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Income Tax रिटर्न भरते समय क्या आप भी जानकारी छुपाते हैं?

Income Tax रिटर्न भरते समय क्या आप भी जानकारी छुपाते हैं?

Rajanish Kant शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019
125 करोड़ आबादी में से बस इतने ही करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं...
सीबीडीटी ने प्रत्यक्ष कर के आंकड़े जारी किए 


पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात में निरंतर वृद्धि पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोतरी आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या भी 65 प्रतिशत बढ़कर 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई

प्रत्यक्ष करों के संग्रह और प्रशासन से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों को सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत करने की परंपरा को जारी रखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टाइम-सीरीज डेटा जारी किया है जिसे वित्त वर्ष 2017-18 तक अद्यतन किया गया है। इसके साथ ही सीबीडीटी ने कर निर्धारण वर्ष 2016-17 और कर निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए आय-वितरण डेटा भी जारी किया है। इन आंकड़ों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
  1. पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर- जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है और वित्त वर्ष 2017-18 में आंका गया 5.98 प्रतिशत का प्रत्यक्ष कर- जीडीपी अनुपात पिछले 10 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ रहा है।
  2. पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान दाखिल किए गए रिटर्न की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) के 3.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई।
  3. इस अवधि के दौरान आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या भी लगभग 65 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई। वित्त वर्ष 2013-14 में कुल मिलाकर 3.31 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए थे।
पिछले तीन कर निर्धारण वर्षों के दौरान सभी श्रेणियों के करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में घोषित आमदनी की राशि में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) से जुड़े कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों ने कुल मिलाकर 26.92 लाख करोड़ रुपये की सकल आय घोषित की थी, जो कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 67 प्रतिशत बढ़कर 44.88 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। यह कर अनुपालन के बढ़ते स्तर को दर्शाता है जो सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न विधायी एवं प्रशासनिक कदमों की बदौलत संभव हो पाया है। कर चोरी के खिलाफ कारगर ढंग से प्रवर्तन उपायों को लागू करना भी इन कदमों में शामिल है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी को दर्शाने वाले करदाताओं (कंपनियों, फर्मों, हिंदू अविभाजित परिवारों यानी एचयूएफ, इत्यादि सहित) की कुल संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान 88,649 करदाताओं ने 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी दर्शाई थी। यह आंकड़ा कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर 1,40,139 के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी घोषित करने वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या भी इस दौरान 48,416 से 68 प्रतिशत बढ़कर 81,344 के आंकड़े को छू गई।
कॉरपोरेट करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 32.28 लाख रुपये से 55 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 49.95 लाख रुपये हो गया। इसी तरह व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 46,377 लाख रुपये से 26 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 58,576 रुपये हो गया।
पिछले तीन वर्षों की इस अवधि के दौरान वेतनभोगी करदाताओं की संख्या कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 1.70 करोड़ से 37 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 2.33 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई। वेतनभोगी करदाताओं द्वारा घोषित की गई औसत आमदनी भी इस दौरान 5.76 लाख रुपये से 19 प्रतिशत बढ़कर 6.84 लाख रुपये हो गई।
इसी अवधि के दौरान गैर-वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 1.95 करोड़ से 19 प्रतिशत बढ़कर 2.33 करोड़ के आंकड़े को छू गई। इसी तरह घोषित औसत गैर-वेतन आमदनी भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 4.11 लाख रुपये से 27 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 5.23 लाख रुपये हो गई।
अन्य प्रकाशनों के साथ-साथ नई विज्ञप्तियां भी www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध हैं।
(सौ.पीआईबी)

Rajanish Kant मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018
Income Tax Return Filing: ताजा अपडेट से अनजान मत रहें

Income Tax Return Filing: ताजा अपडेट से अनजान मत रहें

Rajanish Kant शुक्रवार, 27 जुलाई 2018
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की जरूरी खबर...
वित्त वर्ष 2017-18 और आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि एक महीने बढ़ा दी गई है। पहले अंतिम तिथि 31 जुलाई 2018 थी जिसे अब बढ़ाकर 31 अगस्त 2018 कर दी गयी है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। 

सीबीडीटी के इस फैसले से उनलोगों को राहत मिलेगी, जिन लोगों ने अब तक वित्त वर्ष 2017-18 इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है। 

आपको बता दूं कि इस साल से सरकार ने आखिरी तारीख के बाद रिटर्न भरने पर जुर्माना लगाने का फैसला किया है। ये जुर्माना ₹10 हजार तक हो सकता है।  अगर कोई 31 अगस्त के बाद टैक्स रिटर्न फाइल करता है तो उसे ₹5 हजार जुर्माना देना होगा। 31 दिसंबर के बाद रिटर्न फाइल करने पर ये पेनल्टी ₹10 हजार होगा। अगर आपकी आय ₹ 5 लाख से कम है तो आपको सिर्फ ₹ 1 हजार रुपए ही जुर्माना देना होगा। 

Rajanish Kant गुरुवार, 26 जुलाई 2018
1 जुलाई से IT रिटर्न भरने के लिए आधार जरूरी, CBDT ने जारी किया बयान
(साभार-आजतक)
आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के एक दिन बाद ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड-CBDT ने बयान जारी कर आयकरदाताओं से कहा है कि 1 जुलाई से आधार कर्ड बनवाने की योग्यता रखने वाले हर व्यक्ति को आयकर रिटर्न दाखिल करने आधार नंबर या आधार बनवाने के लिए आवेदन करने के बाद मिला एनरॉलमेंट नंबर देना ही पड़ेगा. 

CBDT ने ये भी कहा है कि पैन नंबर के साथ आधार को जोड़ने के लिए आयकर विभाग लोगों को अपने आधार नंबर की सूचना देनी होगी.

