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2016-17 में IPO का धमाल, क्या 2017-18 में जारी रहेगा कमाल ?
2016-17 में आईपीओ यानी Initial Public Offering या आरंभिक सार्वजनिक निर्गम  या आरंभिक सार्वजनिक पेशकश ने जमकर धमाल मचाया। कंपनियों ने इसके जरिये 2015-16 के मुकाबले करीब दोगुनी रकम जुटायी। आईपीओ मार्केट पर नजर रखने वाली संस्था प्राइम डेटाबेस की मानें तो 2016-17 में 25 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये पूंजी बाजार से 28 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम  जुटाने में कामयाब रही। 2015-16 में यह रकम 14,500 करोड़ रुपए ही थी।

पिछले 6 सालों में कितनी कंपनियों ने आईपीओ के जरिये कितनी पूंजी जुटाई: 

वित्त वर्ष                कंपनियों की संख्या      जुटाई गई रकम (₹ करोड़)
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2016-17                         25                           28,211 (करीब)
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2015-16                         24                                 14,500
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2014-15                         8                                      2,770
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2013-14                         1                                        919
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2012-13                          9                                    6289
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2011-12                        33                                   5886
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(स्रोत  : Prime Database)

जानकारों का मानना है कि 2017-18 में भी आईपीओ की धूम जारी रहेगी और हो सकता है कि कंपनियां इसके जरिये 2016-17 के मुकाबले ज्यादा रकम जुटाये। वित्त वर्ष 2018 में धूम मचाने वाले मुख्य आईपीओ हैं- एनएसई यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया, सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेस या सीडीएसएल, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, , आईआरबी इनविट फंड, हडको, एस चांद एंड कंपनी, एरिस लाइफ साइसेंस आदि।

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Rajanish Kant गुरुवार, 30 मार्च 2017
आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें
आम बजट की जब भी बात आती है तो आम लोगों और नौकरीपेशा सबसे पहले टैक्स खासकर इनकम टैक्स से जुड़ी बातों के बारे में जानना चाहते हैं। मसलन,इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव हुआ या नहीं, टैक्स की दरों में कोई फेर-बदल हुआ कि नहीं, टैक्स छूट को लेकर प्रावधान में क्या कोई बदलाव हुआ है या नहीं, जैसे सवाल उनको परेशान करते रहते हैं, जब तक कि वो इन सबके बारे में पूरी तसल्ली से जानकारी ना ले लें। तो, हम आपके पसंदीदा ब्लॉग में इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं...

> आम बजट 2017-18 के मुताबिक, 3.5 लाख रुपए सालाना इनकम तक 2,500 रुपए छूट के साथ-साथ इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस, 50 लाख  से एक करोड़ रुपए तक की सालाना आमदनी पर 10% (इसी बजट से लागू) और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत): 

आमदनी                                      टैक्स (%)
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2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं 
---------------------------------------------------------
2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 5.15
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5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
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10 लाख-50 लाख   रु.                   30.09
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50.00 लाख-1 करोड़  रु.                 33.99
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1 करोड़ रु. और इससे अधिक           35.54
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>पिछला आम बजट यानि आम बजट 2016-17 के मुताबिक, 3.5 लाख रुपए सालाना इनकम पर 5,000 रुपए की छूट के साथ-साथ इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत): 
आमदनी                                      टैक्स (%)
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2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं 
---------------------------------------------------------------
2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 10.30
---------------------------------------------------------------
5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
----------------------------------------------------------------
10.00 लाख-1 करोड़ रु.                30.90
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1 करोड़ रु. और इससे अधिक          35.54
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आम बजट 2017-18 के प्रावधानों के मुताबिक, अपनी सैलरी या फिर अपनी कमाई के हिसाब से अब आपको कितना कर देना होगा, जानिए....
> सैलरी सालाना          पहले टैक्स              अब टैक्स                सालाना बचत
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₹3 लाख   तक            ₹0                                   ₹0                                ₹0
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₹4 लाख तक             ₹10,000                       ₹7,500                          ₹2,500
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₹5 लाख तक            ₹20,000                       ₹12,500                          ₹7,500
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₹6 लाख तक            ₹45,000                      ₹32,500                             ₹12,500
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₹7 लाख तक            ₹65,000                          ₹52,500                          ₹12,500
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₹8 लाख तक            ₹85,000                         ₹72,500                           ₹12,500
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₹9 लाख तक            ₹1,05,000                    ₹92,500                              ₹12,500
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₹10 लाख तक          ₹1,25,000                   ₹1,12,500                             ₹12,500
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नोट- टैक्स देनदारी बिना किसी कर बचत योजना में निवेश के 
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>करदाताओं या टैक्सपेयर्स के लिए बजट के मायने:
-Positive: 
*2.5-5 लाख रुपए सालाना इनकम पर टैक्स की दर 10% से घटाकर 5%
*5 लाख रुपए तक करयोग्य इनकम वालों के लिए एक पन्ने का आईटी रिटर्न फॉर्म 
*5 लाख रुपए तक करयोग्य इनकम वालों की पहली बार आईटी रिटर्न भरने पर जांच नहीं 
*एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम में सालाना डेढ़ लाख तक निवेश करने वाले सेल्फ एम्पलॉयड के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ी, पहले ग्रॉस टोटल इनकम का 10% छूट मिलता था, जिसे बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। बशर्ते कि एनपीएस में निवेश तय सीमा के भीतर हो। इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत एनपीएस में सालाना डेढ़ लाख रुपए तक के निवेश पर ही छूट है।   

