Alternative Investment Funds (वैकल्पिक निवेश कोष-एआईएफ) क्या होते हैं

Alternative Investment Funds यानी वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) निवेश के साधन हैं, लेकिन इसके
जरिये शेयर बाजार, बॉन्ड्स, डेट जैसे पारंपरिक निवेश साधनों में निवेश नहीं किया जाता है। इसका निवेश वैसे साधनों में किया जाता है, जिसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। 

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स में शामिल साधन हैं-कमोडिटीज, प्राइवेट इक्विटी, हेज फंड्स, वेंचर कैपिटल, सोशल वेंचर्स फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स, एसएमई फंड्स,प्राइवेट इक्विटी फंड्स के अलावा, पेंटिंग्स, दूसरे आर्ट्स, शराब, पुराने सिक्के और डाक टिकट। इससे मिले रिटर्न पर नियम के मुताबिक, कैपिटल गेन्स टैक्स लागू होता है। 

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के जरिये काफी अमीर निवेशकों ( हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर्स-एचएनआई) से उनके फायदे को ध्यान में रखकर रकम जुटाई जाती है। यह रकम निश्चित निवेश नीति के तहत जुटाई जाती है। इसमें भारतीय और विदेशी दोनों तरह के निवेशकों को निवेश करने की अनुमति मिली हुई है। 

एक बात और इनके नाम में फंड्स लगा है, लेकिन म्युचुअल फंड्स से इनका कोई लेना-देना नहीं है। म्युचुअल फंड्स से ये एकदम अलग होते हैं।  एआईएफ वस्तुत: संग्रहित निवेश कोष हैं जो रीयल एस्टेट, निजी इक्विटी और हेज फंडों में निवेश करते हैं। 

> अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स SEBI (Alternative Investment Fund) Regulations 2012 के तहत आते हैं। इस फंड्स में शामिल हैं....
-Venture Capital Funds (वेंचर कैपिटल फंड्स)
-PIPE (Private Investment in Public Equity ) Funds 
(पीआईपीई-प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन पब्लिक इक्विटी) फंड्स
-Private Equity Fund (प्राइवेट इक्विटी फंड)
-Debt Funds (डेट फंड्स)
-Infrastructure Equity Fund (इंफ्रास्ट्रक्चर इक्विटी फंड)
-Real Estate Fund (रियल इस्टेट फंड)
-SME Fund (एसएमई फंड)
-Social Venture Funds (सोशल वेंचर फंड)
-Strategy Fund (Residual Category, including all 
varieties of funds such as hedge funds, if any).
(स्ट्रैटेजी फंड-हेज फंड्स बगैरह शामिल)
>Alternative Investment Funds के प्रकार:  
भारत में ऐसे फंड्स अलग-अलग तरीके से बनाए जाते हैं जैसे ट्रस्ट, कंपनी, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) बगैरह। सेबी ने केवल तीन कैटेगरी के तहत एआईएफ को संचालन करने का अधिकार दिया 
है। इसके तीन कैटेगरी हैं: 

-कैटेगरी 1 (Category I): इस तरह के एआईएफ को सरकार से खास मदद या छूट मिलती है। इसमें सोशल वेंचर फंड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स, एसएमई फंड्स, स्टार्ट-अप्स फंड्स बगैरह शामिल हैं। 

-कैटेगरी II (Category II): इस कैटेगरी वाले एआईएफ को किसी तरह की खास सरकारी मदद या छूट नहीं मिलती है। बिना कर्ज लिये ये कहीं भी निवेश कर सकते हैं। हालांकि, अपने रोजाना के कामकाज के लिए उन्हें कर्ज लेने की छूट है। प्राइवेट इक्विटी फंड (पीई फंड), डेट फंड्स बगैरह इस कैटेगरी में शामिल हैं। 

