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देश में सोने का आयात 79% गिरा, 20 साल में सबसे कम


देश में दिसंबर 2022 में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले सोने के आयात में 79% की गिरावट आई है। यह 20 साल का सबसे निचला स्तर है। सोने की कीमत में आए भारी उछाल को इसका कारण माना जा रहा है।

 हालांकि, सोने के आयात में गिरावट देश के लिए अच्छा साबित हो सकता है। इससे व्यापार घाटे में कमी लाने और रुपए के डॉलर के मुकाबले आ रही गिरावट को थामने में मदद मिल सकती है। आपको बता दूं कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है। 

निजी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया कि दिसंबर 2022 में भारत ने 20 टन सोने का आयात किया, जबकि इसके पिछले साल इसी महीने में यह आंकड़ा 95 टन था। अगर वैल्यू टर्म में बाद करें तो भारत ने 2022 दिसंबर में 1.18 बिलियन डॉलर सोने का आयात किया, जबकि दिसंबर 2021 में 4.73 बिलियन डॉलर का सोना आयात किया गया था। 

पूरे 2022 में सोने के आयात की बात करें, तो भारत ने 706 टन सोने का आयात किया, जबकि साल 2021 में 1068 टन सोने का आयात हुआ था। 

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Rajanish Kant गुरुवार, 12 जनवरी 2023
RBI ने भारत स्थित Bank of Bahrain & Kuwait BSC पर ₹2.66 करोड़ का जुर्माना लगाया, जानें क्यों


भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी, भारत में परिचालन
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 12 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी, भारत में परिचालन (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचा' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 2.66 करोड़ (दो करोड़ छियासठ लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

अक्तूबर 2021 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी जांच, बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की गई साइबर सुरक्षा घटना और उक्त से संबंधित सभी पत्राचारों से पता चला कि उस सीमा तक उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया गया है, जिस सीमा तक बैंक (i) अपने डेटाबेस में असामान्य और अनधिकृत, आंतरिक या बाह्य गतिविधियों का पता लगाने के लिए प्रणाली को कार्यान्वित करने; (ii) बैंक की सुरक्षा स्थिति में तत्काल /निकट-तत्काल जानकारी और अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए सुरक्षा परिचालन केंद्र को कार्यान्वित करने; (iii) डेटाबेस और सर्वर की परिचालन प्रणाली के लिए लेखा-परीक्षा लॉग सक्षम करने; (iv) अंत-बिंदुओं पर प्रशासनिक अधिकारों को अस्वीकार करने; (v) महत्वपूर्ण सर्वरों तक पहुँचने के लिए बहु-कारक प्रमाणीकरण लागू करने; (vi) महत्वपूर्ण सर्वरों तक पहुंच की अनुमति, प्रबंधन और निगरानी के लिए उचित प्रणाली और नियंत्रण कार्यान्वित करने; (vii) साइबर संकट प्रबंधन योजना कार्यान्वित करने; (viii) तत्काल आधार पर अलर्ट उत्पन्न करने के लिए एक प्रणाली को कार्यान्वित करने, केंद्रीकृत निगरानी समाधान के साथ लॉग को एकीकृत करने और अलर्ट/लॉग की समीक्षा करने; और (ix) एप्लिकेशन, डेटाबेस और परिचालन प्रणाली की महत्वपूर्ण फाइलों की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने में विफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप अनधिकृत घुसपैठ हुई और उसका पता नहीं चल पाया और बाद में साइबर सुरक्षा घटना हुई। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों तथा इसके अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और ऐसे निदेशों की अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant मंगलवार, 20 दिसंबर 2022
जुलाई-सितंबर में भारत की सोने की मांग में 10 प्रतिशत इजाफा : विश्व स्वर्ण परिषद
देश में सोने की मांग जुलाई-सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर 183.2 टन हो गई। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को अपनी रपट में यह जानकारी दी।

सोने की बढ़ती कीमतों और बाजार में नकदी/तरलता की कमी से इस बार धनतेरस और दिवाली पर सोने की मांग सामान्य रह सकती है।

डब्ल्यूजीसी की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की ‘स्वर्ण मांग रुख’ रपट के अनुसार मूल्य के आधार पर देश में इस दौरान सोने की मांग 14 प्रतिशत बढ़ी। यह 50,090 करोड़ रुपये रही जबकि 2017 की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 43,800 करोड़ रुपये था।

