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कर्ज पर आधारित निवेश साधन या प्रोडक्ट (Debt Instruments) क्या होते हैं, जानें इसके फायदे के बारे में
जब भी आप किसी निवेश के जानकार या सलाहकार से निवेश साधनों के बारे में पूछेंगे, तो वह आप से शेयर, सोना, रियल इस्टेट के अलावा डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन या प्रोडक्ट) की भी चर्चा करेगा। या फिर कहीं आप निवेश साधनों के बारे में पढ़ रहे हैं या फिर उससे संबंधित कोई प्रोग्राम किसी चैनल पर देख रहे होते हैं, तो भी डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन) का नाम सुनते हैं। जाहिर है, अब आपको जानने की इच्छा हो रही होगी कि आखिर डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन) होते क्या हैं और एक आम निवेशक इससे कैसे फायदा उठा सकता है।  

दरअसल, डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन या प्रोडक्ट) एक तरह का वित्तीय दायित्व(Financial Obligation, Financial Responsibility) है। जो भी (संस्था, कंपनी, बैंक, देश, केंद्रीय बैंक) यह प्रोडक्ट जारी करता है उसका (जारीकर्ता) दायित्व होता है कि भविष्य के नकदी प्रवाह (जिसमें मूलधन - Principal और ब्याज- Interest दोनों शामिल ) को इस प्रोडक्ट या निवेश साधन में निवेश करने वालों या इसके कानूनी मालिक को भुगतान कर दे। मतलब, अगर कोई निवेशक ऐसे प्रोडक्ट में पैसा लगाता है, तो ऐसे प्रोडक्ट जारी करने वालों की बाध्यता होती है कि एक खास समय के बाद वह उस निवेशक का पूरा पैसा (मूलधन और ब्याज) लौटा दे। 

डेट इंस्ट्रूमेंट्स में अलग-अलग प्रकार के बांड (Bond), डिबेंचर्स (Debentures), कॉमर्शियल पेपर्स (Commercial Papers), जमा प्रमाण पत्र (Certificate of Deposits), सरकारी प्रतिभूतियां (जी-सेक-Government Securities), फिक्स्ड डिपॉजिट्स आदि जैसे निवेश साधन शामिल हैं। सरकारी प्रतिभूतियां (जी-सेक) भारत में बाजार पूंजीकरण, ट्रेडिंग वॉल्यूम और बकाया प्रतिभूतियों के  हिसाब से सबसे पुराना और सबसे बड़ा डेट मार्केट यानी कर्ज पर आधारित निवेश का बाजार है।जी-सेक बाजार भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाला रिटर्न (Yield)देश में ब्याज दरों का स्तर तय करने के लिए बेंचमार्क प्रदान करता है। जी-सेक को किसी भी इकोनॉमी में जोखिम से मुक्त रिटर्न देने वाला निवेश साधन माना जाता है। 

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने प्राथमिक डीलरों, बैंकों और भारत के वित्तीय संस्थानों को डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन या प्रोडक्ट) का आपस में या गैर-बैंकिय ग्राहकों के साथ लेनदेन करने की अनुमति दी है। डेट इंस्ट्रूमेंट निश्चित रिटर्न (Fixed Return) देते हैं जो कि कुपन रेट के रूप में जाना जाता है। खुदरा निवेशकों के लिए निश्चित आय का एक महत्वपूर्ण निवेश साधन है डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन या प्रोडक्ट)। वित्तीय बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति में ये निवेश साधन स्वाभाविक तौर पर खुदरा निवेशकों के लिए पहली पसंद बन जाते हैं। सभी ऋण इंस्ट्रूमेंट्स में खुदरा निवेशक केंद्र सरकार की प्रतिभूति (जी-सेकेंड) में ज्यादा रूचि दिखाते हैं। जानकारों के मुताबिक, कम उतार-चढ़ाव और जोखिम मुक्त रिटर्न की वजह से खुदरा निवेशकों के लिए जी-सेक  बेहतर निवेश साधन है। 

>भारत में मौजूद कुछ महत्वपूर्ण डेट इंस्ट्रूमेंट (कर्ज पर आधारित निवेश साधन या प्रोडक्ट):
-बांड   (Bonds)
-जमा  प्रमाणपत्र (Certificates Of Deposit)
-वाणिज्यिक पत्र (Commercial Papers)
-डिबेंचर   (Debentures)
-एफडी    (FD-Fixed Deposit)
>बैंक बचत खाता Vs बैंक एफडी Vs बैंक आरडी; Bank Savings Account Vs Bank FDs Vs Bank RDs 
-जी - सेक (सरकारी प्रतिभूति) (Government Securities-सरकारी प्रतिभूतियां)
-राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) (National Savings Certificate-NSC)
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Rajanish Kant शुक्रवार, 9 जून 2017