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अमेरिका के Federal Reserve ने ब्याज दर जस का तस रखा, लेकिन महंगाई को अभी भी बताया चिंताजनक

 

उम्मीद के मुताबिक अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 13 और 14 जून की बैठक के बाद ब्याज दर को जस का तस रखा। ज्यादातर जानकार मान रहे थे कि लगभग 15 महीने के बाद फेड पहली बार 13 और 14 जून की बैठक में ब्याज दर बढ़ोतरी पर लगाम लगा सकता है और हुआ भी यही। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर को 5% -5.25% के टार्गेट रेंज में पहले जितना ही रखा।  इससे पहले फेडरल रिजर्व ने लगातार 10 बढ़ोतरी की। 



इससे पहले फेडरल रिजर्व ने मई की बठक में ब्याज दर में 0.25%  का इजाफा किया था। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25% की बढ़ोतरी करते हुए 5% -5.25% कर दिया था। इससे पहले, 21-22 मार्च को हुई बैठक के दौरान ब्याज दर में 0.25% का इजाफा करते हुए इसे 4.75% -5%  कर दिया था। Federal Reserve ने कहा है कि महंगाई दर लंबे समय से अभी भी 2% के लक्ष्य के ऊपर बना हुआ है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही ये भी कहा कि महंगाई दर को 2% के लक्ष्य तक लाने का उसका संकल्प कायम है।  

फेडरल रिजर्व ने 13 और 14 जून की बैठक के बाद कहा कि अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली मजबूत और लचीली है। परिवारों और व्यवसायों के लिए सख्त ऋण शर्तों का आर्थिक गतिविधि, भर्ती और मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। इन प्रभावों की सीमा अनिश्चित बनी हुई है। समिति मुद्रास्फीति जोखिमों के प्रति अत्यधिक चौकस रहती है।

समिति दीर्घकाल में अधिकतम रोजगार और मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत की दर तक रखने का लक्ष्य दासिल करना चाहती है। इन लक्ष्यों के समर्थन में, समिति ने संघीय निधि दर के लिए लक्ष्य सीमा को 5 से 5-1/4 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया। इस बैठक में लक्ष्य सीमा स्थिर रखने से समिति को अतिरिक्त जानकारी और मौद्रिक नीति के लिए इसके प्रभावों का आकलन करने में मदद मिलती है। समय के साथ मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत तक रखने के लिए उपयुक्त अतिरिक्त नीति निर्धारण की सीमा निर्धारित करने में, समिति मौद्रिक नीति के संचयी कड़ेपन को ध्यान में रखेगी।  इसके अलावा, समिति ट्रेजरी सिक्योरिटीज और एजेंसी ऋण और एजेंसी बंधक-समर्थित प्रतिभूतियों की अपनी होल्डिंग को कम करना जारी रखेगी, जैसा कि इसकी पूर्व घोषित योजनाओं में वर्णित है। समिति मुद्रास्फीति को उसके 2 प्रतिशत के लक्ष्य तक रखने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।

मौद्रिक नीति के उचित रुख का आकलन करने में, समिति आर्थिक दृष्टिकोण के लिए आने वाली जानकारी के प्रभावों की निगरानी करना जारी रखेगी। समिति मौद्रिक नीति के रुख को उचित रूप से समायोजित करने के लिए तैयार होगी यदि ऐसे जोखिम सामने आते हैं जो समिति के लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा डाल सकते हैं। समिति के आकलन में जानकारी की एक विस्तृत श्रृंखला को ध्यान में रखा जाएगा, जिसमें श्रम बाजार की स्थिति, मुद्रास्फीति के दबाव और मुद्रास्फीति की उम्मीदें, और वित्तीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास शामिल हैं।

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Rajanish Kant गुरुवार, 15 जून 2023
Federal Reserve (फेडरल रिजर्व) की बैठक आज से, क्या अमेरिका में ब्याज फिर से बढ़ेगा?

दुनिया भर की नजर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की 13 और 14 जून को ब्याज दर पर होने वाली बैठक पर है। लोगों की निगाहें इस बात पर है कि क्या फेडरल रिजर्व इस बार भी ब्याज बढ़ाएगा या इस बढ़ोतरी पर रोक लगेगी। साथ ही जानकार इस बात का भी इंतजार कर रहे हैं कि फेडरल रिजर्व आगामी ब्याज दर बैठक, ग्रोथ, महंगाई दर, बेरोजगारी दर बगैरह के बारे में क्या संकेत देता है। 

ज्यादातर जानकार मान रहे हैं कि लगभग 15 महीने के बाद फेड पहली बार 13 और 14 जून की बैठक में ब्याज दर बढ़ोतरी पर लगाम लगा सकता है और हो सकता है कि दिसंबर तक ब्याज दर ना बढ़े। 