डब्ल्यूजीसी के भारत के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पी. आर. ने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ तिमाही की शुरुआत में सोने के दाम में कमी देखी गई। यह कर सहित 29,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर आ गए, जो जनवरी 2018 के बाद सोना भाव का सबसे निचला स्तर था। इससे सोने की मांग में तेजी आयी।’’ 

हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से सोने के स्थानीय भाव प्रभावित हुए और इनमें तेजी देखी गई। जल्द ही इसका भाव बिना किसी कर के 32,000 रुपये से 33,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया, इसलिए तिमाही में बाद के दौरान इसकी मांग घट गई।

उन्होंने कहा, ‘‘ सोना खरीद के अवसर कम होने और केरल जैसे प्रमुख बाजार के बाढ़ से प्रभावित होने जैसे कई कारणों के चलते इस तिमाही में सोने की मांग पर असर पड़ा।’’ 

साल की आखिरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) आम तौर पर सोने की मांग के लिए अच्छी रहती है। त्यौहारों और शादियों के चलते इस दौरान सोने की मांग और खरीद बढ़ती है।

सोमसुंदरम ने कहा कि इसके बावजूद हालांकि इस साल सोने की मांग इस दौरान सामान्य ही रह सकती है, क्योंकि बाजार तरलता की कमी है, वहीं भारत में इसकी कीमतें भी बढ़ रही हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों में चुनाव के चलते इसकी आवाजाही भी प्रभावित होगी।

उन्होंने कहा सालभर में सोने की मांग कम रहने का अनुमान है। यह 700 से 800 टन के दायरे में रह सकती है।

रपट में कहा गया है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में इस साल आभूषणों की कुल मांग 10 प्रतिशत बढ़कर 148.8 टन है जो पिछले साल समान अवधि में 134.8 टन थी। मूल्य के आधार पर आभूषण की मांग में वृद्धि 14 प्रतिशत रही है। यह 40,690 करोड़ रुपये रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 35,610 करोड़ रुपये थी।

इसी दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने अपना स्वर्ण भंडार 13.7 टन बढ़ाया है। इससे उसका कुल स्वर्ण भंडार 21.8 टन हो गया।

स्वर्ण क्षेत्र में निवेश मांग भी इस अवधि में 11 प्रतिशत बढ़ी और यह 34.4 टन रही। जबकि 2017 की तीसरी तिमाही में यह 31 टन थी। मूल्य के आधार पर यह 15 प्रतिशत बढ़कर 9,400 करोड़ रुपये रही जो 2017 की इसी अवधि में 8,200 करोड़ रुपये थी।

रपट के अनुसार देश में पुन: प्रसंस्करण किए जाने वाले सोने की कुल मात्रा 13.85 प्रतिशत घटकर 23 टन रही जो 2017 की इसी अवधि में 26.7 टन थी।

देश में सोने के आयात पर सोमसुंदरम ने कहा कि तिमाही के शुरुआती समय में इसके भाव कम रहने से इसमें 55 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।

(सौ. पीटीआई भाषा )
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Rajanish Kant गुरुवार, 1 नवंबर 2018
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Rajanish Kant गुरुवार, 5 जुलाई 2018
2018 की पहली छमाही में भारत में सबसे ज्यादा आईपीओ लांच हुए-EY
आईपीओ लांच करने के मामले में भारत 2018 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में दुनिया भर में अव्वल रहा। इस दौरान भारत में 90 आईपीओ लांच हुए जिसके जरिये 3.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए गए।  EY ने ताजा रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। 

EY की India IPO Readiness Survey Report में कहा गया है कि भारत में इस साल जनवरी-जून के दौरान दुनिया भर में सबसे ज्यादा आईपीओ गतिविधियां देखी गई। संख्या के हिसाब से कुल इश्यू का 16 प्रतिशत, जबकि वैल्यू के हिसाब से 5 प्रतिशत भारत में लांच हुआ। 

रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी-जून के दौरान भारत में 90 आईपीओ के जरिये 3.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए गए, जो कि संख्या के आधार पर पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 27 प्रतिशत और वैल्यू टर्म में 28 प्रतिशत ज्यादा है। 

 EY के संदीप खेतान का मानना है कि भारत में आईपीओ इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है। 2018 में कई कंपनियां लिस्ट होने के लिए तैयार हैं। फाइनेंशियल सेक्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर और कंज्यूमर सेक्टर की कंपनियां मजबूत ग्रोथ के साथ भारतीय आईपीओ बाजार की अगुआ बनी हुई है। 