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने आधार के मामले पर याचिका की सुनवाई करते हुए लोगों को थोड़ी राहत दी थी. उच्चतम न्यायालय ने पैन कार्ड के आबंटन और आयकर रिटर्न दाखिल करने हेतु आधार अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधान को वैध ठहराया परंतु उसने इससे संबंधित निजता के अधिकार के मुद्दे पर संविधान पीठ का निर्णय होने तक इसके अमल पर आंशिक रोक लगा दी थी.

न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने आयकर कानून में धारा 139एए शामिल करने के संसद के अधिकार को भी बरकरार रखा है.

शीर्ष अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि उसने निजता के अधिकार और उससे जुडे इस पहलू पर गौर नहीं किया है कि आधार योजना मानवीय गरिमा को प्रभावित करती है. न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर संविधान पीठ ही निर्णय करेगी. पीठ ने कहा कि आयकर कानून का प्रावधान वैध है और यह आधार योजना से निजता के अधिकार का अतिक्रमण होने और इसके आंकडे लीक होने के खतरे के मुद्दों पर संविधान पीठ के समक्ष लंबित याचिकाओं के नतीजों के दायरे में आयेगा.

न्यायालय ने सरकार से कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिये उचित कदम उठाये कि आधार योजना से आंकडे लीक नहीं हों और इस संबंध में नागरिकों को भरोसा दिलाने के उपाय किये जायें. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि आयकर कानून के प्रावधान और आधार कानून के बीच किसी प्रकार का टकराव नहीं है.

न्यायालय ने कहा कि निजता के अधिकार के बारे में संविधान पीठ का निर्णय होने तक बगैर आधार नंबर वाले पैन कार्ड अवैध नहीं माने जायेंगे. यही नहीं, आधार से जुड़े निजता के मसले पर निर्णय होने तक नये कानून पर आंशिक रोक की वजह से पहले हुये लेन देन प्रभावित या अमान्य नहीं होंगे.

शीर्ष अदालत ने आयकर कानून की धारा 139 एए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार मई को सुनवाई पूरी की थी। यह प्रावधान ताजा आम बजट और वित्त कानून, 2017 में शामिल किये गये थे। धारा 139एए के तहत इस साल एक जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करते समय और पैन आबंटन का आवेदन करते समय आधार नंबर अथवा आधार के अर्जी फार्म में पंजीकरण पहचान का विवरण देना अनिवार्य किया गया है.

इससे पहले, केन्द्र ने कहा था कि पैन कार्ड कार्यक्रम संदिग्ध हो गया था क्योंकि इसे फर्जी तैयार किया जा सकता है जबकि आधार पूरी तरह सुरक्षित प्रणाली है और इसमे किसी भी व्यक्ति की पहचान को फर्जी नहीं बनाया जा सकता है.

कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बिनय विश्वम सहित अनेक याचिकाकर्ताओं ने सरकार की इस पहल का विरोध करते हुये दलील दी थी कि केन्द्र शीर्ष अदालत के 2015 के आदेश का अनादर नहीं कर सकता है जिसमें कहा गया था कि आधार कार्ड स्वैच्छिक है। इनकी यह भी दलील थी कि सरकार को पैन के लिये आधार को अनिवार्य बनाने के लिये कानून में धारा 139एए शामिल नहीं करनी चाहिए थी क्योंकि शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ का आदेश स्पष्ट था कि आधार अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक है.
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Rajanish Kant शनिवार, 10 जून 2017
आयकर रिटर्न भरने के लिए एक पन्ने का ‘सहज’ फॉर्म जारी
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर रिटर्न भरना आसान बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुये वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आज एक पृष्ठ का एक नया फॉर्म’आईटीआर फॉर्म 1′(सहज) जारी किया।
सहज फॉर्म उन आयकर दाताओं द्वारा भरा जा सकेगा जिनकी आय 50 लाख रुपये से कम हो, जिनकी आय का ह्मोत वेतन या एक मकान से मिलने वाला किराया हो। अगर करदाता के पास आय का एक से अधिक ह्मोत हो तो वे’सहज फार्म’ से आयकर रिटर्न नहीं भर सकते हैं। सहज फॉर्म में कर की गणना और आय से इसकी कटौती भी बहुत आसान कर दी गयी है। इससे दो करोड़ से अधिक करदाता लाभांवित होंगे।
इसी तरह आईटीआर फॉर्मों की संख्या भी मौजूदा नौ से घटाकर सात कर दी गयी है। आईटीआर फॉर्म में तीन फार्मों आरटीआर-2, आईटीआर 2ए और आईटीआर -3 को एक करके अब बस एक आईटीआर फॉर्म आईटीआर-2 कर दिया गया है।
इसी तरह आईटीआर-4 और आरटीआर-4एस (सुगम) के नंबरों को बदलकर क्रमश: आईटीआर-3 और आईटीआर-4 कर दिया गया है। गत साल की तुलना में आईटीआर फॉर्म भरने के तरीके में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये सभी फॉर्म ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। हालाँकि रिटर्न भरते समय आईटीआर 1 (सहज) या आईटीआर-4 (सुगम) के लिए कागज पर ऑफलाइन भी फॉर्म भरने का विकल्प दिया जाता है।
ऑफलाइन फॉर्म भरने की छूट उन करदाताओं को दी गयी है जो 80 साल या उससे अधिक आयु के हैं। अविभाजित हिन्दू परिवार के ऐसे सदस्य जिनकी आय पाँच लाख रुपये से अधिक न हो और जिन्होंने आयकर रिटर्न में किसी तरह के रिफंड का दावा नहीं किया हो वे भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
ये सभी फॉर्म आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
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Rajanish Kant शनिवार, 1 अप्रैल 2017