इससे पहले उम्मीद के मुताबिक, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने मई की बठक में ब्याज दर में 0.25%  का इजाफा किया था। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25% की बढ़ोतरी करते हुए 5% -5.25% कर दिया था। इससे पहले, 21-22 मार्च को हुई बैठक के दौरान ब्याज दर में 0.25% का इजाफा करते हुए इसे 4.75% -5%  कर दिया था। Federal Reserve ने कहा है कि महंगाई दर लंबे समय से अभी भी 2% के लक्ष्य के ऊपर बना हुआ है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही ये भी कहा कि महंगाई दर को 2% के लक्ष्य तक लाने का उसका संकल्प कायम है।  

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Rajanish Kant मंगलवार, 13 जून 2023
क्या अमेरिका में फिर से ब्याज बढ़ने वाला है, Federal Reserve (फेडरल रिजर्व) की बैठक पर नजर

दुनिया भर की नजर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की 13 और 14 जून को ब्याज दर पर होने वाली बैठक पर है। लोगों की निगाहें इस बात पर है कि क्या फेडरल रिजर्व इस बार भी ब्याज बढ़ाएगा या इस बढ़ोतरी पर रोक लगेगी। साथ ही जानकार इस बात का भी इंतजार कर रहे हैं कि फेडरल रिजर्व आगामी ब्याज दर बैठक, ग्रोथ, महंगाई दर, बेरोजगारी दर बगैरह के बारे में क्या संकेत देता है। 

ज्यादातर जानकार मान रहे हैं कि लगभग 15 महीने के बाद फेड पहली बार 13 और 14 जून की बैठक में ब्याज दर बढ़ोतरी पर लगाम लगा सकता है और हो सकता है कि दिसंबर तक ब्याज दर ना बढ़े। 

इससे पहले उम्मीद के मुताबिक, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने मई की बठक में ब्याज दर में 0.25%  का इजाफा किया था। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25% की बढ़ोतरी करते हुए 5% -5.25% कर दिया था। इससे पहले, 21-22 मार्च को हुई बैठक के दौरान ब्याज दर में 0.25% का इजाफा करते हुए इसे 4.75% -5%  कर दिया था। Federal Reserve ने कहा है कि महंगाई दर लंबे समय से अभी भी 2% के लक्ष्य के ऊपर बना हुआ है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही ये भी कहा कि महंगाई दर को 2% के लक्ष्य तक लाने का उसका संकल्प कायम है।  

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Rajanish Kant सोमवार, 12 जून 2023
अमेरिका में ब्याज बढ़ेगा या नहीं, फेडरल रिजर्व का फैसला आज

 

पूरी दुनिया की नजर इस वक्त अमेरिका पर है। अमेरिका में ब्याज बढ़ेगा या नहीं, और अगर बढ़ेगा तो कितना, इसका फैसला वहां का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बैंक आज बताने वाला है। दरअसल, अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए दो दिवसीय बैठक 31 जनवरी को शुरू हुई है और आज समाप्त होगी।  माना जा रहा है कि इस बैठक में फेडरल रिजर्व चौथाई प्रतिशत से लेकर आधे प्रतिशत तक ब्याज बढ़ा सकता है। दिसंबर 2022 में हुई बैठक में फेड ने ब्याज में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। 

2023 में फेड की बैठक कब कब :

2023 FOMC Meetings

Jan/Feb 31-1

March   21-22*

May     2-3

June   13-14*

July   25-26

September 19-20*

Oct/Nov  31-1

December 12-13*

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Rajanish Kant बुधवार, 1 फ़रवरी 2023
डोनाल्ड ट्रंप के वादों पर निवेशकों ने किया ऐतबार, मंगलवार को उछला अमेरिकी शेयर बाजार
अमेरिकी और ज्यादातर यूरोपीय शेयर बाजार मंगलवार को तेजी के साथ बंद हुए। अमेरिका में निवेशक राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकारी आदेशों पर दस्तखत और कानूनों एवं करों में कटौती के वादों से जोश में दिखे। शानदार खरीदारी से अमेरिकी इंडेक्स S&P 500 ऐतिहासिक ऊंचाई बनाने में कामयाब रहा। 

अमेरिका के डाओ जोंस ने 112.86 अंक, S&P 500 ने 14.87 अंक और नैस्डेक ने 48.01 अंकों की मजबूती दर्ज की। उधर, ब्रिटेन के फुट्जी 100 इंडेक्स स्थिर बंद हुआ जबकि फ्रांस के कैक 40 इंडेक्स ने 8.62 अंक और जर्मनी के डैक्स ने 49.19 अंकों की तेजी के साथ कारोबार किया। 