इस साल जनवरी-जून के दौरान जो 90 आईपीओ लांच हुए, उनमें से 27 इंडस्ट्रियल सेक्टर के हैं जिसने 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए, कंज्यूमर स्टेपल्स के 18 आईपीओ हैं जिसके जरिये 279 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाये गए, मैटिरियल सेक्टर के 14 आईपीओ, कंज्यूमर प्रोडक्ट के 10 आईपीओ जबकि टेक्नोलॉजी सेक्टर के 5 आईपीओ हैं। 
इस दौरान मीडिया और एंटरेनमेंट आईपीओ ने 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर और हेल्थकेयर आईपीओ ने 158 मिलियन डॉलर जुटाए। 

EY ने कहा है कि हमारे सर्वे से आईपीओ की कामयाबी के पीछे तीन वजह सामने आई है-अच्छी क्वालिटी की कंपनी, आकर्षक कीमत और सही समय। 

>आईपीओ Vs एफपीओ  Vs ओएफएस;  IPO vs FPO Vs OFS 



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Rajanish Kant बुधवार, 27 जून 2018
भारत में अमीरी-गरीबी की खाई और बढ़ी, रईस और अमीर हुए़, गरीब और गरीब-ऑक्सफेम
भारत पर वैश्विक संगठन ऑक्सफेम की ताजा रिपोर्ट सरकार के लिए आंखें खोलने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में देश के रईसों की अमीरी बढ़ी है जबकि गरीब और गरीब हुए हैं और ऐसा सरकार की गलत नीतियों की वजह से हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल पहले देश के अरबपतियों की कुल दौलत जीडीपी का 10 प्रतिशत थी जो कि अब बढ़कर जीडीपी का 15 प्रतिशत हो गई है।
आपको बता दूं कि 2017 में भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 101 थी। इन पांच सालों में अमीरी और गरीबी की खाई और बढ़ी है। लगातार बढ़ रही इस खाई को कम करने के लिए रिपोर्ट में कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं। इसके लिए सरकार को प्रगतिशील प्रत्यक्ष कर संग्रहण व्यवस्था लागू कर प्रत्यक्ष करों की वसूली बढ़ीने और स्वास्थ्य, , शिक्षा, गरीबों के पोषण खास शुरुआती बच्चों के पोषण पर खर्च बढ़ाने की सलाह दी गई है।
ऑक्सफेम ने अपनी 'द वाइडेनिंग गैप्स: इंडिया इनइक्विलिटी रिपोर्ट 2018', में कहा है कि भारत आय, उपभोग और दौलत समेत सभी पैरामीटर्स के हिसाब से दुनिया के सबसे गैर-बराबरी वाला देशों में शामिल है। इसके लिए संगठन ने गलत सरकार नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। सरकारी नीतियों में श्रम, श्रमिकों और गैर-कुशल श्रम के मुकाबले पूंजी, पूंजीवादियों और कुशल श्रमिकों के हित में नीतियां तैयार की गईं, जिससे असमानता बढ़ी है।
रिपोर्ट में अलग-अलग कई आंकड़ों के आधार पर बताया गया है कि कैसे भारत में 1980 में स्थिर असमानता से 1991 के बाद असमानता तेजी से बढ़ी है और 2017 तक यह असमानता और बढ़ती ही चली गई। जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा के आधार पर बटे समाज ने असमानता की स्थिति को और बदतर बना दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में और अधिक समान मौके मुहैया कराकर और विकास का फायदा अधिक से अधिक लोगों को देकर असमानता को कम किया जा सकता है।
ऑक्सफेम ने कहा है कि 2017 में महज एक प्रतिशत रईसों के पास 73 प्रतिशत दौलत थी। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 में देश के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की दौलत 20.9 ट्रिलियन रुपए बढ़ी, वहीं दूसरी तरफ सबसे गरीब 67 करोड़ लोगों की आमदनी महज एक प्रतिशत ही बढ़ी।
India, Oxfam, इंडिया, ऑक्सफेम, भारत,

Rajanish Kant शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018
भारत में सोने की मांग पहली तिमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर 123.5 टन: गोल्ड काउंसिल

