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सरकार बैंकों के NPA से 'बैड बैंक' के जरिये नहीं, बल्कि इन तरीकों से निपटेगी!
(साभार- जागरण)

देश के सरकारी बैंकों के गले के फांस बने एनपीए (नॉन परफॉरमिंग एसेट्स यानी फंसे कर्ज) की समस्या को दूर करने के लिए एक समग्र नीति लाने का ऐलान किया गया है। यह समग्र नीति प्रोजेक्ट सशक्त के नाम से लागू होगी जिसे सुनील मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। समिति की रिपोर्ट पर वित्त मंत्री पीयूष गोयल व वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की बैंकों के साथ सोमवार को चली बैठक के बाद देर रात प्रोजेक्ट  सशक्त लागू करने की घोषणा की गई। सरकार का कहना है कि पहली बार देश में एनपीए की समस्या से निबटने के लिए लंबी अवधि की योजना लागू की गई है।

सुनील मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर फैसला

वित्त मंत्री गोयल ने संवाददाता सम्मेलन में यह साफ किया गया कि समिति ने बैड बैंक (फंसे कर्जे को खरीदने के लिए गठित होने वाली एजेंसी) बनाने की कोई सिफारिश नहीं की है। हालांकि 500 करोड़ रुपये के फंसे कर्जे को एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) को बेचने का रास्ता साफ हो गया है। एएमसी बैंकों के 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के एनपीए खातों को खरीद सकेंगे। इसका फायदा यह होगा कि इन ग्राहकों से कर्ज वसूलने आदि का झंझट बैंकों पर नहीं रहेगा।

गोयल ने बताया कि एएमसी पूरी तरह से बाजार आधारित होंगे और देश में एक से ज्यादा एएमसी का गठन हो सकता है। इसमें देशी-विदेशी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं। यह प्रावधान किया जा रहा है कि एएमसी 60 दिनों के भीतर एनपीए का निपटारा करेंगे। गोयल का कहना है कि देश में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के 200 बैंक खाते हैं। इनमें तकरीबन तीन लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है।

यह फैसला भी किया गया है कि 50 करोड़ रुपये तक के फंसे कर्ज खातों के निपटारे के लिए हर बैंक में एक संचालन समिति का गठन किया जाएगा। इसका फायदा छोटी व मझोली कंपनियों को सबसे ज्यादा होगा कि उन पर ही 50 करोड़ रुपये तक का एनपीए है।

समिति 90 दिनों के भीतर इन सभी खातों के बारे में फैसला करेगी कि इन्हें और ज्यादा कर्ज देने की जरुरत है या इनके खाते को बंद करने की जरुरत है। या खाताधारक को कर्ज चुकाने के लिए और वक्त दिए जाने की जरुरत है। इस तरह के ज्यादातर कर्ज एक ही बैंक के तहत हैं, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इनके समाधान का एक तरीका सामने आने के बाद जल्दी से छोटे एनपीए खातों का निपटान हो सकेगा।

50 से 500 करोड़ रुपये तक के एनपीए खाता के लिए यह फैसला किया गया है कि उनके बारे में लीड बैंक की अगुवाई में फंसे कर्जे के निपटारे का फैसला किया जाएगा। चूंकि इस श्रेणी के खाताधारकों को एक से ज्यादा बैंक कर्ज देते हैं इसलिए इन बैंकों के बीच एक खास समझौता होगा। यह समझौता इन एनपीए खातों को 180 दिनों के भीतर निपटाने का रास्ता साफ करेगा। लीड बैंक ही सबसे मुख्य भूमिका निभाएगा इसलिए दूसरे बैंकों से मंजूरी लेने की बाध्यता नहीं होगी।

गोयल ने बताया कि इस कदम से तीन लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्जे का निपटारा किया जा सकेगा। इसे लागू करने के लिए इन बैंकों की एक स्क्रीनिंग समिति भी गठित होगी जो यह देखेगी कि तय नियमों का पालन पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है या नहीं।

वित्त मंत्रालय की तरफ से यह भी बताया गया है कि 500 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के अन्य एनपीए खाते जिनका निपटारा एएमसी के जरिए भी नहीं हो सकेगा उन्हें दिवालिया कानून के तहत ही सुलझाया जाएगा। साथ ही एसेट्स ट्रेडिंग प्लेटफार्म का तरीका भी फंसे कर्जे की समस्या को सुलझाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

सनद रहे कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों के फंसे कर्जे का स्तर बढ कर 12 लाख करोड़ रुपये की राशि को भी पार कर गई है। सरकार की तरफ से इन पर काबू करने की अभी तक की कोशिशों का कोई खास असर नहीं हुआ है।

Rajanish Kant मंगलवार, 3 जुलाई 2018
सरकारी बैंकों की चौंकाने वाली हकीकत! Bad Loan या Bad Bank!

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Rajanish Kant शुक्रवार, 1 जून 2018