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समान मासिक किस्तों (EMI) आधारित व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) पर अस्थायी (Floating) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने समान मासिक किस्तों (EMI) आधारित व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan) पर अस्थायी (Floating) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण के संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। इसे बैंकों को लागू करना है। इसे लोन ग्राहकों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना को आप हूबहू यहां पढ़ सकते हैं- 


सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (आवास वित्त कंपनियों सहित)

महोदया / महोदय,

समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण1 पर अस्थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण

कृपया हमारा दिनांक 01 जुलाई 2015 का परिपत्र क्रमांक डीबीआर.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16दिनांक 01 सितम्बर 2016 के मास्टर दिशानिर्देश संख्या.डीएनबीआर.पीडी.007/03.10.119/2016-17दिनांक 01 सितंबर 2016 का मास्टर दिशानिर्देश संख्या डीएनबीआर.पीडी.008/03.10.119/2016-17 और दिनांक 17 फरवरी 2021 का मास्टर दिशानिर्देश संख्या विवि.एफ़आईएन.एचएफ़सी.सीसी.सं.120/03.10.136/2020-21 देखें, जिसके अंतर्गत ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता से संबंधित दिशानिर्देश क्रमशः एससीबी, एनबीएफसी और एचएफसी को जारी किए गए हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा निर्देशों अनुसार, विनियमित संस्थाओं (आरई) को सभी श्रेणियों के अग्रिमों को निश्चित या फ्लोटिंग ब्याज दरों के आधार पर देने की स्वतंत्रता है।

2. ईएमआई आधारित अस्थायी दर वाले व्यक्तिगत ऋणों की स्वीकृति प्रदान करते समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता को ध्यान में रखना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऋण की अवधि के दौरान बाहरी बेंचमार्क दर में संभावित वृद्धि के परिदृश्य में अवधि बढ़ाने और/या ईएमआई में वृद्धि के लिए पर्याप्त हेडरूम/मार्जिन उपलब्ध है। हालाँकि, ईएमआई आधारित अस्थायी दर वाले व्यक्तिगत ऋणों के संबंध में, बढ़ती ब्याज दरों को ध्यान में रखते हुए, उधारकर्ताओं के साथ उचित पत्र व्यवहार और/या सहमति के बिना ऋण की अवधि बढ़ाने और/या ईएमआई राशि में वृद्धि से संबंधित कई उपभोक्ता शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इन चिंताओं के समाधान के लिए, आरई को कार्यान्वयन और अनुपालन के लिए निम्नलिखित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक उचित नीति ढांचा तैयार करने हेतु सूचित किया जाता है:

  1. मंजूरी के समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं को ऋण पर बेंचमार्क ब्याज दर में बदलाव के कारण ईएमआई और/या अवधि अथवा दोनों में होने वाले सभी संभावित प्रभावों के संबंध में स्पष्ट रूप से सूचित करना होगा। इसके बाद, उपर्युक्त के कारण ईएमआई/अवधि अथवा दोनों में कोई भी वृद्धि होती है तो उक्त के संबंध में उधारकर्ता को उचित माध्यमों से तुरंत सूचित करना होगा।

  2. ब्याज दरों के पुनर्निर्धारण के समय, आरई द्वारा उधारकर्ताओं को अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार एक निश्चित दर पर स्विच करने का विकल्प प्रदान किया जाएगा। नीति में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी निर्दिष्ट किया जाए कि उधारकर्ता को ऋण की अवधि के दौरान कितनी बार स्विच करने की अनुमति दी जाएगी।

  3. उधारकर्ताओं को (i) ईएमआई में वृद्धि या अवधि में वृद्धि या दोनों विकल्पों के संयोजन के लिए; और, (ii) ऋण की अवधि के दौरान किसी भी समय, या तो आंशिक या पूर्ण रूप से पूर्व भुगतान करने का विकल्प चुनने का विकल्प भी दिया जाएगा। पुरोबंध शुल्क/पूर्व-भुगतान जुर्माना लगाना वर्तमान निर्देशों के अधीन होगा।

  4. ऋणों को अस्थायी दर से निश्चित दर पर स्विच करने के लिए सभी लागू शुल्क और उक्त विकल्पों के प्रयोग के लिए प्रासंगिक कोई अन्य सेवा शुल्क/प्रशासनिक लागत मंजूरी पत्र में और समय-समय पर आरई द्वारा ऐसे शुल्कों/लागतों के संशोधन के समय भी पारदर्शी रूप से प्रकट किया जाए।

