धीरे-धीरे एवं समावेशी 
हो और नियंत्रणों के बजाय प्रोत्‍साहनों पर आधारित हो और इसके साथ ही नकदी बनाम डिजिटलीकरण के प्रतिकूल प्रभावों एवं फायदों में उपयुक्‍त संतुलन बैठाया जाए। इसके तहत दिया गया तीसरा सुझाव यह है कि विमुद्रीकरण का अनुसरण करते हुए भूमि एवं अचल संपत्ति को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इसके तहत चौथा सुझाव कर दरों और स्‍टाम्‍प ड्यूटी में कमी किये जाने के बारे में है। अंतिम सुझाव यह है कि एक बेहतर कर प्रणाली स्‍थापित की जाए, जो और ज्‍यादा संख्‍या में आय घोषणा को बढ़ावा दे और अति उत्‍साहित कर प्रशासन 
से उत्‍पन्‍न भय को कम करे।
(Source: pib.nic.in)

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