((डाओ जोंस सोमवार को 27 अंक गिरकर बंद, ट्रंप की नीतियों को लेकर निवेशक उलझन में
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Rajanish Kant बुधवार, 25 जनवरी 2017
TPP से अमेरिका अलग हुआ, जानिए TPP की खास बातें
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव के समय टीपीपी ट्रेड डील से अमेरिका को बाहर निकालने का वादा किया था। ट्रंप अपने वादा पर खरे उतरे। ताजपोशी के महज एक हफ्ते के भीतर ही उन्होंने इस डील से अमेरिका को बाहर निकालने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ट्रंप का मानना है कि यह करार अमेरिकी नौकरियों और विनिर्माण क्षेत्र के हितों के खिलाफ था।

> टीपीपी एग्रीमेंट की खास बातें:
टीपीपी यानी ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप एक व्यापारिक समझौता (ट्रेड डील) है। अमेरिका के अलावा प्रशांत महासागर के 11 तटीय देश  -जापान (पहले ही इस समझौते को मंजूरी दे चुका है), मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर,  ब्रुनेई, ऑस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड, कनाडा, मेक्सिको, चिली और पेरू इसके सदस्य देश हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में पिछले साल फरवरी में यह समझौता हुआ था। इन देशों  की अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था का करीब 40% है। अमेरिका की अगुआई में अक्टूबर 2015 में इस पर सहमति बनी थी।  

इस समझौते का प्रमुख लक्ष्य था यूरोपियन यूनियन की तरह ही एक 12 देशों वाला एकल बाजार यानी सिंगल मार्केट का निर्माण करना और निवेश  बढ़ाना।  साथ ही साथ  सीमा शुल्कों में कटौती करना और ग्रोथ को बढ़ाने के लिए आपसी कारोबार को बढ़ावा देना भी इसका उद्देश्य था। इस  पार्टनरशिप के देशों ने आर्थिक नीतियों और नियमनों के मामलों में भी रिश्ते में गरमाहट लाने की उम्मीद की थी।  

ओबामा ने इस एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने और अमेरिकी प्रभाव बढ़ाने के इरादे  से टीपीपी करार किया था। लेकिन, अमेरिकी विपक्ष दलों ने इस करार को बड़े व्यापारिक घरानों और दूसरे देशों के लिए फायदेमंद जबकि अमेरिकी नौकरियों और संप्रभूता के लिए  खतरे के तौर पर प्रचारित कर इसका विरोध किया था। अपने चुनाव अभियान  के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने इसे 'संभावित आपदा ' करार दिया था। 

Rajanish Kant मंगलवार, 24 जनवरी 2017
डाओ जोंस सोमवार को 27 अंक गिरकर बंद, ट्रंप की नीतियों को लेकर निवेशक उलझन में
अमेरिकी और यूरोपीय शेयर बाजार सोमवार को गिरावट के साथ बंद हुए। अमेरिका में निवेशक राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों की अनिश्चितता की वजह से नई खरीदारी से बचते दिखे। वहीं ट्रंप की संरक्षणवादी नीति अपनाने के संकेत ने यूरोपीय शेयर बाजार का मूड बिगाड़ा। 

अमेरिका के डाओ जोंस ने 27.40 अंक, S&P 500 ने 6.11 अंक और नैस्डेक ने 2.39 अंकों की कमी दर्ज की। उधर, ब्रिटेन के फुट्जी 100 इंडेक्स ने 47.26 अंक, फ्रांस के कैक 40 इंडेक्स ने 29.26 अंक और जर्मनी के डैक्स ने 84.38 अंकों की नरमी के साथ कारोबार किया। 
अमेरिकी-यूरोपीय बाजारों का प्रदर्शन-(सोमवार)
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Rajanish Kant
डाओ जोंस गुरुवार को 72 अंक फिसलकर बंद, सोना फीका पड़ा, कच्चे तेल में तेजी
अमेरिकी और यूरोपीय शेयर बाजार गुरुवार को गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार को अमेरिका में राष्ट्रपति का पद संभालने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की घोषणा का इंतजार है। इसी बीच, यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने ब्याज दर को स्थिर रखा है। 

अमेरिका के डाओ जोंस ने 72.32 अंक, S&P 500 ने 8.20 अंक और नैस्डेक ने 15.57 अंकों की गिरावट दर्ज की। उधर, ब्रिटेन के फुट्जी 100 इंडेक्स ने 39.17 अंक, फ्रांस के कैक 40 इंडेक्स ने 12.26 अंक और जर्मनी के डैक्स ने 2.50 अंकों की कमजोरी के साथ कारोबार किया। 

-US क्रूड ( WTI) $0.29 बढ़कर $51.37 प्रति बैरल पर निपटा
-सोना फरवरी वायदा $10.60/औंस गिरकर $1201/औंस पर बंद हुआ 

((आज (20 जनवरी) के नतीजे: अडाणी पावर, केनरा बैंक, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, वीएसटी इंड, अतुल लिमिटेड, JSW एनर्जी

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Rajanish Kant शुक्रवार, 20 जनवरी 2017