  5. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि अस्थायी दर के मामले में अवधि बढ़ने से नकारात्मक परिशोधन (निगेटिव अमोर्टिजेसन) न हो।

  6. आरई द्वारा प्रत्येक तिमाही के अंत में उचित माध्यमों से उधारकर्ताओं के लिए एक विवरण साझा / सुलभ कराया जाएगा, जिसमें न्यूनतम, अब तक वसूल किए गए मूलधन और ब्याज, ईएमआई राशि, शेष ईएमआई की संख्या और ऋण की पूरी अवधि के लिए वार्षिक ब्याज दर / वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) की गणना होगी। आरई द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उक्त विवरण सरल हों और उधारकर्ता इन्हें आसानी से समझ सकें।

3. समान मासिक किस्त वाले ऋणों के अलावा, ये अनुदेश, यथोचित परिवर्तनों के साथ, विभिन्न आवधिकों के सभी समान किस्त आधारित ऋणों पर भी लागू होंगे। बाहरी बेंचमार्क ऋण दर (ईबीएलआर) व्यवस्था के तहत बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों के मामलों में, बैंकों को मौजूदा अनुदेशों का अनुपालन करना आवश्यक होगा और बेंचमार्क दर परिवर्तन का ऋण दर में संचरण की निगरानी के लिए पर्याप्त सूचना प्रणाली भी लगानी होगी।

4. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि उक्त अनुदेश मौजूदा और साथ ही नए ऋणों पर 31 दिसंबर 2023 तक उपयुक्त रूप से लागू किए जाएं। सभी मौजूदा उधारकर्ताओं को उचित माध्यमों से एक सूचना भेजी जाए, जिसमें उन्हें उपलब्ध विकल्पों की जानकारी दी जाएगी।

5. उपर्युक्त अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और 32 के तहत जारी किए गए हैं।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शनिवार, 2 सितंबर 2023
EMI बाउंस पेनाल्टी पर RBI का नया नियम II RBI New Rules II
Big Relief on EMI Bounce Penalty होम लोन की ईएमआई चूक जाने पर बैंक मनमाने तरीके से जुर्माना लगा देते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। लेकिन अब ये मनमानी बंद होगी। पूरी खबर जानने के लिए इस वीडियो को अंत तक देखिये।

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Rajanish Kant बुधवार, 23 अगस्त 2023
Home Loan पर राहत के संबंध में नई गाइडलाइंस II RBI New Rules II
Big Relief To Home Loan Borrowers होम लोन की ईएमआई बढ़ाने में बैंक मनमानी करते हैं, लेकिन अब ये मनमानी बंद होगी। पूरी खबर जानने के लिए इस वीडियो को अंत तक देखिये।


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Rajanish Kant रविवार, 20 अगस्त 2023
EMI की मनमानी पर बैंकों को लताड़!
Greater transparency in Interest Rate Reset of EMI based Floating Interest Loans भारतीय रिजर्व बैंक ने बैकों को बिना ग्राहकों की जानकारी के उनके लोन पर ईएमआई बढ़ाने पर लताड़ लगाई है। आरबीआई ने अगस्त 2023 बैठक के दौरान लताड़ लगाई। आरबीआई ने इस बैठक में और क्या क्या फैसला लिया, ये जानने के लिए इस एपिसोड को अंत तक देखें।


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Rajanish Kant गुरुवार, 10 अगस्त 2023
RBI MPC की बैठक जारी, 8 जून को ब्याज दर पर आएगा फैसला, क्या EMI घटेगी?


देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) की प्रमुख दरों पर फैसला लेने के लिए आज से बैठक शुरू हो गई है। 8 जून को प्रमुख दरों पर महत्वपूर्ण ऐलान किया जाएगा। अप्रैल में हुई बैठक में प्रमुख दरों को जस का तस रखा गया था। जानकारों के मुताबिक, इस बार भी प्रमुख दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। 

>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)

नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%

आधार दर: 8.75% - 10.10%

एमसीएलआर (ओवरनाइट): 7.90% - 8.50%

बचत जमा दर: 2.70% - 3.00%

सावधि जमा दर > 1 वर्ष: 6.00% - 7.25%


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Rajanish Kant मंगलवार, 6 जून 2023
Thank You ModiJi! 'महंगाई' लोगों के बचाए रुपए-पैसे चुरा रही है, मुश्किल दौर में आम जनता!


