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पहली बार किसानों के लिए पेंशन स्कीम की शुरुआत

एनडीए सरकार की कैबिनेट की पहली बैठक में करोड़ों किसानों को पेंशन की कवरेज प्रदान करने का ऐतिहासिक फैसला

तीन वर्षों में पांच करोड़ परिवारों का जीवन सुरक्षित बनाने के लिए पेंशन योजना

यह योजना पीएम-किसान मौद्रिक सहायता के अतिरिक्त होगी, आर्थिक बोझ घटाएगी और व्यापक दक्षता का मार्ग प्रशस्त करेगी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में केन्द्रीय क्षेत्र की एक नई योजना को मंजूरी दी गई है। यह ऐतिहासिक निर्णय देश भर के किसानों को सशक्त बनाएगा। यह अग्रणी योजना राष्ट्र को अनाज मुहैया कराने के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले हमारे परिश्रमी किसानों को पेंशन की सुविधा उपलब्ध कराएगी। आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब किसानों के लिए पेंशन कवरेज की परिकल्पना की गई है।
अनुमान है कि प्रारंभिक तीन वर्षों में पांच करोड़ छोटे और सीमांत किसान इससे लाभांवित होंगे। केन्द्र सरकार इस योजना के अंतर्गत परिकल्पित सामाजिक सुरक्षा कवर मुहैया कराने हेतु तीन वर्ष की अवधि के लिए अपने अंशदान के रूप में 10774.50 करोड़ रुपये की राशि खर्च करेगी।
इस योजना की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
यह देश भर के छोटे और सीमांत किसानों (एसएमएफ) के लिए स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है।
इसमें प्रारंभिक आयु 18 से 40 वर्ष है और 60 वर्ष की आयु होने पर 3000 रूपये की न्यूनतम निर्धारित पेंशन देने का प्रावधान है।
उदाहरण के लिए लाभार्थी किसान को 29 वर्ष की प्रवेश आयु में 100 रुपये प्रतिमाह का अंशदान करना अपेक्षित है। केंद्र सरकार भी पात्र किसान द्वारा किए गए अंशदान के बराबर राशि पेंशन निधि में जमा कराएगी।

अंशदानकर्ता की पेंशन लेने के दौरान मृत्यु होने के बाद एसएमएफ लाभार्थी की पत्नी/पति परिवार पेंशन के रूप में लाभार्थी द्वारा प्राप्त की जा रही पेंशन की 50 प्रतिशत पेंशन राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे। बशर्ते कि वे इस योजना के पहले से ही एसएमएफ लाभार्थी न हों। अगर अंशदानकर्ता की मृत्यु अंशदान अवधि को दौरान हो जाती है तो उसके पत्नी/पति के सामने नियमित अंशदान भुगतान द्वारा योजना को जारी रखने का विकल्प खुला होगा।

योजनाओं के बीच सामंजस्य, किसानों के लिए समृद्धि

इस योजना की दिलचस्प बात यह है कि किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना से प्राप्त लाभ से सीधे ही इस योजना में अपना मासिक अंशदान करने का विकल्प चुन सकता है। एक अन्य विकल्प यह भी है कि कोई भी किसान मैती’ के तहत कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से पंजीकरण कराकर भी अपने मासिक अंशदान का भुगतान कर सकता है।

मुख्य वायदे पूरे किए, कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाया-
आजादी के 70 साल बाद तक किसानों को इस तरह की कवरेज प्रदान करने के बारे में कभी विचार तक नहीं किया गया।  2019 के संसदीय चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार इस तरह का विचार सामने रखा, जिसकी प्रतिध्वनि देश भर में सुनाई दी। इस योजना का उल्लेख भारतीय जनता पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में किया गया था और नई सरकार के गठन के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही इसे साकार कर दिया गया।  
(साभार- पीआईबी)
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Rajanish Kant शनिवार, 1 जून 2019
कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अ‍थवा पशुपालन से जुड़ी सहायक सेवाएं GST से मुक्‍त: सरकार
किसानों से संबंधित जीएसटी कानून और कराधान में जुलाई, 2017 से लेकर अब तक कोई बदलाव नहीं 

कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अ‍थवा पशुपालन से जुड़ी सहायक सेवाएं जीएसटी से मुक्‍त हैं कृषकों को भी जीएसटी पंजीकरण कराने से छूट 

मीडिया के एक वर्ग में इस आशय की खबर आई है कि किसानों से संबंधित जीएसटी कानून में कुछ संशोधन किए गए हैं, जो 1 जून, 2018 से प्रभावी होंगे और इन परिवर्तनों के मुताबिक किसानों द्वारा अपनी भूमि को पट्टे (लीज) पर देने की स्थिति में उनके लिए पंजीकरण कराना और 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना आवश्‍यक होगा।
      यह समाचार तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है। जुलाई, 2017 में जीएसटी (वस्‍तु एवं सेवा कर) को लागू करने के बाद से लेकर अब तक किसानों से संबंधित जीएसटी कानून और कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अथवा पशुपालन से संबंधित सहायक सेवाओं को जीएसटी से मुक्‍त रखा गया है। इस तरह की छूट प्राप्‍त सहायक सेवाओं में रिक्‍त पड़ी भूमि को इसके उपयोग के लिए संलग्‍न संरचना के साथ अथवा इसके बगैर ही किराये या पट्टे पर देना भी शामिल है। अत: बटाई (पैदावार में हिस्‍सेदारी) या किसी अन्‍य व्‍यवस्‍था के आधार पर कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन अथवा पशुपालन के लिए किसानों द्वारा अपनी भूमि को किराये अथवा पट्टे पर देना भी जीएसटी से मुक्‍त है।
     इसके अलावा, कृषकों को भी जीएसटी पंजीकरण कराने से मुक्‍त कर दिया गया है। कृषक को एक ऐसे व्‍यक्ति अथवा एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) के रूप में परिभाषित किया गया है, जो निम्‍नलिखित तरीके से खेती करता है :
  • खुद के श्रम के जरिए
  • परिवार के श्रम के जरिए
  • नौकरों अथवा नकद या किसी वस्‍तु के रूप में देय मजदूरी के जरिए या निजी देखरेख अथवा परिवार के किसी सदस्‍य की निजी देखरेख के तहत किराये पर रखे गए श्रमिकों के जरिए


(स्रोत-पीआईबी)
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Rajanish Kant सोमवार, 28 मई 2018