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राष्ट्रपति ने 16वीं लोकसभा भंग की

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को 16वीं लोकसभा भंग करने की कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी दे दी । 

राष्ट्रपति भवन ने यह जानकारी दी है । 

शुक्रवार को कैबिनेट ने 16वीं लोकसभा भंग करने की सिफारिश की थी और राष्ट्रपति से इसे तत्काल प्रभाव से भंग करने का आग्रह किया था ।

राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति ने कैबिनेट की इस सिफारिश को स्वीकार करते हुए संविधान के अनुच्छेद 85 के उपबंध 2 के सह उपबंध :ब: के तहत प्राप्त अधिकारियों का प्रयोग करते हुए 16वीं लोकसभा भंग करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए । 

16वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून को समाप्त हो रहा है । इसकी पहली बैठक 4 जून 2014 को बुलाई गई थी और तब सदस्यों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी । 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को 16वीं लोकसभा भंग करने की सिफारिश की थी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया था । राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद का इस्तीफा स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री से नयी सरकार बनने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया है।


(साभार: पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant शनिवार, 25 मई 2019
भारतीय संसद ने तो इस बार इतिहास रच दिया, पहली बार 31 मार्च तक सभी वित्तीय कामकाज पूरा हुआ
संसद का बजट सत्र समाप्त

सत्र अनेक दृष्टि से ऐतिहासिक : अनंत कुमार
भारत के विधायी इतिहास में पहली बार संसद ने 31 मार्च तक सभी वित्तीय कामकाज पूरा किया

सर्वसम्मति से वस्तु और सेवा कर के सहायक अधिनियमों को पारित करना बड़ी उपलब्धि : श्री मुख्तार अब्बास नकवी

कामकाज में बाधा की भरपाई के लिए संसद के दोनों सदनों की बैठक समय से अधिक हुई

लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्य सभा में 92.43 प्रतिशत काम हुआ, सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा 18 विधेयक पारित


