Results for "JAN-March 2017 GDP"
मोदी सरकार का तीन साल का जश्न और विकास दर का 3 साल के निचले स्तर पर आना, 'हार्डवर्क' में कहीं चूक तो नहीं !

पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार द्वारा अचानक से लागू की गई नोटबंदी को लेकर अर्थशास्त्रियों की आशंका सही दिख रही है। नोटबंदी ने देश के आर्थिक विकास को झटका दिया है। 
केंद्रीय सांख्यिकी विभाग द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 2015-16  के 8 प्रतिशत के मुकाबले 2016-17 में वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत दर्ज की गई। यह पिछले तीन साल की सबसे कम वृद्धि दर है। दूसरी ओर, वित्तीय वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच भी, पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले विकास दर गिर कर 6.1 प्रतिशत पर आ गई। आर्थिक वृद्धि में इस गिरावट से भारत सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश का तमगा खो दिया है। आपको बता दें कि चीन ने जनवरी-मार्च के दौरान 6.9 प्रतिशत की दर से विकास किया है।
मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण आर्थिक वृद्धि की गति धीमी हुई है। यह आंकड़ा ऐसे समय आया है जब मोदी सरकार तीन साल पूरा होने का जश्न मना रही है।
साभार-जागरण
बेहतर मॉनसून की वजह से हालांकि, कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ। 2016-17 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 0.7 प्रतिशत रही थी। चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 5.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि 2015-16 की समान तिमाही में यह 1.5 प्रतिशत बढ़ा था। आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,03,219 रुपये पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। यह 2015-16 में 94,130 रुपये रही थी। इस तरह प्रति व्यक्ति आय में 9.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 
अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी में कमी आएगी, लेकिन किसी ने इतनी अधिक गिरावट के बारे में नहीं सोचा था। नोटबंदी की वजह से जनवरी से मार्च की तिमाही के दौरान बाज़ार में नक़दी का संकट पैदा हो गया था जिसकी वजह से उपभोक्ता सामानों की बिक्री कम हो गई थी। आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि ये आंकड़ा और भी बुरा हो सकता था, लेकिन भारत में जीडीपी की गणना में छोटे व्यवसायों और असंगठित क्षेत्रों के आंकड़े शामिल नहीं किए जाते हैं। नोटबंदी के कारण असंगठित क्षेत्रों पर सबसे ज़्यादा मार पड़ी और उनके आंकड़े शामिल न होने से वास्तविक स्थिति का अंदाज़ा अभी नहीं लगाया जा सकता। बता दें कि पिछले साल 9 नवंबर से 500 और 1000 रुपये के बड़े नोटों को बंद किए जाने के कारण विनिर्माण, मैन्यूफ़ैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों पर काफ़ी असर पड़ा था। 
जनवरी-मार्च 2016-17 में जीडीपी घटकर 6.1%, 2016-17 में GDP@7.1%, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी

Rajanish Kant गुरुवार, 1 जून 2017
जनवरी-मार्च 2016-17 में जीडीपी घटकर 6.1%, 2016-17 में GDP@7.1%, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी
अर्थव्यवस्था के मोर्चे से अच्छी खबर नहीं है। सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 और वित्त वर्ष 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए। जनवरी-मार्च की तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सरकार के प्रोविजनल आंकड़ों के अनुसार, यह 7 प्रतिशत व्‍यक्‍त किया गया था। रायटर द्वारा सर्वेक्षण में लगाए गए विश्लेषकों ने तिमाही में वार्षिक वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। आधिकारिक अनुमान के अनुसार, पूरे वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए विकास 7.1% पर आया, जो अनुमान के मुताबिक रहे.इससे पूर्व देश की आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 और 2016-17 के लिए नई आईआईपी और जीडीपी सीरीज के कारण संशोधित कर क्रमश: 8.3 फीसद और 7.6 फीसद किए जाने की संभावना जताई जा रही थी.

वार्षिक राष्ट्रीय आय के अनंतिम अनुमान, 2016-17 और सकल घरेलू उत्पाद के तिमाही अनुमान, 2016-17
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वित्‍त वर्ष 2016-17 के लिए राष्ट्रीय आय के अनंतिम अनुमान और स्थिर मूल्‍यों (2011-12) और वर्तमान मूल्‍यों दोनों पर ही 2016-17 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तिमाही अनुमान जारी कर दिए हैं।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) की नई श्रृंखलाओं (सीरीज) का उपयोग करते हुए तिमाही जीडीपी के अनुमानों का संकलन किया गया है। आधार वर्ष 2011-12 के साथ आईआईपी और डब्ल्यूपीआई की नई सीरीज वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के क्रमशः सीएसओ और औद्योगिक सलाहकार कार्यालय (ओईए) द्वारा 12 मई, 2017 को जारी किए गए थे।
तदनुसार, वर्ष 2011-12 से लेकर वर्ष 2015-16 तक के लिए जीडीपी के वार्षिक अनुमानों, जिन्हें 31 जनवरी 2017 को जारी किया गया था, को आईआईपी और डब्ल्यूपीआई की नई सीरीज का उपयोग किए जाने के कारण संशोधित कर दिया गया है। आईआईपी और डब्ल्यूपीआई की नई सीरीज के साथ-साथ आईआईपी और डब्ल्यूपीआई की पुरानी सीरीज के आधार पर वर्ष 2011-12 से लेकर वर्ष 2015-16 तक के लिए जीडीपी वृद्धि दरों का उल्लेख नीचे किया गया हैः
वर्तमान मूल्यों पर (करोड़ रुपये में)स्थिर मूल्यों पर (करोड़ रुपये में)
वर्षजीडीपीजीडीपी वृद्धि दरें (%)वर्षजीडीपीजीडीपी वृद्धि दरें (%)
पुरानी सीरीजनई सीरीजपुरानीनईपुरानीनईपुरानीनई
2011-12873603987363292011-1287360398736329
2012-139946636994401313.913.82012-13921512592130175.55.5
2013-14112366351123352213.013.02013-14981782298013706.56.4
2014-15124337491244512810.710.82014-1510522686105369847.27.5
2015-16136753311368203510.09.92015-1611357529113810027.98.0

