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Shree Mahalaxmi Mercantile Cooperative Bank के ग्राहकों को झटका 
Bad News For one more Bank Customer देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की पाबंदी झेल रहे गुजरात के वडोदरा जिले के डभोई स्थित श्री महालक्ष्मी मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक में पैसा रखने वालों के लिए बुरी खबर है। पूरी खबर को जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें।


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Rajanish Kant सोमवार, 15 जनवरी 2024
Hiriyur Urban Cooperative Bank के ग्राहकों को झटका 
Bad News For one more Bank Customer देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की पाबंदी झेल रहे कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित द हिरियुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में पैसा रखने वालों के लिए बुरी खबर है। पूरी खबर को जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें।


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Rajanish Kant
RBI बैंकों में आंतरिक शिकायत व्यवस्था को और मजबूत करेगा

आरबीआई की 4-6 अक्टूबर तक चली मौद्रिक पॉलिसी बैठक में कुछ विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर भी फैसले लिए गए हैं। इनमें शामिल है बैंकों में आंतरिक शिकायत व्यवस्था को और मजबूत करना और उनमें एकरूपता लाना, कार्ड ऑन फाइल टोकनाइजेशन के लिए नए चैनलों की शुरुआत करना, शहरी सहकारी बैंकों द्वारा गोल्ड लोन के संबंध में कुछ फैसले।  



विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) विनियमन (ii) भुगतान प्रणाली और (iii) उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपाय निर्धारित करता है।

I. विनियमन

1. अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण के लिए विवेकपूर्ण ढांचा - कार्यान्वयन के अंतर्गत परियोजनाएं

परियोजना वित्त, आम तौर पर लंबे निर्माण- पूर्व अवधि सहित अन्य बातों के साथ-साथ विभिन्न जटिलताओं से चित्रित होता है। परियोजना वित्त को नियंत्रित करने वाले मौजूदा विनियामक ढांचे को सुदृढ़ करने और सभी विनियमित संस्थाओं में निर्देशों को सुसंगत बनाने की दृष्टि से, कार्यान्वयन के अंतर्गत परियोजनाओं के लिए मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा की गई है और सभी विनियमित संस्थाओं के लिए लागू एक व्यापक विनियामक ढांचा जारी करने का प्रस्ताव है। उपरोक्त संबंधी विस्तृत दिशानिर्देशों का मसौदा अलग से जारी किए जाएगा।

2. ऋण सकेन्द्रण मानदंड – ऋण जोखिम अंतरण

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - अपर लेयर (एनबीएफसी-यूएल) के लिए बड़े एक्सपोजर ढांचे संबंधी मौजूदा दिशानिर्देश, मूल काउंटर-पार्टी के लिए एक्सपोजर को कुछ ऋण जोखिम अंतरण लिखतों के साथ ऑफसेट करने की अनुमति देते हैं। हालाँकि, मिडिल लेयर (एमएल) और बेस लेयर (बीएल) में एनबीएफसी के लिए मौजूदा ऋण सकेंद्रण मानदंड स्पष्ट रूप से ऐसे किसी व्यवस्था की परिकल्पना नहीं करते हैं। एनबीएफसी के बीच उपरोक्त मानदंडों को सुसंगत बनाने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि एमएल और बीएल में भी एनबीएफसी को पात्र ऋण जोखिम अंतरण लिखतों के साथ अपने एक्सपोजर को ऑफसेट करने की अनुमति दी जाए। इस संबंध में शीघ्र ही अनुदेश जारी किये जायेंगे।

3. स्वर्ण ऋण- एकबारगी चुकौती योजना – यूसीबी

यूसीबी को मार्च 2023 से आगे पीएसएल लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक विस्तारित ग्लाइड पथ की अनुमति दी गई है। 31 मार्च 2023 तक निर्धारित पीएसएल लक्ष्यों को पूरा करने वाले यूसीबी को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से, ऐसे यूसीबी, जिन्होंने 31 मार्च 2023 तक समग्र पीएसएल लक्ष्य और उप- लक्ष्यों को पूरा कर लिया है, के लिए एकबारगी(बुलेट) चुकौती योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले स्वर्ण ऋण की मौद्रिक सीमा को ₹2.00 लाख से बढ़ाकर ₹4.00 लाख करने का निर्णय लिया गया है। इन बैंकों को उसके बाद लक्ष्यों और उप-लक्ष्यों को पूरा करना जारी रखना होगा। इससे संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किये जायेंगे। संयोग से, दिनांक 8 जून 2023 के हमारे परिपत्र, विवि.सीआरई.आरईसी.18/07.10.002/2023-24 के संदर्भ में, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समय को बढ़ाते हुए यह स्पष्ट किया गया था कि पीएसएल लक्ष्यों को पूरा करने वाले यूसीबी को प्रोत्साहन की घोषणा अलग से की जाएगी।

4. रिज़र्व बैंक की विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए एसआरओ को मान्यता देने हेतु रूपरेखा

