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पैसा बचाने के लिए 7 काम करें; 7 Tips For Save Money


 

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Rajanish Kant बुधवार, 15 फ़रवरी 2023
कम समय के लिए पैसे लगाने के बेस्ट विकल्प, सेविंग्स अकाउंट से ज्यादा रिटर्न मुमकिन
पैसा कमाते हैं तो फिर पैसे से पैसा बनाने की भी कला जानना चाहिए। अक्सर लोग बचत यानी खर्च के बाद बचे हुए पैसे को या तो सेविंग्स अकाउंट में पड़े रहने देते हैं या फिर घर में। लेकिन, ये सही रणनीति नहीं है। आप इन बचे हुए पैसों पर कम समय के लिए निवेश करके सेविंग्स अकाउंट से ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं। 

अब आप जानना चाह रहे होंगे कि कम समय के लिए पैसा लगाने के सेविंग्स अकाउंट से बेहतर विकल्प कौन-कौन हो सकते हैं। यहां पर हम उन्ही विकल्पों के बारे में बता रहे हैं। उनमें से कुछ तो बाजार आधारित यानी जोखिमपूर्ण विकल्प हैं जबकि कुछ सुरक्षित। 
कम रिस्की और बाजार में भारी उतार-चढ़ाव से कम असर वाले विकल्प की बात करें तो उनमें डेट म्युचुअल फंड स्कीम महत्वपूर्ण हैं। डेट फंड ट्रेजरी बिल्स, सरकारी प्रतिभूति, सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट, कमर्शियल पेपर्स, बॉन्ड्स और मनी मार्केट निवेश साधन उनमें शामिल हैं। 

>म्युचुअल फंड:
1) लिक्विड फंड (Liquid Fund):
-ओपन एंडेड फंड है
-91 दिन या उससे कम मैच्योरिटी 
अवधि वाले डेट और मनी मार्केट 
निवेश साधनों में पैसा निवेश किया 
जाता है 
-कैटेगरी का सालाना औसत रिटर्न: 6.68%
-इसमें निवेश करने की वजह: इमरजेंसी 
यानी आपातकालीन फंड बनाना, अचानक 
आए पैसों को निवेश करने के लिए





2)अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन (Ultra Short Duration):
-इसका पैसा 3 से 6 महीने की मैच्योरिटी अवधि
वाले डेट और मनी माार्केट निवेश साधनों में 
पैसा निवेश किया जाता है
-कैटेगरी का सालाना औसत रिटर्न: 5.78%
-निवेश की वजह: डेट म्युचुअल फंड से
 इक्विटी म्युचुअल फंड में एसटीपी के लिए

3)लो ड्यूरेशन (Low Duration):
-इसका पैसा 6 से 12 महीने की मैच्योरिटी अवधि
वाले डेट और मनी माार्केट निवेश साधनों में 
पैसा निवेश किया जाता है
-कैटेगरी का सालाना औसत रिटर्न: 6.20%
-निवेश की वजह: डेट म्युचुअल फंड से
इक्विटी म्युचुअल फंड में एसटीपी या  SWP 
के लिए


4) मनी मार्केट(Money Market):
-इसका पैसा 12 महीने तक की मैच्योरिटी 
अवधि वाले मनी माार्केट निवेश साधनों में 
पैसा निवेश किया जाता है
-कैटेगरी का सालाना औसत रिटर्न: 6.79%
-निवेश की वजह: बाजार में भारी उतार-चढ़ाव 
के दौरान इक्विटी से पैसा निकालकर इन फंड्स 
में पैसा लगाकर सुरक्षित रह सकते हैं 

5)शॉर्ट ड्यूरेशन (Short Duration): 

-इसका पैसा 1 से 3 साल की मैच्योरिटी अवधि
वाले डेट और मनी माार्केट निवेश साधनों में 
पैसा निवेश किया जाता है
-कैटेगरी का सालाना औसत रिटर्न: 4.41%
-निवेश की वजह: 3 से 4 साल के वित्तीय 
लक्ष्य को हासिल करने के लिए पैसा 
जमा करने के इरादे से 


