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इस काम में देरी पर ग्राहकों को मिलेगा मुआवजा I Credit Information l CIB...


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Rajanish Kant रविवार, 29 अक्तूबर 2023
Personal Loan में जून में 18.1 प्रतिशत की तुलना में 20.9 प्रतिशत की वृद्धि: RBI


बैंक ऋण का क्षेत्र-वार अभिनियोजन – जून 2023

जून 20231 माह के लिए 40 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से जुटाए गए बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन संबंधी आंकड़े, जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अभिनियोजित कुल खाद्येतर ऋण का लगभग 93 प्रतिशत होता है, विवरण I और II में दिए गए हैं।

वर्ष-दर-वर्ष (व-द-व) आधार पर, खाद्येतर बैंक ऋण2 में जून 2023 में 16.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक वर्ष पहले यह 15.0 प्रतिशत थी।

बैंक ऋण के क्षेत्र-वार अभिनियोजन की मुख्य बातें नीचे दी गई हैं :

  • कृषि और संबद्ध कार्यकलापों हेतु प्रदत्त ऋण जून 2023 में बढ़कर 19.7 प्रतिशत (व-द-व) हुआ, जबकि एक वर्ष पहले यह 12.9 प्रतिशत था।

  • जून 2023 में उद्योग क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में 8.1 प्रतिशत (व-द-व) की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि यह जून 2022 में 9.5 प्रतिशत थी। आकार के अनुसार, बड़े उद्योग को प्रदत्त ऋण में 6.4 प्रतिशत (एक वर्ष पहले 3.2 प्रतिशत) की वृद्धि हुई। मध्यम उद्योगों को प्रदत्त ऋण में 13.2 प्रतिशत (पिछले वर्ष 47.8 प्रतिशत) की वृद्धि हुई तथा सूक्ष्म और लघु उद्योगों को प्रदत्त ऋण में 13.0 प्रतिशत (एक वर्ष पहले 29.2 प्रतिशत) की वृद्धि हुई।

  • प्रमुख उद्योगों में, ‘मूल धातु और धातु उत्पाद’, एवं ‘कपड़ा’ हेतु प्रदत्त ऋण में वृद्धि (व-द-व) जून 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में बढ़ी। ‘रसायन और रासायनिक उत्पाद’, ‘खाद्य प्रसंस्करण’ और ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की ऋण वृद्धि में गिरावट आई।

  • सेवा क्षेत्र को प्रदत्त ऋण में वृद्धि जून 2023 में बढ़कर 26.7 प्रतिशत (व-द-व) हो गई, जो एक वर्ष पहले 12.8 प्रतिशत थी, जो मुख्य रूप से ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)’ और ‘व्यापार’ को प्रदत्त ऋण में सुधार के कारण थी।

  • वैयक्तिक ऋण में एक वर्ष पहले के 18.1 प्रतिशत की तुलना में जून 2023 में 20.9 प्रतिशत (व-द-व) की वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण ‘आवास’ और ‘वाहन’ ऋण था।

  • 1 आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार से संबंधित हैं।

    2 खाद्येतर ऋण के आंकड़े माह के अंतिम रिपोर्टिंग शुक्रवार हेतु धारा – 42 विवरणी पर आधारित हैं, जिसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) शामिल हैं।


 (साभार: www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant मंगलवार, 1 अगस्त 2023
बैंक ऋण वृद्धि 16.8% रही, सकल जमा राशियों में 10.3% की वृद्धि: RBI


भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमा और ऋण पर तिमाही सांख्यिकी:
दिसम्बर 2022' का प्रकाशन

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने भारतीय अर्थव्यवस्था के डेटाबेस (डीबीआईई) पोर्टल (वेब-लिंक: https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!3) पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की जमा और ऋण राशियों पर दिसंबर 2022 तिमाही के लिए सांख्यिकी का प्रकाशन जारी किया। यह डेटा मूलभूत सांख्यिकी विवरणी (बीएसआर)-7 प्रणाली1 के अंतर्गत सभी एससीबी से एकत्र किये गए है, और बैंक क्रेडिट और जमा राशि पर आंकड़े भूगोल, जनसंख्या समूह और बैंक समूह स्तर के अनुसार जारी किए जा रहे हैं।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दिसंबर 2022 में 16.8 प्रतिशत रही, जबकि एक तिमाही पहले यह 17.2 प्रतिशत और एक वर्ष पहले 8.4 प्रतिशत थी।

