7 जून: RBI प्रमुख दर क्यों स्थिर रखेगा?

बाजार की नजर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की 14-15 जून को होने वाली बैठक से पहले 7 जून यानी मंगलवार को रिजर्व बैंक की होने वाली बैठक पर है। रिजर्व बैंक ने अप्रैल में हुई मौजूदा वित्त वर्ष की पहली समीक्षा बैठक में रेपो रेट में चौथाई परसेंट की कटौती की थी।
रिजर्व बैंक की मौजूदा दरें:
रेट                          अब (%)                      पहले (%)
>रेपो रेट                    6.50                          6.75
>रिवर्स रेपो रेट            6                               5.75
>मार्जिनल स्टैंडिंग
फैसिलिटी रेट (MSF)    7                                7.75
>कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) 4                               4
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अच्छे मॉनसून की उम्मीद के कारण कुछ जानकार मान रहे हैं कि रघुराम राजन ब्याज दर में कम से कम चौथाई  परसेंट की कटौती कर सकते हैं लेकिन फिर से बढ़ती महंगाई, पिछले वित्त वर्ष और पिछले वित्त वर्ष कीआखिरी तिमाही में जीडीपी के अच्छे आंकड़ों की वजह से संभावना जताई जा रही है कि राजन ब्याज स्थिर रख सकते हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक फेडरल रिजर्व की 14-15 जून की बैठक के नतीजे का भी इंतजार करेगा जिसमें इस बात पर नजर रहेगी कि ब्याज बढ़ता है कि नहीं। फेडरल रिजर्व ने 2006 के बाद पिछले साल ब्याज दर में चौथाई परसेंट की बढ़ोतरी की थी।
((अमेरिका: ब्याज दर में 0.25% की बढ़ोतरी, 2006 के बाद पहली बढ़ोतरी 
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महंगाई डायन ने फिर से अपना पंजा फैलाना शुरू कर दिया है। इसका संकेत अप्रैल की थोक और खुदरा दोनों महंगाई दर में देखा जा सकता है। थोक महंगाई दर लगातार 17 महीने तक शून्य के नीचे रहने के बाद अप्रैल में शून्य के पार पहुंच गई है। खाने-पीने समेत सभी चीजों के दाम में बढ़ोतरी से थोक महंगाई दर मार्च में -0.85% के मुकाबले अप्रैल में 0.34% हो गई पिछले साल अप्रैल में यह दर (-)2.43% थी। प्याज के दाम में हालांकि गिरावट आई है लेकिन आलू और दाल के दाम उछले हैं।
((थोक महंगाई दर शून्य के पार पहुंची, अप्रैल में बढ़कर 0.34% हुई 
खुदरा महंगाई अप्रैल में देश की खुदरा महंगाई दर (CPI) बढ़कर 5.39% पर पहुंच गई, जबकि मार्च में 4.83%
थी और पिछले साल अप्रैल में 4.87% थी। यही नहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में उछाल से पेट्रोल, डीजल की कीमत भी बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।
((अप्रैल में खुदरा महंगाई बढ़कर 5% के ऊपर पहुंची 
ग्रोथ के मोर्च पर भी अच्छी खबर है जिससे रिजर्व बैंक पर ब्याज दर में कमी करने का दबाव कम हुआ है।सांख्‍यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केंद्रीय सांख्‍यिकी कार्यालय (सीएसओ)  के ताजा आंकडों के मुताबिक, 2015-16 में देश की विकास दर 2011-12 स्थिर मूल्य पर 7.6 % और वर्तमान मूल्य पर 8.7% जबकि अंतिम तिमाही यानी जनवरी-मार्च तिमाही में 2011-12 स्थिर  मूल्य पर 7.9 % और वर्तमान मूल्य पर 10.4% सालाना दर्ज की गई।
((2015-16 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ बढ़कर 7.9% हुई, 5 साल में सबसे अधिक 
इसके अलावा रिजर्व बैंक इस बात भी गौर करेगा कि बैंक ब्याज दरों में पूरी कटौती का फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं या नहीं। पिछले साल जनवरी से अब तक रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में डेढ़ परसेंट की कटौती कर चुका है लेकिन बैंक अब तक केवल 0.5-0.6% की ही कटौती का फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं।

फेडरल रिजर्व क्या करेगा?
फेडरल रिजर्व की 14-15 जून को होने वाली बैठक में ब्याज दर बढ़ाए जाने की संभावना कम हुई है। मई की
जॉब रिपोर्ट खराब आने की वजह से माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज फिलहाल नहीं बढ़ेगा।

लेबर डिपार्टमेंट के ताजा जॉब रिपोर्ट की माने तो मई में अमेरिका में 38 हजार ही नई नौकरियों का निर्माण हुआ है जबकि जानकारों को 1 लाख 62 हजार नई नौकरियों की उम्मीद थी। बता दें कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में
बदलाव के लिए ग्रोथ के अलावा महंगाई दर और जॉब रिपोर्ट के आंकड़ों को गंभीरता से लेता है।

लगातार दो साल सूखे के बाद इस साल अच्छे मॉनसून की उम्मीद है जिससे जानकारों को ब्याज दरों में कटौती
की उम्मीद है लेकिन उनका मानना है कि मॉनसून का प्रवाह कैसा रहता है, ये देखने के बाद ही रघुराम राजन
ब्याज घटाने का फैसला ले सकते हैं। अच्छा मॉनसून मतलब अच्छा फसल और अच्छा फसल मतलब अनाज का
भरपूर उत्पादन यानी महंगाई दर में और कमी की उम्मीद। 7 जून के बाद 9 अगस्त को रिजर्व बैंक मौद्रिक पॉलिसी की समीक्षा करेगा, जिसमें माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो ब्याज दर में कटौती जरूर हो सकती है।

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