संसदीय कार्य और रसायन तथा उर्वरक मंत्री श्री अनंत कुमार ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि संसद का बजट सत्र 2017 अनेक दृष्टि से एतिहासिक रहा। श्री अनंत कुमार ने बताया कि संसद का बजट सत्र मंगलवार 31 जनवरी, 2017 को आरंभ हुआ था। इसे आज 12 अप्रैल, 2017 को अनिश्चिक काल के लिए स्थगित किया गया।
श्री अनंत कुमार ने बजट सत्र 2017 को तीन प्रमुख दृष्टि से एतिहासिक उपलब्धि वाला बताया :
·         केंद्रीय बजट का पहले प्रस्तुतीकरण और 31 मार्च तक नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने से पहले सरकार के सभी वित्तीय कामकाज पूरे किए गए।
·         वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के सभी सहायक अधिनियमों को पारित करना।
·         एकीकृत बजट प्रस्तुत और पारित करना।
श्री अनंत कुमार ने कहा कि ऐसा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली के विजनरी नेतृत्व और संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों की भागीदारी से संभव हो सका है। सार्वजनिक महत्व के विभिन्न विषयों पर सार्थक बहस हुई।
श्री अनंत कुमार ने बताया कि भारत के विधायी इतिहास में पहली बार 31 मार्च तक अगला वित्त वर्ष प्रारंभ होने से पहले सरकार के सभी वित्तीय काम-काज पूरे कर लिये गए। यह काम अल्प अवधि में नहीं किया गया बल्कि सामान्य चर्चा की गई। स्थायी समितियों ने विचार किया और कुछ मंत्रालयों पर चर्चा भी हुई। अतीत में वित्तीय कामकाज 31 मार्च के पहले पूरे किये जाते थे और उन वर्षों में या तो चुनाव होना होता था और अंतरिम बजट पेश किया जाता था या संसदीय समितियां अन्य मामलों की जांच करती थीं। यह एक बहुत बड़ा वित्तीय सुधार है और इससे विकास परियोजनाओं को चालू करने के लिए मंत्रालयों को पूरा धन उपलब्ध हुआ है। यह पहला मौका है जब बजट सत्र के दौरान लेखानुदान पारित किया गया।
इस अवसर पर कृषि तथा परिवार कल्याण और संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री एस एस आलहुवालिया ने विस्तार से बजट पहले प्रस्तुत करने के लाभ, आम और रेलवे बजट को मिलाने के लाभ और सामाजिक विकास कार्यों को चलाने के लिए वित्तीय संसाधनों की सुगमता के बारे में बताया।
अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बार नकवी ने बताया कि सरकार ने संपर्क, संवाद, समन्वय की नीति का अनुसरण किया और सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक महत्व के सभी विषयों पर दोनों सदनों में व्यापक चर्चा हो और सभी सदस्यों को अपने विचार रखने का मौका मिले। उन्होंने बताया कि तीन महत्वपूर्ण विधेयक पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान (संशोधन) विधेयक 2017, मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2017, फैक्ट्री (संशोधन) विधेयक 2016 दोनों सदनों द्वारा पारित नहीं हो सके। श्री नकवी ने बताया कि इन विधेयकों पर असहमति गुण के आधार पर नहीं थी। फिर भी सरकार ने प्रवर समिति को भेजने की राज्य सभा की सर्वसम्मति का आदर किया। श्री नकवी ने बताया कि इन सामाजिक महत्व के विधेयकों को पारित होने में विलंब से साधारण जन को लाभ प्राप्त करने में कुछ और समय लगेगा।
बजट सत्र 2017 के दौरान संपन्न विधायी कार्यों के बारे में बताया गया की बजट सत्र के पहलेभाग में लोक सभा के 7 और राज्य सभा की 8 बैठकें हुई। सत्र के दूसरे हिस्से में लोकसभा की 22 और राज्यसभा की 21 बैठकें हुईं। पूरे सत्र के दौरान लोक सभा और राज्य सभा की 29-29 बैठकें हुई। लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्य सभा में 92.43 प्रतिशत कार्य हुए। बाधा के कारण लोकसभा में 8 घंटे और राज्य सभा में 18 घंटे का नुकसान हुआ और इसकी भरपाई लोकसभा की 19 घंटे की बैठक और राज्य सभा की 7 घंटों की अधिक बैठक से की गई।
वर्ष का पहला सत्र होने के कारण राष्ट्रपति ने 31 जनवरी, 2017 को संविधान के अनुच्छेद 87 (1) के अनुसार संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया और संसद सत्र आहुत करने के बारे में बताया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव रखा गया और इस चर्चा हुई। सत्र के पहले हिस्से में धन्यवाद प्रस्ताव दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। 9 फरवरी, 2017 को दोनों सदनों की बैठक छुट्टी के लिए 27 दिनों के लिए स्थगित की गई। और दोनों सदनो की बैठक फिर सोमवार 9 मार्च, 2017 को हुई ताकि विभिन्न मंत्रालयों / विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर संबंधित स्थायी समितियां विचार कर सकें।
सत्र के पहले भाग में 1 फरवरी, 2017 को केंद्रीय बजट 2017-18 प्रस्तुत किया गया। इस बार आम बजट में रेल बजट को मिलाकर बजट प्रस्तुत हुआ। दोनों सदनों में बजट पर सामान्य चर्चा हुई।
संसद सत्र के दूसरे भाग में संबंधित स्थायी समितियों की जांच और प्रस्तुतीकरण के बाद रेलवे, गृह, रक्षा तथा कृषि मंत्रालयों से संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा हुई और इन्हें बारी-बारी के लोकसभामें पारित किया गया। शेष मंत्रालयों/विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा नहीं हो पायी थी और उन्हें पारित करने के लिए सदन में रखा गया और मांगें 20 मार्च, 2017 को पास की गईं। संबंधित विनियोग विधेयक भी प्रस्तुत किया गया। इस पर विचार हुआ और पारित किया गया और बाद में इसे राज्यसभा ने वापस कर किया।  
अनुपूरक अनुदान मांगों से संबंधित विनियोग विधेयक भी उसी दिन पेश किया गया, उस पर विचार किया गया और फिर पारित किया गया तथा इसके बाद राज्‍य सभा द्वारा वापस कर दिया गया। वित्‍त विधेयक, 2017 लोकसभा में 22 मार्च, 2017 को पारित हुआ और राज्‍य सभा ने 29 मार्च, 2017 को सिफारिशों के साथ इसे वापस कर दिया। लोकसभा ने 30 मार्च, 2017 को विधेयक में राज्‍य सभा द्वारा की गई सिफारिशों को खारिज कर दिया। राष्‍ट्रपति ने 31 मार्च, 2017 को वित्‍त विधेयक को अपनी स्‍वीकृति दे दी।
वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों और रेलवे से संबंधित वर्ष 2013-14 के लिए अतिरिक्‍त अनुदान मांगों पर भी लोकसभा में संबंधित विनियोग विधेयकों के साथ मतदान हुआ, जिन्‍हें बाद में राज्‍य सभा द्वारा वापस कर दिया गया। इस अवधि के दौरान केन्‍द्रीय बजट पर आम परिचर्चा पूरी हुई और इसके साथ ही राज्‍य सभा में रेल मंत्रालय के कामकाज पर चर्चाएं हुईं।
इस सत्र के दौरान अन्‍य बातों के अलावा एक खास बात यह रहीं कि चार ऐतिहासिक विधेयकोंयथा, केन्‍द्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक 2017, एकीकृत वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक 2017, वस्‍तु एवं सेवा कर (राज्‍यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक 2017 और केन्‍द्र शासित प्रदेश वस्‍तु एवं सेवा कर विधेयक 2017 को दोनों ही सदनों ने पारित कर दिया, जिससे देश भर में 01 जुलाई, 2017 से वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने का मार्ग प्रशस्‍त हो गया।
इस सत्र के दौरान कुल मिलाकर 24 विधेयक (लोकसभा में 24) पेश किये गये। लोकसभा में 23 विधेयक पारित हुए और राज्‍य सभा में 14‍ विधेयक पारित हुए। सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में कुल मिलाकर 18 विधेयक पारित हुए। लोकसभा में पेश किये गये विधेयकों, लोकसभा द्वारा पारित किये गये विधेयकों, राज्‍य सभा द्वारा पारित किये गये विधेयकों, संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किये गये विधेयकों और वापस लिये गये विधेयक की सूची अनुलग्‍नक में दी गई है।
सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कुछ महत्‍वपूर्ण विधेयकों जैसे कि पारिश्रमिक का भुगतान (संशोधन) विधेयक 2017, मातृत्‍व लाभ (संशोधन) विधेयक 2017, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल विधेयक 2017 और कर्मचारी क्षतिपूर्ति (संशोधन) विधेयक 2017 को भी इस सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया। शत्रु सम्‍पत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक 2017 को भी संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया।
लोकसभा में नियम 193 के तहत सतत विकास के लक्ष्‍यों पर अल्‍पकालिक चर्चा हुई, जो अपूर्ण रही। राज्‍य सभा में नियम 176 के तहत इन दो विषयों पर अल्‍पकालिक चर्चा हुई :  1. चुनाव सुधार  2. आधार – इसका क्रियान्‍वयन एवं इसके निहितार्थ। राज्‍य सभा में एक ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍तावभी लाया गया, जो विशेष श्रेणी के दर्जे की अवधारणा जारी रखने की जरूरत पर विचार-विमर्श के लिए राष्‍ट्रीय विकास परिषद की बैठक आयोजित करने की आवश्‍यकता से संबंधित था।
(स्रोत- पीआईबी.एनआईसी.इन)

