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जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल (जीएएआर) 2017-18 से लागू-सरकार
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल (जीएएआर) के प्रावधानों को लागू करने के बारे में स्पष्टीकरण


जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल (जीएएआर) के प्रावधान मूल्यांकन वर्ष 2018-19 यानी वित्तीय वर्ष 2017-18 से प्रभावी होंगे। जीएएआर लागू होने और यह किन शर्तों के तहत लागू नहीं होंगे, इसके लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को आयकर अधिनियम 1962 के नियम 10यू से 10यूसी में बताया गया है। जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल (जीएएआर) के प्रावधान आयकर अधिनियम 1961 के अध्याय 10-ए में निहित हैं।
       हित धारकों और उद्योग संघों से जीएएआर प्रावधानों को लागू करने के बारे मे स्पष्टीकरण देने के लिए अनुरोध किया गया था और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा गठित एक कार्य दल का उठाए गये मुद्दों की जांच करने के लिए गठन किया गया। तदनुसार सीबीडीटी ने आज जीएएआर प्रावधानों को लागू करने के बारे में स्पष्टीकरण जारी किये हैं।
अन्य बातों के अलावा यह स्पष्ट किया गया है कि अगर गैर-कर वाण्जियिक विचारों के आधार पर अगर एफपीआई के आधिकारिक क्षेत्र को अंतिम रूप दिया जाता है और व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य कर लाभ उठाना नहीं है तो जीएएआर लागू नहीं होंगे। जीएएआर लेन-देन की विधि को लागू करने के तरीके का चयन करने या चुनने के कर दाता के अधिकार पर पारस्परिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके अलावा एक अप्रैल 2017 से पहले किए गये निवेश के संबंध में अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय उपकरणों, बोनस निर्गमों या जो तय के विभाजन/ कन्सालिडेशन आईटी  नियमों के अऩुसार उसी निवेशक के हाथों में रहेगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि टैक्स संधियों में दुरूपयोग रोकथाम नियमों को अपनाना ही सभी टैक्स अवॉयडेंस रणनीतियों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। इसे देश के एंटी अवॉयडेंस नियमों के माध्यम से हल करने की जरूरत होगी। हालाकि अगर अवॉयडेंस का कोई मामले को लाभ कर संधि में लाभ की सीमा के तहत निपटाया गया है तो जीएएआर लागू नहीं किया जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर अग्रिम फैसलों के लिए प्राधिकारी ने अगर व्यवस्था को अनुमत माना है तो जीएएआर लागू नहीं होगा। इसके आगे यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर पीसीआईटी/सीआईटी/ अनुमोदन पैनल ने एक वर्ष में व्यवस्था को अऩुमत माना है और उसके तथ्य और परिस्थितियां समान रहते हैं तो आने वाले वर्ष में उस प्रबंधन के लिए जीएएआर लागू नहीं होगा।
जीएएआर को लागू करने के प्रस्ताव की पहले प्रधान आयकर आयुक्त/आयकर आयुक्त द्वारा जांच की जाएगी तो दूसरे चरण की जांच उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल द्वारा जांच की जाएगी। वित्तधारकों को आश्वासन दिया गया है कि डीएआर एक सामान, निष्पक्ष और तर्क संगत तरीके से लागू करने का कार्य सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय उपलब्ध हैं। सरकार कर नियमों में निश्चितता और स्पष्टता  प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। जीएएआर लागू करने के संबंध में हितधारकों को अगर कोई शक है तो उन्हें स्पष्टीकरण उपलब्ध कराया जाएगा।
(Source: pib.nic.in)

Rajanish Kant शुक्रवार, 27 जनवरी 2017