शेयर बाजार; पैसा लगाने से पहले जानकारी लेना जरूरी

 उतार-चढ़ाव शेयर बाजार की वैसी ही खूबसूरती है जैसा कि लहरों के ऊपर-नीचे होने से समुद्र की और चढ़ाई -ढलान होने पर किसी पहाड़ की। शेयर बाजार पर कुछ लोगों ने दाग लगाएं हैं, कुछ लोगों ने गड़बड़ियां की है, लेकिन, शेयर बाजार अपनी गति से चल रहा है।

इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आगे भी कुछ लोग शेयर बाजार पर दाग नहीं लगाएंगे या फिर कुछ लोग गड़बड़ियां नहीं फैलाएंगे, भारी उतार-चढ़ाव आएंगे। बावजूद इसके अगर आप सावधान रहेंगे तो ऐसे मौकों पर भी अपने हिसाब से ही नुकसान की आशंका है, क्योंकि शेयर बाजार में स्टॉप लॉस एक और खूबसूरत चीज है जिसका इस्तेमाल करके आप बाजार में बड़ी से बड़ी गिरावट में भी कैलकुलेटेड नुकसान ही उठा सकते हैं। कैलकुलेटेड रिस्क जैसी सुविधा किसी और बिजनेस में नहीं मिलेगा।

यदि आप नए निवेशक हैं या फिर पुराने निवेशक जो कि शेयर बाजार में अपने हाथ जला चुके हैं और उससे तौबा कर चुके हैं, तो कोई शेयर खरीदने से पहले कुछ बातों पर गौर जरूर कर लें। 

-BSE, NSE से कंपनी का कोड का पता कर लें-मसलन, रिलायंस नाम से कई कंपनी आपको मिलेगी, लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज का अलग कोड है, रिलायंस कैपिटल का अलग और रिलायंस पावर का अलग।

- कंपनी के बारे में जानकारी लें- मसलन, कंपनी कौन सा कारोबार करती है, कहां-कहां है उसका कारोबार, कितने दिनों से कारोबार में है, कंपनी पर कोई दाग तो  नहीं है, कंपनी आगे और कौन सा नया कारोबार में उतरना चाहती है। बगैरह-बगैरह। कई बार निवेशकों का जब पैसा डूब जाता है तब अपने ब्रोकर या किसी और से कंपनी के बारे में जानकारी पूछते हैं।

जरा सोचिये,किसी भी सामान के बारे में आप खरीदने के बाद पूछताछ करते हैं या पहले या फिर किसी के साथ पार्टनरशिप में कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो क्या उसमें पैसा लगाकर अपने पार्टनर से बिजनेस की डीटेल्स लेते हैं। नहीं ना, तो फिर किसी कंपनी का शेयर खरीदते समय उसमें पैसा लगाने से पहले क्यों नहीं उस कंपनी की जांच-पड़ताल करते हैं।

-कंपनी के प्रोमोटर्स के बारे में जानकारी लें-प्रोमोटर्स के बारे में पूरी तहकीकात कर लें।

-कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति के बारे में जान लें-कंपनियां हर तिमाही में अपने नतीजे पेश करती हैं। नतीजे से कंपनियों की उनकी बिक्री, उनका प्रॉफिट, बोनस इश्यू या डिविडेंड, बुक वैल्यू,ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन, EPS,आगे की विस्तार योजना, कर्ज की स्थिति सहित कई चीजों के बारे में जानकारी मिलती है।
ये सारे रिजल्ट वेबसाइट पर मिल जाएंगे (कंपनी की वेबसाइट, एनएसई, बीएसई की वेबसाइट पर), बिजनेस न्यूज चैनल, अखबार के अलावा मैगजीन में मिलेंगे।

-कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न देखें- कंपनी में प्रोमोटर्स की ज्यादा हिस्सेदारी कंपनी के लिए पॉजिटिव माना जाता है। शेयर गिरवी रखने (प्लेजिंग) को जानकार आमतौर पर फंडामेंटली पॉजिटिव नहीं मानते हैं।

-कंपनी में FII (विदेशी संस्थागत निवेशक), DII (घरेलू संस्थागत निवेशक), म्युचुअल फंड की हिस्सेदारी पर गौर करें-किसी शेयर में इनकी बढ़ती हिस्सेदारी को फंडामेंटली मजबूत शेयर माना जाता है।

-स्टॉप लॉस को कभी नजरअंदाज नहीं करें- किसी खास कंपनी के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अगर आपको भरोसा हो गया कि उसमें पैसा लगाना घाटे का सौदा साबित नहीं होगा, फिर भी उस शेयर में पैसा लगाते समय स्टॉप लॉस लगाना नहीं भूलें।

-जिस सेक्टर की कंपनी में पैसे लगाने जा रहे हैं, उस सेक्टर के प्रदर्शन का भी अध्ययन करना जरूरी है। साथ ही उसी सेक्टर की कुछ और कंपनियों के साथ आप जिस कंपनी में पैसा लगाने जा रहे हैं उसका तुलनात्मक अध्ययन कर लेना सही है।

शेयर बाजार का एक नियम है कि किसी भी निवेशक को अपनी पूंजी और अपने जोखिम में ही मुनाफा कमाने की संभावना तलाशनी चाहिए। यानी आप उतना ही शेयर खरीदें जितना आपके पास पैसे हैं और आप उतनी ही जोखिम लें, जितना आपका कैपिटल गवाह दे। वरना, बाजार जब धराशायी होने लगता है तो बाजार में लॉस बुक करने का भी समय नहीं मिलता है और ऐसे में जब आप पैसे गंवाते जाते हैं तो बाजार और अपने ब्रोकर की बुराई करते हुए शेयर बाजार से ही तौबा कर लेते हैं।

'अमीरी पहले दीमाग में आती है फिर जेब में '


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