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जनवरी-मार्च में घरों की बिक्री और नए घरों की आपूर्ति में भारी गिरावट- रिपोर्ट
लगता है घरेलू रियल इस्टेट सेक्टर को अच्छे दिनों के लिए अभी और इंतजार करना होगा। यह सेक्टर स्लोडाउन से पहले से ही गुजर रहा है और अब कोरोना वायरस महामारी ने तो उसकी रही-सही उम्मीद भी तोड़ दी है।  एक निजी ताजा रिपोर्ट तो इसी की तरफ इशारा कर रही है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, रियल इस्टेट कंपनियों ने नौ शहरों में जनवरी-मार्च तिमाही 2019-20 में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत कम घरों की बिक्री की। न्यूज़ कॉर्प समर्थित प्रोपटाइगर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नौ शहरों अहमदाबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, गुरुग्राम, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे और नोएडा में जनवरी-मार्च 2019-20 के दौरान 69,235 घरों की बिक्री हुई, जबकि जनवरी-मार्च 2018-19 में 93,936 घरों की बिक्री हुई थी। वहीं इस दौरान इन नौ शहरों में नए घरों की आपूर्ति में 51 प्रतिशत की गिरावट आई। जनवरी-मार्च 2019-20 के दौरान 35,668 नए घरों की आपूर्ति हुई जबकि 2018-19 में समान तिमाही में नए घरों की आपूर्ति की संख्या 72,932 थी। 
दूसरे ब्रोकरेज और कंसलटेंट्स का कहना है कि 2020 की जनवरी-मार्च के दौरान घरों की बिक्री में 30-40 प्रतिशत की गिरावट संभावित है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में घरों की बिक्री में 14 प्रतिशत जबकि पुणे में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। अहमदाबाद में घरों की मांग 36 प्रतिशत, बेंगलुरू में 24 प्रतिशत, चेन्नई में 23 प्रतिशत, हैदराबाद में 39 प्रतिशत, गुरुग्राम में 73 प्रतिशत, नोएडा में 26 प्रतिशत और कोलकाता में 41 प्रतिशत घटी है। 


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Rajanish Kant गुरुवार, 23 अप्रैल 2020
घर खरीदते समय सिर्फ कीमत मत देखें...

घर खरीदते समय सिर्फ कीमत मत देखें...

Rajanish Kant मंगलवार, 24 सितंबर 2019
मकान, दुकान बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स लगता है, लेकिन टैक्स देने से बच...


मकान, दुकान बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स लगता है, लेकिन टैक्स देने से बच...

Rajanish Kant बुधवार, 1 मई 2019
घरों के दाम बढ़ने लगे हैं, मुंबई में घरों की कीमत 10 % से ज्यादा बढ़ी-RBI
मुंबई, बंगलुरू, अहमदाबाद, लखनऊ, कानपुर, कोच्चि में मकानों की कीमत  वित्त वर्ष 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 10.5 प्रतिशत बढ़ी है। रिजर्व बैंक ने अपने ताजा ऑल इंडिया  हाउस प्राइस इंडेक्स में इसकी जानकारी दी है। इंडेक्स के मुताबिक, चेन्नई में मकान की कीमत में मामूली कमी देखने को मिली है। 

आपको बता दें कि ऑल इंडिया  हाउस प्राइस इंडेक्स  के तहत आरबीआई मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बंगलुरू, लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, कानपुर और कोच्चि में मकान की कीमतों में आए बदलाव को आधार बनाते हुए इंडेक्स तैयार करता है। 

अगर तिमाही आधार पर इन शहरों के मकानों की कीमत में बदलाव की तुलना करें, तो कोच्चि में सबसे ज्यादा 18.3 प्रतिशत कीमत बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि चेन्नई में सबसे ज्यादा 6.7 प्रतिशत की गिरावट। 
All-India House Price Index (HPI) recorded marginal increase in Q4:2016-17
Today, the Reserve Bank today released the quarterly House Price Index (HPI)1 (base 2010-11=100) for Q4:2016-17, based on transaction data received from housing registration authorities in 10 major cities (viz., Mumbai, Delhi, Chennai, Kolkata, Bengaluru, Lucknow, Ahmedabad, Jaipur, Kanpur and Kochi). Time series data on all-India and city-wise HPI are available in the Database of Indian Economy (DBIE) portal (https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=statistics > RealSector > Price&Wages > Quarterly).
Highlights:
  • The all-India HPI recorded a sequential increase (i.e., Q4:2016-17 over Q3:2016-17) of 0.8 per cent in Q4:2016-17 with six of the ten cities recording a rise in sequential terms- Kochi recorded the highest rise (18.3 per cent) whereas Chennai witnessed significant contraction [(-) 6.7 per cent].
  • On an annual basis, the all-India HPI increased by 10.5 per cent with Mumbai, Bengaluru, Ahmedabad, Lucknow, Kanpur and Kochi recording double-digit annual growth whereas Chennai witnessed a marginal moderation in housing prices.
(Source: rbi.org.in)

