Results for "SEBI Board Meeting"
SEBI Decision on PMS, Right issue& Disclosure by listed entities
The SEBI Board met in Mumbaitoday and took the following decisions:I.Issuance of SEBI (Portfolio Managers) Regulations, 2019SEBI had constituted a Working  Group  to  review  the  SEBI  (Portfolio  Managers) Regulations,  1993 to  suggeststeps  to be  taken  to safeguard  the  interest  of investors and development of the investment product. Public  comments  were  invited  on  the  recommendations  of  the  Working  Group through a consultative paper. The Board, after considering the recommendations of the Working Group, public comments received and proposals made thereon for amendment  to  the  extant  SEBI (Portfolio  Managers)Regulations,  approved issuance of SEBI (Portfolio Managers) Regulations, 2019.The salient features of the proposed SEBI (Portfolio Managers) Regulations, 2019 are:
1.To  enhance  the  eligibility  criteria  and  to  define  the  role  of  Principal  Officer clearly. The enhanced eligibility criteria to be applicable to any employee with decision making authority relating to management of the clients’ portfolios.2.A Portfolio Manager to mandatorily employ minimum one person with defined eligibility criteria in addition to Principal Officer and Compliance Officer. 3.Net-worth  requirement  of  Portfolio  Managers  to  be  enhanced  from  INR  2 Crores  to  INR  5  Crores. Existing  Portfolio  Managers  to  meet  the  enhanced requirement within 36 months.  

Minimum investment by clients of Portfolio Managers to be increased from INR 25 lakhs to INR 50 lakhs. Existing investments of clients may continue as such till end date of the PMS Agreement or as specified by the Board.5.Discretionary  Portfolio  Managers  to  invest only  in  listed  securities,  money market   instruments,   units   of   Mutual   Funds   and   such   other   securities/ instruments as specified by SEBI from time to time.6.Non-discretionary/ Advisory Portfolio Managers to invest not more than 25% of their AUM in unlisted securities.7.To  make  the  appointment  of  custodian  mandatory  for  all  the  Portfolio Managersexcept for those providing only advisory services to clients.8.To restrict off market transfers from/to clients’ accounts with certain exceptions to facilitate operational convenience.II.Review of Rights Issue processThe Board has approved the proposals with respect to Rights Issue process and consequential   amendments   to   the   SEBI   (Issue   of   Capital   and   Disclosure Requirements)  Regulations,  2018  (“ICDR  Regulations”)  and SEBI   (Listing Obligations  and  Disclosure  Requirements)  Regulations,  2015  (“LODR Regulations”)  with  an  objective  to  significantly  reduce  the  timeline  for  the completion  of  the  Rights  Issue,  as  well  as  introduce  the  dematerialization  and trading of rights entitlements (REs).The key proposals approved by the Board are as follows: 1.Reduction in the timeline for completion of the Rights Issue from the current ~T+55 days to ~T+31 days.2.Introduction  of  dematerialized REsand  trading  of REson  stock  exchange platform.3.Shareholders holding shares in physical form will be required to provide details of demat account for credit of REs.4.ASBA facility made mandatory for all investors applying to Rights Issue.

Extension  ofBusiness  responsibility  reporting  to  top  one  thousand  listed entities by market capitalizationThe SEBI  (Listing  Obligations  and  Disclosure  Requirements)  Regulations,  2015 (“LODR Regulations”)require  that  the  top  five  hundred  listed  entities  based  on market capitalization, as on March 31 of every financial year shall include Business Responsibility Reporting (BRR) as part of their annual reports.The Board upon deliberations, approved a proposal to extend the applicability of Business Responsibility Reporting (BRR) to top one thousand listed entities.IV.Disclosure by listed entities of defaults on payment of interest / repayment of principal amount on loans from banks / financial institutionsIn order to address the gaps in availability of information with respect to defaults, the  Board  has, inter-alia,decided  that  in  case  of  any default  in  repayment  of principal or interest on loans from banks or financial institutions which continues beyond 30 days from the pre-agreed payment date, listed entities shall, promptly, but not later than 24 hours from the 30thday, disclose the fact of such default. These provisions shall be applicable from January 01, 2020.

