शादी की खुशी में फाइनेंशियल प्लानिंग करना कहीं भूल तो नहीं गए

लीजिए, अब तो शादी भी हो गई। पढ़ाई करते समय आपने फाइनेंशियल प्लानिंग इसलिए नहीं की होगी, कि आपके पास इसके लिए पैसे नहीं होते होंगे। जॉब लगी होगी तो ये सोचा होगा कि अरे यार, अभी जल्दी क्या है,
कुछ समय बाद फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू करूंगा।
यही सोचते-सोचते अब शादी भी हो गई, तो अब तो फाइनेंशियल प्लानिंग करना शुरू कर दीजिए। कहीं ऐसा ना हो कि सोचते-सोचते कब आपके बच्चे बढ़े हो गए,आपकी उम्र 40 के पार निकल गई, पता ही नहीं चला। ऐसा होने पर आपका खर्च काफी बढ़ जाएगा, फिर बचत करना, निवेश करना और फाइनेंशियल प्लानिंग करना आपके लिए आसान नहीं होगा।

नए शादी-शुदा लोगों के लिए फाइनेशियल प्लानिंग पर जानकारों की राय:
-जितना जल्दी हो सके फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए
-जल्दी प्लानिंग करने पर कंपाउंडिंग का फायदा ज्यादा मिलेगा
-जल्दी प्लानिंग करने पर एग्रेसिव तरीके से इन्वेस्ट करना आसान
होगा
-जल्दी प्लानिंग करने पर रिस्क लेने की ताकत ज्यादा होती है
-जल्दी प्लानिंग करने पर आपके पास ज्यादा इन्वेस्ट करने का
मौका रहता है
-देरी करने पर ना तो ज्यादा रिस्क ले सकते हैं और ना ही
इन्वेस्ट के लिए ज्यादा पैसे रहते हैं
-शादी के बाद ज्वाइंट फाइनेंशियल प्लान बनाएं
-अलग-अलग फाइनेंशियल प्लान के मुकाबले
ज्वाइंट फाइनेंशियल प्लान ज्यादा अनुशासित
और फायदेमंद होता है

फाइनेंशियल प्लानिंग में देरी से कैसे नुकसान होता है-
यदि कोई पति-पत्नी ने हर महीने 10 हजार रुपए सिस्टैमिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP)में लगाता है
तो 15 साल में 12% के औसत रिटर्न से उसे करीब 50 लाख रुपए मिलेगा। लेकिन, अगर कोई उससे
5 साल पहले से यानी 20 साल से  हर महीने 10 हजार रुपए सिस्टैमिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP)में लगाता है
तो उसे 12 % के औसत रिटर्न से करीब 99 लाख रुपए मिलेगा। यानी केवल 5 साल की देरी करने पर करीब
49 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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