Rajanish Kant मंगलवार, 18 जुलाई 2017
मुंबईकरों को प्रॉपर्टी टैक्स पर बड़ी राहत, 500 वर्गफीट वाले मकानमालिकों को नहीं चुकाना होगा प्रॉपर्टी टैक्स
बीएमसी यानी बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने 500 वर्गफीट, 500-700 वर्गफीट घरों के मालिकों को प्रॉपर्टी टैक्स पर राहत का प्रस्ताव पेश किया है। प्रस्ताव के मुताबिक, 500 वर्गफीट (कार्पेट एरिया) तक के घरों से कोई भी प्रॉपर्टी टैक्स वसूल नहीं किया जाएगा, जबकि 500-700 वर्गफीट वाले घरों को प्रॉपर्टी टैक्स पर 60 प्रतिशत छूट दी जाएगी। 

मुंबई महानगरपालिका इलाके में 700 वर्गफीट तक करीब 15 लाख घर है। यानी बीएमसी का यह प्रस्ताव अगर मंजूर हो जाता है तो इससे 15 लाख मकानमालिकों का फायदा पहुंचेगा। साथ ही इसका फायदा 2015-2020 तक के प्रॉपर्टी टैक्स पर मिलेगा। हालांकि, बीएमसी को इससे करीब हर साल ₹ 350 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचेगा। लेकिन, मुंबईकरों को इस प्रस्ताव का फायदा तभी मिलेगा, जब बीएमसी कमिशनर और राज्य सरकार से मंजूरी मिलेगी। 

आपको बता दें कि, शिवसेना ने बीएमसी के चुनाव प्रचार के दौरान 500 वर्गफीट वाले घरों पर प्रॉपर्टी टैक्स से मुक्त करने का वादा किया था। राज्य में बीजेपी और शिवसेना की सरकार है, लेकिन दोनों पार्टियां बीएमसी का चुनाव अलग-अलग लड़ी थी। 




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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant शुक्रवार, 7 जुलाई 2017
अपने PF खाते से 90% पैसे निकालकर आप घर खरीद सकते हैं, लेकिन क्या ऐसा करना चाहिए
अगर आपकी सैलरी में से कुछ पैसे आपके ईपीएफ या पीएफ खाते में ट्रांसफर किये जाते हैं, तो सरकार ने आपके लिए एक नई व्यवस्था की है। आप अपने घर खरीदने, घर का निर्माण करने या फिर होम लोन की ईएमआई भरने के अपने पीएफ खाते से नौकरी करते हुए ही 90% तक पैसे निकाल सकते हैं। 

इसके लिए EPFO ने नियम में संशोधन किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईपीएफ स्कीम, 1952 के 68 BD में एक नया पैराग्राफ जोड़ा गया जिससे ईपीएफ अकांउट के  जरिए अब घर खरीदा जा सकता है और ईएमआई का भुगतान किया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि श्रम मंत्रालय ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जिससे अब यह स्कीम संसोधित हो चुकी है।

नए नियमों के तहत कम से कम 10 सबस्क्राइबर्स को मिलकर एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन करना होगा। तभी वे घर खरीदने या घर के बनाने या उसके लिए जमीन खरीदने के लिए पीएफ अकाउंट से रकम निकाल सकेंगे। 

सरकार ने तो इसका फैसला कर लिया, लेकिन सवाल है कि क्या आपको अपना घर खरीदने या फिर उसकी मरम्मती के लिए पीएफ खाता से 90 प्रतिशत रकम निकालना सही होगा या नहीं । या फिर होम लोन लेना बेहतर विकल्प होगा। 

जानकारों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि सरकार के इस फैसले से ईपीएफओ सदस्यों को एक महत्वपूर्ण वित्तीय उद्देश्य हासिल करने के लिए अपना खुद का पैसा हासिल करना आसान हो जाएगा। हम आप तो जानते ही हैं कि घर खरीदना कितना मुश्किल काम होता है। लेकिन, अब सरकार द्वारा सुझाए गए  ईपीएफओ में संशोधन निश्चित रूप से अधिक से अधिक व्यक्तियों को अपने घर खरीदने के लिए जरूरी पैसे जुटाने में मदद करेगा। 

लेकिन, अगर आप अपने पीएफ का 90 प्रतिशत पैसा निकालकर घर खरीदना चाह रहे हैं या उसकी मरमम्त करवाना चाह रहे हैं, तो पहले कई बातों पर विचार कर लीजिएगा...

