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एक्सिस बैंक ने होम लोन सस्ता किया, जानिए कितनी घटीं ब्याज दरें

सस्ते घरों के लिए सस्ता होम लोन देने के लिए बैंकों के बीच प्रतिस्पर्द्धा तेज हो गई है। भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक, HDFC, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के बाद अब एक्सिस बैंक भी इस रेस में शामिल हो गया है। बैंक ने 30 लाख रुपए तक के होम लोन पर ब्याज की दरों में 0.3 प्रतिशत  की कटौती कर 8.35 प्रतिशत सालाना कर दिया है। नई दरें 16 मई से लागू हो गईं हैं। हालांकि, बैंक ने ये सुविधा नौकरीपेशा लोन ग्राहकों को ही दी है।

होम लोन देने वाली सबसे बड़ी कंपनी HDFC ने कुछ समय पहले ही 30 लाख रुपए तक होम लोन पर ब्याज दरें 0.3 प्रतिशत घटाकर इसे महिला ग्राहकों  के लिए नए होम लोन पर 8.35 प्रतिशत जबकि दूसरे ग्राहकों के लिए 8.40 प्रतिशत सालाना कर दिया था।  हालांकि, कंपनी ने  30 लाख से 75 लाख रुपए तक के होम लोन पर ब्याज दर पहले की ही तरह सभी ग्राहकों के लिए 8.50 प्रतिशत सालाना रखने का फैसला किया था। लेकिन, 75 लाख रुपए से अधिक के होम लोन पर ब्याज दरों में कंपनी ने सभी ग्राहकों के लिए चौथाई प्रतिशत की कमी करते हुए इसे  8.75 प्रतिशत से 8.50 प्रतिशत सालाना कर दिया था।  
इससे पहले देश के सबसे बड़े निजी बैंक ICICI बैंक ने 30 लाख रुपए तक के होम लोन पर ब्याज दरों में 0.30 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे नौकरीपेशा महिलाओं के लिए 8.35 प्रतिशत सालाना जबकि दूसरे ग्राहकों के लिए 8.40 प्रतिशत कर दिया है। यह फायदा सिर्फ नये ग्राहकों को ही मिलेगा। ब्याज दर में इस कटौती के बाद ICICI बैंक भी सबसे कम ब्याज दर पर होम लोन देने वालों में शामिल हो गया है।   

हाल ही में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने भी  30 लाख रुपए तक के होम लोन पर ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 8.60 प्रतिशत से 8.35 प्रतिशत कर दिया था। माना जा रहा है कि सस्ते घरों के लिए होम लोन पर ब्याज दरों में कटौती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  की सस्ते घरों की मुहिम को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।  मोदी सरकार ने 2022 तक सभी को घर देने की योजना बनाई है। 

