‘अंकुश’ लगाने वाली खुदरा एफडीआई नीति पर पुनर्विचार की जरूरत : रपट


घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने खुदरा क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति पर ‘अनिवार्य’ रूप से पुनर्विचार करने की जरूरत बतायी, क्योंकि देश के खुदरा क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं मौजूद होने के बावजूद अच्छा निवेश नहीं आ रहा है। इक्रा का मानना है कि मौजूदा एफडीआई नीति ‘अंकुश’ लगाने वाली है। 

इसी तरह की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की समान चिंताओं का उदाहरण देते हुए एजेंसी ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्र का खुदरा कारोबार साथ काम कर सकता है।

एजेंसी ने अपनी रपट में कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र के लिए एफडीआई नीति अभी भी ‘अंकुश’ वाली बनी हुई है। मौजूदा समय में 51 प्रतिशत मालिकाना हक, बुनियादी क्षेत्र पर अनिवार्य निवेश की शर्तें और स्थानीय स्तर पर सामान खरीदने की शर्तें एफडीआई नीति का हिस्सा हैं।

इक्रा के उपाध्यक्ष और कॉरपोरेट क्षेत्र रेटिंग के सह-प्रमुख किंजल शाह ने कहा कि सरकार को अनिवार्य रूप से एफडीआई नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस क्षेत्र में निवेश की जरूरतें काफी व्यापक हैं।

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2018 के बीच भारतीय खुदरा क्षेत्र में 1.4 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हुआ तो देश को मिले कुल एफडीआई निवेश का मात्र 0.36 प्रतिशत है।

(सौ. पीटीआई भाषा)
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