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पहली सैलरी से खुशियों को डबल करने के लिए करें 9 काम

पहली सैलरी से खुशियों को डबल करने के लिए करें 9 काम

Rajanish Kant शनिवार, 15 दिसंबर 2018
पहली सैलरी मिल गई, तो क्या सिर्फ खर्च की ही योजना बनाएंगे, कई दूसरे जरूरी काम भी हैं...
पहली नौकरी लगी है, तो क्या सारी सैलरी आप खर्च देंगे या फिर बचत, निवेश भी करेंगे  

भला, पहली नौकरी मिल जाए, तो किसे खुशी नहीं होती है। महीने भर काम करने के बाद लीजिए, अब सैलरी भी आ गई। तो, सैलरी के बारे में क्या सोचा आपने। हाथ खोलकर खर्च करेंगे, पार्टी करेंगे, जमकर खरीदारी करेंगे, दोस्तों के साथ कहीं पिकनिक पर जाएंगे...क्यों...यही ना। जी हां, हममें से ज्यादातर लोगों के मन में पहली सैलरी मिलने के बाद शायद इसी तरह के विचार चलते रहते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमें आने वाले कल के लिए कुछ बचत भी करनी है, उन पैसों का कहीं ना कहीं अच्छे निवेश साधनों में निवेश भी करना है, आपातकालीन और रिटायरमेंट फंड भी बनाना है। 

अगर हम अपनी पहली सैलरी के मिलते ही जिस तरह से खर्च के बारे में सोच लेते हैं उसी तरह अगर बचत, निवेश, इंश्योरेंस, रिटायरमेंट फंड बगैरह के बारे में भी सोच लें, तो कितना अच्छा रहेगा। यानी कल के लिए भी हम आज से ही सोचना शुरू कर दें। तो, चलिए बताते हैं इसके लिए क्या-क्या करना जरूरी है...

1) सबसे पहला काम अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा किसी अच्छी रिटायरमेंट या पेंशन स्कीम में लगाएं। जैसे अगर आपकी कंपनी आपकी सैलरी में से कुछ पैसे काटकर ईपीएफ (Employee Provident Fund-कर्मचारी भविष्य निधि, अक्सर पीएफ के  नाम से पुकारा जाता है) में निवेश करती है तब तो ठीक है। अगर आपकी कंपनी में इसकी व्यवस्था नहीं है, तो पीपीएफ (Public Provident Fund-सार्वजनिक भविष्य निधि ) में जरूर निवेश करें। शुरू में सैलरी कम हो तो सैलरी का 3-4% हिस्सा इसमें निवेश कर दें। जैसे-जैसे सैलरी बढ़ती जाए, पीपीएफ में अपना हिस्सा बढ़ाते जाएं। मसलन, पहले साल अगर कुल सैलरी का 3-4% निवेश किया तो उसके अगले साल उसे बढ़ाकर सैलरी का 5-6% कर सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, ज्यादा से ज्यादा कुल सैलरी का 10 % हिस्सा ईपीएफ या पीपीएफ में निवेशित होना चाहिए। ये फंड आपके  रिटायरमेंट के बाद काम आएंगे। 


2)दूसरा काम कीजिए कि अपनी आमदनी और अपने खर्चों पर नजर रखें यानी कैश प्लो पर ध्यान रखें। आपका फाइनेंशियल सफर तभी सुहाना होगा,जब आपकी आमदनी ज्यादा और आपके खर्च कम होंगे। मतलब हर हाल में आपके हाथ में पैसे ज्यादा होने चाहिए। आमदनी और खर्च पर नजर रखने का सबसे बढ़िया उपाय है कि आप अपने घर का बजट बनाएं। अपनी आमदनी और अपने खर्च को एक डायरी पर नोट करें। इससे आपको अपने कैश प्लो का अंदाज रहेगा। फाइनेंशियल प्लानिंग भी साथ-साथ लिखते चलें। याद रखें अगर खर्च आमदनी से ज्यादा है तो या तो खर्च में कटौती करें या फिर ज्यादा कमाई के लिए कोई दूसरा काम करें। 

