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Commodity Future Trading में निवेश करके कैसे कमाएं
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Rajanish Kant शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023
क्या सोना आगे और महंगा रहने वाला है? जानें वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल क्या कहता है...
सोने के कारोबार पर नजर रखने वाला विश्वस्तरीय संस्था वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने गुरुवार को  सोने की मांग के रुझान से संबंधित रिपोर्ट जारी की है। इसमें इस कैलेंडर साल की पहली छमाही में सोने की मांग कैसी रही और छमाही में कैसी रहने वाली है, इसकी जानकारी दी गई। भारत के बारे में कहा गया है कि आने वाले दिनों में सोने की मांग सुस्त रह सकती है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक (भारत में आरबीआई, अमेरिका में फेडरल रिजर्व, चीन में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना) की खरीद और ईटीएफ में बढ़ते निवेश की वजह से इस कैलेंडर साल की पहली छमाही में सोने की मांग बढ़ी है। अप्रैल-मई-जून तिमाही के दौरान सोने की मांग 1,123t थी, जो कि पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 8% अधिक थी। वहीं जनवरी से जून के दौरान दुनियाभर में 2,181.7t सोने की मांग रही, जो कि तीन साल में सबसे अधिक है। इसका मुख्य कारण है सेंट्रल बैंकों द्वारा रिकॉर्डतोड़ खरीदारी। 

केंद्रीय बैंक की खरीद और स्वस्थ ईटीएफ इनफ्लो 2019 की पहली छमाही में सोने की मांग के पीछे मुख्य कारण रहे। भारत में इस दौरान आभूषण की मांग में जोरदार वृद्धि देखी गई। सोने की कीमतों में काफी उछाल (1400 डॉलर प्रति औंस के पार) की वजह से  बार और सिक्का में कम निवेश किए गए। कीमत काफी अधिक होने पर  सोने  में निवेश करने पर रिटर्न पर असर होने की संभावना रहती है। 

टेक्नोलॉजी सेक्टर ने हालांकि चुनौतीपूर्ण वैश्विक स्थितियों के कारण सोने के इस्तेमाल में कमी की है लेकिन आने वाले दिनों में इसकी मांग बढ़ सकती है। पहली छमाही में खान उत्पादन और पुनर्चक्रण में ठोस वृद्धि से सोने की  आपूर्ति में 2% की वृद्धि हुई।

H1 सोने की मांग रिकॉर्ड केंद्रीय बैंक की खरीद से तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। 


>रिपोर्ट की खास:
-केंद्रीय बैंकों ने Q2 2019 में 224.4 टन सोने की खरीद की, जबकि H1 को 374.1t की। 

-गोल्ड-समर्थित ईटीएफ की होल्डिंग्स Q2 में 67.2 टन बढ़कर छह साल के उच्चतम स्तर 2,548 टन पर पहुंच गई। इस क्षेत्र में आमदनी बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में भूराजनीतिक अस्थिरता, कम ब्याज दरों की उम्मीद और जून में सोने की कीमत में तेजी रही।

-भारत के आभूषण बाजार में मजबूत रिकवरी ने सोने की मांग 12% बढ़ाकर 168.8 टन तक कर दिया। व्यस्त शादी के मौसम और स्वस्थ त्यौहार की बिक्री ने मांग को बढ़ाया, इससे पहले कि जून में मूल्य वृद्धि ने इसे एक आभासी ठहराव में ला दिया था। भारतीय मांग ने वैश्विक आभूषण मांग को 531.7t पर पहुंचा दिया जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2% अधिक है। 

-Q2 में बार और सिक्के में निवेश 12% घटकर 218.6 टन पर पहुंच गया। सुस्त Q1 मांग के साथ कुल H1  मांग 476.9t पर पहुंच गई जो कि दस साल का निचला स्तर है। चीन में साल दर साल के आधार पर बार और सिक्के में निवेश 29% गिरा है, जो कि वैश्विक Q2 गिरावट के लिए जिम्मेदार है।