> सुरक्षित निवेश साधन: अगर आप म्युचुअल फंड में निवेश करने में असहज हैं तो फिर बैंक और पोस्ट ऑफिस में भी कम समय के लिए पैसे लगाने के कई विकल्प हैं। 

1) स्वीप-इन-फिक्स्ड डिपॉजिट (Sweep-in-fixed Deposit):
-इसके तहत बैंक में मिनिमम बैलेंस से अधिक पैसा 
कम से कम एक साल की फिक्स्ड डिपॉजिट में 
ट्रांसफर हो जाता है यानी सेविंग्स से ज्यादा ब्याज 
मुमकिन
-फिक्स्ड डिपॉजिट जितना ब्याज
-मिनिमम निवेश बैंकों पर निर्भर, 
अलग-अलग बैंक के अलग-अलग नियम
-सीनियर सिटीजन के लिए सालाना 50 हजार रुपए 
तक का ब्याज टैक्स फ्री जबकि नॉन सीनियर सिटीजन
के लिए  हर साल 40 हजार का ब्याज टैक्स फ्री 

2)आवर्ती जमा या रेकरिंग डिपॉजिट (Recurring Deposit):
-बैंक या पोस्ट ऑफिस में निवेश कर सकते हैं 
-एक बार के बजाय हर महीने निश्चित पैसा निवेश 
करना होता है
-6 महीने की अवधि से लेकर 10 साल के 
लिए निवेश कर सकते हैं 
-मिनिमम निवेश बैंकों और पोस्ट ऑफिस पर निर्भर, 
अलग-अलग बैंक के अलग-अलग नियम
-ब्याज दर अलग-अलग बैंक और पोस्ट ऑफिस पर 
निर्भर
-सीनियर सिटीजन के लिए सालाना 50 हजार रुपए 
तक का ब्याज टैक्स फ्री जबकि नॉन सीनियर सिटीजन
के लिए  हर साल 40 हजार का ब्याज टैक्स फ्री 


3) शॉर्ट टर्म फिक्स्ड डिपॉजिट (Short Term Fixed Deposit):

-इसके तहत बैंक में निवेश कर सकते हैं 
-7 दिन से लेकर 12 महीने तक निवेश 
कर सकते हैं 
-मिनिमम निवेश बैंकों पर निर्भर, 
अलग-अलग बैंक के अलग-अलग नियम
-ब्याज दर अलग-अलग बैंक पर निर्भर
-सीनियर सिटीजन के लिए सालाना 50 हजार रुपए 
तक का ब्याज टैक्स फ्री जबकि नॉन सीनियर सिटीजन
के लिए  हर साल 40 हजार का ब्याज टैक्स फ्री 

4)पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (Post office Time Deposit):
-पोस्ट ऑफिस में निवेश 
-1,2,3 और पांच साल के लिए निवेश करने की सुविधा 
-ब्याज दर की हर तिमाही में समीक्षा होती है 
-सीनियर सिटीजन के लिए सालाना 50 हजार रुपए 
तक का ब्याज टैक्स फ्री जबकि नॉन सीनियर सिटीजन
के लिए  हर साल 40 हजार का ब्याज टैक्स फ्री 



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Rajanish Kant बुधवार, 1 अगस्त 2018
फ्री बैंकिंग सेवा पर GST लगेगा या नहीं...

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Rajanish Kant सोमवार, 4 जून 2018
आपके पैसों पर GST के असर को लेकर सारे सवालों के जवाब सरकार ने दिये हैं...
देश में GST के लागू होने के साथ ही लोगों के मन में अपने पैसों के लेन-देन, निवेश, निवेश साधनों में से पैसे निकालने, बैंकिंग सुविधाओं के इस्तेमाल जैसे पर्सनल फाइनेंस से जुड़े कई सवाल उलझन पैदा कर रहे थे। कुछ सवालों का जवाब तो मिल गया था,लेकिन बहुत सारे सवाल जवाब की तलाश में थे। 


GST काउंसिल ने ताजा FAQ (Frequently Asked Questions) जारी कर 91 सवालों का जवाब दिया है..यह 32 पन्नों में है....आप भी जरूर देखिये...