राष्ट्रीय लेखा में संशोधन नीति के अनुसार विगत वर्षों के दौरान जीडीपी के तिमाही अनुमानों के साथ-साथ वर्ष 2016-17 की पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही के अनुमानों में भी संशोधन किए गए है।
राष्ट्रीय आय के अनंतिम अनुमान, 2016-17
वर्ष 2016-17 के लिए राष्ट्रीय आय के दूसरे अग्रिम अनुमान 28 फरवरी, 2017 को जारी किए गए थे। कृषि उत्पादन एवं  औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के नवीनतम अनुमानों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे कि रेलवे, परिवहन (रेलवे को छोड़कर), संचार, बैंकिंग तथा बीमा के प्रदर्शन और सरकारी व्यय को शामिल करते हुए इन अनुमानों को अब संशोधित कर दिया गया है।
वर्तमान मूल्‍यों पर अनुमान
सकल घरेलू उत्‍पाद  
वर्ष 2016-17 में वर्तमान मूल्‍यों पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) के बढ़कर 151.84 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो वर्ष 2015-16 में 136.82 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह 11.0 फीसदी की वृद्धि दर दर्शाती है।
वर्तमान मूल्यों पर जिन क्षेत्रों (सेक्टर) ने 9 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें ‘कृषि’, ‘विनिर्माण’, ‘व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण संबंधी सेवाएं’, ‘वित्तीय, अचल संपत्ति एवं प्रोफेशनल सेवाएं’ और ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं।
राष्ट्रीय आय
वर्ष 2016-17 के दौरान वर्तमान मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) 149.94 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो वर्ष 2015-16 में 135.22 लाख करोड़ रुपये थी। यह 10.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
अक्टू.-दिसं. तिमाही 2016-17 में GDP@7%, 2016-17 में 7.1% रहने का अनुमान
प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय
      वर्ष 2016-17 के दौरान वर्तमान मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय के बढ़कर 103219 रुपये के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो वर्ष 2015-16 में अनुमानित 94130 रुपये थी। यह 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।

स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर अनुमान
सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी)
वर्ष 2016-17 में स्थिर (2011-12) मूल्‍यों पर वास्‍तविक जीडीपी अथवा सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के बढ़कर 121.90 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वर्ष 2015-16 में यह 113.81 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। यह 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
बुनियादी मूल्‍यों पर सकल मूल्य वर्धित (जीवीए)
वर्ष 2016-17 में बुनियादी स्‍थिर मूल्‍यों (2011-12) पर वास्‍तविक जीवीए अर्थात जीवीए के बढ़कर 111.85 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2015-16 में 104.91 लाख करोड़ रुपये था। यह 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
जिन क्षेत्रों ने 7.0 फीसदी से ज्‍यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्‍य सेवाएं (11.3 प्रतिशत)’, ‘विनिर्माण (7.9 प्रतिशत)’, ‘व्‍यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाए (7.8 प्रतिशत)’ और ‘विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाएं (7.2 प्रतिशत)’ शामिल हैं। ‘कृषि, वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’, ‘खनन एवं उत्‍खनन’, ‘’, ‘निर्माण’ और ‘वित्‍तीय, अचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ की वृद्धि दर क्रमश: 4.9, 1.8, 1.7 और 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
सकल राष्ट्रीय आय
      वर्ष 2016-17 के दौरान वर्ष 2011-12 के मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) 120.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वर्ष के दौरान यह अनुमानित 112.46 लाख करोड़ रुपये थी। वर्ष 2016-17 के दौरान सकल राष्ट्रीय आय में 7.0 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है जबकि वर्ष 2015-16 के दौरान वृद्धि दर 8.0 फीसदी थी।
प्रति व्‍यक्‍ति आय
वर्ष 2016-17 के दौरान सही अर्थों में (2011-12 के मूल्‍यों पर) प्रति व्‍यक्‍ति आय के बढ़कर 82,269 रुपये के स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है, जो वर्ष 2015-16 में 77803 रुपये थी। वर्ष 2016-17 के दौरान प्रति व्‍यक्‍ति आय की वृद्धि दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष 6.8 फीसदी थी।
(स्रोत-पीआईबी)
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Rajanish Kant बुधवार, 31 मई 2017