-सोने की आपूर्ति Q2 में 6% बढ़कर 1,186.7t हो गई। जून में कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से Q2 में खान उत्पादन रिकॉर्ड 882.6 टन रहा जबकि पुनर्चक्रित सोने की आपू्र्ति 9% की उछाल के साथ 314.6 टन रही। H1 की आपूर्ति 2,323.9t तक पहुंच गई जो कि 2016 के बाद से सबसे अधिक है। 

-सोने की कीमतें बहु-वर्ष के उच्चतम स्तर तक पहुंच गईं। 2013 के बाद से पहली बार सोने की कीमत 1,400 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई। इस रैली में ड्राइविंग करने वाले कारकों में कम ब्याज दरों और राजनीतिक अनिश्चितता की संभावना थी, जिसको मजबूत केंद्रीय बैंक की खरीदारी का समर्थन मिला।



>भारत के बारे में अनुमान:
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने गुरुवार को कहा कि भारत की सोने की मांग सितंबर तिमाही में नरम रहने की उम्मीद है, क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कीमती धातु के उपभोक्ता देश में सोने की स्थानीय कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। 

भारत में सोने की मांग में गिरावट का असर वैश्विक कीमतों पर पड़ सकता है, जो 2019 में अब तक लगभग 10% बढ़ चुकी है, लेकिन इससे देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है जो रुपये को संभाले रखने के लिए जरूरी है।  

डब्ल्यूजीसी के भारतीय परिचालन के प्रबंध निदेशक, सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि ग्रामीण संकट, उच्च कीमतें और भारत के आयात कर में बढ़ोतरी सितंबर तिमाही के दौरान मांग में कमी कर सकती है।

भारत की सोने की दो-तिहाई मांग ग्रामीण क्षेत्रों से आती है, जहां आभूषण धन का पारंपरिक भंडार है।

लेकिन इस वर्ष के मानसून ने अब तक कम औसत बारिश हुई है, जिससे देश के कई हिस्सों में बुवाई में देरी हुई है। साथ ही गर्मियों में बोई गई फसलों की सफलता की चिंता भी बढ़ गई है।

भारतीय सोना वायदा जुलाई में 35,409 रुपये ($ 511.54) प्रति 10 ग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। 2019 में अब तक स्थानीय कीमतें 10% बढ़ी हैं।

सोमसुंदरम ने आगे कहा कि हालांकि, अंतिम तिमाही में मांग सुधर जाएगी। गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में, WGC ने भारत में 2019 में सोने की खपत 750 से 850 टन रहने का अनुमान लगाया है। पिछले साल  760.4 टन सोने की मांग रही थी जबकि 10 साल की औसत मांग 838 टन है। 

उन्होंने कहा कि ऊंची कीमतों पर भी लोग सोना खरीदने लगेंगे और  और सामान्य खरीद फिर से शुरू होगी।

आमतौर पर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में शादी के सीजन और दिवाली जैसे त्योहारों के कारण मांग बढ़ जाती है, जब बुलियन खरीदना शुभ माना जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में स्क्रैप सोने की आपूर्ति 2019 में 15% बढ़कर लगभग 100 टन हो सकती है क्योंकि स्थानीय सोने की कीमतों में तेजी उपभोक्ताओं को पुराने स्क्रैप और आभूषण बेचने के लिए प्रेरित करती है।


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Rajanish Kant गुरुवार, 1 अगस्त 2019
एक्सचेंज को मिली कमोडिटी इंडेक्स लांच करने की मंजूरी, सेबी ने जारी किया सर्कुलर, जानें खास बातें

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कमोडिटी एक्सचेंज और कमोडिटी के कारोबार वाले स्टॉक एक्सचेंज को कमोडिटी इंडेक्स लांच करने की मंजूरी दे दी है। सेबी ने इस संबंध में आज ही सर्कुलर जारी किया और कहा सर्कुलर जारी होने वाले दिन से ही इसे लागू माना जाए।  