Rajanish Kant बुधवार, 12 अप्रैल 2017
एक देश, एक बाजार, एक कर का सपना हुआ साकार, लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चारों विधेयकों को मंजूरी, राज्यसभा में केवल चर्चा का अधिकार
नई दिल्‍ली: देश में ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था ‘जीएसटी’ को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए लोकसभा ने बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने आश्वस्त किया कि नयी कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के साथ ही कृषि पर कर नहीं लगाया गया है. लोकसभा ने केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सम्मिलित चर्चा के बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए ध्वनिमत से पारित कर दिया. धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर अब राज्यसभा को केवल चर्चा करने का अधिकार होगा.
( GST पर बोलत हुए अरुण जेटली देखिये वीडियो (साभार - पीआईबी)
वस्तु एवं सेवा कर संबंधी विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने विपक्ष की इन आशंकाओं को निर्मूल बताया कि इन विधेयकों के जरिये कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहली बात तो इसी संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को करों की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है. जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है. संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया.

जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी. हालांकि इन सिफारिशों पर ध्यान रखना होगा क्योंकि अलग-अलग राज्य अगर-अलग दर तय करेंगे तो अराजक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. यह इसकी सौहार्द्रपूर्ण व्याख्या है औार इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. एक समान कर बनाने की बजाए कई कर दर होने के बारे में आपत्तियों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कई खाद्य उत्पाद हैं जिनपर अभी शून्य कर लगता है और जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद भी कोई कर नहीं लगेगा. कई चीजें ऐसी होती हैं जिन पर एक समान दर से कर नहीं लगाया जा सकता. जैसे-तंबाकू, शराब आदि की दरें ऊंची होती हैं जबकि कपड़ों पर सामान्य दर होती है.

उन्होंने कहा, ‘‘अब हवाई चप्पल और बीएमडब्ल्यू कार पर एक समान कर नहीं लगाया जा सकता.’’ जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद में चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि आरंभ में कई कर लगाना ज्यादा सरल होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने विचार विमर्श के बाद जीएसटी व्यवस्था में 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की हैं. लक्जरी कारों, बोतल बंद वातित पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके उपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जायेगा और जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जायेगी. ऐसा भी सुझाव आया कि इसे कर के रूप में लगाया जाए. लेकिन कर के रूप में लगाने से उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ता. लेकिन उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर नहीं लगाया जायेगा.