Rajanish Kant
पैसों से जुड़े 5 'राज' को 'राज' ही रहने दें, ये सिर्फ आपके लिए है...

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Rajanish Kant बुधवार, 23 मई 2018
महिला हैं तो क्या, पैसों के बारे में फैसला तो आप भी ले सकती हैं;

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 

((मेरा कविता संग्रह "जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक"खरीदने के लिए क्लिक करें 

(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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(महिला हैं तो क्या, पैसों के बारे में फैसला तो आप भी ले सकती हैं; Women should too know how to manage money
(जरूर पढ़ें ये 12 किताब, बदलें नसीब और बनें अमीर; Read these 12 books and become rich
((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

महिला हैं तो क्या, पैसों के बारे में फैसला तो आप भी ले सकती हैं;

Rajanish Kant गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017
महिलायें तलाक के बाद सेटलमेंट के तौर पर मिले पैसों का क्या करें
तलाक...डिवोर्स...किसी भी शादी-शुदा शख्स के लिए इमोशनल ट्रॉमा से कम नहीं है। इमोशवल लेवल पर यह पति-पत्नी दोनों को बहुत चोट पहुंचाता है। हालांकि, दोनों पर इसका असर अलग-अलग मात्रा में हो सकता है। इमोशनल ट्रॉमा के साथ-साथ इसके आर्थिक परिणाम भी कम गंभीर नहीं होते और यही वजह है कि तलाक के समय किसी भी समस्या के बारे में हम तर्कसंगत तरीके से फैसला नहीं कर पाते हैं। तलाक से सबसे ज्यादा झटका उन महिलाओं को लग सकता है, जिन्हें फाइनेंशियल मामलों की ज्यादा समझ नहीं होती या जो परिवार के खर्च, सेविंग्स या इन्वेस्टमेंट और इस तरह के दूसरे फैसलों से जुड़ी नहीं रही हैं।

आप भी तलाक की पीड़िता हैं और फाइनेंशियल सेटलमेंट के रूप में एकसाथ काफी पैसे मिले हैं, और अभी तक इसका क्या करना है, नहीं सोचा है, तो चलिए हम कुछ टिप्स बता रहे हैं। हालांकि, इसे आप जानकारी के तौर पर समझें, ना कि सलाह के तौर पर। इन टिप्स पर अमल करने से पहले आप खुद से फैसला लें या फिर अपने भरोसेमंद जानकारों की मदद से ऐसा करें। 


> ये रही टिप्स: 

1-छोटी अवधि के लिए इन पैसों को कहीं सुरक्षित रखें। अगर इन पैसों का क्या करना है, इसको लेकर कुछ उपाय नहीं सुझ रहा हो, तो आकर्षक बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में निवेश करें। इससे पहले अगर आपका बैंक अकाउंट नहीं है, तो तुरंत किसी बैंक में अपना अकाउंट खुलवायें और पैसों को कम से कम बचत खाते में तो रख ही दीजिए। ताकि जरूरत पड़ने पर खर्च के लिए आप इसमें से पैसा निकाल सकें। घर पर रखने से कोई फायदा नहीं है। आपको बता दें कि बैंक एफडी निवेश का सबसे आसान, सस्ता और सरल साधन है। बिना कोई खास माथा-पच्ची किए आप अपने पैसों का एफडी कर सकती हैं। 