पिछले हफ्ते ही एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस ने भी 'गृह सिद्धि' नाम से नया होम लोन प्रोडक्ट लांच किया है। इसके तहत  कंपनी इसके तहत सस्ते  घरों के होम लोन ग्राहकों को स्टेट बैंक जितना सस्ता कर्ज देगी। कंपनी ने 25 लाख रुपए तक के होम लोन पर ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी। इसके तहत, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस महिला ग्राहकों को 8.35 प्रतिशत जबकि दूसरे ग्राहकों को 8.40 प्रतिशत की सालाना  ब्याज दर  पर लोन देगी। लेकिन, अगर आप यहां से 25 लाख से अधिक और एक करोड़ रुपए तक लोन लेते हैं  तो आपको 8.50 प्रतिशत सालाना  ब्याज देना होगा। 
स्टेट बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के अलावा, हाल ही में इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने भी एमसीएलआर में कटौती कर कर्ज  सस्ता करने की घोषणा की है। बैंक ऑफ इंडिया के इंडियन ओवरसीज बैंक ने एक साल के लोन पर एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट  ( कर्ज की दर तय करने की नई व्यवस्था) 0.10 प्रतिशत घटाकर 8.55 प्रतिशत कर दिया है। अगर आप इंडियन ओवरसीज बैंक रातभर के लिए लोन लेते हैं  तो आपको अब 8.35 प्रतिशत, एक महीने के लोन पर 8.40 प्रतिशत, तीन महीने के लोन पर 8.45 प्रतिशत जबकि छह महीने के लोन पर 8.50 प्रतिशत ब्याज देना होगा। नई दरें 10 मई से लागू हो गईं हैं। 
दूसरी ओर, बैंक ऑफ इंडिया ने एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट ( कर्ज की दर तय करने की नई व्यवस्था) 0.05-0.10%  घटाकर  8.25-8.40% कर दिया है।  बैंक ने तीन महीने के लोन की ब्याज दर 0.05 प्रतिशत जबकि 6 महीने से एक साल के लोन पर ब्याज दर 0.10 प्रतिशत कम की है।  
(बैंक ऑफ इंडिया ने एमसीएलआर में कटौती की, कर्ज सस्ते हुए 
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Rajanish Kant गुरुवार, 18 मई 2017
आम बजट 2017-18: निवेश के लिए रियल एस्टेट लाभदायक या हानिकारक !
आम बजट 2017-18 में सस्ती आवास योजना को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश की गई ताकि हर आम भारतीय का खुद का आशियाना बनाने का  सपना पूरा हो सके। साथ ही साथ जो लोग निवेश के लिए घर लेना चाहते हैं उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने का काम इस बजट में किया गया है। सरकार ने पूरी कोशिश की गई है कि घरों की जमाखोरी (होर्डिंग) को निरुत्साहित की जाए और सस्ता आवास हर भारतीयों के लिए आसान बनाया जाये। एकतरह से कह सकते हैं कि सोने, रुपये के बाद सरकार के निशाने पर अब घरों की जमाखोरी करने वाले हैं। किसी भी चीज की जमाखोरी महंगाई बढ़ाती है जिससे वह चीज आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती है और लंबे समय तक अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है तो मंदी का भी एक कारण बन जाती है। घर और रियल एस्टेट सेक्टर के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है। 

> आम बजट 2017-18 रियल एस्टेट में निवेश के नजरिये से कैसा है? 

1)-प्रॉपर्टी में निवेश केवल मोटा मुनाफा के लिए ही नहीं बल्कि टैक्स बचत के लिए भो लोग करते हैं। बता दें कि लोन लेकर प्रॉपर्टी में निवेश करने पर मूलधन और ब्याज दोनों रकम पर टैक्स डिडक्शन बेनेफिट मिलता है। लेकिन, इस मामले में पहले के बजट प्रावधानों और 2017-18 के बजट प्रावधानों में फर्क है। यानी इसके नियम बदल गए हैं। मौजूदा प्रावधानों (2016-17 तक के बजट प्रावधानों) के मुताबिक, मकान मालिक किराए पर दी गई प्रॉपर्टी के ब्याज पर पूरा डिडक्शन क्लेम कर सकता था, जबकि अपने मकान में खुद रहने वाले 2 लाख रु. तक ही क्लेम करने का हकदार होते थे। लेकिन आम बजट 2017-18 के प्रस्ताव के बाद अब मकान किराए पर दिए जाने पर भी 2 लाख रु. तक का डिडक्शन ही क्लेम किया जा सकेगा। यानी, जिसने लोन लेकर मकान बनाया, वह अब हर सूरत में (चाहे वह मकान को किराए पर लगा दे या उसमें खुद रहे) 2 लाख रु. तक का डिडक्शन बेनिफिट ही क्लेम कर सकेगा, इससे ज्यादा नहीं। यानी, 2 लाख रुपये से ज्यादा ब्याज चुकानेवाले व्यक्तिगत करदाताओं को अब अगले साल पहले से ज्यादा टैक्स चुकाना होगा, हालांकि वे इस नुकसान की भरपाई अगले 8 सालों में कर सकते हैं।  जानकारों की मानें तो इस कदम से बड़े होम लोन लेने वाले ग्राहक प्रभावित होंगे मतलब इससे बड़े घरों में निवेश को हतोत्साहित किया जा सकेगा। कई लोग सिर्फ टैक्स बचाने के लिए लोन लेकर दूसरा घर खरीदते हैं। जानकारों के मुताबिक बजट में किए गए उपरोक्त प्रस्ताव से ऐसी आदतों पर लगाम लगेगी। 