जेटली ने कहा कि मुआवजा उन राज्यों को दिया जायेगा जिन्हें जीएसटी प्रणाली लागू होने से नुकसान हो रहा हो. यह आरंभ के पांच वषरे के लिए होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान इसलिए जीएसटी पर आमसहमति नहीं बन सकी क्योंकि नुकसान वाले राज्यों को मुआवजे के लिए कोई पेशकश नहीं की गई थी. जीएसटी में मुआवजे का प्रावधान ‘डील करने में सहायक’ हुआ और राज्य साथ आए. जीएसटी में रीयल एस्टेट क्षेत्र को शामिल नहीं किये जाने पर कई सदस्यों की आपत्ति पर स्पष्टीकरण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें राज्यों को काफी राजस्व मिलता है. इसमें रजिस्ट्री तथा अन्य शुल्कों से राज्यों की आय होती है इसलिए राज्यों की राय के आधार पर इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जीएसटी परिषद में कोई भी फैसला लेने में केंद्र का वोट केवल एक तिहाई है जबकि दो तिहाई वोट राज्यों को है. इसलिए कोई भी फैसला करते समय केंद्र अपनी राय थोपने के पक्ष में नहीं है. वस्तु एवं सेवा कर को संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध करार देते हुए जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं डालते हुए जीएसटी के माध्यम से देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे को सर्वसम्मति से तय कर रही है और इस बारे में अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं. यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझी संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है और यह ऐसी पहली पहल है. जीएसटी के लागू होने पर केन्द्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जायेंगे.

जेटली ने विधेयकों को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय जीएसटी संबंधी विधेयक के माध्यम से उत्पाद, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाने की स्थिति में केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा. समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के जरिये वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा. कर छूट के संबंध में मुनाफे कमाने से रोकने के उपबंध के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर 4.5 प्रतिशत कर छूट दी जाती है तब इसका अर्थ यह नहीं कि उसे निजी मुनाफा माना जाए बल्कि इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी दिया जाए. इस उपबंध का आशय यही है.

वित्त मंत्री ने कहा कि रियल एस्टेट की तरह ही स्थिति शराब और पेट्रोलियम उत्पादों के संबंध में भी थी. राज्यों के साथ चर्चा के बाद पेट्रोलियम पदार्थों को इसके दायरे में लाया गया है लेकिन इसे अभी शून्य दर के तहत रखा गया है. इस पर जीएसटी परिषद विचार करेगी. शराब अभी भी इसके दायरे से बाहर है. वित्त मंत्री ने कहा कि पहले एक व्यक्ति को व्यवसाय के लिए कई मूल्यांकन एजेंसियों के पास जाना पड़ता था. आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए उत्पाद शुल्क, सेवा कर, राज्य वैट, मनारंजन कर, प्रवेश शुल्क, लक्जरी टैक्स एवं कई अन्य कर से गुजरना पड़ता था. उन्होंने कहा कि वस्तुओं और सेवाओं का देश में सुगम प्रवाह नहीं था. ऐसे में जीएसटी प्रणाली को आगे बढ़ाया गया. एक ऐसा कर जहां एक मूल्यांकन अधिकारी हो. अधिकतर स्व मूल्यांकन हो और ऑडिट मामलों को छोड़कर केवल सीमित मूल्यांकन हो.

जेटली ने कहा कि कर के ऊपर कर लगता है जिससे मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति बढ़ती है. इसलिए सारे देश को एक बाजार बनाने का विचार आया. यह बात आई कि सरल व्यवस्था देश के अंदर लाई जाए. कृषि को जीएसटी के दायरे में लाने को निर्मूल बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि एवं कृषक को पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है. धारा 23 के तहत कृषक एवं कृषि को छूट मिली हुई है. इसलिए इस छूट की व्याख्या के लिए परिभाषा में इसे रखा गया है. इस बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. जेटली ने कहा कि कृषि उत्पाद जब शून्य दर वाले हैं तब इस बारे में कोई भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए.

इस बारे में कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि 29 राज्य, दो केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र ने इस पर विचार किया जिसमें कांग्रेस शासित प्रदेश के आठ वित्त मंत्री शामिल थे. ‘‘तब क्या इन सभी ने मिलकर एक खास वर्ग के खिलाफ साजिश की?’’ जीएसटी लागू होने के बाद वस्तु एवं जिंस की कीमतों में वृद्धि की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर की दरें वर्तमान स्तर पर रखी जायेंगी ताकि इसका मुद्रास्फीति संबंधी प्रभाव नहीं पड़े. जेटली ने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा जीएसटी के बारे में अपना एक विधान लाएगी.

(यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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Rajanish Kant गुरुवार, 30 मार्च 2017