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भारत में अमीरी-गरीबी की खाई और बढ़ी, रईस और अमीर हुए़, गरीब और गरीब-ऑक्सफेम
भारत पर वैश्विक संगठन ऑक्सफेम की ताजा रिपोर्ट सरकार के लिए आंखें खोलने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में देश के रईसों की अमीरी बढ़ी है जबकि गरीब और गरीब हुए हैं और ऐसा सरकार की गलत नीतियों की वजह से हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल पहले देश के अरबपतियों की कुल दौलत जीडीपी का 10 प्रतिशत थी जो कि अब बढ़कर जीडीपी का 15 प्रतिशत हो गई है।
आपको बता दूं कि 2017 में भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 101 थी। इन पांच सालों में अमीरी और गरीबी की खाई और बढ़ी है। लगातार बढ़ रही इस खाई को कम करने के लिए रिपोर्ट में कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं। इसके लिए सरकार को प्रगतिशील प्रत्यक्ष कर संग्रहण व्यवस्था लागू कर प्रत्यक्ष करों की वसूली बढ़ीने और स्वास्थ्य, , शिक्षा, गरीबों के पोषण खास शुरुआती बच्चों के पोषण पर खर्च बढ़ाने की सलाह दी गई है।
ऑक्सफेम ने अपनी 'द वाइडेनिंग गैप्स: इंडिया इनइक्विलिटी रिपोर्ट 2018', में कहा है कि भारत आय, उपभोग और दौलत समेत सभी पैरामीटर्स के हिसाब से दुनिया के सबसे गैर-बराबरी वाला देशों में शामिल है। इसके लिए संगठन ने गलत सरकार नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। सरकारी नीतियों में श्रम, श्रमिकों और गैर-कुशल श्रम के मुकाबले पूंजी, पूंजीवादियों और कुशल श्रमिकों के हित में नीतियां तैयार की गईं, जिससे असमानता बढ़ी है।
रिपोर्ट में अलग-अलग कई आंकड़ों के आधार पर बताया गया है कि कैसे भारत में 1980 में स्थिर असमानता से 1991 के बाद असमानता तेजी से बढ़ी है और 2017 तक यह असमानता और बढ़ती ही चली गई। जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा के आधार पर बटे समाज ने असमानता की स्थिति को और बदतर बना दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में और अधिक समान मौके मुहैया कराकर और विकास का फायदा अधिक से अधिक लोगों को देकर असमानता को कम किया जा सकता है।
ऑक्सफेम ने कहा है कि 2017 में महज एक प्रतिशत रईसों के पास 73 प्रतिशत दौलत थी। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 में देश के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की दौलत 20.9 ट्रिलियन रुपए बढ़ी, वहीं दूसरी तरफ सबसे गरीब 67 करोड़ लोगों की आमदनी महज एक प्रतिशत ही बढ़ी।
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Rajanish Kant शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018
23 दिसंबर तक 555 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई
राज्यों से मिली प्राथमिक रिपोर्टों के मुताबिक, 23 दिसंबर, 2016 तक रबी फसलों का कुल रकबा 554.91 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक यह रकबा 523.40 लाख हेक्टेयर था।

यह जानकारी दी गई है कि गेहूं की बुआई 278.62 लाख हेक्टेयर में, दलहन 138.25 लाख हेक्टेयर में, मोटे अनाज 50.63 लाख हेक्टेयर में जबकि तिलहन 78.08 लाख हेक्टेयर में हुई है।

इस साल अब तक हुई बुआई का रकबा और पिछले साल इसी समय के दौरान हुई बुआई का ब्यौरा नीचे दिया गया है:-


((16 दिसंबर तक 519 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई

Rajanish Kant शनिवार, 24 दिसंबर 2016
पासपोर्ट के नए नियमों की घोषणा, आधार भी जन्म प्रमाण पत्र के तौर पर अब मान्य, साधुओं के लिए भी नियम आसान
पासपोर्ट के नए नियमों की घोषणा
  1. पासपोर्ट बनवाने के नियमों को और उदार और आसान बनाने के लिए विदेश मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। इससे पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले भारतीय नागरिकों को फायदा होगा। इन कदमों का पूरा ब्योरा इस प्रकार है -
 जन्मतिथि का प्रमाण

