Results for "सेबी बोर्ड बैठक"
सेबी की बोर्ड बैठक में IPO, SME IPO, MF नियमों के बारे में क्या चर्चा हुई
मार्केट रेगुलेटर सेबी की आज मुंबई में बोर्ड बैठक हुई। बैठक में  IPO, ICICI बैंक, SME IPO, MF नियमों  के संबंध में क्या-क्या चर्चा हुई, जानिए...
1) आईपीओ के प्राइस बैंड की समयसीमा इश्यू के खुलने के मौजूदा 
5 दिनों से घटाकर दो  दिन किया गया
2)बायबैक और टेकओवर के नियमों में संशोधन किया गया
3) विदेशी संविभाग निवेशक (Foreign Portfolio Investors-FPI) और
म्युचुअल फंड्स के मौजूदा नियमों को विवेकसम्मत बनाया जाएगा
4) स्टॉक एक्सचेंड, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन, डिपॉजिटरीज जैसे मार्केट
इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) में विदेशी निवेश की
सीमा 15 प्रतिशत तक करना
5) पब्लिक इश्यू/ राइट्स इश्यू का फाइनेंशियल डिस्क्लोजर
मौजूदा 5 साल के बजाय 3 साल किया गया
6) एसएमई आईपीओ के मामले में मिनिमम एंकर इन्वेस्टर साइज
मौजूदा 10 करोड़ रुपए से घटाकर 2 करोड़ रुपए किया गया

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
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(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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Rajanish Kant गुरुवार, 21 जून 2018
सेबी की बोर्ड बैठक कल, जानिए किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

मार्केट रेगुलेटर सेबी की कल बोर्ड बैठक होने जा रही है। बैठक में निम्न मुद्दों पर चर्चा हो सकती है...

बैठक का एजेंडा:
1) बायबैक और टेकओवर नियमों में संशोधन संभव
2)स्टॉक एक्सचेंज के चीफ एक्जिक्यूटिव की पद पर रहने
की अवधि समेत मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई)
(स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशंस, डिपॉजिटरीज आदि)
के गवर्नेंस नॉर्म्स में बदलाव पर विचार मुमकिन
3)सेबी के पूर्व और मौजूदा कर्मचारियों से जुड़े
नियमों और भर्ती नीति बदलने पर चर्चा संभव
4) शेयर मार्केट में अधिक से अधिक निवेशकों को लुभाने
के लिए नए स्टॉक एक्सचेंज खोलने के नियमों को और
आसान बनाने पर विचार संभव
5)फिलहाल  स्टॉक एक्सचेंज में विदेशी कंपनियों
की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी, जबकि क्लीयरिंग कॉर्पोरेशंस,
डिपॉजिटरीज में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी की मंजूरी

सेबी की बोर्ड बैठक मुंबई में होगी।

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
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Rajanish Kant बुधवार, 20 जून 2018
पी-नोट्स नियम हुए सख्त, कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में निवेश को लेकर बड़ा फैसला, जानिए सेबी बोर्ड बैठक में क्या हुआ
कमोडिटी और मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अपने बोर्ड बैठक में लिस्टेड कंपनियों की दबावग्रस्त आस्ति (distressed assets) के अधिग्रहण नियमों में ढील दी है। साथ ही उसने पी-नोट्स पर पूरी से प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, पी-नोट्स के नियमों को जरूर सख्त किया है। रेगुलेटर ने पी-नोट्स के जारीकर्ता पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। 

इसके अलावा, NSE co-location  मामले में मार्केट रेगुलेटर ने फॉरेंसिक ऑडिटर की मदद लेने का निर्णय लिया है। सेबी विदेशी निवेशकों के पंजीकरण को आसान बनाने के संबंध में परिचर्चा पत्र भी जारी करेगा। साथ ही हेज फंडों को कमोडिटी डेरिवेेटिव्ज में निवेश की अनुमति भी दी। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि कमोडिटी डेरिवेेटिव्ज में म्युचुअल फंड्स के निवेश पर विचार चल रहा है।






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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 



Rajanish Kant बुधवार, 21 जून 2017
सेबी की बोर्ड बैठक आज
कमोडिटी और मार्केट रेगुलेटर सेबी की कल बोर्ड बैठक है। माना जा रहा है कि इसमें ₹ 5,600 करोड़ का NSEL घोटाले, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और NSE को-लेकेशन की जांच जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। बोर्ड इसके अलावा, दबावग्रस्त आस्ति (Distressed Assets) की खरीद के नियमों में छूट के प्रस्ताव पर बातचीत कर सकता है। 

>बैठक का एजेंडा:
-विदेशी निवेशकों के सीधे पंजीकरण के नियमों में छूट
-भारतीय शेयर बाजार को निवेशकों के लिए और विदेशी निवेश के लिए कंपनियों, स्टार्ट अप की लिस्टिंग प्रक्रिया में और तेजी लाना
-कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रक्रिया को और मजबूत बनाना 
-कंपनियों के स्वतंत्र और गैर-कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति में पारिवारिक संपर्क और भाई-भतीजेवाद को लेकर चिंता 

Rajanish Kant
सेबी ने बोर्ड बैठक में कई अहम फैसले लिए, आपके लिए जानना जरूरी है
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने शेयर बाजार, कमोडिटी बाजार और म्युचुअल फंड में निवेश की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए। आइए, जानते हैं उन फैसलों में क्या-क्या शामिल है.