अपने सदस्यों के बीच अनुपालन शिष्टता को मजबूत करने और नीति निर्माण के लिए एक परामर्शी मंच प्रदान करने में स्व-विनियामक संगठनों (एसआरओ) की संभावित भूमिका को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि रिज़र्व बैंक की विभिन्न विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए एसआरओ को मान्यता देने हेतु एक बहुप्रयोजनीय रूपरेखा जारी की जाए। बहुप्रयोजनीय एसआरओ रूपरेखा, व्यापक उद्देश्यों, कार्यों, पात्रता मानदंड, सुशासन मानकों आदि को निर्धारित करेगा, जो सभी एसआरओ के लिए समान होगा, चाहे क्षेत्र कोई भी हो। रिज़र्व बैंक ऐसे एसआरओ को पहचानने के लिए आवेदन मंगाते समय क्षेत्र-विशिष्ट अतिरिक्त शर्तें निर्धारित कर सकता है। शुरू में, हितधारकों की टिप्पणियों के लिए बहुप्रयोजनीय रूपरेखा का एक मसौदा जारी किया जाएगा।

II. भुगतान प्रणाली

5. भुगतान अवसंरचना विकास निधि - योजना का विस्तार और पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को शामिल करना

भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना को रिज़र्व बैंक द्वारा जनवरी 2021 में तीन वर्ष की अवधि के लिए आरंभ किया गया था। इसका उद्देश्य टियर-3 से टियर-6 केंद्रों, उत्तर पूर्वी राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भौतिक प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस), क्विक रिस्पोंस (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकृति अवसंरचना की तैनाती को प्रोत्साहित करना था। टियर-1 और 2 केंद्रों में पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को बाद में अगस्त 2021 में शामिल किया गया। अगस्त 2023 के अंत तक, इस योजना के अंतर्गत 2.66 करोड़ से अधिक नए टच पॉइंट तैनात किए गए हैं। अब पीआईडीएफ योजना को दो वर्षों की अवधि के लिए, अर्थात्, 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। साथ ही, सभी केंद्रों में पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को पीआईडीएफ योजना में शामिल करने का प्रस्ताव है। पीआईडीएफ योजना के अंतर्गत लक्षित लाभार्थियों का विस्तार करने का यह निर्णय जमीनी स्तर पर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में रिज़र्व बैंक के प्रयासों को बढ़ावा देगा।

इसके अलावा, उद्योग से प्राप्त फीडबैक के आधार पर, पीआईडीएफ योजना के अंतर्गत भुगतान स्वीकृति के उभरते माध्यमों, जैसे साउंडबॉक्स डिवाइस और आधार-सक्षम बायोमेट्रिक डिवाइस की तैनाती को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है। इससे लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में भुगतान स्वीकृति अवसंरचना की तैनाती में और तेजी आने तथा वृद्धि होने की उम्मीद है। संशोधनों को शीघ्र ही सूचित किया जाएगा।

6. कार्ड-ऑन-फ़ाइल टोकनाइजेशन के लिए नए चैनलों का शुभारंभ करना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सितंबर 2021 में कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन (सीओएफटी) की शुरुआत की और 1 अक्तूबर 2022 से कार्यान्वयन शुरू किया। अब तक, 56 करोड़ से अधिक टोकन बनाए गए हैं, जिन पर ₹5 लाख करोड़ से अधिक मूल्य के लेन-देन किए गए हैं। टोकनाइजेशन से लेन-देन सुरक्षा और लेन-देन अनुमोदन दर में सुधार हुआ है। वर्तमान में, कार्ड-ऑन-फ़ाइल (सीओएफ) टोकन केवल व्यापारी के एप्लिकेशन या वेबपेज के माध्यम से बनाया जा सकता है। अब जारीकर्ता बैंक के स्तर पर सीधे सीओएफ टोकन निर्माण सुविधाएं शुरू करने का प्रस्ताव है। यह उपाय कार्डधारकों के लिए टोकन बनाने और विभिन्न ई-कॉमर्स एप्लिकेशनों पर उनके मौजूदा अकाउंट से लिंक करने की सुविधा बढ़ाएगा। इस संबंध में अनुदेश अलग से जारी किये जायेंगे।

III. ग्राहक संरक्षण

7. विनियमित संस्थाओं में आंतरिक लोकपाल व्यवस्था संबंधी मास्टर निदेश

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2015 में, चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में आंतरिक शिकायत निवारण (आईजीआर) प्रणाली को मजबूत करने और शिकायत की अस्वीकृति से पहले बैंकों के भीतर शीर्ष स्तर की समीक्षा को सक्षम करके ग्राहक शिकायतों का कुशल और निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आंतरिक लोकपाल (आईओ) व्यवस्था की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे, इस रूपरेखा को अन्य विनियमित संस्थाओं (आरई), यथा, चुनिंदा गैर-बैंक सिस्टम प्रतिभागियों (पीपीआई के गैर-बैंक जारीकर्ता), चुनिंदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सभी साख सूचना कंपनियों पर लागू कर दिया गया।

