Results for "MCLR. Base Rate"
बैंक ऑफ बड़ौदा का सबसे सस्ता होम लोन की पेशकश, 8.35% की दर से देगा लोन, जानिए इसकी खास बातें
सरकारी बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा ने होम लोन पर ब्याज दर को घटाकर 8.35% सालाना कर दिया है जो कि एसबीआई समेत सभी बैंकों के मौजूदा होम लोन से सस्ता है। 

अब तक सस्ता होम लोन एसबीआई दे रहा था। एसबीआई होम लोन पर सालाना 8.5% ब्याज वसूल रहा है।

>बैंक ऑफ बड़ौदा के सबसे सस्ते होम लोन की खास बातें:
-बैंक अपने उसी ग्राहक को सबसे सस्ते होम लोन की पेशकश कर रहा है जिसका 
क्रेडिट स्कोर सबसे मजबूत होगा
-बैंक के मौजूदा ग्राहक जिसका कर्ज बेस रेट पर आधारित है, वो अतिरिक्त शुल्क के 
नई एमसीएलआर में शिफ्ट हो सकते हैं। जबकि एसबीआई समेत दूसरे सभी बैंक 
बेस रेट से एमसीएलआर में शिफ्ट करने पर स्विचओवर फीस के तौर पर बकाया 
कर्ज का 0.5% या कम से कम 10 हजार रुपए का शुल्क वसूलते हैं।
सस्ता हुआ लोन, क्या EMI का बोझ कम करने के लिए आप लोन अकाउंट ट्रांसफर करना चाहेंगे?  
-अगर 30 साल का होम लोन 50 लाख रुपए है तो होम लोन दर में 0.70% की कटौती होने पर
हर महीने 2496 रुपए की बचत होती है, इस तरह से 30 साल के लोन पर करीब 9 लाख रुपए
बचेगा। 
-बैंक की एक साल की एमसीएलआर, जिससे सभी होम लोन जुड़े हैं, वो भी 8.35% है जबकि 
एसबीआई की एक साल की एमसीएलआर 8 % है। 
-बैंक के अधिकारी ने कहा कि सबसे अधिक होम लोन की दर 9.35% होगी जो कि 7 जनवरी से
लागू मानी जाएगी। नई दरें फ्लोटिंग होगी और एक साल के बाद एमसीएलआर की समीक्षा के
समय इसमें बदलाव होगा। फिलहाल बैंक ऑफ बड़ौदा का बेस रेट 9.60%  है। 
-दूसरे बैंक या वित्तीय कंपनियों  के होमलोन ग्राहक भी बैंक ऑफ बड़ौदा के नए होम लोन रेट 
में शिफ्ट कर सकते हैं लेकिन बैंक ने अभी इसके लिए स्विचिंग फीस तय नहीं किया है
-बैंक का कार लोन और मॉर्गेज लोन भी क्रमश: 8.85%  और  10.35% से शुरू होगा। 

बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ महाराष्ट्रा ने एमसीएलआर यानी Marginal Cost Of Funds Lending Rates 
(कोष की सीमांत लागत आधारित उधारी दर) में कटौती की घोषणा की है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने एमसीएलआर में 0.55-0.75% की कटौती की है जो कि 7 जनवरी से लागू माना जाएगा। वहीं बैंक ऑफ महाराष्ट्रा ने एमसीएलआर में 0.30% की कमी करते हुए एक साल की एमसीएलआर 8.95% कर दी है जो कि 7 जनवरी से लागू मानी जाएगी। उधर, एसबीआई ने एक साल की एमसीएलआर 8% तय कर रखा है। 


Rajanish Kant मंगलवार, 10 जनवरी 2017