मौद्रिक नीति समीक्षा (3,4 अक्टूबर): नई व्यवस्था, नया निजाम, क्या ब्याज होगा कम ?

रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से रघुराम राजन के हटने के बाद नीतिगत दर मामले में दो अहम बदलाव हुए हैं। एक तो ब्याज दर  का फैसला मौद्रिक नीति समिति के बहुमत से होगा और बैठक दो दिनों तक चलेगी और दूसरा कि रिजर्व बैंक की कमान अब ऊर्जित पटेल के हाथों में है। मौद्रिक नीति की बैठक सोमवार और मंगलवार यानी 3 और 4 अक्टूबर दो दिन तक चलेगीऔर बैठक के अंतिम दिन दोपहर 2.30 बजे ब्याज दर पर फैसला आएगा। 



लेकिन अभी तक मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए एक दिन बैठक होती थी और सुबह 11 बजे ब्याज दर पर रिजर्व बैंक का फैसला आ जाता था। तो, सबकी निगाहें अब इस बात है कि क्या रिजर्व बैंक ब्याज कम करेगा या फिर कुछ और समय तक मैक्रोइकोनॉमिक डेटा का इंतजार करेगा।  

जहां तक मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की बात है तो महंगाई अभी भी बहुत बड़ी चिंता की बात बनी हुई है जबकि दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार बढ़ाने की भी जरूरत है और इसके लिए कर्ज सस्ता होना जरूरी है। बात अगर बैंकों  द्वारा ब्याज दर में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने की बात है. तो इस मोर्चे पर बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई है। 

दूसरे मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की बात करें इस बार सरकार ने खरीफ दलहन, जो कि महंगाई की बड़े वजह है उसमें रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है। मॉनसून भी इस साल अच्छा रहा है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी का रुझान है। अगर कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है तो घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल महंगे होने से ट्रांसपोर्टेशन महंगा हो जाएगा। जाहिर है इससे महंगाई में और आग लगेगी।   

> क्या कहते हैं आंकड़े......

इस साल अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक (होलसेल प्राइस इंडेक्स-डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर अगस्त में 
बढ़कर 3.74 % पर पहुंच गई है जो कि पिछले 2 साल का सबसे ऊंचा स्तर है। दालों और कुछ मैन्युफैक्चरिंग गुड्स के दाम बढ़ने से थोक महंगाई बढ़ी है। हालांकि, इस दौरान सब्जियों के दाम घटे भी हैं। जुलाई में थोक महंगाई दर 3.55% थी। 

हालांकि इस साल अगस्त  में सालाना आधार पर खुदरा महंगाई दर (CPI) 5.05% दर्ज की गई, जो कि पिछले साल इसी अवधि में 3.74% थी और इस साल जुलाई में 6.07% थी। अगर खुदरा खाद्य महंगाई दर की बात करें तो पिछले साल अगस्त में CFPI (खुदरा खाद्य महंगाई दर) 2.20% थी जो कि इस साल अगस्त में बढ़कर 5.91% हो गई है। इस साल जुलाई में CFPI 8.35% थी। 


जुलाई में औद्योगिक उत्पादन को झटका लगा है। औद्योगिक उत्पादन में इस साल जून में लगातार दूसरे महीने बढ़त जारी रहने के बाद जुलाई में गिरावट आई है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के उद्योगों का बैरोमीटर माना जाने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जुलाई में सालाना आधार पर 2.4% घटा है। पिछले साल जुलाई में औद्योगिक उत्पादन 4.3% बढ़ा था। कैपिटल गुड्स सेक्टर में सुस्ती जारी है। 


औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में करीब 38% हिस्सेदारी निभाने वाले 8 कोर उद्योगों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफायनरी उत्पाद, स्टील, सीमेंट, उर्वरक और इलेक्ट्रसिटी सेक्टर ने अगस्त  2016 में सालाना आधार पर  3.2% की दर से विकास किया। 

इसके अलावा रिजर्व बैंक इस बात भी गौर करेगा कि बैंक ब्याज दरों में पूरी कटौती का फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं या नहीं। पिछले साल जनवरी से अब तक रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में डेढ़ परसेंट की कटौती कर चुका है लेकिन बैंकअब तक केवल 0.5-0.6% की ही कटौती का फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं। इस साल अप्रैल बैठक में रेपो रेट में की गई 0.25% की कटौती के बाद बहुत कम बैंकों ने ही अपने बेस रेट घटाए हैं। यानी सस्ते लोन का इंतजार कर रहे लोगों के लिए ये कहना मजबूरी बन गई है कि इंतहा हो गई इंतजार की...। ऐसे में रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद करना शायद ही सही हो।  

इससे पहले रिजर्व बैंक ने अप्रैल में हुई मौजूदा वित्त वर्ष की पहली समीक्षा बैठक में रेपो रेट में चौथाई परसेंट की कटौती की थी। 

रिजर्व बैंक की मौजूदा दरें:
रेट                          अब (%)                      पहले (%)
>रेपो रेट                    6.50                          6.75
>रिवर्स रेपो रेट            6                               5.75
>मार्जिनल स्टैंडिंग
फैसिलिटी रेट (MSF)    7                                7.75
>कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) 4                               4

((रेपो रेट में 0.25% की कटौती, लोन सस्ते होने की उम्मीद, घटेगी EMI 
((कर्ज की दर तय करने का BPLR से MCLR तक का सफर; ग्राहकों को कितना फायदा ? 
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