वैसे बाजार में कई एप्स भी मौजूद हैं जो आपके खर्चों पर नजर रखने काम कर सकते हैं। अगर आप ज्यादा खर्च करने लगेंगे तो ये एप्स आपको आगाह करेंगे। इस तरह से आप अपने खर्च को काबू में रख सकते हैं। कुछ एप हैं-AndroMoney, Monefy, Money Lover, Mvelopes, Money View,Officetime,Good Budget,Wally, Mint, HomeBudgetआदि


3) कर्ज कम करें: हो सकता है पढ़ाई करते समय आपने स्टूडेंट लोन या विद्यार्थी ऋण लिया हो, या फिर आपके ऊपर क्रेडिट कार्ड का कर्ज या फिर मेडिकल बिल का बकाया हो, इनको भी खत्म करने या कम करने के लिए प्लान तैयार करें। जानकार एक बार में ही कर्ज या बकाया चुकाने की सलाह नहीं देते हैं। इसके बदले उन बकायों या कर्ज की प्राथमिकता तय कर उसे धीरे-धीरे खत्म करने की बात कहते हैं। प्राथमिकता तय करने के लिए जानकार दो उपायों का सुझाव  देते हैं....पहला, ज्यादा ब्याज दर वाले  कर्ज या बकाए को पहले स्थान पर रखते हुए उनकी लिस्ट बनाना  (मतलब सबसे ज्यादा ब्याज दर वाला सबसे ऊपर,उससे कम वाला उसके नीचे और उससे भी कम ब्याज वाला उससे नीचे) और दूसरा सबसे कम लोन या बकाए को सबसे पहले रखकर लिस्ट बनाएं (मतलब,  सबसे पहले सबसे कम कर्ज या बकाए को रखें उसके बाद उससे कम वाले बकाए या कर्ज को रखें और फिर उससे भी कम वाले कर्ज या बकाए को रखें) कर्ज या बकाया चुकाएं।  इसमें से जो तरीका आपको बेहतर लगे उसे अमल में लाएं। 

4)अब भविष्य की खरीदारी के लिए बचत करने का लक्ष्य तय करें:  आप अपने पैसे आज ही खर्च कर डालेंगे, तो कल की जरूरत कैसे पूरी होगी। इसलिए आने वाले दिनों के लिए भी फाइनेंशियल प्लान आज ही तैयार कर लें और उसके लिए निवेश करना शुरू कर दीजिए। जैसे, घर खरीदने के लिए डाउन  पेमेंट का इंतजाम करना, अपनी शादी करना, कार खरीदना, विदेश घूमने जाना बगैरह-बगैरह। अपने फाइनेंशियल प्लान तीन अवधि छोटी, मध्यम और दीर्ध अवधि में बांटकर तैयार कर सकते हैं। 


5)आपातकालीन फंड (Emergency Fund)बनाइए: जिंदगी में सबकुछ हमारी योजना के मुताबिक नहीं होता है। कई बार अचानक दूसरा काम पड़ जाता है और उसके लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ती है। मसलन, कोई हादसा होना, कोई गंभीर बीमारी होना बगैरह। ऐसे कामों के लिए आपातकालीन फंड बनाना जरूरी है। ध्यान रहे इस फंड को आपात स्थिति में इस्तेमाल करना चाहिए। 
6) जरूरत के मुताबिक इंश्योरेंस पॉलिसी लें:  अपनी सैलरी में से कुछ पैसे इंश्योरेंस के लिए भी बचाकर रखें। इसमें लाइफ इंश्योरेंस के साथ-साथ मेडिकल इंश्योरेंस भी जरूरी है। इंसान की जिंदगी में एक तरफ अनिश्चतता बढ़ गई है तो दूसरी ओर इलाज करवाना लगातार महंगा होता जा रहा है। 
7) अपने फाइनेंशियल प्लान, बचत, निवेश की समय-समय पर समीक्षा करें। आपने जो रिटायरमेंट फंड बनाया है, आपातकालीन फंड बनाया है, भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लान तैयार किया है, उसकी समय-समय पर समीक्षा करें। अगर उसमें कोई फेर-बदल करने की जरूरत आप महसूस कर रहे हैं तो फेर-बदल करना अच्छा रहेगा। 
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Rajanish Kant मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017