-कैटेगरी III (Category III): इस कैटेगरी के फंड्स को किसी तरह की सरकारी छूट या मदद नहीं मिलती है। ये छोटी अवधि में लाभ के लिए काम करते हैं। हेज फंड्स इसी कैटेगरी में शामिल हैं। अभी हाल ही में कमोडिटी और इक्विटी मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इसी कैटेगरी के फंड्स को कमोडिटी डेरिवेटिव्ज मार्केट में पैसे लगाने की अनुमति दी है। कैटेगरी III के एआईएफ ओपेन एंडेड भी हो सकते हैं और क्लोज एंडेड भी। यानी, इसमें एक निश्चित समयसीमा के भीतर ही आप निवेश कर सकते हैं या फिर कभी भी निवेश कर सकते हैं। 

कौन सा एआईएफ क्लोज एंडेड है और कौन सा ओपन एंडेड, इसकी जानकारी आपको उस एआईएफ के Final Placement Memorandum या  Scheme Information Document (SID)से मिल जाएगी।  

कैटेगरी 1  और  कैटेगरी II क्लोज एंडेड हो सकता है यानी किसी खास तारीख के दौरान ही इसमें निवेश किया जा  सकता है। ऐसे एआईएफ की अवधि आवेदन देते वक्त ही बताना होता है। वैसे कम से कम इसकी अवधि तो तीन साल होती है। 

>सेबी के मौजूदा नियम के मुताबिक, एआईएफ में निवेश करने की न्यूनतम सीमा ₹1 करोड़ है। किसी भी एआईएफ के लिए न्यूनतम रकम ₹20 करोड़ होने चाहिए और इसमें एक हजार से ज्यादा निवेशक निवेश नहीं कर सकते हैं। किसी भी एआईएफ के फंड मैनेजर या प्रोमोटर्स को शुरुआती निवेश के तौर पर कुल फंड का 2.5 प्रतिशत या ₹ 5 करोड़, जो भी कम हो, उतनी रकम निवेश करना चाहिए। 

(लिक्विड फंड (LiquidFund):जोखिम (रिस्क) कम, तरलता ( Liquidity)ज्यादा, सेविंग्स बैंक अकाउंट जैसा फायदा 
> म्युचुअल फंड से जुड़ी और जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं............
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-12: जानें बैलेंस्ड फंड, फंड ऑफ फंड्स, टैक्स सेवर फंड्स के बारे में 
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-11: फोलियो नंबर के बारे में जानें
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-9: ओपन एंडेड फंड के बारे में जानें
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-8: ऑफर डॉक्यूमेंट, क्लोज्ड एंडेड फंड के बारे में जानें
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-7: एनएवी क्या है 
((म्युचुअल फंड क्या है, इसमें निवेश के 10 फायदे...
((फाइनेंस का फंडा: भाग-8, AMFI के बारे में जानें 
(फाइनेंस का फंडा: भाग-22, SEBI की जरूरत क्यों 
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-6: परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (AMC) का क्या काम है)
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-5: म्युचुअल फंड ट्रस्टी की भूमिका
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-4: म्युचुअल फंड में निवेश किसके जरिये करें
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाएं, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के तनाव से बचें 
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-3: म्युचुअल फंड में निवेश के फायदे
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड के जरिए फाइनेंशियल प्लानिंग पूरी करें
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-1
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-2
(म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
(एफएमपी (फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स) क्या है
((म्युचुअल फंड कंपनियों की सूची
((टीचर हैं तो क्या हुआ, फाइनेंशियल प्लानिंग करना तो, बनता है बॉस
((डॉक्टर कैसे ठीक रखें फाइनेंशियल सेहत 
((शादी की खुशी में फाइनेंशियल प्लानिंग करना कहीं भूल तो नहीं गए
((म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
((चाइल्ड के लिए अभी से करें प्लान, तभी बनी रहेगी उसकी मुस्कान
((बच्चों से है प्यार, तो उनके लिए रखें फाइनेंशियल प्लान तैयार
(('Money मित्र' बनकर दें बच्चों को लाड़-प्यार  


('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
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((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
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((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
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1 टिप्पणी

  1. Technically, AIFs are classified in 3 categories. Cat I and Cat II Alternate Investment Funds have been accorded a pass through status, which essentially means that income accruing from such funds is taxed at the investor level and not the fund level with a requirement to deduct 10% on income credited to the investor.
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