भारत में एक बार फिर सोने की मांग में तेजी का रख बना है। कैलेंडर वर्ष 2017 की पहली तिमाही :जनवरी से मार्च: अवधि में सोने की मांग 15 प्रतिशत बढ़कर 123.5 टन पर पहुंच गई। विश्व स्वर्ण परिषद :डब्ल्यूजीसी: ने यह आंकड़ा जारी किया है।


डब्ल्यूजीसी के मुताबिक भारत में सोने की मांग बढ़ने से स्वर्ण उद्योग में उम्मीद जगी है। पिछले साल जनवरी से मार्च 2016 अवधि में देश में 107.3 टन सोने की मांग रही थी। आभूषण उद्योग में उत्पाद शुल्क लगाये जाने से पिछले साल आभूषण व्यापारियों की हड़ताल से कारोबार प्रभावित हुआ था।



डब्ल्यूजीसी की ‘पहली तिमाही स्वर्ण मांग रझान’ पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2017 की पहली तिमाही में मूल्य के लिहाज से सोने की मांग 18 प्रतिशत बढ़कर 32,420 करोड़ रपये हो गई जो कि पिछले साल 27,540 करोड़ रपये रही थी।



डब्ल्यूजीसी भारत प्रबंध निदेशक सोमासुंदरम पीआर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘2017 की पहली तिमाही में सोने की मांग 15 प्रतिशत बढ़ी है, मांग में यह वृद्धि हालांकि पिछले साल के निम्न आधार की वजह से दर्ज की गई है, पिछले साल उत्पाद शुल्क लगाये जाने से आभूषण विक्रेताओं की हड़ताल से कामकाज प्रभावित हुआ था। मांग में आई इस वृद्धि से स्वर्ण उद्योग में उम्मीद जगी है और इससे उद्योग की मजबूती के बारे में संकेत मिलता है। स्वर्ण उद्योग वर्ष 2013 से कुछ कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है।’’

(स्रोत- भाषा)

Rajanish Kant गुरुवार, 4 मई 2017
जानते हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी कितनी है?
दुनिया में सबसे तेज ग्रोथ वाला देश, 125 करोड़ की आबादी, मल्टीनेशनल कंपनियों के ऊंचे पदों पर धाक, सेवा क्षेत्र में दुनियाभर में डंका, लेकिन वैश्विक इकोनॉमी में हमारी हिस्सेदारी कितनी है, जानते हैं। जानकर, चौंक जाएंगे। केवल 2.83%। ये हम नहीं कह रहे हैं, सरकार ने संसद में इसकी जानकारी दी है। इसके लिए वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। 

वर्ल्ड बैंक ग्रुप के मुताबिक, 2015 में भारत की जीडीपी US$ 2.095 खरब रही जबकि दुनिया की जीडीपी US$ 74 खरब थी। यानी वैश्विक जीडीपी के मुकाबले हमारी जीडीपी सिर्फ  2.83% ठहरी। 

वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि अगर भारत की जीडीपी ग्रोथ अमेरिकी डॉलर में 8% सालाना और फ्रांस और यूके की जीडीपी ग्रोथ 2.5 % सालाना मान लिया जाए, तो वैश्विक इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी 2018 में फ्रांस और 2021 में यूके को पार कर जाएगी।  

Rajanish Kant शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017
23 दिसंबर तक 555 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई
राज्यों से मिली प्राथमिक रिपोर्टों के मुताबिक, 23 दिसंबर, 2016 तक रबी फसलों का कुल रकबा 554.91 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक यह रकबा 523.40 लाख हेक्टेयर था।

यह जानकारी दी गई है कि गेहूं की बुआई 278.62 लाख हेक्टेयर में, दलहन 138.25 लाख हेक्टेयर में, मोटे अनाज 50.63 लाख हेक्टेयर में जबकि तिलहन 78.08 लाख हेक्टेयर में हुई है।

इस साल अब तक हुई बुआई का रकबा और पिछले साल इसी समय के दौरान हुई बुआई का ब्यौरा नीचे दिया गया है:-


((16 दिसंबर तक 519 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई

Rajanish Kant शनिवार, 24 दिसंबर 2016
पासपोर्ट के नए नियमों की घोषणा, आधार भी जन्म प्रमाण पत्र के तौर पर अब मान्य, साधुओं के लिए भी नियम आसान
पासपोर्ट के नए नियमों की घोषणा
  1. पासपोर्ट बनवाने के नियमों को और उदार और आसान बनाने के लिए विदेश मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। इससे पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले भारतीय नागरिकों को फायदा होगा। इन कदमों का पूरा ब्योरा इस प्रकार है -
 जन्मतिथि का प्रमाण