इसे और आसानी से समझें ...किराए पर दी गई प्रॉपर्टी पर आप एक साल में होम लोन के केवल 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर EMI पर सालाना लगने वाला ब्याज अगर 3 लाख या 4 लाख या 5 लाख या फिर 2 लाख से ज्यादा कितना भी हो, तो पहले मकान मालिक पूरे ब्याज पर डिडक्शन क्लेम कर सकता था, लेकिन अब हर साल केवल 2 लाख रु. पर ही डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, इसमें 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड की इजाजत होगी।

2) घरों में निवेश को हतोत्साहित करने के लिए इस बजट में एक और प्रस्ताव किया गया है। अगर आपने अपने घर को किराया पर दे रखा है और उसका किराया 50 हजार रु. से अधिक है तो इस पर 5 % टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) कटेगा। बजट प्रस्ताव के मुताबिक, टीडीएस काटने की जिम्मेदारी आपके किरायेदार को दी गई है। यानी किरायेदार ही 5% टीडीएस काटकर किराया देगा। किरायेदार को इसके लिए टैन नंबर (हर टीडीए काटने वालों को दिया जाने वाला खास नंबर) की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वित्तीय साल के अंत पर वह कुल टीडीएस रकम को इनकम टैक्स में जमा कराएगा। ऐसा माना जाता है कि किराए से होने वाली कमाई को कई लोग अपने इनकम वाले कॉलम में नहीं दर्शाते हैं और टैक्स की चोरी करते हैं। हालांकि इससे बहुत कम मकान मालिक प्रभावित होंगे। 

3) होल्डिंग पीरियड में कमी: सरकार ने प्रॉपर्टी समेत सभी अचल संपत्ति के लिए लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन टैक्स (दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर) के लिए समय-सीमा 3 साल से  घटाकर 2 साल कर दी है जिससे इन्वेस्टर्स दो साल के होल्डिंग पीरियड के बाद ही कम टैक्स देकर अपनी प्रॉपर्टी को बेच सकते हैं। रियल एस्टेट डिवेलपर्स के लिए इस कदम को कुछ राहत के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि इससे प्रॉपर्टी बाजार में  आपूर्ति बढ़ेगी। इसको ऐसे समझ सकते हैं पहले लोग जहां कैपिटल गेन्स टैक्स का फायदा लेने के लिए तीन साल तक नहीं बेचते थे अब उसे दो साल में बेचकर कैपिटल गेन्स टैक्स का फायदा उठा सकते हैं। इससे रीसेल प्रॉपर्टी बाजार में घरों की आपूर्ति बढ़ेगी। 

4)अचल संपत्ति से लाभ पर विचार करने के लिए सूचीकरण (इनडेक्सेशन-Indexation) के लिए आधार वर्ष में बदलाव: वित्त मंत्री ने अचल संपत्‍ति सहित आस्‍तियों (ऐसेट्स) की सभी श्रेणियों के लिए सूचीकरण के लिए आधार वर्ष भी 1.4.1981 से बदलकर 1.4.2001 किए जाने का प्रस्‍ताव किया है। 

 वित्‍तमंत्री ने कहा कि इस कदम से पूंजीगत लाभ पर देयता (लायबिलिटी) काफी घटेगी मतलब अंचल संपत्ति या किसी दूसरे ऐसेट्स की बिक्री पर होने वाले मुनाफे पर अब कम कर देना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर परिसंपत्‍तियों की गतिशीलता को प्रोत्‍साहन मिलेगा।  