(Source: www.sebi.gov.in)

Rajanish Kant बुधवार, 20 नवंबर 2019
सेबी की बोर्ड बैठक-FPI निवेश, आवास वित्त, एनबीएफसी इकाइयों वाली कंपनियों के लिए शेयर पुनर्खरीद नियमों में ढील

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए शेयर पुनर्खरीद या वापस खरीदने के नियमों को उदार किया है। विशेषरूप से ऐसी कंपनियां जिनकी आवास वित्त या गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र (एनबीएफसी) में अनुषंगी इकाइयां हैं, के लिए पुनर्खरीद नियमों में ढील दी गई है। 


सेबी के निदेशक मंडल की यहां हुई बैठक में इस बारे में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सूचीबद्ध कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद की निगरानी सेबी पुनर्खरीद नियमन के साथ कंपनी कानून के तहत निगरानी की जाती है। 



कंपनियों को जिस प्रमुख शर्त को पूरा करना होता है उनमें एक शर्त यह है कि पुनर्खरीद पेशकश कुल चुकता पूंजी या कंपनी के मुक्त आरक्षित कोष के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। लेकिन पुनर्खरीद का आकार 10 प्रतिशत से अधिक होने पर विशेष प्रस्ताव के जरिये शेयरधारकों की मंजूरी लेना जरूरी है। 



इसके अलावा पुनर्खरीद की अनुमति उसी स्थिति में दी जा सकती है जबकि कंपनी का गारंटी वाला बिना गारंटी वाला कर्ज पुनर्खरीद के बाद चुकता पूंजी या मुक्त आरक्षित कोष का दोगुना से अधिक नहीं हो।



सेबी पुनर्खरीद की सीमा तय करने के लिए एकल तथा एकीकृत आधार पर कंपनी के बही खातों को देखता है। हाल के समय में इसको लेकर कई तरह के मुद्दे उठाए गए हैं। कंपनियों के एकीकृत खातों में कई बार अनुषंगियों पर एनबीएफसी और आवास वित्त क्षेत्र में उनकी मौजूदगी की वजह से ऊंचा कर्ज रहता है। 



सेबी द्वारा नियमनों में संशोधन के प्रस्ताव से पहले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने गैर बैंकिंग वित्तीय और आवास वित्त गतिविधियां करने वाली सरकारी कंपनियों को पुनर्खरीद की अनुमति की अधिसूचना जारी की है। यह अनुमति शेयर पुनर्खरीद के बाद 6:1 ऋण से इक्विटी अनुपात तक के लिए होगी। 




(साभार- पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant गुरुवार, 22 अगस्त 2019
सेबी की बोर्ड बैठक में IPO, SME IPO, MF नियमों के बारे में क्या चर्चा हुई
मार्केट रेगुलेटर सेबी की आज मुंबई में बोर्ड बैठक हुई। बैठक में  IPO, ICICI बैंक, SME IPO, MF नियमों  के संबंध में क्या-क्या चर्चा हुई, जानिए...
1) आईपीओ के प्राइस बैंड की समयसीमा इश्यू के खुलने के मौजूदा 
5 दिनों से घटाकर दो  दिन किया गया
2)बायबैक और टेकओवर के नियमों में संशोधन किया गया
3) विदेशी संविभाग निवेशक (Foreign Portfolio Investors-FPI) और
म्युचुअल फंड्स के मौजूदा नियमों को विवेकसम्मत बनाया जाएगा
4) स्टॉक एक्सचेंड, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन, डिपॉजिटरीज जैसे मार्केट
इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) में विदेशी निवेश की
सीमा 15 प्रतिशत तक करना
5) पब्लिक इश्यू/ राइट्स इश्यू का फाइनेंशियल डिस्क्लोजर
मौजूदा 5 साल के बजाय 3 साल किया गया
6) एसएमई आईपीओ के मामले में मिनिमम एंकर इन्वेस्टर साइज
मौजूदा 10 करोड़ रुपए से घटाकर 2 करोड़ रुपए किया गया

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म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
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Rajanish Kant गुरुवार, 21 जून 2018
सेबी की बोर्ड बैठक कल, जानिए किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

मार्केट रेगुलेटर सेबी की कल बोर्ड बैठक होने जा रही है। बैठक में निम्न मुद्दों पर चर्चा हो सकती है...

