बाजार के लिए 1 और 15,16 दिसं. क्यों है खास

बाजार की नजर अगले महीने की दो अहम घटनाओं पर है। भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक पॉलिसी की समीक्षा बैठक करने वाला है, वहीं दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की भी दो दिनों की बैठक है। दोनों बैठकों में ब्याज दर को लेकर क्या फैसला होगा, इस पर सभी की निगाहें है।
 
फेडरल रिजर्व की बैठक: 
15,16 दिसंबर को फेडरल रिजर्व की होने वाली बैठक इसलिए अहम है कि क्या ब्याज बढ़ाया जाता है या नहीं। पिछले महीने की बैठक के मिनट्स की मानें तो दिसंबर बैठक में कम से कम चौथाई परसेंट ब्याज बढ़ना तय है। अमेरिका में ब्याज दर के बढ़ने को लेकर दुनिया भर की नजर है। अगर कोर इंफ्लेशन और पेरोल्स डाटा की बात करें, तो अक्टूबर के आंकड़े दिसंबर में होने वाली फेडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दर बढ़ाने का पूरा मसाला देते हैं। बता दें कि फेडरल रिजर्व ने दूसरे मैक्रोइकोनॉमिक आंकड़े के अलावा बेरोजगारी दर 5% और कोर इंफ्लेशन 2% होने पर ब्याज दर में बढ़ोतरी करने का लक्ष्य रखा है।

अगर अक्टूबर कोर इंफ्लेशन की बात करें ये 1.9% बढ़ा है, जो कि फेडरल रिजर्व के महंगाई के लक्ष्य के करीब है। वहीं अक्टूबर पेरोल्स डाटा की बात करें, तो  अक्टूबर में 271,000 नई नौकरियां जुड़ी, जो कि उम्मीद से बेहतर है। उम्मीद 1,80,000 नई नौकरियां जुड़ने की थी। बेरोजगारी की  दर भी घटकर 5 % पर आ गई, जो कि सितंबर में 5.1 % थी।  

अमेरिका: अक्टूबर में नॉन-फार्म पेरोल्स डाटा के मुताबिक 
            : अक्टूबर में 271,000 नई नौकरियां जुड़ी, उम्मीद
             1,80,000 की, सितंबर में 1,42,000 नई
              नौकरियां जुड़ी थी।
            : बेरोजगारी की  दर 5 %, सितंबर में 5.1 % थी  
            :एवरेज आवरली वेजेज 9 सेंट बढ़ी (+2.5% (Y-o-Y)
             : अक्टूबर की CPI महंगाई 0.2% बढ़ी, उम्मीद के मुताबिक
             : अक्टूबर कोर इंफ्लेशन 1.9% (Y-o-Y)
           
((अमेरिका: अगले महीने बढ़ेगा ब्याज! अक्टूबर कोर इंफ्लेशन@1.9% 
http://beyourmoneymanager.blogspot.com/2015/11/19.html

लेकिन, जिस तरह से अमेरिका के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर ग्रोथ में कमी आ रही है, उसे देखते हुए कुछ जानकार अभी ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना से इनकार कर रहे हैं। उनको अगले साल मार्च में ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना है।

((अमेरिका में ब्याज बढ़ने का डर, कितना होगा भारत पर असर !
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-अमेरिका: सितंबर तिमाही में 1.5% (Y-o-Y) GDP ग्रोथ,उम्मीद से कम,1.7% का
अनुमान, जून तिमाही की GDP ग्रोथ 3.9% (Y-o-Y) थी
-जापान: सितंबर तिमाही की GDP ग्रोथ (-)0.8% (Y-o-Y)
-चीन:इस साल की सितंबर तिमाही की GDP ग्रोथ 6.9% (YoY), अनुमान 6.8% था,
जून तिमाही में 7% थी

अमेरिका में मौजूदा ब्याज दर 0-0.25%: 
बता दें कि अमेरिका में आखिरी बार 29 जून 2006 में ब्याज दर में बढ़ोतरी की गई थी और ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस को देखते हुए 18 सितंबर 2007 से ब्याज दर में कटौती शुरू हो गई थी। 16 दिसंबर 2008 को फेडरल रिजर्व न ब्याज दर में कटौती करके उसे 0-0.25 % कर दिया था, तब से ब्याज दर इसी स्तर पर बनी हुई है। अब फिर से 16 दिसंबर अहम हो गया है। तो, अगले महीने की 16 तारीख को फेडरल रिजर्व जब ब्याज दर पर बैठक करेगा, तो ब्याज बढ़ाने से पहले कोर इंफ्लेशन, पेरोल्स डाटा के अलावा ग्रोथ से जुड़ी चिंताओं को भी ध्यान में रखेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक की बैठक: 
अब बात भारतीय रिजर्व बैंक की बैठक की। रिजर्व बैंक ने सितंबर बैठक में प्रमुख दरों में आधे परसेंट की कटौती की थी। इस तरह से कुल मिलाकर इस साल अब तक रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में 1.25% की कटौती कर चुका है। अगले महीने की एक तारीख को जब रिजर्व बैंक क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा करेगा, तो कुछ जानकारों को प्रमुख दरों में कम से कम 0.25% की कटौती का अनुमान है। हालांकि, कुछ जानकारों को अब अगले साल ही प्रमुख
दरों में कटौती की उम्मीद है।