-Negative:
*3.5 लाख रुपए सालाना इनकम वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए टैक्स छूट 5,000 रुपए से  घटाकर 2,500 रुपए की गई 
*प्रॉपर्टी में लोन लेकर निवेश करने पर पहले उसकी ईएमआई के ब्याज पर छूट की सीमा नहीं थी, जितना
ब्याज देना होता था, उस पूरे पर टैक्स छूट मिलती थी, लेकिन अब 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर ही (प्रॉपर्टी चाहे दूसरी या पहली) तक छूट मिलेगी। यह प्रॉपर्टी बाजार के लिए भी निगेटिव। 
*50 लाख से एक करोड़ सालाना इनकम पर 10% सरचार्ज 
*समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वाले करदाताओं को अब एसेसमेंट ईयर 2018-19 से  10,000 रुपये का जुर्माना अदा करना होगा… हालांकि यदि करदाता की वार्षिक आय पांच लाख  रुपये से कम है, तो जुर्माने की रकम 1,000 रुपये रहेग
*चैरिटेबल ट्रस्ट को कैश में चंदा देने पर कर छूट 10 हजार से घटाकर 2 हजार रुपए
*5…राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम के तहत किए गए निवेश पर आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 से 
किसी भी तरह की कटौती की इजाज़त नहीं होगी… यह बचत योजना वर्ष 2012-13 के आम बजट में घोषित की गई  थी, और यह खासतौर से उन व्यक्तिगत निवेशकों के लिए तैयार की गई थी
*इनकम टैक्स अधिकारी अब 10 साल तक के मामलों को दोबारा खोल सकते हैं, यदि तलाशी में 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय तथा संपत्ति की जानकारी मिलती है… मौजूदा नियमों के तहत टैक्स अधिकारी करदाता के सिर्फ छह साल पहले तक के खातों की जांच कर सकते हैं… इनकम टैक्स एक्ट में किया गया यह संशोधन 1 अप्रैल, 2017 से लागू होगा, और इस नियम के मुताबिक अब टैक्स अधिकारी किसी भी करदाता की वर्ष 2007 तक के खातों की जांच कर सकेंगे
*अब जायदाद की बिक्री से होने वाले लाभ पर कम टैक्स दोना पड़ेगा… लॉन्ग-टर्म गेन पाने के लिए योग्य होने की खातिर किसी जायदाद को रखने (होल्डिंग पीरियड) की अवधि तीन साल से घटाकर दो साल कर दी गई है… मौजूदा कर-नियमों के मुताबिक यदि कोई संपत्ति खरीदे जाने के तीन साल के भीतर बेच दी जाती है, तो सौदे में हुए लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है, और उस पर उसी स्लैब के तहत कर वसूला जाता है, जिस स्लैब में विक्रेता आता है
*अब व्यक्तिगत करदाताओं को 50,000 रुपये मासिक से ज़्यादा बड़ी किराये की रकम पर 5 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा… टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से सुनिश्चित हो सकेगा कि जो लोग किराये से बड़ी रकमें कमा रहे हैं, वे टैक्स के दायरे में आएं… यह नियम 1 जून, 2017 से लागू होगा…
*नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से आंशिक निकासी पर टैक्स नहीं लगेगा… प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, कोई भी एनपीएस सब्सक्राइबर रिटायरमेंट से पहले ही अपने कुल अंशदान का 25 प्रतिशत एमरजेंसी की स्थिति में निकाल सकता है… याद रखें कि रिटायरमेंट पर कुल अंशदान की 40 प्रतिशत निकासी करमुक्त है…
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>कारोबारी या बिजनेसमैन के लिए बजट के मायने:
-सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) कंपनियों को अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये तक का वार्षिक कारोबार करने वाली छोटी कंपनियों के लिए आयकर घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.
- सरकार ने न्‍यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) का उपयोग 10 वर्ष की बजाय 15 वर्ष की अवधि तक करने की अनुमति दी. बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए अनुमत प्रावधान को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया गया है. 
-एलएनजी पर मूल सीमा शुल्‍क पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत किया गया है.
-सरकार ने पिछले साल कुछ निश्चित शर्तों पर स्‍टार्ट अप्‍स को भी आयकर में रियायत दी थी. ऐसे स्‍टार्ट अप्‍स के संबंध में हानियों को बाद के वर्षों के लेखा-जोखा में समाहित करने के लिए मताधिकार के 51 प्रतिशत की निरंतर शेयरधारिता बनाये रखने की शर्त में इस शर्त के अधीन ढील दी गई है कि मूल प्रोमोटर/प्रोमोटरों की शेयरधारिता जारी रहेगी. इसके अलावा स्‍टार्ट अप्‍स को 5 में से 3 वर्षों के लिए लाभ से जुड़ी कटौती की रियायत को बदलकर 7 में से 3 वर्ष किया जा रहा है.

-बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए अनुमत प्रावधान को  7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया है. इससे बैंकों की देनदारी कम होगी. उन्‍होंने सभी अनुसूचित बैंकों के अनुसार सभी गैर-अनुसूचित सहकारी बैंकों के एनपीए खातों के संबंध में एक्रूअल आधार की बजाय वास्‍तविक प्राप्ति पर प्राप्‍त होने वाले ब्‍याज पर कर लगाने का प्रस्‍ताव किया गया है. इससे ब्‍याज आय प्राप्‍त न होने पर भी कर भुगतान करने का कष्‍ट समाप्‍त होगा.