मोदी राज से आप खुश रहें, मोदी जी की वाहवाही करें, बात बात में थैक्यू मोदी जी कहें, अच्छी बात है, लेकिन कभी फुरसत में आराम से बैठकर गौर से सोचिएगा कि कुछ समय पहले तक आप अपनी कमाई में से जितना बचा पता थे, क्या आज बचा पा रहे हैं? आज की बचत कल के लिए खर्च करने में काम आता है और आपकी भविष्य की जिंदगी में आराम लाती है। बचत और निवेश आपके फाइनेंशियल सफर को सुहाना बनाते हैं। 

आम लोगों की बचत को लेकर एक हैरान करने वाली और डराने वाली खबर आ रही है। आप इस खबर से सचेत रहें तो ठीक है, वरना परेशानी बढ़ने ही वाली है। अंग्रेजी दैनिक अखबार बिजनस स्टेंडर्ड ने खबर छापी है। 

हाल के अनुमानों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष यानी FY 23  की पहली छमाही में भारत में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत (Financial Savings) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 4 प्रतिशत के तीन दशक के निचले स्तर तक गिर गई है, फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने इसकी जानकारी दी है। 

FY22 में, ये बचत जीडीपी का 7.3 प्रतिशत थी। बचत में यह गिरावट बताती है कि लोग अब अपनी बचत में से पैसे निकालकर अपना जरूरी खर्च कर रहे हैं यानी जीडीपी के मुकाबले बचत में आ रही गिरावट खपत में वृद्धि का संकेत देती है।

वित्त वर्ष 2022 में 17.2 ट्रिलियन रुपये की तुलना में 2023 की पहली छमाही में शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत लगभग 5.2 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि संभावना है कि प्रवृत्ति उलट सकती है, लेकिन अगर आने वाली तिमाहियों में बचत में तेजी नहीं आती है, तो खपत और निवेश दोनों को नुकसान होगा।

मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के अनुमान से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 20 प्रतिशत के स्तर की तुलना में परिवारों की कुल बचत वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में जीडीपी के 15.7 प्रतिशत पर आ गई होगी।

ब्रोकरेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च मुद्रास्फीति ने उपभोक्ताओं को अपनी बचत से खर्च करने के लिए प्रेरित किया होगा।

कम सकल वित्तीय बचत के बावजूद, घरेलू देनदारियां वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में जीडीपी के 5 प्रतिशत तक बढ़ गईं, गुप्ता ने ये भी कहा है। 

सकल घरेलू उत्पाद के लिए पहला अग्रिम अनुमान बताता है कि व्यक्तिगत वित्तीय उपभोग व्यय (पीएफसीई) कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में मामूली रूप से कम होने का अनुमान है।

त्योहारी सीजन के बाद खपत मांग में कमी आई है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि हायरिंग में मंदी, दबी हुई मांग में कमी, उच्च मुद्रास्फीति और मोर्टगेज ईएमआई में वृद्धि सहित कई कारकों के संयोजन ने कुछ अपवादों को छोड़कर विवेकाधीन श्रेणियों में मांग को प्रभावित किया है।

उपभोक्ता डेटा के अनुसार, तेजी से आगे बढ़ने वाला उपभोक्ता सामान क्षेत्र (एफएमसीजी) Q2FY23 में 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जो पिछली तिमाही की तुलना में 2 प्रतिशत कम है। एफई रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण बाजारों में वॉल्यूम में गिरावट 3.6 प्रतिशत की तेज थी, जो दो अंकों की कीमत में बढ़ोतरी और कम यूनिट ग्रोथ दोनों के कारण हुई थी।

बिजोम के आंकड़ों के अनुसार, स्टेपल और डिस्क्रिशनरी उत्पादों दोनों की मांग दिसंबर में बिक्री के क्रमिक रूप से गिरने के बाद ठीक हो गई या इससे पहले कई महीनों तक फ्लैट रही, त्योहार-भारी अक्टूबर का महीना एकमात्र अपवाद रहा।

(लेख साभार- Business Standard)

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Rajanish Kant गुरुवार, 12 जनवरी 2023