5 फैक्टर, बाजार का रहेगा जिस पर जोर


साल 2015 में शेयर बाजार की चाल मोदी सरकार के आर्थिक सुधार, GST बिल, ब्याज दर, अमेरिका
का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व का ब्याज दर पर नीति, मॉनसून, कच्चे तेल और कमोडिटीज की कीमतों
से बदलती रही।

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल ब्याज दरों में 1.25% की कटौती की। हालांकि, बैंक इसका पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे पाए। फेडरल रिजर्व ने भी इस साल 2006 के बाद पहली बार ब्याज दर में बढ़ोतरी की। मॉनसून लगातार दूसरे साल गच्चा दे गया। हालांकि, महंगाई की दर अभी भी रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है।

कच्चे तेल की ग्लोबल कीमतों में कमी से घरेलू इकोनॉमी को फायदा पहुंच रहा है, लेकिन ऑयल-
रिफाइनरी कंपनियों के लिए ये अच्छी खबर नहीं है। दूसरी ओर मेटल की ग्लोबल कीमतों में कमी घरेलू मेटल कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन पर बुरा असर डाल रही है। अप्रत्यक्ष कर सिस्टम में क्रान्तिकारी बदलाव लाने वाला GST बिल से एक बार फिर इंडस्ट्री निराश हुई है।

अगले साल इन फैक्टर पर रहेगी नजर: 
- GST बिल:
-मॉनसून
-कच्चे तेल और कमोडिटीज की कीमतें
-इंद्रधनुष और उदय: घरेलू पावर और बैंकिंग सेक्टर पर से बोझ को कम करने
के लिए इन दोनों कार्यक्रमों का सही से लागू होना जरूरी है। इंद्रधनुष का लक्ष्य
जहां सरकारी बैंकों में सुधार लाना है, वहीं उदय पावर सेक्टर में सुधार के इरादे
से शुरू किया गया है।
-बजट: सभी की नजर 2016-17 के मोदी सरकार के बजट पर भी है। सभी को
इंतजार इस बात का रहेगा कि सरकार निवेश, मांग, ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कौन
सा नए कदम उठाती है।

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