इंश्योरेंस पॉलिसी की बढ़ती मिस-सेलिंग,सरकार, IRDA बेबस, क्या करेंगे आप

क्या आप इंश्योरेंस पॉलिसी मिस-सेलिंग का शिकार तो नहीं बनने जा रहे हैं 
इंश्योरेंस पॉलिसी की बढ़ती मिस-सेलिंग इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए बड़ी चुनौती है। पॉलिसी की मिस-सेलिंग यानी एजेंट द्वारा गलत जानकारी देकर या ग्राहकों को भ्रमित कर पॉलिसी बेचने के मामले में दोषियों पर कभी-कभी कार्रवाई तो होती है लेकिन इस पर लगाम लगना तो दूर, इंश्योरेंस कंपनियां लगातार बेलगाम होती जा रही हैं। ऐसा लगता है मिस-सेलिंग को लेकर इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDA (Insurance Regulator & Development Authority) और सरकार इंश्योरेंस कंपनियों के आगे बेबस है। 
पॉलिसी मिस-सेलिंग के एक और पीड़ित-ऐसे ही इंश्योरेंस एजेंट की मिस-सेलिंग के शिकार हुए हैं पटना के मुकुल आनंद और उनको इस जाल में फंसाने वाली कंपनी है रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस ( RLIC)।सरकार औप निजी कंपनियों ने उनकी प्रतिभा और काबिलियत को नजरअंदाज कर अपने यहां नौकरी देने लायक नहीं समझी। अंत में थक- हार कर उन्होंने क-एक पाई इकट्ठा कर खुद का कारोबार शुरू किया।  हाथ में कुछ पैसे आए तो उन्होंने इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की योजना बनाई।
लेकिन, जिस तरह से कई लोग सिर्फ एजेंट की लोक-लुभावन बातों में आकर मिस-सेलिंग के शिकार हुए उसी तरह मुकुल भी एक एजेंट के जाल में फंस गए। उनकी बातों पर भरोसा कर बिना पॉलिसी डॉक्यूमेंट को गंभीरता के साथ पढ़े ही उस एजेंट से रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस ( RLIC) की तीन (पॉलिसी नंबर-508709988, 50995961,51040641) और HDFC लाइफ की एक पॉलिसी खरीद ली।  मुकुल को ये चारों पॉलिसी Uniwealth Insurance Brokers Pvt Ltd (UIBPL)के पटना एजेंट रवि रंजन ने बेची थी।
मुकुल की शिकायत के बाद उनके मिस-सेलिंग के आरोपों को सही पाकर HDFC लाइफ ने तो उनके पैसे वापस कर दिए लेकिन रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस ( RLIC) अब भी पैसे देने में आनाकानी कर रहा है। हालांकि मुकुल ने  रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस के अलावा इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAसे भी शिकायत की, लेकन सिर्फ आश्वासन के
अलावा पिछले करीब एक साल में उनको कुछ भी नहीं मिला। इन पॉलिसी को लेने के बाद मुकुल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन ना तो सरकार, ना ही रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस और ना ही IRDA के ऊपर उनकी दिक्कतों को लेकर कोई गंभीरता है।
कैसे बने मिस-सेलिंग के शिकार: कारोबार के दौरान कर्ज की सख्त जरूरत पड़ती है। ऐसे में मुकुल ने सोचा कि अगर किसी पॉलिसी के आधार पर कर्ज की सुविधा मिल जाए तो बेहतर होगा। एजेंट रवि रंजन ने मुकुल की इस योजना का लाभ उठाते हुए उन्हें पॉलिसी के बारे में गलत जानकारी दी। रवि ने मुकुल को बताया कि इन चारों पॉलिसी की एक साल की प्रीमियम, जो कि 26 लाख रुपए होती है, भरकर आप कर्ज ले सकते हैं।
कर्ज की उम्मीद में मुकुल ने पॉलिसी तो ले ली और सालभर का प्रीमियम भी भर दिया लेकिन जब उन्होंने इस आधार पर अपने एजेंट को उसके वादों को याद दिलाते हुए कर्ज दिलाने की मांग की तो एजेंट इससे साफ-साफ मुकर गया। साथ ही उसने पॉलिसी डॉक्यूमेंट का भी हवाला दिया, जिसमें इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी। यानी बात साफ है कि मुकुल भी अब पॉलिसी मिस-सेलिंग की पीड़ितों की सूची में शामिल हो चुके थे।
मुकुल ने हार नहीं मानी- लेकिन, मुकुल ने हार नहीं मानी और अपने पैसों को वापस पाने के लिए ए़ड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। पहले तो उन्होंने अपने एजेंट से बात की। एजेंट से बात नहीं बनी तो फिर जिस कंपनी यानी Uniwealth Insurance Brokers Pvt Ltd (UIBPL)का पटना एजेंट रवि रंजन जुड़ा हुआ था, वहां इस बारे में बात की। लेकिन जब वहां भी बात नहीं बनी तो उन्होंने रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस (RLIC) (पॉलिसी नंबर-508709988, 50995961,51040641) और HDFC लाइफ  से इस बारे में शिकायत की। लेकिन, वहां से भी कोई सुनवाई ना होते देख उन्होंने पॉलिसी मिस-सेलिंग के बारे में स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की छानबीन के बाद पीड़ित मुकुल के आरोपों को सही पाया।
पुलिस की छानबीन आधार को सच मानते हुए HDFC लाइफ ने तो मुकुल के सारे पैसे वापस कर दिये लेकिन रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

सवाल ये है कि जब HDFC लाइफ ने मुकुल को पैसे वापस किए तो फिर  रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस क्यों नहीं पैसे वापस कर रही है। इससे भी बड़ा सवाल ये है कि बीमा रेगुलेटर IRDA क्यों नहीं रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस पर कार्रवाई कर रहा है। अगर लोग इंश्योरेंस कंपनियों की मिस-सेलिंग का शिकार होते रहे और IRDA खामोश रहे तो फिर रेगुलेटर रहने का मतलब क्या है।
अगर आप भी कोई इंश्योरेंस पॉलिसी लेने जा रहे हैं तो पॉलिसी डॉक्यूमेंट पढ़ने के बाद ही इस बारे में कोई भी अंतिम फैसला लें। अपने जान-पहचान वालों से भी पॉलिसी लेनेमें इस बात का ध्यान जरूर रखें क्यों कि एजेंट सबसे पहले अपने परिचित लोगों को ही पॉलिसी मिस-सेलिंग के जाल में फंसाते हैं।
मुकुल के मामले से ये बात तो आप भी समझ रहे होंगे कि अगर एक बार गलत जानकारी और झूठे वादों पर आपका पैसा चला गया तो उसे वापस मिलना कितना कठिन होता है। क्यों कि बीमा रेगुलेटर और सरकार, प्रशासन तो है बेलगाम कंपनियों और एजेंट पर लगाम कसने के लिए, लेकिन ऐसा क्यों ना करें कि इन बेकार के चक्करों में फंसने की नौबत ही ना आए।

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