  1. पासपोर्ट नियमावली, 1980 के मौजूदा वैधानिक प्रावधानों के अनुसार 26/01/1989 को या उसके बाद जन्म लेने वाले आवेदकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्मतिथि के प्रमाण के तौर पर अपना जन्म प्रमाणपत्र को पेश करना अनिवार्य होता था लेकिन अब निर्णय लिया गया कि ऐसे आवेदक जन्मतिथि प्रमाण के तौर नीचे दिए गए दस्तावेजों में से कोई दस्तावेज दिखा सकते हैं-

(i) जन्म एवं मृत्य के रजिस्ट्रार या नगर निगम या भारत में जन्म लेने वाले बच्चों को पंजीकृत करने के लिए जन्म एवं मृत्यु अधिनियम, 1969 के अंतर्गत अन्य किसी निर्धारित प्राधिकारी द्वारा जारी जन्मतिथि प्रमाणपत्र;
(ii) लास्ट अटेंडेड स्कूल/मान्यता प्राप्त शैक्षणिक बोर्ड द्वारा जारी ट्रांसफर/स्कूल लीविंग/10वीं सर्टिफिकेट, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(iii) आयकर विभाग द्वारा जारी पैन कार्ड, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(iv) आधार कार्ड/ई-आधार कार्ड जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(v) आवेदक के सर्विस रिकॉर्ड की प्रति (केवल सरकारी कर्मियों के संबंध में) या पे पेंशन ऑर्डर (केवल सेवानिवृत कर्मियों के संबंध में), आवेदक के संबंधित मंत्रालय/विभाग के प्रशासन में ऑफिसर/इन-चार्ज द्वारा अटेस्टेड/सर्टिफाइड, जिसमें जन्मतिथि लिखी हो;
(vi) संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(vii) भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनाव फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी), जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो;
(viii) पब्लिक लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन/कंपनियों दवारा जारी पॉलिसी बॉन्ड जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी के होल्डर की जन्मतिथि लिखी हो.

अंतर-मंत्रालयी समिति की रिपोर्ट
  1. पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में सिंगल पेरेंट और गोद लिए बच्चों से जुड़ी तमाम समस्याओं को निपटाने के लिए विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी। समिति की रिपोर्ट को विदेश मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।

समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए नियमों में निम्न बदलाव किए गए हैं:

(i) ऑनलाइन पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब माता या पिता या फिर कानूनी अभिभावक के नाम में से किसी एक का नाम देना होगा। इससे सिंगल पेरेंट्स के बच्चों को पासपोर्ट जारी करने में आसानी होगी।
(ii) पासपोर्ट नियमावली 1980 के 15 बिंदुओं को कम करके अब 9 कर दिया गया है। बिंदुओं ए, सी, डी, ई, जे और के को हटा दिया गया है और कुछ बिंदु किसी दूसरे में मिला दिए गए हैं।
(iii) आवेदकों द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर दी जाने वाली जानकारी सादे कागज पर एक स्व-घोषणा के रूप में होगी। किसी अटेस्टेशन/शपथ/नोटरी/कार्यकारी मजिस्ट्रेट/प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता नहीं होगी।
(iv) शादीशुदा आवेदकों को एनेक्चर के या विवाह प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा।
(v) तलाक या अलग होने की स्थिति में पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब पति/पत्नी का नाम देना जरूरी नहीं होगा। इसके लिए तलाकनामे की जरूरत भी नहीं होगी।
(vi) अनाथालय में रहने वाले बच्चे जिनके पास जन्मतिथि या 10वीं कक्षा का प्रमाणपत्र नहीं हैं, वह अनाथालय/चाइल्ड केयर होम के प्रमुख की ओर से उनके आधिकारिक लेटर हेड पर आवेदन की जन्मतिथि की पुष्टि करने वाला एक शपथ पत्र जमा कर सकते हैं।
(vii) बच्चे को गोद लेने के स्थिति में इसका प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा। सादे कागज पर भी गोद लेने की पुष्टि करने वाला शपथ पत्र दिया जा सकता है।

(viii) साधु-सन्यासियों पासपोर्ट आवेदन पत्र में अपने धर्मगुरु का नाम अपने माता-पिता के नाम की जगह दे सकते हैं।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016