  1. पासपोर्ट नियमावली, 1980 के मौजूदा वैधानिक प्रावधानों के अनुसार 26/01/1989 को या उसके बाद जन्म लेने वाले आवेदकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्मतिथि के प्रमाण के तौर पर अपना जन्म प्रमाणपत्र को पेश करना अनिवार्य होता था लेकिन अब निर्णय लिया गया कि ऐसे आवेदक जन्मतिथि प्रमाण के तौर नीचे दिए गए दस्तावेजों में से कोई दस्तावेज दिखा सकते हैं-

(i) जन्म एवं मृत्य के रजिस्ट्रार या नगर निगम या भारत में जन्म लेने वाले बच्चों को पंजीकृत करने के लिए जन्म एवं मृत्यु अधिनियम, 1969 के अंतर्गत अन्य किसी निर्धारित प्राधिकारी द्वारा जारी जन्मतिथि प्रमाणपत्र;
(ii) लास्ट अटेंडेड स्कूल/मान्यता प्राप्त शैक्षणिक बोर्ड द्वारा जारी ट्रांसफर/स्कूल लीविंग/10वीं सर्टिफिकेट, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(iii) आयकर विभाग द्वारा जारी पैन कार्ड, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(iv) आधार कार्ड/ई-आधार कार्ड जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(v) आवेदक के सर्विस रिकॉर्ड की प्रति (केवल सरकारी कर्मियों के संबंध में) या पे पेंशन ऑर्डर (केवल सेवानिवृत कर्मियों के संबंध में), आवेदक के संबंधित मंत्रालय/विभाग के प्रशासन में ऑफिसर/इन-चार्ज द्वारा अटेस्टेड/सर्टिफाइड, जिसमें जन्मतिथि लिखी हो;
(vi) संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(vii) भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनाव फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी), जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(viii) पब्लिक लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन/कंपनियों दवारा जारी पॉलिसी बॉन्ड जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी के होल्डर की जन्मतिथि लिखी हो.

अंतर-मंत्रालयी समिति की रिपोर्ट
  1. पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में सिंगल पेरेंट और गोद लिए बच्चों से जुड़ी तमाम समस्याओं को निपटाने के लिए विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी। समिति की रिपोर्ट को विदेश मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।

समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए नियमों में निम्न बदलाव किए गए हैं:

(i) ऑनलाइन पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब माता या पिता या फिर कानूनी अभिभावक के नाम में से किसी एक का नाम देना होगा। इससे सिंगल पेरेंट्स के बच्चों को पासपोर्ट जारी करने में आसानी होगी।
(ii) पासपोर्ट नियमावली 1980 के 15 बिंदुओं को कम करके अब 9 कर दिया गया है। बिंदुओं ए, सी, डी, ई, जे और के को हटा दिया गया है और कुछ बिंदु किसी दूसरे में मिला दिए गए हैं।
(iii) आवेदकों द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर दी जाने वाली जानकारी सादे कागज पर एक स्व-घोषणा के रूप में होगी। किसी अटेस्टेशन/शपथ/नोटरी/कार्यकारी मजिस्ट्रेट/प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता नहीं होगी।
(iv) शादीशुदा आवेदकों को एनेक्चर के या विवाह प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा।
(v) तलाक या अलग होने की स्थिति में पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब पति/पत्नी का नाम देना जरूरी नहीं होगा। इसके लिए तलाकनामे की जरूरत भी नहीं होगी।
(vi) अनाथालय में रहने वाले बच्चे जिनके पास जन्मतिथि या 10वीं कक्षा का प्रमाणपत्र नहीं हैं, वह अनाथालय/चाइल्ड केयर होम के प्रमुख की ओर से उनके आधिकारिक लेटर हेड पर आवेदन की जन्मतिथि की पुष्टि करने वाला एक शपथ पत्र जमा कर सकते हैं।
(vii) बच्चे को गोद लेने के स्थिति में इसका प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा। सादे कागज पर भी गोद लेने की पुष्टि करने वाला शपथ पत्र दिया जा सकता है।

(viii) साधु-सन्यासियों पासपोर्ट आवेदन पत्र में अपने धर्मगुरु का नाम अपने माता-पिता के नाम की जगह दे सकते हैं।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016