-छोटो करदाताओं के लिए जिनकी आय किसी बिजनेस ये पेशे से होती है के लिए अब बहुत ही आसान एक पेज का टैक्स रिटर्न फॉर्म उपलब्ध होगा।
-आयकर की धारा 143 के अंतर्गत पहली बार टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं की स्क्रूटनी नहीं की जाएगी।
-मैट के दायरे में आने वाले छोटे व्यापारी अब 15 साल के अपने घाटे को कैरी फॉवर्ड कर सकेंगे, पहले यह सीमा 10 साल थी।
-करदाताओं के पास अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में छूट प्राप्त करने के ज्यादा विकल्प होंगे, ऐसा वो मान्य बॉन्ड में निवेश कर कर सकेंगे। आयकर की धारा 54EC के अंतर्गत 50 लाख तक का (u/s) लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
-कॉल सेंटर का कारोबार करने वाले व्यक्ति की तरफ से किए जाने वाले टीडीएस भुगतान की दर को घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह दर 10 फीसदी थी।
-2 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले छोटे बिजनेसमैन की ओर से डिजिटल माध्यम (चेक, डीडी या बैंक के माध्यम से ईसीएस) से किए जाने वाले प्रकल्पित कराधान की दर (Rate of presumptive taxation) को 8 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
-पेशेवरों के लिए मार्च तक एक किश्त में अग्रिम कर का भुगतान करना आवश्यक होगा। अभी तक ऐसे लोग तीन किश्तों में भुगतान करते हैं।
-1 अप्रैल 1981 से लेकर 1 अप्रैल 2001 तक प्रॉपर्टी शिफ्टर की काउंटिंग कास्ट का बेस रेट निश्चित रूप से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को कम कर देगा, जिससे की टैक्स देनदारी भी कम हो जाएगी
-किसी भी बिजनेस या पेशे से आय अर्जित न करने वाले छोटे करदाताओं के लिए अधिक सरल और एक पेज का इनकम टैक्‍स रिटर्न फॉर्म पेश किया गया है।

> 3 लाख रुपए तक आय कर मुक्त कैसे:
 वैसे तो 2.5 लाख रुपए तक सालाना आय पर कर नहीं देना है लेकिन 2.5-5 लाख रुपए आयकर के दायरे में आने वालों को 2,500 रुपए अतिरिक्त कर छूट मिलेगी, जो कि पहले 5 हजार रुपए थी। अगर 2,500 रुपए और कर छूट मिल रही है और इस स्लैब में आने वालों पर कर की दरें 5% कर दी गई है जो कि पहले 10% थी, तो इसका मतलब हुआ कि 2.5 लाख के अलावा और 50 हजार (50,000X5/100=2,500 रु.) यानी कुल 3 लाख 
रुपए तक की सालाना करमुक्त है। 

>4.5 लाख रुपए तक सालाना आय पर ऐसे बचेगा आयकर :
-2,500   रुपए अतिरिक्त कर छूट के साथ कर 3 लाख रुपए सालाना इनकम कर मुक्त 
-आयकर की धारा 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपए सालाना निवेश करमुक्त यानी 3 लाख +1.5 लाख= 4.5 लाख रुपए की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स 

>धारा 80 सी के तहत आने वाले निवेश साधन:
-पीपीएफ: पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) में पैसे डालकर आप अपना भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही टैक्स भी बचा सकते हैं. पीपीएफ में किया गया निवेश टैक्स फ्री है साथ ही इस पर मिलने वाला ब्याज भी  टैक्स फ्री है. साथ ही मैच्योरिटी के समय मिलने वाली राशि भी टैक्स फ्री होती है. पीपीएफ में 15 साल का लॉक इन  पीरियड होता है लेकिन पीपीएफ में निवेश की गई राशि का 50 फीसदी हिस्सा आप 7 साल बाद निकाल सकते हैं.
-सुकन्या समृद्धि योजना (सिर्फ दो बेटियों तक ही सुविधा सीमित): मोदी सरकार ने ख़ासतौर से बेटियों के लिए एक स्कीम शुरू की थी जिसके जरिए आप बेटी का भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही टैक्स भी बचा सकते हैं. बैंक या पोस्ट ऑफिस में सुकन्या समृद्धि अकाउंट खुलवाकर हर साल कम से कम 1000 और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. इस पर मिलने वाले ब्याज़ की समीक्षा होती रहती है। बेटी के 21 साल के होने पर ही ये पैसे निकाल सकते हैं. इस कोष में डाली गई रकम पर भी आपको टैक्स बेनेफिट मिलता है.
-जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान
-पेंशन योजना जैसे एनपीएस
-म्युचुअल फंड के इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश
-राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी-नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट) में निवेश
-टैक्स सेविंग बैंक एफडी (कर बचाने वाले मीयादी जमा बैंकों द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाता है। ब्याज भी कर योग्य होते हैं।)
-आवासीय ऋणों के मूलधन अदायगी के लिए भुगतान. इसके अलावा किसी भी पंजीकरण शुल्क या स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान.
-बच्चों के लिए किसी भी स्कूल या कॉलेज या विश्वविद्यालय या इसी तरह की संस्था को ट्यूशन फीस के रूप में किया गया भुगतान. (केवल 2 बच्चों के लिए) या विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग शुल्क के लिए.
-डाकघर निवेश

> और कहां-कहां निवेश पर छूट: 
-धारा 80CCF: इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश
-धारा 80 डी: 8. मेडिकल इंश्योरेंसः इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत 25,000 रुपये तक का मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम टैक्स फ्री है. यदि आपने अपने माता-पिता का भी मेडिक्लेम किया है और उनकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है, तो 30,000 रुपये तक की प्रीमियम राशि करमुक्त होगी यानी साल में आप 55 हज़ार टैक्स बचा सकते हैं. धारा 80 डी- 15,000 रुपये का मेडिकल इन्श्योरेंन्स खुद के लिए, पति या पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए कटेगा और 20,000 रुपये मेडिकल इन्श्योरेंन्स अपने 60 वर्ष से ऊपर माता-पिता के लिए.