बैठक का एजेंडा:
1) बायबैक और टेकओवर नियमों में संशोधन संभव
2)स्टॉक एक्सचेंज के चीफ एक्जिक्यूटिव की पद पर रहने
की अवधि समेत मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई)
(स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशंस, डिपॉजिटरीज आदि)
के गवर्नेंस नॉर्म्स में बदलाव पर विचार मुमकिन
3)सेबी के पूर्व और मौजूदा कर्मचारियों से जुड़े
नियमों और भर्ती नीति बदलने पर चर्चा संभव
4) शेयर मार्केट में अधिक से अधिक निवेशकों को लुभाने
के लिए नए स्टॉक एक्सचेंज खोलने के नियमों को और
आसान बनाने पर विचार संभव
5)फिलहाल  स्टॉक एक्सचेंज में विदेशी कंपनियों
की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी, जबकि क्लीयरिंग कॉर्पोरेशंस,
डिपॉजिटरीज में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी की मंजूरी

सेबी की बोर्ड बैठक मुंबई में होगी।

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((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
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Rajanish Kant बुधवार, 20 जून 2018
पी-नोट्स नियम हुए सख्त, कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में निवेश को लेकर बड़ा फैसला, जानिए सेबी बोर्ड बैठक में क्या हुआ
कमोडिटी और मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अपने बोर्ड बैठक में लिस्टेड कंपनियों की दबावग्रस्त आस्ति (distressed assets) के अधिग्रहण नियमों में ढील दी है। साथ ही उसने पी-नोट्स पर पूरी से प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, पी-नोट्स के नियमों को जरूर सख्त किया है। रेगुलेटर ने पी-नोट्स के जारीकर्ता पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। 

इसके अलावा, NSE co-location  मामले में मार्केट रेगुलेटर ने फॉरेंसिक ऑडिटर की मदद लेने का निर्णय लिया है। सेबी विदेशी निवेशकों के पंजीकरण को आसान बनाने के संबंध में परिचर्चा पत्र भी जारी करेगा। साथ ही हेज फंडों को कमोडिटी डेरिवेेटिव्ज में निवेश की अनुमति भी दी। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि कमोडिटी डेरिवेेटिव्ज में म्युचुअल फंड्स के निवेश पर विचार चल रहा है।






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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 



Rajanish Kant बुधवार, 21 जून 2017
सेबी की बोर्ड बैठक आज
कमोडिटी और मार्केट रेगुलेटर सेबी की कल बोर्ड बैठक है। माना जा रहा है कि इसमें ₹ 5,600 करोड़ का NSEL घोटाले, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और NSE को-लेकेशन की जांच जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। बोर्ड इसके अलावा, दबावग्रस्त आस्ति (Distressed Assets) की खरीद के नियमों में छूट के प्रस्ताव पर बातचीत कर सकता है। 

>बैठक का एजेंडा:
-विदेशी निवेशकों के सीधे पंजीकरण के नियमों में छूट
-भारतीय शेयर बाजार को निवेशकों के लिए और विदेशी निवेश के लिए कंपनियों, स्टार्ट अप की लिस्टिंग प्रक्रिया में और तेजी लाना
-कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रक्रिया को और मजबूत बनाना 
-कंपनियों के स्वतंत्र और गैर-कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति में पारिवारिक संपर्क और भाई-भतीजेवाद को लेकर चिंता 

Rajanish Kant
सेबी की बोर्ड बैठक कल, जानिए किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
कमोडिटी और मार्केट रेगुलेटर सेबी की कल बोर्ड बैठक है। माना जा रहा है कि इसमें ₹ 5,600 करोड़ का NSEL घोटाले, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और NSE को-लेकेशन की जांच जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। बोर्ड इसके अलावा, दबावग्रस्त आस्ति (Distressed Assets) की खरीद के नियमों में छूट के प्रस्ताव पर बातचीत कर सकता है। 

>बैठक का एजेंडा:
-विदेशी निवेशकों के सीधे पंजीकरण के नियमों में छूट
-भारतीय शेयर बाजार को निवेशकों के लिए और विदेशी निवेश के लिए कंपनियों, स्टार्ट अप की लिस्टिंग प्रक्रिया में और तेजी लाना
-कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रक्रिया को और मजबूत बनाना 
-कंपनियों के स्वतंत्र और गैर-कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति में पारिवारिक संपर्क और भाई-भतीजेवाद को लेकर चिंता 

Rajanish Kant मंगलवार, 20 जून 2017