5) वित्त मंत्री ने सस्ती आवास योजना के प्रति अधिक से अधिक रियल एस्टेट डेवलपर्स को लुभा के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया है। इससे  इस सेगमेंट में काम करने वालों को इंडस्ट्री जैसी सुविधाएं मिलेंगी। मसलन, सस्ता लोन, टैक्स छूट बगैरह। 

6) आम बजट 2016-17 में  30 और 60 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र (बिल्ट अप एरिया) की बजाय अब 30 और 60 वर्ग मीटर कार्पेट क्षेत्र (Carpet Area) की गणना की जाएगी। 30 वर्ग मीटर की सीमा भी केवल 4 मेट्रो शहरों की नगरपालिका सीमाओं के मामले में लागू होगी जबकि मेट्रो के बाहर के क्षेत्रों सहित देश के शेष भागों के लिए 
60 वर्ग मीटर  की सीमा ही लागू होगी। वित्‍त मंत्री ने इस योजना के तहत कार्य प्रारंभ होने के बाद भवन निर्माण को पूरा करने की अवधि को मौजूदा तीन साल से बढ़ाकर 5 साल करने का भी प्रस्‍ताव किया.

7) वर्तमान में पूर्णता प्रमाणपत्र (सीसी-Completion Certification) प्राप्‍त करने के पश्‍चात कब्‍जा न लिए गए मकान नोशनल किराया आय पर कर के अध्‍यधीन हैं. जिन बिल्‍डरों के  लिए निर्मित मकान व्‍यवसाय में पूंजी लगी है, जेटली ने ऐसे बिल्‍डरों के लिए यह नियम पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्‍त होने वाले वर्ष के समाप्‍त होने के एक वर्ष बाद ही लागू करने का प्रस्ताव दिया ताकि उन्‍हें अपनी इन्‍वेंटरी के परिनिर्धारण हेतु कुछ समय और मिल जाए। 

8)रियायती मकानों को बुनियादी ढांचाके समकक्ष रखने के सरकार के प्रयास से सस्‍ते, घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय वितत्‍ के लिए दरवाजे खुलेंगे। विदेश निवेश संवर्धन बोर्ड  (एफआईपीबी) के उन्‍मूलन से न केवल कारोबारी सहजता को बढ़ावा देनेमें मदद मिलेगी बल्कि प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह को भी प्रोत्‍साहन मिलेगा। वित्‍त वर्ष 2016-17  की पहली छमाही में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 1.45 लाख करोड़ पर पहुंच गया। यह 2015-16 में 1.07 लाख करोड़ रूपये था। इन सबसे आवास आपूर्ति को प्रोत्‍साहन मिलेगा। बुनियादी ढांचा रियल स्‍टेट तथा समग्र अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाता है इसलिए बुनियादी ढांचेके लिए 3.96 लाख करोड़ रु. का रिकॉर्ड  प्रावधान किया गया है जोकि पिछले वर्ष से 25% अधिक है इसके साथ ही राजमार्ग के लिए बजटीय समर्थन बढ़ाकर 64 हजार करोड़ कर दिया गया है।

9)बजट प्रावधानों से उच्‍च आय वाले लोगों द्वारा सटोरिया खरीदारी को हतोत्‍साहित किया गया है और वास्‍तविक रियायती मकान खरीदने वाले लोगों को प्रोत्‍साहित किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सरकार ने पहले ही नौ लाख रूपये तक के आवास ऋण पर ब्‍याज में चार प्रतिशत की कमी की गई है और बारह लाख रु.
तक के आवास ऋण पर ब्‍याज दर तीन प्रतिशत घटाने की घोषणा की गई है।

((आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें     
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Rajanish Kant सोमवार, 13 फ़रवरी 2017