RBI दिसंबर तिमाही से ब्याज बढ़ाएगा-मॉर्गन स्टेनली


रिजर्व बैंक दिसंबर तिमाही से ब्याज दर बढ़ाना शुरू कर सकता है और 2019 में तीन ब्याज बढ़ोतरी मुमकिन है। यह कहना है ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली का। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि  2018 की चौथी तिमाही  से इकोनॉमी में अच्छी खासी रिकवरी देखने को मिल सकती है जबकि महंगाई दर में ज्यादा तेजी की संभावना कम ही है।

रिजर्व बैंक की अगली पॉलिसी बैठक 5 और 6 जून को है। पिछली कुछ बैठकों से रिजर्व बैंक महंगाई बढ़ने की आशंका में ब्याज दर को जस का तस रख रहा है। हालांकि, रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ रहा है।


मौजूदा प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  : 6.00%
-रिवर्स रेपो रेट                          : 5.75%
-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF) : 6.25%
-बैंक रेट                             : 6.25%
-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%
-एसएलआर                         :   19.5%
-बेस रेट                              :   8.75 - 9.45%
-MCLR (Overnight) : 7.80% -7.95%
-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%
-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 6.75% 

हालांकि, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म डॉयश बैंक का मानना है कि रिजर्व बैंक 5,6 जून की बैठक में प्रमुख दरों में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है। फिलहाल रेपो रेट 6.00% और रिवर्स रेपो रेट 5.75% है। इससे पहले डॉयश बैंक ने अपनी रिपोर्ट में अगले साल के शुरुआत से प्रमुख दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू होने का अनुमान लगाया था। 

अपनी रिसर्च रिपोर्ट में डॉयश बैंक ने कहा है कि हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी की वजह से रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में बढ़ोतरी का प्राथमिकता दे सकता है। फिलहाल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, जो कि दिसंबर 2017 के मुकाबले 12 प्रतिशत महंगा है। 

डॉयश बैंक ने आगे कहा है कि महंगा होता कच्चा तेल महंगाई, फिस्कल डेफिसिट, करेंट अकाउंट डेफिसिट, रूपया समेत पूरी भारतीय इकोनॉमी के लिए परेशानी का सबब है। इसलिए रिजर्व बैंक को इस परेशानी को कम करने के लिए ठोस कदम उठाना होगा। अगर रिजर्व बैंक जून में प्रमुख दरों में इजाफा नहीं करेगा,तो अगस्त की बैठक में बढ़ोतरी कर सकता है। 
वैसे तो रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख दरों में बढ़ोतरी से पहले ही स्टेट बैंक समेत कई बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से बैंक में एफडी कराने वालों को तो फायदा हो रहा है लेकिन लोन लेने वालों पर बोझ बढ़ रहा है। उनकी ईएमआई महंगी हो रही है। 
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