कैसे खुलवायें बैंक अकाउंट: अब सवाल उठता है कि बैंक अकाउंट कैसे खुलवायें। तो एकदम आसान है। अपने नजदीक के किसी भरोसेमंद बैंक में जाइए। वहां जाकर आप मैनेजर या किसी स्टाफ से बैंक अकाउंट खोलने के बारे में डीटेल्स से जानकारी ले सकती हैं। उनके बताये अनुसार सारे काम कीजिए और अकाउंट खुलवा लीजिए। 
आप ऐसा भी कर सकती हैं कि अगर आप अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक जा रही हैं तो अपने साथ पासपोर्ट साइज का अपना फोटो, पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट बगैरह, फिर अपना एड्रेस प्रूफ जैसे कि बिजली बिजली, टेलीफोन बिल, आधार कार्ड, राशन कार्ड बगैरह साथ रख लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अकाउंट खुलवाते वक्त इन चीजों की जरूरत पड़ेगी। साथ में कलम भी ले ते जाइगा। बैंक में आपको अकाउंट खोलने के लिए फॉर्म मिलेगा जिसे सही-सही भरकर बैंक को वापस करना होगा। इसमें हस्ताक्षर करना और अपने नॉमिनी का नाम देना मत भूलिएगा। 

2-पैसे को सुरक्षित करने के बाद अपने भविष्य को सुरक्षित कीजिए। भविष्य में आप अपनी जरूरतों को पूरी करने लिए इत्मिनान से फाइनेंशियल प्लान बनाइए। इस काम में आप किसी जानकार की भी मदद ले सकती हैं। फाइनेंशियल प्लान कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे-आपको कितना पैसा बचाना है या निवेश करना है, क्या आपको कोई कर्ज या बकाया चुकाना है, आप अपने पैसों को कितने समय तक बचत खाते या सेविंग्स अकाउंट में रख सकती हैं या फिर निवेशित रह सकती हैं, आप अपने पैसों पर कितना जोखिम लेने की स्थिति में है यानी अगर कभी नुकसान होने की आशंका हो तो कितना नुकसान सह सकती हैं बगैरह-बगरैह। 


हां, कुछ और बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे, फाइनेंशियल प्लानिंग हड़बड़ी में मत तैयार करें, बल्कि इसपर सोचने के लिए कुछ वक्त लें। इसके अलावा, सारी रकम निवेश करने से पहले यह देख लें कि आपके पास कम से कम छह महीने के खर्च के लिए पास में पैसे हैं कि नहीं। जब आप निवेश के बारे में खुद से फैसला ले सकते हैं तो खुद से स्वतंत्र रूप से लीजिए, किसी से सलाह लेने की जरूरत नहीं है। लोग कई बार शेयर बाजार या म्युचुअल फंड में तब निवेश करते हैं जबकि कीमत काफी बढ़ जाती है और मुनाफा होने की संभावना कम हो जाती है जबकि नुकसान की आशंका बढ़ जाती है, तो ऐसे में आपको काफी सावधान रहना पड़ेगा। 

जिन निवेश साधनों के बारे में आप नहीं जानते हैं, उसमें निवेश मत कीजिए। एक बार में बड़ी रकम निवेश करना नुकसान पहुंचा सकता है। निवेश की शुरुआत छोटी-छोटी रकम और छोटी अवधि मसलन, 500 या 1000 रुपए और 6 महीने से करें। इसके अलावा, अपना कर्ज चुकाने के पहले निवेश करने  से बचें। 

3) नई प्रॉपर्टी खरीदें: अगर आपकी जेब आपको नया घर खरीदने की इजाजत दे, तो घर खरीदने के बारे में सोचें। खरीदने से पहले उस घर की पूरी कीमत मसलन, स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फी, सर्विस टैक्स भी जोड़ लें। अगर आप होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो आप पहले ये देख लीजिए कि डाउन पेमेंट के लिए आप पैसों का इंतजाम कर पाएंगी या नहीं। 


4)किसी पेंशन स्कीम में निवेश करें। 


5)अगर आपके साथ आपका बच्चा हो, तो उसके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भी कुछ निवेश करें। 


6)लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम लेना मत भूलिएगा। 

7)अगर कोई टैक्स की देनदारी बनती हो, तो उस पर भी गौर फरमा लीजिएगा। 

तो, अगर ये छोटे-छोटे काम कर लेंगे, तो तलाक के बाद फाइनेंशियल संघर्ष से निपटने में आपको काफी सहुलियत होगी। 

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
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Rajanish Kant शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017