सबसे पहले आप देख लीजिएगा कि घर खरीदने या फिर उसकी मरम्मत में कितनी लागत आ रही है। साथ ही आपके पीएफ खाते से कितनी रकम निकलने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि आपके पीएफ खाते में काफी अधिक पैसे हों और रिटायरमेंट के कम से  कम 10 साल बचे हों, तो पीएफ रकम का इस्तेमाल आप घर खरीदने या उसकी मरम्मती में कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि पीएफ के पूरे 90 प्रतिशत रकम आप इसी काम में इस्तेमाल ना करें। ऐसा करने से हो सकता है कि रिटायरमेंट के बाद आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ जाए। 

मसलन, अगर पीएफ का 70% रकम घर खरीदने या बनाने के लिए काफी है तो आप केवल पीएफ का 20% -30% पैसे का ही इस्तेमाल करें। बाकी की जरूरत आकर्षक होम लोन लेकर पूरा करें।  इससे आपके दोनों उद्देश्य पूरे हो जाएंगे। आपका घर भी हो जाएगा और रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जिंदगी जीने के लिए काफी पैसे भी बचे रह जाएंगे। 

उदाहरण के लिए, आपके पास 12 लाख रुपये का पीएफ बैलेंस है और आप 20 लाख रुपये का घर खरीदना चाहते हैं। ऐसे में आप पीएफ जमा से 2.5 लाख रुपये से 4 लाख रुपये तक निकालने सकते हैं और 16 लाख रुपये से 17.5 लाख के आकर्षक होम लोन ले सकते हैं। 

>ईपीएफ विकल्प के अपनाने के फायदे
- यह आपको बिना ब्याज या कम ब्याज का भुगतान कर घर खरीदने या
बनाने की सहुलियत देता है। 
-उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिनको घर खरीदने या बनाने के उद्देश्य को पूरा 
करने के लिए कुछ रुपये की जरूरत होती है। 

>ईपीएफ विकल्प का नुकसान: लेकिन, अगर आप पीएफ विकल्प अपनाते हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हैं...
- रिटायरमेंट कॉरपस को घर खरीदने और निर्माण के महंगे सौदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- आप सेवानिवृत्ति के बाद का आनंद लेने के लिए बहुत कम या लगभग कुछ भी नहीं छोड़ते हैं
-अन्य बचत किए बिना पीएफ विकल्प प्राप्त करना आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है
> ईपीएफ विकल्प का लाभ किसे उठाना चाहिए और किसे नहीं ?
​​भविष्य निधि जमा का उपयोग करना चाहिए या नहीं, यह  समग्र ईपीएफ योगदान, वित्तीय स्थिति और  व्यक्ति के लक्ष्यों पर निर्भर करता है। अगर आपके रिटायरमेंट में काफी लंबा वक्त है और पीएफ में काफी पैसे पड़े हैं, तो फिर कुछ होम लोन लेकर घर का सौदा कर सकते हैं। लेकिन, नए लोगों को अपने पीएफ के पैसे का इस्तेमाल घर खरीदने या उसकी मरम्मती के लिए करने से बचना चाहिए और कुछ समय का इंतजार करना चाहिए। 

आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ईपीएफ का प्राथमिक उद्देश्य अपने सदस्यों के लिए सेवानिवृत्ति में आय सुनिश्चित करना है। यदि आप इस फंड से वापस लेते हैं, तो आपको लंबे समय तक बढ़ने वाले ग्रोथ रिटर्न के फायदे से बाहर निकलना होगा। फिर आपको अपनी सेवानिवृत्ति निधि फिर से बनाने के लिए एक नया रास्ता चुनना पड़ेगा जो कि चुनौतीपूर्ण से कम नहीं होगा। 

तो. यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आपको अपने पीएफ के पैसे से घर चाहिए या फिर आरामदायक रिटायरमेंट। 
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
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Rajanish Kant मंगलवार, 25 अप्रैल 2017
मुंबई में घर खरीदने वालों, नियम बदल गए हैं, जानिए कैसे उठाएंगे फायदा
अगर आप मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में कहीं भी घर खरीदने का मन बना रहे हैं, तो पहले रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े नए नियम जान लें। राज्य सरकार ने नए नियम बनाए हैं। हाउसिंग विभाग ने इन नियमों को जारी भी कर दिया है। इनमें बिल्डर, रियल एस्टेट एजेंट पर लगाम लगाने के साथ-साथ आपके फायदे वाले भी कुछ नियम हैं। ये नियम आपके लिए जानना जरूरी है, क्योंकि फ्लैट खरीदने के लिए आप अपनी सालों की गाढ़ी कमाई खर्च करेंगे। फिर घर तो  इनोशनल एसेट और इन्वेस्टमेंट भी होते हैं, तो भला बिना कायदा-कानून जानें घर खरीदने में तो कोई समझदारी है नहीं। जैसे 10-20 रुपए की सब्जी के बारे में पहले पूरी तफ्तीश करते हैं, वैसी ही पड़ताल तो लाखों-करोड़ों का घर खरीदने से पहले भी तो करना चाहिए आपको। नए नियम इस साल एक मई से लागू हो जाएंगे। तो, कुछ नियम के बारे में यहां जान लीजिए...