-आवास लोन के ब्याज पर (जब हम ईएमआई भरते हैं तो उसमें मूलधन के अलावा ब्याज भी जुड़ा रहता है। आपकी ईएमआई में  ब्याज का कितना हिस्सा है, इसे आप अपने बैंक से बात करके पता कर सकते हैं।) ख़ुद की प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए होम लोन पर दिया गया 2 लाख तक का ब्याज टैक्स फ्री रहेगा. यदि पति-पत्नी दोनों वर्किंग हैं, तो दोनों के नाम पर लोन होने से दोनों को टैक्स बेनिफिट मिलेगा. तो किराया देने से बेहतर है कि खुद का घर खरीदें और ईएमआई चुकाने पर टैक्स बचाएं. होम लोन के लिए अदा किए गए ब्याज़ पर सालाना 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट है.

-डोनेशन देने पर भी आप छूट के हकदार होते हैं। लेकिन इसके तहत लाभ पाने के लिए कुछ शर्तें हैं। छूट की सीमा इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस संस्थान को डोनेशन दिया है। लेकिन अगर आप 2000 रुपये से ज्यादा डोनेशन नकद देते हैं तो आपको छूट नहीं मिलेगी।
- 80 सीसीडी के तहत एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) के रूप में 50,000 रुपये का निवेश टैक्स फ्री है. सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख टैक्स बचाने के साथ ही आप एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) में सालाना 50,000 रुपये तक निवेश करके टैक्स छूट का फ़ायदा उठा सकते हैं. 2015 के बजट में सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80 सीसीडी के तहत सालाना 50,000 रुपये एनपीएस में निवेश को करमुक्त कर दिया. तो इस स्कीम का फायदा उठाएं और पैसा बचाने के साथ टैक्स भी बचाएं.
-यदि आप 80सी के तहत निवेश नहीं कर पाए हैं तो हाउस रेंट अलाउंस यानी एचआरए के जरिए भी टैक्स सेविंग कर सकते हैं. किराए के मकान में रहते  हैं, तो रेंट स्लिप दिखाकर एक निश्‍चित सीमा तक टैक्स में छूट का फायदा उठा सकते हैं.

 उपरोक्त निवेश साधनों का इस्तेमाल एक व्यक्ति को कर के रूप में धन का भुगतान करने से बचाता है यदि वह कर दायरे में आता है, इसे एक निवेश-लाभ के अवसर के रूप में अधिक देखा जाना चाहिए। व्यक्ति को तब भी आयकर दाखिल करना चाहिए, जब वह कोई कर नहीं दे रहा है। ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) और एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) को छोड़कर, 80C के तहत अन्य योजनाएं आम तौर पर एक अपेक्षाकृत जोखिम मुक्त निवेश और लाभ की गारंटी प्रदान करती हैं।

-लीव ट्रेवल अलाउंसः यदि कंपनी आपको ट्रैवलिंग अलाउंस देती है, तो 19,200 रुपये तक किए गए खर्च पर टैक्स नहीं लगेगा. लीव ट्रेवल अलाउंस के तहत एक सीमा के भीतर घरेलू यात्राओं में सेक्शन 10(5) के अंतर्गत छूट मिलती है.

>अगर 2017-18 में आसानी से कुल कर बचत की बात करें, तो 3 लाख + 1.50 लाख (80 सी वाला निवेश साधन) + 50 हजार (एनपीएस पर अतिरिक्त 50 हजार) + 55 हजार (मेडिकल इंश्योरेंस पर) + 2 लाख (होम लोन के ब्याज पर) + 2,000 (डोनेशन देने पर) = 7,57,000 रुपए यानी सालाना इनकम पर आप टैक्स बचा सकते हैं। 

((आम बजट 2017-18: आपको कितना इनकम टैक्स देना होगा, जानिए...
((आम बजट 2017-18: अब 2.5-5 लाख की सालाना करयोग्य आमदनी पर 10% के बजाय 5% टैक्स देना पड़ेगा
((आम बजट: 2017-18- जानिए किस सेक्टर के लिए कितनी राशि का आवंटन किया गया
((आम बजट 2017-18: कारोबार को सुगम बनाने के लिए कई घोषणाएं
((आम बजट 2016-17 को ग्राफिक्स के जरिए जानें 
((आम बजट 2016-17: आपके पैसों से जुड़े प्रस्ताव और उनके संभावित असर 
((वित्त वर्ष 2016-17 के वित्तीय सफर को कैसे बनाएं शानदार 
((आम बजट 2016-17: इनकम टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं, लेकिन छोटे करदाताओं, किराएदारों को बड़ी राहत
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((कैसे करें  ऑनलाइन IT रिटर्न फाइल, जानें beyourmoneymanager पर
((आयकर (इनकम टैक्स) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
(फिशिंग (जालसाजी) क्या है, कैसे होते हैं इसके नमूने, इससे बचाव के उपाय
((इनकम टैक्स का नोटिस मिला है, क्या करूं ? 
((टैक्स फ्री बॉन्ड, एफडी, पीपीएफ में बेहतर कौन ? 
((सुकन्या समृद्धि योजना (SSY),PPF या फिर टैक्स सेविंग FD !
((NPS और PF में से बेहतर कौन ?
((अबकी बार, अप्रैल से ही शुरू कर दें टैक्स प्लान 
((अप्रैल खत्म, टैक्स प्लानिंग की गाड़ी आगे बढ़ी या नहीं
((इनकम टैक्स कितना है चुकाना, मुश्किल नहीं गणना करना (वित्त वर्ष 2015-16 के लिए)
((आय के संयोजन (Clubbing of Income) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
(पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स-Capital Gains) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
((पैन (PAN) और टैन (TAN) में क्या अंतर है
((जाने कर मुक्त (टैक्स फ्री) आमदनी के बारे में
((गृह संपत्ति के तहत किस आमदनी पर कर लागू किया जाता है ?
(उपहार को लेकर कर के प्रावधानों के बारे में जानें
((टैक्सपेयर्स की आय में कौन-कौन सी कैटेगरी शामिल है
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Rajanish Kant गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017
आम बजट 2017-18: कारोबार को सुगम बनाने के लिए कई घोषणाएं




