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पंजीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (Registered Infrastructure Investment Trust)


>पंजीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के लिए नीचे  दिये गए लिंक पर जाएं
http://www.sebi.gov.in/cms/sebi_data/attachdocs/1473395661140.pdf

(Source: sebi)
(सेबी के कई अहम फैसले; सेलिब्रिटीज कर सकेंगे म्युचुअल फंड्स का विज्ञापन,  ब्रोकर फीस में कटौती

Rajanish Kant शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017
सेबी के कई अहम फैसले; सेलिब्रिटीज कर सकेंगे म्युचुअल फंड्स का विज्ञापन, ब्रोकर फीस में कटौती
शेयर बाजार नियामक सेबी के निदेशक मंडल ने म्युचुअल फंड्स, रियल इस्टेट और शेयर बाजार में कारोबार को बढ़ाने के संबंध में कई अहम फैसले लिए। इसमें चर्चित हस्तियों द्वारा म्युचुअल फंड्स का विज्ञापन, ब्रोकर फीस में कटौती, REITs यानी Real Estate Investment Trusts (रिटल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स) और  InviTs यानी इनविट्स Infrastructure Investment Trusts (इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स-बुनियादी ढांचा निवेश न्यास) में म्युचुअल फंड्स के निवेश की मंजूरी के साथ ही म्युनिसिपल के नियमों में राहत शामिल है। सेबी के निदेशक मंडल की यह बैठक जयपुर में हुई। 

> फैसले की खास बातें:
-सेबी के  नये नियमों के तहत रीट्स और इनविट्स को अल्टरनेटिव सिक्युरिटीज कैटेगरी में रखा गया है। इससे रियल्टी सेक्टर को फंड जुटाने के लिए नये अवसर मिलेंगे। सेबी की ओर से जारी किए गए नियमों के अनुसार
म्युचुअल फंड्स रीट्स और इनविट्स की सिंगल स्कीम में अपने एनएवी यानी नेट एसेट वैल्यू का 5% निवेश कर सकते हैं। वहीं फंड मल्टिपल स्कीम में अपने एनएवी का 10% निवेश कर सकेंगे।
-सेबी बोर्ड ने तय किया है कि म्यूचुअल फंडों को कारोबार में अपने प्रदर्शन और उपलब्धियों की सूचानाएं सीधे, सरल और सार्थक तरीके से देनी होगी। उन्होंने निवेशकों को सटीक और ताजा से ताजा जानकारी उपलब्ध करानी होगी। 

- सेबी ने ब्रोकर फीस में 25% तक की कटौती कर दी है। नये नियमों के मुताबिक ब्रोकर फीस 20 रु/ प्रति करोड़ के टर्नओवर से घटा कर 15 रु/प्रति करोड़ के टर्नओवर हो गई है। इसके साथ ही सेबी ने मार्केट में सभी के लिए डिजिटल मोड में भुगतान के लिए भी मंजूरी दे दी है।

-बैठक में  म्युचुअल फंड्स के लिए विज्ञापन (एडवरटाइजमेंट) कोड की भी घोषणा की गई है। इसके मुताबिक  म्युचुअल फंड उद्योग विज्ञानों में चर्चित हस्तियों को प्रस्तुत करने वाले विज्ञापनों को जारी करने से पहले उनके लिए सेबी की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, नयी संहिता के तहत उन्हें जनता के सामने सीधे सादे तरीके से अपनी बात रखनी होगी।

- सेबी ने म्युनिसिपल बॉन्ड्स के लिए नियमों में भी राहत दी है। ऐसे म्युनिसिपैलटी जो बीते तीन वर्षों से सरप्लस आय दर्ज कर रहे हों, नये  इश्यू ला सकते हैं।

जानकारों के मुताबिक, सेबी के इन कदमों से एक निवेश साधन के तौर पर म्युचुअल फंड्स की मांग बढ़ने की उम्मीद है। 

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Rajanish Kant रविवार, 15 जनवरी 2017