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मकान, दुकान बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स लगता है, लेकिन टैक्स देने से बच...


मकान, दुकान बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स लगता है, लेकिन टैक्स देने से बच...

Rajanish Kant बुधवार, 1 मई 2019
आम बजट 2017-18: आपको कितना इनकम टैक्स देना होगा, जानिए...
अगर आप इनकम टैक्स भरते हैं, तो आपके लिए जरूरी खबर है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 पेश कर दिया है। इसमें इनकम टैक्स  को लेकर कुछ प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों के मुताबिक, अब आपको अपनी तीन लाख रुपए तक की कमाई पर कोई कर नहीं देना होगा, पहले ये सीमा ढाई लाख रुपए थी। 

साथ ही सरकार ने ढाई लाख से पाँच लाख रुपए तक की कमाई पर लगने वाले 10% टैक्स को घटाकर 5% कर दिया है। अपनी सैलरी या फिर अपनी कमाई के हिसाब से अब आपको कितना कर देना होगा, जानिए....

> सैलरी सालाना          पहले टैक्स              अब टैक्स                सालाना बचत
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₹3 लाख   तक            ₹0                                   ₹0                                ₹0
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₹4 लाख तक             ₹10,000                             ₹7,500                    ₹2,500
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₹5 लाख तक            ₹20,000                        ₹12,500                         ₹7,500
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₹6 लाख तक            ₹45,000                          ₹32,500                     ₹12,500
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₹7 लाख तक            ₹65,000                             ₹52,500                    ₹12,500
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₹8 लाख तक            ₹85,000                          ₹72,500                       ₹12,500
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₹9 लाख तक            ₹1,05,000                    ₹92,500                             ₹12,500
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₹10 लाख तक          ₹1,25,000                  ₹1,12,500                              ₹12,500
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नोट- टैक्स देनदारी बिना किसी कर बचत योजना में निवेश के
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आम बजट 2017-18: अब 2.5-5 लाख की सालाना करयोग्य आमदनी पर 10% के बजाय 5% टैक्स देना पड़ेगा
((आम बजट: 2017-18- जानिए किस सेक्टर के लिए कितनी राशि का आवंटन किया गया
((आम बजट 2017-18: कारोबार को सुगम बनाने के लिए कई घोषणाएं
>आम बजट 2016-17 के मुताबिक, इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत):
आमदनी                                      टैक्स (%)
2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं
2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 10.30
5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
10.00 लाख-1 करोड़ रु.                30.90
1 करोड़ रु. और इससे अधिक          35.54

((आम बजट 2016-17 को ग्राफिक्स के जरिए जानें 
((आम बजट 2016-17: इनकम टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं, लेकिन छोटे करदाताओं, किराएदारों को बड़ी राहत


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Rajanish Kant गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017
टैक्स बचत के साथ-साथ बेहतर रिटर्न चाहते हैं तो ELSS है ना...जानें 7 खास बातें ELSS की
अगर आप किसी ऐसे निवेश साधन की तलाश में है जिसमें पैसे लगाने के बाद आपका टैक्स भी बचे और टैक्स बचत वाले दूसरे निवेश साधन मसलन, इंश्योरेंस प्लान, पीपीएफ, बैंक एफडी, एनएससी, इंश्योरेंस कंपनियों के पेंशन प्लान बगैरह के मुकाबले रिटर्न भी बेहतर मिले, तो ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम आपके लिए बढ़िया विकल्प हो सकता है। हालांकि, शेयर बाजार से जुड़े होने की वजह से इसमें जोखिम भी हैं। 

सबसे पहले रिटर्न की तुलना कर लेते हैं:
निवेश साधन                    रिटर्न (%) में 
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ELSS         लंबी अवधि में औसतन सालाना रिटर्न 12 %
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इंश्योरेंस प्लान         लंबी अवधि में औसतन सालाना रिटर्न 5% 
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PPF                       8-8.5% सालाना (आगे कमी की संभावना)
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इंश्योरेंस कंपनियों              यूलिप में सालाना करीब 10%, 
 के पेंशन प्लान                  डेट से जुड़े प्लान में करीब 7%
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बैंक FD                    सालान 9% से कम, आगे कमी की संभावना,
                                  मनी मार्केट आधारित निवेश साधन 
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NSC                     सालाना 9% से कम, आगे कमी की संभावना     
                                मनी मार्केट आधारित निवेश साधन
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ELSS की 7 खास बातें:
-दूसरे इक्विटी फंड के मुकाबले इसमें कम उतार-चढ़ाव
-एक ही साथ निवेश करने के तनाव से मुक्ति के लिए आप मासिक एसआईपी यानी 
सिस्टैमिक इन्वेस्टमेंट प्लान चुन सकते हैं
-तीन साल का लॉक-इन पीरियड, जो कि दूसरे टैक्स बचत वाले निवेश साधन 
के मुकाबले कम है। 
-म्युचुअल फंड होने के कारण इसके फायदे मसलन, निवेश करने में 
कम लागत, कम जोखिम बगैरह।
-चुंकि इसमें ज्यादातर निवेशक लंबी अवधि के होते हैं, इसलिए फंड मैनेजर
पोर्टफोलियो से संबंधित सलाह देने में ज्यादा सावधानी बरतते हैं
-दूसरी म्युचुअल फंड स्कीम के मुकाबले इसमें स्थिरता ज्यादा, क्योंकि 
ELSS के निवेशक लंबी अवधि के होते हैं, इसलिए जल्दी फंड से
निकलते नहीं हैं
-ELSS हालांकि निश्चित रिटर्न का आश्वासन नहीं देता है, फिर भी एतिहासिक 
तौर पर लंबी अवधि में दूसरे टैक्स बचत निवेश साधन के मुकाबले ज्यादा ही 
रिटर्न देने में कामयाब रहा है