सुगमता से व्यापार के लिए कई उपायों की घोषणा
व्यापार करने में सुगमता का माहौल विकसित करने कि सरकार की नीति के तहत वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने लोक सभा में आम बजट 2017-18 पेश करते हुए कई अन्यम उपायों की घोषणा की।

वित्तर मंत्री ने अनुमानित आय योजना का विकल्प चुनने वाले व्यातवसायिक उद्यमियों की लेखा-परीक्षा के लिए प्रारंभिक सीमा एक करोड़ रु. से बढ़ाकर दो करोड़ रु. करने का प्रस्तााव किया। इसी प्रकार विशिष्टिरयों और हिन्दून अविभाजित परिवारों के लिए बहियों के रखरखाव की प्रारंभिक सीमा 10 लाख रु. टर्नओवर से बढ़ाकर 25 लाख अथवा आय को 1.2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख करना प्रस्ता वित किया।

श्री जेटली ने श्रेणी-I एवं श्रेणी–II के विदेशी पोर्टफोलियों निवेशक को अप्रत्यटक्ष अंतरण उपबंध से छूट प्रदान करने का प्रस्ताrव भी पेश किया। साथ ही उन्होंयने स्पअष्ट किया कि भारत में कर-प्रभार्य निवेश के शोधन या बिक्री के परिणाम स्व रूप या इससे उत्पसन्नय भारत से बाहर शेयरों के शोधन या ब्यानज के मामले में अप्रत्यरक्ष अंतरण प्रावधान लागू नहीं होंगे।

व्येक्तियगत बीमा एजेंटो को राहत देने के मकसद से श्री जेटली ने उन्हें टीडीएस की कटौती से छूट प्रदान करने का प्रस्तााव भी पेश किया। साथ ही उन्हों ने स्पकष्ट किया कि बीमा एजेंटों को स्व घोषणा करनी होगी कि उनकी आय कर योग्यौ सीमा से कम है। अब तक, व्यपक्तिनगत बीमा एजेंटों को देय कमीशन में 5 प्रतिशत टीडीएस की कटौती की जाती है।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant बुधवार, 1 फ़रवरी 2017
आम बजट: 2017-18- जानिए किस सेक्टर के लिए कितनी राशि का आवंटन किया गया
केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद में बजट पेश किया
वर्ष 2017-18 के बजट में कुल व्यय 21.47 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और इससे व्या पक प्रभाव पड़ने एवं विकास की रफ्तार तेज होने की आशा है।
राज्योंस और विधानसभा वाले केन्द्र  शासित प्रदेशों को कुल मिलाकर 4.11 लाख करोड़ रुपये अंतरित किए जा रहे हैंजबकि वर्ष 2016-17 के बजट अनुमान में यह राशि 3.60 लाख करोड़ रुपये थी।
पेंशन को छोड़ रक्षा व्यजय 2,74,114 करोड़ रुपये का है।
पहली बार आम बजट के साथ एक समेकित आउटकम बजट भी पेश किया गया हैजिसमें सभी मंत्रालयों एवं विभागों को कवर किया गया है।
श्री जेटली ने विशेष जोर देते हुए कहा कि अगले वर्ष के लिए राजस्वय घाटा 1.9 प्रतिशत तय किया गया हैजबकि एफआरबीएम अधिनियम में यह 2 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक वृद्धि के इंजन के रूप में देखा जाता है, और उम्मीद है कि वर्ष 2017 में भारत, दुनिया की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा
विमुद्रीकरण को जनता के हित में किए गए कार्य की संज्ञा देते हुए वित्त मंत्री ने महात्मा गांधी की बात को दोहराते हुए कहा कि सही दिशा में किया गया कार्य कभी भी असफल नहीं होता
श्री जेटली ने कहा कि हमारा एजेंडा प्रशासन की गुणवत्ता, समाज के विभिन्न तबकों में शक्ति का संचार कर उन्हें समर्थ बनाना और देश को भ्रष्टाचार, काला धन एवं अपारदर्शी राजनीतिक वित्तपोषण की बुराइयों को समाप्त करना है
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारा ध्यान मौद्रिक पहलुओं को संयमित रखकर ग्रामीण क्षेत्र का विकास, बुनियादी अवसंरचना को बढ़ावा देने एवं गरीबी उन्मूलन के लिए अधिक से अधिक धन खर्च करने पर है।
वर्ष 2019 अर्थात् महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक सरकार एक करोड़ परिवारों को ग़रीबी से निजात दिलाने50,000 ग्राम पंचायतों को गरीबी मुक्त बनाने के लिए अंत्योदय मिशन पर काम करेगी।
ग्रामीण स्तर पर महिला शक्ति केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।
महिला एवं बाल कल्याण के लिए बजट अनुमान 2016-17 के 1,56,528 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाकर बजट 2017-18 में 1,84,632 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया
बुनियादी विकास के लिए वर्ष 2017-18 में 3,96,135 करोड़ रुपये आवंटित
रेलवे व्यय 1,31,000 करोड़ रुपये प्रस्तावित, 55,000 करोड़ रुपये सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।
2017-18 में ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एक्सपोर्ट स्कीम योजना की शुरुआत की जाएगी
एफडीआई नीतियों में कई अन्य उदारवादी कदम विचाराधीन
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को वर्ष 2017-18 में समाप्त किया जाएगा
अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू निजी क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनियों के प्रदर्शन के समकक्ष पहुंचने के लिए एक एकीकृत सार्वजनिक क्षेत्र का ऑयल मेजर प्रस्तावित

केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद में बजट 2017-18 पेश किया। यह पहला मौका है जब आम बजट में ही रेल बजट भी शामिल है। इस बार बजट को योजनागत एवं गैर-योजनागत श्रेणियां में वर्गीकृत भी नहीं किया गया है। ख़ास बात यह भी है कि इस बार बजट को अपने निर्धारित समय से करीब एक माह पूर्व फरवरी माह की शुरुआत में ही पेश किया गया है। वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि हमारा एजेंडा जनता के जीवन की गुणवत्ता में आमूल परिवर्तन लाने के लिए प्रशासन की गुणवत्ता में परिवर्तन हेतू टीईसी इंडिया अर्थात ट्रांसफॉर्म, एनर्जाइज़ एवं क्लीन इंडिया पर केन्द्रित रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य समाज के विभिन्न तबकों विशेषकर युवाओं एवं कमज़ोर वर्गों में शक्ति का संचार करना और देश में भ्रष्टाचार, काला धन और अपारदर्शी राजनीतिक वित्तपोषण की बुराइयों को समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक पहलुओं को संयमित रखकर ग्रामीण क्षेत्रों का विकासबुनियादी अवसंरचना को बढ़ावा देने एवं गरीबी उन्मूलन के लिए अधिक से अधिक धन खर्च करने पर हमारा विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित है। गरीबों एवं वंचितों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से निवेश को बढ़ावा और आर्थिक वृद्धि की तीव्र गति के संबंध में आर्थिक सुधारों को जारी रखा जाएगा।
बजट 2017-18 के लिए कुल व्यय 21.47 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। श्री अरुण जेटली ने कहा कि इस व्यय से कई गुना सकारात्मक प्रभाव और उच्च वृद्धि की उम्मीद है।
वर्ष 2017-18 में राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों को कुल 4.11 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जा रहे हैं, जबकि बजट अनुमान 2016-17 में यह 3.60 लाख करोड़ रुपये था।
रक्षा व्यय 2,74,114 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है, इसमें पेंशन शामिल नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के सुस्त निवेश एवं धीमी वैश्विक वृद्धि दर के मद्देनज़र अधिक सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि एफआरबीएम समिति की अनुशंसाएं उनके ध्यान में हैं कि मौद्रिक प्रबंधन के लिए सतत ऋण मुख्य आधार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट के पहलुओं पर विचार करते हुए 2017-18 के लिए वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.2 फीसदी आंका गया है। उन्होंने कहा कि वह आने वाले वर्षों में इसे 3 फीसदी करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। श्री जेटली ने इस बात पर जोर दिया कि अगले वर्ष के लिए राजस्व घाटा एफआरबीएम द्वारा निर्धारित किए गए 02 फीसदी की तुलना में 1.9 फीसदी रहेगा।
पहली बार, केन्द्रीय बजट के साथ सभी मंत्रालयों एवं विभागों को शामिल करते हुए समेकित परिणाम बजट पेश किया जा रहा है।
श्री अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि वर्ष 2017 के लिए कृषि ऋण के लक्ष्य को निर्धारित किया गया है।
श्री अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि वर्ष 2017-18 में कृषि ऋण के लिए ऐतिहासिक रूप से 10 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि प्रति बूंद अधिक फसल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक तौर पर 5000 करोड़ रुपये की संचित निधि से एक समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही कुल 40,000 करोड़ रुपये की संचित निधि से दीर्घ अवधि सिंचाई कोष भी स्थापित किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि संविदा खेती को लेकर एक आदर्शी कानून तैयार किया जाएगा और इसे राज्यों को भी भेजा जाएगा ताकि वे इसे अपना सकें। उन्होंने यह भी कहा कि तीन वर्षों में 8000 करोड़ रुपये की संचित निधि से नाबार्ड में एक दुग्थ प्रसंस्करण एवं अवसंरचना निधि की स्थापना की जाएगी। प्रारंभ में, इस निधि की शुरुआत 2000 करोड़ रुपये की संचित निधि से की जाएगी।
श्री अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि वर्ष 2019 अर्थात् महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक सरकार एक करोड़ परिवारों को ग़रीबी से निजात दिलाने, 50,000 ग्राम पंचायतों को गरीबी मुक्त बनाने के लिए अंत्योदय मिशन पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि वार्षिक वृद्धि एवं प्रत्येक वंचित परिवार के लिए स्थायी रूप से आजीविका हेतू केन्द्रित सूक्ष्म योजना के लिए मौजूद संसाधनों का अधिक कारगर तरीके से उपयोग किया जाएगा।
किसानों की आय को दोगुना करने में समर्थन करने के लिए पुनःअभिमुख मनरेगा योजना के अंतर्गत, लक्षित पांच लाख तालाबों के विपरीत मार्च 2017 तक करीब 10 लाख तालाबों का निर्माण पूरा किए जाने की उम्मीद है। इससे सूखा से प्रभावित ग्राम पंचायतों को जल की कमी से निजात मिल जाएगी। वर्ष 2016-17 में मनरेगा के अंतर्गत 38,500 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान को वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 48,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि मनरेगा के लिए आवंटित बजट में अब तक की यह सबसे बड़ी धनराशि है।
