बेनामी प्रॉपर्टी क्या है? जानिए बेनामी लेनदेन से जुड़े सारे सवालों के जवाब

>बेनामी लेनदेन क्या है:
वह संपत्ति बेनामी संपत्ति मानी जाएगी जो किसी और व्यक्ति के नाम हो या हस्तांतरित की गई हो लेकिन उसका प्रावधान या भुगतान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया हो। इस तरह का सौदा बेनामी संपत्ति के प्रावधान या भुगतान करने वाले को तत्काल या भविष्य में लाभ पहुंचाने के उद्येश्य से किया गया होता है। ज्यादातर काले धनकुबेर पकड़े जाने के डर से किसी दूसरे के नाम से प्रॉपर्टी खरीदते हैं। 

>बेनामी लेनदेन क्यों है चिंता का कारण:
काला धन को छुपाने और भ्रष्टाचार का एक बड़ा जरिया है बेनामी लेन-देन। जानकारों के मुताबिक, प्रॉपर्टी के दाम कृत्रिम तरीके से बढ़ाने के लिए बेनामी लेन-देन एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रॉपर्टी और जमीन-जायदाद के दाम बेतहाशा बढ़ते जाने ये ये आम लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। इससे लोगों को सपनों का घर ढूंढने में दिक्कत हो रही है।  

>बेनामी लेनदेन पर कानूनी सजा क्या है:
जमीन-जायदाद की खरीद-फरोख्त में कालेधन के प्रयोग पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गए एक नए कानून के तहत संपत्ति रखने वालों के लिए सात साल तक के कठोर कारावास की सजा और जुर्माना हो सकता है। रीयल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह को कम करने के लिए बनाए गए बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) कानून-2016 एक नवंबर 2016 से लागू हो गया है। इस कानून के मुख्य प्रावधान:-
-नए कानून में दोषी व्यक्ति को एक साल से सात साल तक के कठोर कारावास की सजा मिल सकती है। 
-दोषी व्यक्ति पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है जो उस संपत्ति के बाजार मूल्य का 25% तक हो सकता है। 
-पुराने कानून में तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। 
-नए कानून में ऐसे लेन-देन के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ भी जुर्माना लगाने का 
प्रावधान है। ऐसा करने पर कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच वर्ष के कठिन कारावास की सजा के 
साथ उस संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से 10%  तक राशि का जुर्माना लगाया जा सकता है।
-नए कानून में कोई भी कानूनी कार्रवाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की पूर्वानुमति के बिना शुरू नहीं की जाएगी। 
-नए कानून में एक 'एडमिनिस्ट्रेटर' (प्रशासक) नियुक्त करने का प्रावधान है जो इस कानून के तहत जब्त की जाने वाली संपत्तियों का प्रबंधन करेगा। 
-इस नए कानून के मुताबिक इस कानून के तहत दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक या एक से अधिक सत्र अदालत या विशेष अदालते निर्धारित कर सकती है।

बेनामी लेनदेन कानून 1988 में संशोधन के लिए इस विधेयक को 2015 में  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 13 मई को लोकसभा में पेश किया था उसके बाद उसे वित्त मामलों की संसदीय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। समिति ने इस पर अपनी रपट गत 28 अप्रैल को दी। लोकसभा ने इस विधेयक को 27 जुलाई को पारित किया और राज्यसभा ने 2 अगस्त को इसे मंजूरी दी।
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