सार्वजनिक बैंकों में हिस्सेदारी की बिक्री उनकी हालत सुधरने के बाद ही : जेटली


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साभार: पीटीआई-भाषा)
(जोयिता डे) तोक्यो, आठ मई (भाषा) वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को कम करके 52 प्रतिशत तक कर सकती है लेकिन यह कदम इन बैंकों की हालत सुधरने के बाद उठाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में जो धन मिलेगा उसे बैंकों की पूंजी बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाएगा।

जेटली ने उम्मीद जताई कि फंसे कजरें की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को दिए गए नए अधिकार के बाद इसका हल निकलेगा। आरबीआई को अधिकार दिया जा रहा है कि वह बैंकों को रिण चूककर्ताओं के खिलाफ दिवाला शोधन कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश सके। केंद्रीय बैंक गैर-निष्पादित आस्तियों की वसूली के लिए बैंकों को सलाह देने वाली समितियां भी बना सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले से ही एक कार्यक्रम चला रखा है जिसमें हम बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में मदद दे रहे हैं। जहां सरकार की ओर से अधिक कोष की दरकार है वहां हम हम उस पर विचार करने को पूरी तरह तैयार हैं।’’ यहां सीआईआई-कोटक के निवशेक गोलमेज सम्मेलन में जेटली ले कहा, ‘‘लेकिन हमने घोषणा की है कि एक बार बैंक अपनी हालत खुद से सुधार कर लेंगे तो, सरकार उनमें अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत तक ला सकती है और इसका उपयोग बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में किया जा सकता है।’’ मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10,000 करोड़ रपये की पूंजी डालने का बजटीय प्रबंधन किया है। पिछले साल 25,000 करोड़ रपये का प्रावधान किया गया।

सरकारी बैंकों को पर्याप्त पूंजी आधार के संबंध में बेसल 3 मानकों को परा करने के लिए अगले दो साल में 80,000 करोड़ रपये की शेयर पूंजी जुटानी होगी।

जेटली ने कहा कि एनपीए की समस्या कुछ प्रकार के खातों तक सीमित है। इन खातों की संख्या ज्यादा नहीं है पर इसमें राशि बड़ी है।

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