1- ई-वॉलेट से म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, लेकिन प्रति वित्त वर्ष 50 हजार रुपए से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकते। इसके अलावा, नकदी, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के जरिये ई वॉलेट में डाली गई बकाया राशि का इस्तेमाल केवल म्युचुअल फंड की खरीद में ही की जा सकती है। साथ ही, क्रेडिट कार्ड, कैश बैक, प्रोत्साहन योजनाओं के जरिये ई-वॉलेट में आई रकम के म्युचुअल फंड स्कीम खरीदने की अनुमति नहीं होगी। यानी अब  पेटीएम, मोबीक्विक और फ्रीचार्ज जैसे ई वॉलेट के जरिये म्युचुअल फंडों में निवेश की भी इजाजत होगी। 

2-कमोडिटी डेरिवेटिव्ज मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग की मंजूरी: सेबी का इरादा शेयर बाजार को गहरा बनाना और उसमें लिक्विडिटी को बढ़ाना है। इसके लिए कमोडिटी डेरिवेटिव्ज मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग की मंजूरी दी गई है। इसके लिए प्रतिभूति अनुबंध नियमन (शेयर बाजार और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) नियमन, 2012 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ैहै। सेबी अब कमोडिटी डेरिवेटिव्ज एक्सचेंजों में ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगी। सेबी के बोर्ड ने इक्विटी बाजारों और जिंस बाजारों में सौदों के लिए एकीकृत लाइसेंस जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। 
इस कदम से घरेलू जिंस बाजार का दायरा बढ़ेगा और किसानों के साथ-साथ दूसरे भागीदारों को भी हेजिंग का सस्ता विकल्प मिल जाएगा। सेबी ने यह भी ऐलान किया कि अबसे शेयर ब्रोकर भी जिंस बाजार में काम कर सकेंगे और जिंस ब्रोकर शेयर बाजार में। दोनों बाजारों के लिए एक ही लाइसेंस की जरूरत होगी। इस कदम से एमसीएक्स को इक्विटी कारोबार शुरू करने में मदद मिलेगी जबकि एनएसई और बीएसई भी जिंस डेरिवेटि

3- सेबी के बोर्ड ने अब से ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को जिंस डेरिवेटिव्ज के साथ शेयर बाजार में कामकाज करने के लिए एकल लाइसेंस देने का फैसला किया है। इससे शेयर बाजार में कामकाज करने वाले ब्रोकर या क्लियरिंग सदस्य अलग इकाई स्थापित किये बिना ही जिंस डेरिवेटिव्ज में खरीद-बिक्री या सौदा कर सकते सकेंगे। शेयर बाजार और कमोडिटी डेरिवेटिव्ज बाजार में शेयर ब्रोकरों के एकीकरण से ट्रेडिंग और निपटान तंत्र, जोखिम प्रबंधन, निवेशक शिकायत निपटान आदि में तालमेल बनेगा। इससे निवशकों, ब्रोकरों, शेयर एक्सचेंजों और सेबी को भी फायदा होगा। 

4-डेट सिक्योरिटीज के लिए नए ढांचे की मंजूरी: सेबी ने कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार को विस्तार और मजबूती देने की कोशिशों के तहत डेट सिक्योरिटीज के लिए नए ढांचे को भी मंजूरी दी। इसके तहत आईएसआईएन की न्यूनतम संख्या के जरिये कॉर्पोरेट बॉन्ड के लिए सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाई जाएगी। नए ढांचे के तहत किसी निगमकर्ता को हर वित्तीय वर्ष में मैच्योर होने वाली अधिकतम 12 आईएसआईएन की अनुमति होगी। 

5- सेबी ने लिक्विड योजनाओं में तुरंत भुगतान की भी अनुमति दे दी। बाजार नियामक ने 500 करोड़ रुपये से अधिक नेटवर्थ वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को पात्र संस्थागत खरीदार का दर्जा देने की भी घोषणा की। इससे इन कंपनियों को आईपीओ बाजार में अधिक भूमिका मिल जाएगी क्योंकि किसी आईपीओ में लगभग आधा हिस्सा क्यूआईबी के लिए आरक्षित होता है। इससे पहले गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को गैर संस्थागत श्रेणी में निवेश करना पड़ता था जिसमें  केवल 15 फीसदी हिस्सा आरक्षित होता था।
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक ज्यादा रिटर्न की उम्मीद कहां से करते हैं-स्मॉल कैप, मिड कैप या फिर लार्ज कैप शेयर से ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेश से जुड़े जोखिम को कम कैसे करते हैं निवेशक?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: शेयर बाजार में निवेश से जुड़े तीन सबसे बड़े डर?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशकों की नजर में 'रिस्क' के मायने?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां जल्दी से कैश (तरलता) की उम्मीद करते हैं-म्युचुअल फंड्स, इक्विटीज, डिबेंचर्स, कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करते हैं-कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स, डिबेंचर्स,  इक्विटीज या  म्युचुअल फंड्स ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: बॉन्ड्स, इक्विटीज, म्युचुअल फंड्स में से किसको सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं निवेशक ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: खुदरा निवेशक कितने सालों से शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: ज्यादातर खुदरा निवेशक ब्रोकर्स से क्या चाहते हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: म्युचुअल फंड्स (MF) के Scheme Information Document (एसआईडी) कौन सा 
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: म्युचुअल फंड्स (MF) के निवेशकों का व्यवहार और निवेश पैटर्न
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO के जरिये खरीदे गए शेयर कितने दिनों तक अपने पास रखते हैं निवेशक?





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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant गुरुवार, 27 अप्रैल 2017