वर्ष 2011-14 की अवधि दौरान औसत 73 किलोमीटर की तुलना में वर्ष 2016-17 की अवधि के दौरान प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कों का निर्माण तेजी से बढ़कर 133 किलोमीटर सड़क निर्माण प्रतिदिन हो गया है। श्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत वर्तमान लक्ष्य को वर्ष 2019 तक पूरा करने के लिए वचनबद्ध है। वर्ष 2017-18 में इस योजना पर 19,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वहीं राज्यों के अंशदान को भी जोड़ दिया जाए तो वर्ष 2017-18 में इस योजना पर कुल मिलाकर 27,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए बजट अनुमान 2016-17 में आवंटित 15,000 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाकर बजट 2017-18 में 23,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बेघर और कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों के लिए वर्ष 2019 तक 01 करोड़ मकानों को पूरा करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) एवं ऋण समर्थन योजना के लिए आवंटन को बढ़ाकर तीन गुना से भी अधिक कर दिया गया है।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि ग्रामीण, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए वर्ष 2017-18 में 1,87,233 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 24 फीसदी अधिक है।
इस वर्ष बजट में लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से शिक्षा एवं कौशल विकास के क्षेत्र में कई नई घोषणाएं की गई हैं। वर्तमान में 60 जिलों में संचालित प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र (पीएमकेके) को देशभर में 600 से अधिक ज़िलों में विस्तारित करना प्रस्तावित है।
4,000 करोड़ रुपये की लागत से 3.5 करोड़ युवाओं को बाज़ार संगत प्रशिक्षण मुहैया कराने हेतू आजीविका विकास के लिए कौशल एवं ज्ञान जागरूकता (संकल्प - एसएएनकेएएलपी) कार्यक्रम की घोषणा की गई है। औद्योगिक मूल्यवर्धन हेतू कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव) का अगला चरण वर्ष 2017-18 में 2,200 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में दिए जा रहे व्यावसायिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता एवं बाजार संगतता में सुधार करना और उद्योग समूहों के जरिए प्रशिक्षु पाठ्यक्रमों को सुदृढ़ करना है।
उच्च शिक्षण संस्थाओं में सभी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने के लिए स्वायत्त एवं स्व-संपोषित प्रमुख समीक्षा संगठन के रूप में एक राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) की स्थापना किए जाने का प्रस्ताव है।
सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर कम से कम 350 पाठ्यक्रमों को पढ़ाने के लिए स्वयं नामक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू करने का प्रस्ताव है। इन पाठ्यक्रमों को सर्वोत्म अध्यापकों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जाएगा। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को आभासी रूप से पाठ्यक्रम में उपस्थित होने, उच्च गुणवत्ता वाले पठन संसाधनों तक पहुंच, वाद-विवाद मंचों पर भागीदारी एवं परीक्षा देने एवं अकादमिक ग्रेड प्राप्त करने में समर्थ बनाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में उच्च शिक्षा सुधार और माध्यमिक शिक्षा में नवोन्मेष कोष प्रस्तावित किया गया है। इसका उद्देश्य व्यापक पहुंच, लैंगिक समानता और गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक रूप से 3479 शैक्षिक रूप से पिछड़े खंडों में स्थानीय नवोन्मेष को प्रोत्साहित करना है।
विद्यालयों में स्थानीय नवोन्मेष सामग्री के जरिए सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में लचीलापन लाने पर बल दिया जाएगा। इसके लिए विज्ञान शिक्षा एवं वार्षिक ज्ञान परिणाम मापने की प्रणाली पर बल दिया जाना प्रस्तावित है।
श्री अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि 14 लाख आईसीडीएस आंगनवाड़ी केन्द्रों में 500 करोड़ रुपये की लागत से ग्रामीण स्तर पर महिला शक्ति केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि ये केन्द्र ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के उद्देश्य से स्थापित किए जाएंगे। इन केन्द्रों में ग्रामीण महिलाओं को कौशल विकास, रोज़गार, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य एवं पोषण आदि की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
प्रधानमंत्री द्वारा 31 दिसंबर 2016 को गर्भवती महिलाओं के लिए की गई घोषणा को दोहराते हुए वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि अस्पतालों में बच्चे को जन्म देने और बच्चे का पूर्ण टीकाकरण कराने वाली गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में देशभर में कुल मिलाकर करीब 6,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
महिला एवं बाल कल्याण के लिए बजट अनुमान 2016-17 के 1,56,528 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाकर बजट 2017-18 में 1,84,632 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है।
देशभर में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करने की दिशा में वित्त मंत्री ने झारखंड एवं गुजरात में दो नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में स्नोत्कोत्तर स्तर पर सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ भारत में चिकित्सा शिक्षा एवं अभ्यास (प्रैक्टिस) के संबंध में नियामक ढांचा तैयार करने के लिए कारगर कदम उठाने के प्रति वचनबद्ध है।
अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए किया जाने वाला आवंटन बजट अनुमान 2016-17 में 38,833 करोड़ रुपये था, जिसे बजट 2017-18 में बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है। यह बजट अनुमान 2016-17 की तुलना में करीब 35 फीसदी अधिक है। वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित बजट तो बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपये और अल्पसंख्यकों के लिए 4,195 करोड़ रुपये किया गया है। सरकार इन क्षेत्रों में खर्च की जाने वाली धनराशि की नीति आयोग द्वारा परिणाम आधारित निगरानी की व्यवस्था शुरू करेगी।