((रिजर्व बैंक का तोहफा, रेपो रेट 0.5%घटाकर 6.75 % किया, CRR में बदलाव नहीं 
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ब्याज दर घटने के पीछे तर्क: 
खुदरा महंगाई दर और थोक खाद्य पदार्थ महंगाई दर में अक्टूबर में सालाना आधार पर बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ये अब भी रिजर्व बैंक के जनवरी तक 6% के लक्ष्य से कम ही है। इस साल अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर यानी खुदरा महंगाई दर (CPI) सितंबर के मुकाबले बढ़ी है। दाल की कमी की
वजह से अक्टूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 5.00% हो गई है। सितंबर में खुदरा महंगाई 4.41% थी। जबकि अगस्त में ये 3.66% (संशोधित 3.74%) थी। रिजर्व बैंक ने अगले साल जनवरी तक खुदरा महंगाई दर 6 % के नीचे रखने का लक्ष्य रखा है।

बात अगर खुदरा खाद्य महंगाई दर की करें तो इस साल अक्टूबर में ये 5.25% पर पहुंच गई जबकि सितंबर में खुदरा खाद्य महंगाई दर 3.88% थी और अगस्त में ये 2.20% की दर से बढ़ी थी।

((अक्टूबर CPI महंगाई दर बढ़कर 5.00% हुई 
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बात अगर थोक महंगाई दर की करें तो अक्टूबर में लगातार 12 वें महीने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर गिरकर (-)3.8% रही, जबकि सितंबर में (-)4.54% थी। पिछले अक्टूबर में थोक महंगाई दर 1.66% थी।

ईंधन की कीमतों में आई कमी इसकी मुख्य वजह रही, लेकिन खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर बढ़ना चिंता का विषय है। सालाना आधार पर अक्टूबर में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 2.44% बढ़ी है,जबकि फ्यूल की थोक कीमत 16.32 % घटी है।

ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में प्याज की थोक महंगाई दर 85.66% बढ़ी, जबकि इससे पिछले साल इसी महीने इसमें 59.01% की कमी आई थी। वहीं दाल इस दौरान 4.02% के मुकाबले 52.98% महंगी हुई।
बता दें कि थोक महंगाई दर में सबसे अधिक वेटेज 64.97% मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का है, प्राइमरी आर्टिकल (फूड और नॉन फूड आर्टिकल) का वेटेज 20.12%, जबकि फ्यूल और पावर का वेटेज 14.91% है।

((अक्टूबर में WPI महंगाई लगातार 12 वें महीने घटी  
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लेकिन IIP के मोर्चे पर झटका लगा है, जो ब्याज दर घटाने की उम्मीद को बढ़ा रहा है। इस साल सितंबर में सालाना औद्योगिक उत्पादन दर अगस्त के मुकाबले घटकर 3.6% पर आ गई। अगस्त में ये 6.4% थी। हालांकि, पिछले साल सितंबर में औद्योगिक उत्पादन में 2.6% की बढ़ोतरी हुई थी।

माइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के अलावा कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स सेक्टर के ग्रोथ में कमी ने औद्योगिक उत्पादन के विकास पर जबर्दस्त असर डाला है।

ब्याज दरों में कमी के बावजूद इकोनॉमी में मांग नहीं बढ़ना भारी चिंता की बात है। इस साल जुलाई में आईआईपी 4.2% दर्ज की गई थी, जबकि  जून में ये 4.4%( 3.8% से संशोधित) थी जबकि पिछले साल जुलाई में 0.9% थी।

((सितंबर का IIP गिरकर 3.6% पहुंचा 
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कर्ज सस्ते होने के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ निराशाजनक बनी हुई है। घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की धीमी रफ्तार का असर बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ पर भी देखा जा रहा है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 8.4% की बढ़ोतरी के साथ 62.02 लाख करोड़ रुपए रही, जो कि पिछले साल की

इसी अवधि की क्रेडिट ग्रोथ से 20 बेसिस प्वाइंट (0.20%) कम है। केयर रेटिंग्स ने रिजर्व बैंक के आंकड़ों के आधार पर इसकी जानकारी दी। बैंक क्रेडिट में सबसे अधिक करीब 42% की हिस्सेदारी रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मंदी का साफ असर क्रेडिट ग्रोथ पर देखा जा सकता है। इस सेक्टर से कर्ज की मांग
नकारात्मक रही है।

((लोन हुए सस्ते, लेकिन बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ अब भी धीमी
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यानी अगले महीने की 16 तारीख तक बाजार ब्याज दर के अनुमान को लेकर अपनी चाल बदलता रहेगा। कहीं ब्याज घटने की उम्मीद, तो कहीं ब्याज बढ़ने की संभावना । 

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