मार्केट और कमोडिटी रेगुलेटर ने इक्विटी ट्रेडिंग की समझ और जटिलता को और आसान बनाने के साथ-साथ मार्केट और कानूनों में हो रहे परिवर्तन के अनुकूल ढालने के संबंध में कई प्रस्ताव जारी किए हैं। इस पर सभी हितधारकों से 25 मई 2018 तक सुझाव मांगा गया है। आप भी कुछ बदलाव चाहते हैं तो सुझाव दे सकते हैं...
यहां पर हम कुछ प्रस्ताव की बात करते हैं...
-कानूनों की जटिलता और भाषा को आसान बनाना
-मार्केट और रेगुलेटरी माहौल में हो रहे बदलावों को मौजूदा कानूनों में शामिल करना
-कानून को और अधिक पढ़ने और समझने लायक बनाना
-प्रोमोटर और प्रोमोटर ग्रुप की परिभाषा को अलग करना
-किसी भी IPO के प्राइस बैंड तय करने की समय सीमा को 5 दिनों से घटाकर 2 दिन करना
-किसी भी IPO या FPO के जारी करने के समय को बिना प्राइस बैंड बदले बढ़ाने की मंजूरी देना
-SME IPO के मामले में एंकर निवेशकों के मिनिमम एप्लीकेशन साइज को 10 करोड़ से घटाकर 2 करोड़ करना
- SME के लिए FPO और राइट्स इश्यू कानूनों को लागू करना
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO के जरिये खरीदे गए शेयर कितने दिनों तक अपने पास रखते हैं निवेशक?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक IPO के प्रोस्पेक्टस का कौन सा हिस्सा सबसे ज्यादा पढ़ते हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO का आवेदन फॉर्म ज्यादातर निवेशक कहां से खरीदते हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO के बारे में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत क्या है ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO में निवेश के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO में निवेश पर निवेशकों की क्या राय है?
- पढ़ें बेटी तुम बहादुर ही बनना
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सेबी ने आईपीओ के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया, SME केFPO और राइट्स इश्यू पर मांगा सुझाव, 25 मई तक दें सुझाव
Rajanish Kant
शनिवार, 5 मई 2018