> डेवलपर्स को अपने जारी प्रोजेक्ट और नए प्रोजेक्ट की सारी डीटेल्स की जानकारी देनी होगी। उनको यह जानकारी रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट) अथॉरिटी की वेबसाइट पर देनी होगी। साथ ही उनको हर तिमाही अपडेट भी करना होगा। 

> बिल्डर्स को प्रॉपर्टीज की टाइटल्स, मंजूर प्लान, फ्लैट और फ्लोर की कुल संख्या के अलावा कार्पेट एरिया की भी जानकारी देनी होगी। 

> बिल्डर्स को रजिस्ट्रेशन के लिए कम से कम 50 हजार रुपए और अधिकतम 10 लाख रुपए देने होंगे। 

>यही नहीं, डेवलपर्स को उनके प्रोजेक्ट से जुड़े सारे रियल एस्टेट एजेंट्स की जानकारी और साथ ही स्ट्रक्चर इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स और ठेकेदारों के नाम और पते देने होंगे। 

> प्लॉट की विस्तृत जानकारी देनी होगी। प्लॉट का अक्षांश और देशांतर भी बताना होगा। 

 > रेरा के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने पर बिल्डर्स को तीन साल की जेल का प्रावधान है। 

> अगर ग्राहक बिल्डर्स या प्रोमोटर्स को कुल करारनाम राशि का 10 प्रतिशत से अधिक रकम का भुगतान कर दे तो बिल्डर को ग्राहक के साथ लिखित करार करना अनिवार्य है

>कोई भी करार अचानक से रद्द नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से कम से कम 15 दिन पहले बिल्डर्स को ग्राहकों को ई-मेल और रजिस्टर्ड पोस्ट से इसकी जानकारी देनी होगी। 

>बिल्डर्स करार तभी रद्द कर सकता है, जब ग्राहक भुगतान करने में तीन बार से ज्यादा डिफॉल्ट किया है। 

>बिल्डर्स को यह घोषणा करनी होगी कि वह किसी भी ग्राउंड पर ग्राहकों के साथ भेदभाव नहीं करेगा। 

>बिल्डर्स को फ्लैट के निर्माण की देरी की स्थिति में  ग्राहकों को मुआवजा देना होगा। मुआवजे की रकम 
बिल्डर्स और ग्राहक की आपसी सहमति से तय होगी जिसका जिक्र करार में करना होगा। 

>प्रोजेक्ट के 51 प्रतिशत फ्लैट बिकने, या अलॉट होने या फिर बुक होने की स्थिति में बिल्डर्स को सोसायटी का 
निर्माण करना अनिवार्य होगा। सोसायटी का निर्माण 51 प्रतिशत फ्लैट बिकने, बुक होने या अलॉट होने की तारीख के तीन महीने के भीतर करना होगा 

>ऑक्यूपेंसी की तारीख के तीन महीने के भीतर बिल्डिंग कन्वेंस (Conveyance) जरूरी है   

> घर खरीदार को ऑक्यूपेंसी और बिल्डिंग कन्वेंस (Conveyance) की रसीद मिलने की तारीख 
के 15 दिनों के भीतर फ्लैट लेना होगा

> रियल एस्टेट एजेंट को बिल्डर्स या प्रोमोटर्स के अलावा रेरा अथॉरिटी के साथ भी रजिस्टर्ड कराना होगा।

> रियल एस्टेट एजेंट को रजिस्ट्रेशन के लिए रेरा अथॉरिटी को 10 हजार रुपए देने होंगे और अगर एजेंट कोई
कंपनी है तो उसे एक लाख रुपए देने होंगे। 

> अगर यह साबित हो जाए कि रियल एस्टेट एजेंट ने ग्राहक को दिग्भ्रमित किया है या फिर गलत सूचनाएं दी है
तो उसे सेल अमाउंट का 10 प्रतिशत जुर्माना देना होगा। 

तो, घर खरीदने से पहले इन नियमों को जान लीजिए.....
((अब पता चला कि ज्यादातर भारतीय घर क्यों नहीं खरीदते हैं?  
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