डिस्क्लेमर- यह सिर्फ जानकारी के लिए है। इसे निवेश की सलाह ना मानें। इसमें निवेश करने का फैसला स्वयं से या अपने निवेश सलाहकार की मदद से लें। 

((Mutual Fund Ki Mehfil:Part-1:What Is Mutual Fund  
म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-1: म्युचुअल फंड क्या है

((Mutual Fund Ki Mehfil:Part-2: Investment of Mutual Fund 
म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-2: म्युचुअल फंड का कहां निवेश होता है

((Mutual Fund Ki Mehfil:Part-3:Benefits of Investment in Mutual Fund 
म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-3: म्युचुअल फंड में निवेश के फायदे

((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-4: म्युचुअल फंड में निवेश किसके जरिये करें 

((Mutual Fund Ki Mehfil:Part-5: Role of MF Trustee
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-5: म्युचुअल फंड ट्रस्टी की भूमिका 

((Mutual Fund Ki Mehfil:Part-6: What Is Asset Management Company
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-6: परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (AMC) का क्या काम है)

((बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में महंगाई विलेन बने, तो क्या करें 
म्युचुअल फंड में पैसे लगाएं, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के तनाव से बचें   

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((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-1

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(म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 

((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  

((What Is FMPs (Fixed Maturity Plans)
एफएमपी (फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स) क्या है

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((टीचर हैं तो क्या हुआ, फाइनेंशियल प्लानिंग करना तो, बनता है बॉस

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Rajanish Kant रविवार, 8 जनवरी 2017
जानें, आपके निवेश पर टैक्स के प्रावधान

हर निवेश कोई ना कोई जोखिम लेकर आता है। किसी में रिटर्न कम मिलता है तो किसी में बढ़ती महंगाई को मात देने की काबिलियत नहीं होती है।

किसी निवेश साधन में टैक्स का जोखिम रहता है तो किसी में रिटर्न अनिश्चित रहता है और नुकसान की आशंका भी रहती है।

आइए जानते हैं  आपके निवेश साधनों पर टैक्स को लेकर क्या हैं मौजूदा प्रावधान?
1- इक्विटी: 
-अगर एक साल या उससे अधिक रखते हैं तो लांग टर्म गेन टैक्स फ्री है
-एक साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की दर से टैक्स देना होगा
-डिविडेंड पर टैक्स नहीं देना होगा
2-म्युचुअल फंड: 
A- इक्विटी फंड:
-एक साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर लांग टर्म कैपिटल गेन पर
कोई टैक्स नहीं
-एक साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की दर से टैक्स देना होगा
-डिविडेंड पर टैक्स नहीं देना होगा
C-आर्बिट्राज फंड:
-एक साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर लांग टर्म कैपिटल गेन पर
कोई टैक्स नहीं
-एक साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की दर से टैक्स देना होगा
-डिविडेंड पर टैक्स नहीं देना होगा
C: इक्विटी आधारित बैलेंस्ड फंड:
-एक साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर लांग टर्म कैपिटल गेन पर
कोई टैक्स नहीं
-एक साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की दर से टैक्स देना होगा
-डिविडेंड पर टैक्स नहीं देना होगा
D: डेट फंड:
-3 साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर इंडेक्सेशन के बाद
20% की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
-मामूली दर पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स
-निवेशकों के हाथ में डिविडेंड टैक्स फ्री होते हैं, लेकिन ऐसे स्कीम्स
पर डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (डीडीटी) काफी अधिक 28.32%
E: डेट आधारित बैलेंस्ड फंड:
-3 साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर इंडेक्सेशन के बाद
20% की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
-मामूली दर पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स
-निवेशकों के हाथ में डिविडेंड टैक्स फ्री होते हैं, लेकिन ऐसे स्कीम्स
पर डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (डीडीटी) काफी अधिक 28.32%

3- सोना: 
A- गोल्ड बुलियन और जूलरी:
-3 साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर इंडेक्सेशन के बाद
20% की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
-मामूली दर पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स
B- गोल्ड बांड:
-निवेश के बीच में मिले छोटे ब्याज पर स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स
-एक साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर लांग टर्म कैपिटल गेन पर
10% के हिसाब से टैक्स
-ब्याज वाले निवेश साधन होने की वजह से इंडेक्सेशन का फायदा नहीं
-मामूली दर पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स
3- गोल्ड फंड:
-3 साल या उससे अधिक की होल्डिंग पर इंडेक्सेशन के बाद
20% की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
-मामूली दर पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स

नोट: इन्डेक्सशेन बेनेफिट (Indexation Benefit): लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की गणना के दौरान इन्डेक्सशेन बेनेफिट महंगाई के खिलाफ एक तरह का मुआवजा मुहैया कराता है। अगर LTCG 10% सालाना है और महंगाई 7% सालाना है तो आपको सिर्फ अतिरिक्त लाभ पर 3% सालाना (10%-7%) टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।

((अलग-अलग इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (निवेश साधन) क्या होते हैं ? 
((कैसे बचाएं टैक्स, जानिए पूरी निवेश रणनीति beyourmoneymanager पर 


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Rajanish Kant शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016