आरई की विभिन्न श्रेणियों के लिए वर्तमान में लागू आंतरिक लोकपाल रूपरेखा संबंधी दिशानिर्देश में समान डिज़ाइन विशेषताएं हैं लेकिन परिचालनगत स्तर पर कतिपय भिन्नताएं हैं। मौजूदा आईओ दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन से मिली सीख के आधार पर, इसे सुसंगत बनाने और एक समेकित मास्टर निदेश जारी करने का निर्णय लिया गया है। मास्टर निदेश, उप आंतरिक लोकपाल के पद के सृजन के अलावा आईओ के पास शिकायत करने की समय-सीमा, बहिष्करण, आंतरिक लोकपाल की अस्थायी अनुपस्थिति, आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और रिपोर्टिंग प्रारूपों के अद्यतनीकरण जैसे मामलों में एकरूपता लाएगा। इन अनुदेशों से विनियमित संस्थाओं में आईओ व्यवस्था और बदले में शिकायत निवारण प्रणाली को और मजबूत करने की उम्मीद है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant शनिवार, 7 अक्तूबर 2023
इन बैंकों पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं लोग II Personal Finance II Savin...
Which Bank is best for You? क्या आप किसी बैंक में खाता खुलवाने या किसी बैंक से लोन लेने या फिर किसी बैंक में एफडी, आरडी करवाने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन अपने सही बैंक नहीं चुन पा रहे हैं तो इस एपिसोड को अंत तक देखिये।


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Rajanish Kant शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023
बैंक FD के सिर्फ फायदे जानते होंगे, नुकसान भी जान लीजिए

बैंक FD के सिर्फ फायदे जानते होंगे, नुकसान भी जान लीजिए

Rajanish Kant बुधवार, 27 मार्च 2019
बैंकों का ऋण-जमा (Credit-Deposit) अनुपात दिसंबर 2018 तिमाही में बढ़कर 77.6%
भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशि और 
ऋण संबंधी तिमाही सांख्यिकी: दिसंबर 2018’ जारी की

आज भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (अ.वा.बैं.) की जमाराशि और ऋण संबंधी तिमाही सांख्यिकी- दिसंबर 2018’ नामक वेब प्रकाशन अपने भारतीय अर्थव्यवस्था संबंधी डाटाबेस (डीबीआईई) नामक पोर्टल पर जारी किया। प्रकार और कुल ऋण के आधार पर अलग-अलग बांटे गए जमाराशियों से संबंधित डाटा राज्यों, जिलाओं, केंद्रों, जनसंख्या और बैंक समूहों द्वारा वर्गीकृत किया गया है, जिसे मूलभूत सांख्यिकी विवरणी- बीएसआर-7 के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (क्षे.ग्रा.बैं.), लघु वित्त बैंकों (ल.वि.बैं.) समेत सभी अ.वा.बैं. से प्राप्त किए गए हैं।
मुख्य बातें:
  • बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) सभी जनसंख्या समूहों (ग्रामीण / अर्ध शहरी / शहरी / महानगरीय) में दो अंकों में दर्ज की गयी।
  • निजी क्षेत्र के बैंकों ने लगातार पांचवीं तिमाही में 20 प्रतिशत से अधिक ऋण वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) दर्ज की; जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए यह दर 8.4 प्रतिशत दर्ज किया गया।
  • सकल जमा वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) तेजी से बढ़ी; इस तिमाही में यह सभी जनसंख्या समूहों और सभी बैंक समूहों के लिए (क्षे.ग्रा.बैं. को छोड़कर) बढ़ी है।
  • निजी क्षेत्र के बैंक जमाराशियों की वृद्धि में अग्रणी रहें; सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए जमाराशियों की वृद्धि कम रही, हालांकि इसमें धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
  • कुल जमाराशियों में महानगरीय बैंक शाखाओं की आधे से अधिक (51.3 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही और इन शाखाओं की कुल बैंक ऋणों में सबसे बड़ी (63.9 प्रतिशत) भागीदारी रही है।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको के चालू खाता और बचत खाता (कासा) जमाराशियों की हिस्सेदारी 41.3 प्रतिशत पर स्थिर रही।
  • बैंक जमाराशियों के साथ-साथ ऋणों में सात राज्यों (महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल) की लगभग दो-तिहाई की हिस्सेदारी रही।
  • अखिल भारतीय स्तर पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको का ऋण-जमा (सी-डी) अनुपात दिसंबर 2018 तिमाही में बढ़कर 77.6 प्रतिशत हो गया (जो पिछले तिमाही मे 76.4 प्रतिशत था); महानगरीय शाखाओं का सी-डी अनुपात 96.6 प्रतिशत रहा, जो उच्चतम है।
(स्रोत-www.rbi.org.in)
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


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Rajanish Kant गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019