इस वर्ष सरकार के एजेंडे में प्रशासन की गुणवत्तासमाज के विभिन्न तबकों में शक्ति का संचार कर उन्हें समर्थ बनाना और देश को भ्रष्टाचारकाला धन एवं अपारदर्शी राजनीतिक वित्तपोषण की बुराइयों को समाप्त करना शामिल है। इस दिशा में वित्त मंत्री ने कहा कि बुनियादी अवसंरचना के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की दिशा में प्रयास जारी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017-18 में बुनियादी अवसंरचना विकास के लिए कुल 3,96,135 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें 2,41,387 करोड़ रुपये रेल, सड़क एवं जहाज़रानी आदि परियोजनाओं पर व्यय किए जाने हैं।
वर्ष 2017-18 में रेलवे पर कुल पूंजीगत एवं विकास व्यय 1,31,000 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है। इसमें से 55,000 करोड़ रुपये सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। वर्ष 2016-17 में 2800 किलोमीटर नई रेलवे लाइनों की तुलना में 2017-18 में 3,500 किलोमीटर रेलवे लाइनें शुरू की जाएंगी। यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनज़र, 05 वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये की संचित निधि सहित एक राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष की स्थापना की जाएगी। सरकार इस कोष की मदद से क्रियान्वित किए जाने वाले विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश एवं समयसीमा तय करेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि मानकीकरण एवं देश में ही तैयार हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के साथ-साथ क्रियान्वयन एवं वित्तपोषण के नवाचारी मॉडल पर केन्द्रित एक नई मेट्रो रेल नीति को घोषित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण एवं परिचालन में व्यापक स्तर पर निजी भागीदारी एवं निवेश को सरल बनाने के लिए एक नया मेट्रो रेल अधिनियम अपनाया जाएगा।
सड़क क्षेत्र के लिए बजट 2017-18 में 64,900 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं, जबकि बजट अनुमान 2016-17 में यह धनराशि 57,976 करोड़ रुपये थी। उन्होंने कहा कि बंदरगाहों और दूर-दराज के गांवों तक बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए समुद्र के आसपास 2,000 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण के लिए जगह चिन्हित कर ली गई हैं।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि भूमि परिसंपत्ति के प्रभावशाली मुद्रीकरण को सक्षम बनाने के लिए भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण अधिनियम को संशोधित किया जाएगा। ऐसे में प्राप्त संसाधनों को हवाईअड्डों के उन्नयन (अपग्रेडेशन) के लिए उपयोग किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि द्वितीय श्रेणी के क्षेत्रों में बने हवाई अड्डों का परिचालन एवं देखरेख पीपीपी मोड में की जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017-18 के अंत तक 1,50,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर पर आधारित तीव्र गति इंटरनेट सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि भारत नेट परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत 1,55,000 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाई जा चुकी है। मंत्री ने कहा कि डिजि गांव नामक एक अन्य अभियान की शुरुआत भी की जाएगी।
अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने ऊर्जा क्षेत्र को मज़बूत करने के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार ने 20,000 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता के लिए द्वितीय चरण के सौर पार्क को विकसित करने का निर्णय लिया है। इसी तरह सरकार ने द्वितीय चरण में दो स्ट्रेटजिक क्रूड ऑयल रिज़र्व स्थापित करने का निर्णय लिया है। इनकी स्थापना ओडिशा के चांदीखोले और राजस्थान के बीकानेर में की जाएगी।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार वर्ष 2017-18 में निर्यात के लिए व्यापार अवसंरचना योजना (ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एक्सपोर्ट स्कीम- टीआईईएस) नामक एक नवीन एवं पुनर्गठित योजना की शुरुआत करेगी।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में घोषणा करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को वर्ष 2017-18 में समाप्त करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक रूपरेखा (रोडमैप) अगले कुछ महीनों में घोषित की जाएगी। मंत्री ने कहा कि यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि प्रत्यक्ष निवेश संवर्धन बोर्ड ने एफडीआई आवेदनों की ई-फाइलिंग एवं ऑनलाइन प्रसंस्करण को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में होने वाले कुल आगम का 90 फीसदी से अधिक भाग स्वचालित मार्ग के माध्यम से होता है। मंत्री ने कहा कि एफडीआई नीतियों में कई अन्य उदारवादी कदम अभी विचाराधीन हैं और इस संबंध में कई आवश्यक घोषणाएं आगामी दिनों में की जाएंगी।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि अवैध जमा योजनाओं के संकट को कम करने के लिए एक विधेयक संसद में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह इस बजट और सरकार के स्वच्छ भारत एजेंडे का हिस्सा है।
मंत्री ने कहा कि पिछले बजट में घोषित विनिवेश नीति को इस बजट में भी जारी रखा गया है और सरकार इस संबंध में एक संशोधित प्रणाली एवं प्रक्रिया लागू करेगी।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि कंप्यूटर एमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (सर्ट-फिन) स्थापित की जाएगी और यह सभी वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों एवं अन्य हितधारकों के साथ समन्वय का कार्य करेगी।
बजट 2017-18 के लिए कुल व्यय 21.47 लाख करोड़ रुपये रखा गया है
(Source: pib.nic.in)
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