>सर्कलर की खास बातें:
-एक्सचेंज मौसम और मालभाड़े का फ्यूचर के अलावा कमोडिटी इंडेक्स लांच कर सकते हैं
-कोई भी फ्यूचर या कमोडिटी इंडेक्स लांच करने से पहले सेबी से अनुमति लेनी होगी
-एक्सचेंज को पहले से अपनी वेबसाइट पर कमोडिटी से जुड़े आंकड़े और जानकारी देनी होगी
-कमोडिटी इंडेक्स के पहले उसे लांच करने वाले एक्सचेंज का नाम देना होगा
-उसी कमोडिटी का इंडेक्स लांच करने की मंजूरी दी जाएगी, जिसकी पिछले 12 महीने के दौरान
कुल कारोबारी दिन का 90 प्रतिशत दिन ट्रेडिंग हुई होगी
-एग्रो और एग्री प्रोसेस्ड कमोडिटी का इंडेक्स लांच करने के लिए जरूरी है कि उस कमोडिटी का  पिछले 12 महीने के दौरान औसत रोजाना टर्नओवर कम से कम 75 करोड़ होना चाहिए, जबकि दूसरे कमोडिटी के लिए
यही सीमा कम से कम 500 करोड़ होना चाहिए

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Rajanish Kant मंगलवार, 18 जून 2019
कमोडिटी मार्केट में अब म्युचुअल फंड कर सकेंगे निवेश, सर्कुलर जारी, जानें खास बाते
सेबी ने कमोडिटी मार्केट में म्युचुअल फंड निवेश को लेकर जारी कर दिया सर्कुलर, जानें क्या है खास बाते 

घरेलू कमोडिटी डेरिवेटिव्ज मार्केट में अब और तेजी आने की उम्मीद है। दरअसल,  मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कमोडिटी डेरिवेटिव्ज मार्केट में म्युचुअल फंड के निवेश के संबंध में सर्कुलर जारी कर दिया है। सर्कुलर में कहा गया है कि सर्कुलर जारी होने के दिन से कमोडिटी डेरिवेटिव्ज मार्केट में म्युचुअल फंड के निवेश से जुड़े नियम लागू हो जाएंगे। 


सेबी ने कहा है कि म्युचुअल फंड संवेदनशील कमोडिटीज (एग्री सेगमेंट के जरूरी कमोडिटीज संवेदनशील कमोडिटीज कहलाते हैं) को छोड़कर सभी एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटीज में हिस्सा ले सकते हैं। म्युचुअल फंड के साथ गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड को भी कमोडिटीज डेरिवेटिव्ज में भाग लेने की मंजूरी दी गई है लेकिन केवल गोल्ड डेरिवेटिव्ज में ही। लगभग एक साल की लंबी बहस के बाद सेबी ने कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में म्युचुअल फंड के निवेश के संबंध में सर्कुलर जारी किया है। हालांकि, म्युचुअल फंड को फिजीकल डिलीवरी लेने से रोका गया है। अगर फंड्स सेटलमेंट के तौर पर फिजीकल डिलीवरी लेते भी हैं तो उसे 30 दिनों के भीतर सामान को  अनिवार्य रूप से निपटाना (Dispose) होगा। 

जिन म्यचुअल फंड्स में एफआईआई का पैसा लगा होगा, वो फंड्स कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में उस समय तक निवेश नहीं कर सकेंगे, जब तक कि एफआईआई को कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में निवेश करने की सेबी से अनुमति नहीं मिल जाती है। 

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(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां जल्दी से कैश (तरलता) की उम्मीद करते हैं-म्युचुअल फंड्स, इक्विटीज, डिबेंचर्स, कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करते हैं-कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स, डिबेंचर्स,  इक्विटीज या  म्युचुअल फंड्स ?
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Rajanish Kant बुधवार, 22 मई 2019