  • ऋण वृद्धि में महानगरीय केंद्रों की बैंक शाखाओं का योगदान सबसे अधिक रहा, जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल ऋण का लगभग 60 प्रतिशत है और ऋण देने में 17.2 प्रतिशत वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) दर्ज की गई; शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण केंद्रों में भी दो अंकों की ऋण वृद्धि दर्ज की गई।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कैलेंडर वर्ष 2022 के दौरान अपने ऋण पोर्टफोलियो में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की (वर्ष 2021 में 4.7 प्रतिशत); तथापि, निजी क्षेत्र के बैंकों की तदनुरूपी वृद्धि 19.1 प्रतिशत (एक वर्ष पहले 13.1 प्रतिशत) के साथ अधिक रही।

  • दिसंबर 2022 में सकल जमा राशियों में 10.3 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि (एक वर्ष पहले 9.6 प्रतिशत) सावधि जमाओं में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि के कारण हुई; चालू और बचत जमा राशियों में क्रमश: 4.6 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई।

  • दिसंबर 2022 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जमा संग्रहण में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) (एक वर्ष पहले 6.9 प्रतिशत) तक सुधार हुआ, तथापि यह निजी क्षेत्र के बैंकों में जमा राशियों में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि से कम रहा।

  • अखिल भारतीय ऋण-जमा (सी-डी) अनुपात दिसंबर 2022 में और बढ़ कर 75.9 प्रतिशत हो गया (पिछली तिमाही में 74.8 प्रतिशत और दिसंबर 2021 में 71.6 प्रतिशत); यह आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना के लिए 100 प्रतिशत से ऊपर रहा।

1 दिसम्बर 2022 के रिपोर्टिंग शुक्रवार के लिए पाक्षिक फॉर्म-ए रिटर्न (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 42 (2) के अंतर्गत संकलित) पर आधारित सकल डेटा का प्रकाशन पहले ही हमारी वेबसाइट (होम> सांख्यिकी>जारी आंकड़े>पाक्षिक- भारत में अनुसूचित बैंकों की स्थिति का विवरण) पर किया जा चुका है और चयनित बैंकों के आधार पर दिसम्बर 2022 के लिए बैंक क्रेडिट डेटा का मासिक सकल स्तरीय क्षेत्रीय विनियोजन भी हमारी वेबसाइट (होम> सांख्यिकी>जारी आंकड़े >माह>बैंक ऋण के क्षेत्रवार विनियोजन संबंधी डेटा) पर प्रकाशित की जा चुकी है। 

(साभार: www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 27 फ़रवरी 2023
होम,ऑटो, क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन लेने की रफ्तार में कमी, क्रेडिट-डिपॉजिट रेश्यो बढ़ा:RBI
देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने क्रेडिट-डिपॉजिट से जुड़े ताजा आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक, हाउसिंग, क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन लेने की रफ्तार में इस साल अप्रैल में कमी आई है जो कि भारतीय इकोनॉमी में सुस्ती का संकेत देती है।

ताजा आंकड़ों की मानें तो इस साल अप्रैल में पिछले साल अप्रैल के मुकाबले रिटेल लोन (हाउसिंग, क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन) की वृद्धि 15.7 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि पिछले साल अप्रैल में सालाना आधार पर 19.1 प्रतिशत थी। बात अगर अप्रैल 2019 में सालाना आधार पर क्रेडिट कार्ड लोन ग्रोथ की करें तो ये 26.4 प्रतिशत रही, जबकि अप्रैल 2018 में सालाना आधार पर बढ़ोतरी दर 35.2 प्रतिशत थी।

जहां तक बात हाउसिंग लोन की है तो अप्रैल 2019 में 18.6 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि अप्रैल 2018 में 14.9 प्रतिशत थी। ऑटो लोन की रफ्तार अप्रैल 2019 में 4.9 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले अप्रैल 2018 में 9.9 प्रतिशत थी। वहीं पर्सनल लोन की बढ़ोतरी अप्रैल 2018 में जहां 35.5 प्रतिशत थी, जबकि अप्रैल 2019 में 21.4 प्रतिशत बढ़ोतरी ही दर्ज की गई। 



आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार इंडस्ट्री को लोन दिए जाने की रफ्तार बढ़ी है। अप्रैल 2019 में सालाना आधार पर इंडस्ट्री के लोन में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं अप्रैल 2018 में ये महज एक प्रतिशत थी। 
Today, the Reserve Bank released its web publication entitled Quarterly Statistics on Deposits and Credit of Scheduled Commercial Banks (SCBs), March 2019 on its Database on Indian Economy (DBIE) portal (web-link: https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!3)Data on deposits, disaggregated by type and total credit are classified by states, districts, centres, population groups and bank groups, are collected from all SCBs, including regional rural banks (RRBs) and small finance banks (SFBs), under the Basic Statistical Return (BSR) – 7 system1.
Highlights:
  • Aggregate deposit growth (y-on-y) accelerated for the fifth successive quarter: the rural, semi-urban and urban areas recorded double-digit growth.
  • Bank credit growth (y-on-y) remained in double digits across all population groups (rural/ semi-urban / urban / metropolitan).
  • Private sector banks continue to record over 20 per cent credit growth (y-on-y) for more than a year, whereas it remained in single digits for public sector banks.
  • Metropolitan bank branches contribute more than half of aggregate deposits (51.3 per cent) and have the largest share of total bank credit (64.3 per cent).
  • Seven states (viz., Maharashtra, National Capital Territory of Delhi, Tamil Nadu, Karnataka, Uttar Pradesh, Gujarat and West Bengal) accounted for about two-thirds of deposits as well as credit.
  • As bank credit growth outpaced the growth in deposits, the all-India credit-deposit (C-D) ratio increased to 78.2 per cent in March 2019 from 75.6 per cent a year ago. Maharashtra, National Capital Territory of Delhi, Tamil Nadu, Uttar Pradesh, Gujarat and Kerala were the major states that recorded improvement in the ratio.



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Rajanish Kant शनिवार, 1 जून 2019
बैंकों का ऋण-जमा (Credit-Deposit) अनुपात दिसंबर 2018 तिमाही में बढ़कर 77.6%
भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशि और 
ऋण संबंधी तिमाही सांख्यिकी: दिसंबर 2018’ जारी की

आज भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (अ.वा.बैं.) की जमाराशि और ऋण संबंधी तिमाही सांख्यिकी- दिसंबर 2018’ नामक वेब प्रकाशन अपने भारतीय अर्थव्यवस्था संबंधी डाटाबेस (डीबीआईई) नामक पोर्टल पर जारी किया। प्रकार और कुल ऋण के आधार पर अलग-अलग बांटे गए जमाराशियों से संबंधित डाटा राज्यों, जिलाओं, केंद्रों, जनसंख्या और बैंक समूहों द्वारा वर्गीकृत किया गया है, जिसे मूलभूत सांख्यिकी विवरणी- बीएसआर-7 के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (क्षे.ग्रा.बैं.), लघु वित्त बैंकों (ल.वि.बैं.) समेत सभी अ.वा.बैं. से प्राप्त किए गए हैं।
मुख्य बातें:
  • बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) सभी जनसंख्या समूहों (ग्रामीण / अर्ध शहरी / शहरी / महानगरीय) में दो अंकों में दर्ज की गयी।
  • निजी क्षेत्र के बैंकों ने लगातार पांचवीं तिमाही में 20 प्रतिशत से अधिक ऋण वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) दर्ज की; जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए यह दर 8.4 प्रतिशत दर्ज किया गया।
  • सकल जमा वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) तेजी से बढ़ी; इस तिमाही में यह सभी जनसंख्या समूहों और सभी बैंक समूहों के लिए (क्षे.ग्रा.बैं. को छोड़कर) बढ़ी है।
  • निजी क्षेत्र के बैंक जमाराशियों की वृद्धि में अग्रणी रहें; सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए जमाराशियों की वृद्धि कम रही, हालांकि इसमें धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
  • कुल जमाराशियों में महानगरीय बैंक शाखाओं की आधे से अधिक (51.3 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही और इन शाखाओं की कुल बैंक ऋणों में सबसे बड़ी (63.9 प्रतिशत) भागीदारी रही है।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको के चालू खाता और बचत खाता (कासा) जमाराशियों की हिस्सेदारी 41.3 प्रतिशत पर स्थिर रही।
  • बैंक जमाराशियों के साथ-साथ ऋणों में सात राज्यों (महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल) की लगभग दो-तिहाई की हिस्सेदारी रही।
  • अखिल भारतीय स्तर पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको का ऋण-जमा (सी-डी) अनुपात दिसंबर 2018 तिमाही में बढ़कर 77.6 प्रतिशत हो गया (जो पिछले तिमाही मे 76.4 प्रतिशत था); महानगरीय शाखाओं का सी-डी अनुपात 96.6 प्रतिशत रहा, जो उच्चतम है।
(स्रोत-www.rbi.org.in)
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Rajanish Kant गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019